खिस्सा – हम, हमर कनियां आ काजवाली केर समय
– प्रवीण कुमार झा, बेलौन, दरभंगा (हालः दिल्ली)
बड्ड नमहर विचार विमर्श आ नाप जोखक बाद स्वंय हम आ हमर अप्पन पत्नी अहि निर्णय पर पहुँचलौं जे घर में काजवाली आब भोरे ९ बजे के बाद औती.
असल में ओ भोरे आठ बजे आबैत छथि जखन हम अपना बचिया के स्कूल छोडला के बाद सुस्ताबय केर बहाने घरक कोनो कोन तकय छी आ हमर कनियाँ जल्दी तैयार होयबाक बास्ते हमरा फेसबुक ट्वीटर सौं बचबई लेल हमरा तकैत छथि. अहि क्रम में हम दुन्नु गोटे छल प्रपंच सेहो करैत छी जे पहिने वाद विवाद आ फेर झगडा में बदलैक छै.
हालाँकि हमरा दुन्नु गोटे के अहि सब सौं कोनो दिक्कत नै. हमरा सबके ककरो सामने लड़बा में कोनो लाजो धोख नै… जखन की अहि क्रम में हम सब कतेको बेर उठापटक आर मार पिट (अपना सामर्थ्य मोताबिक दिवार वा घरक कोनो फर्नीचर सौं) सेहो क लैत छी मुदा समस्या अहू सौं नै.
बात जे परेशानी बला छैक ओ ई जे अहि घमासानक क्रम में हम दुन्नु गोटे जाहि शब्दावली केर इस्तेमाल करैत छी ओही में अत्यंत दुर्लभ, अनमोल आ अद्भुत शब्द केर समावेश होइत छैक. आब चूँकि हम दुन्नु गोटे एखन धरि अहि शब्दावली के पेटेंट नहि करौने छी, किएक ककरो सिखय दियैक ? किएक कियो इ विलक्षण बात सुनि अप्पन नाम करे… तांय कैल्ह सौं काजवाली ९ बजे औथिन आब.