हम मिथिला पुण्यक्षेत्रक बेटा छी, हमरा मैथिल होयबा पर गर्व अछि। बहुत पुण्य केलहुँ तखन मनुष्य रूप मे जन्म भेल, ताहू सँ बेसी पुण्य केलहुँ तखन मिथिला समान पवित्र भूमि जतय सीता समान सर्वश्रेष्ठ पतिव्रता आ सौम्य-शान्त सुमधुर मैथिलीक धरा सँ जनक द्वारा हलेष्ठि यज्ञ केलापर अवतार भेल छल ताहिठाम हमरो जन्म भेल। एहना मे ओ पापी थीक जे हमरा या हमर कोनो पुरखा वा आबय वला सन्तति केँ बिहारी वा कोनो आन पहिचान सँ बदनाम कय रहल अछि। खबड़दार! ई जेकरा नीक लागौक, ओ ढोलहा दय केँ अपना आप केँ बिहार वा बिहारी चमरछोंछ मे फँसाबय, धरि हमरा व हमरे समान हरेक स्वाभिमानी मिथिलापुत्र केँ बिहारी कहि जुनि गरियाबय। ई हमर समस्त महान पुरखा जनक सँ लैत हमर निज जनकसमान पिता केँ गरियाबय समान अछि।
राज्य बनाकय सौ वर्ष पूर्व सँ हमरा बिहारी कहि लिट्टी-चोखा आ घोर अकर्मल जातिवादिताक धार मे फँसबैत किछु सत्तालोलूप बेईमान मनुख द्वारा गर्व करबाक लेल कहल जाइत अछि…. हमरा देखाउ जे विगत १०० वर्ष मे बिहार कोनो टा उपलब्धि कय सकल हो जे एकरा पर कोनो तरहें गर्व कैल जा सकय। एहि सँ हम पूर्ण असहमत छी आ हमरा मिथिला सहित मगध, भोजपुर, कोसल, बंग आदि सब पड़ोसी सँ ओतबे स्नेह अछि जतेक अपना आप सँ अछि। धरि बिहारी कहि कदापि हम अपन अस्मिता केँ आरो बेसी नहि गरिया सकैत छी। बिहार जाहि तरहें बिहार गीत बनौलक आ मिथिलाक अपमान केलक, हमर पुरखाक अपमान केलक, ताहि सँ हम कदापि एहि राज्यक अस्तित्व सँ कथमपि संतुष्ट नहि भऽ सकैत छी। एहि तस्वीर मे बिहार केर असलियत देखायल गेल अछि, ई हमर नजरि पर सँ पर्दा हँटा देलक।
जय मिथिला – जय जय मिथिला!!
मैथिली जिन्दाबाद!!
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हरि: हर:!!