मनीष कर्ण, जनकपुरधाम । मार्च ३०, २०१७. मैथिली जिन्दावाद!!
राम भरोस कापडि “भ्रमर” केर विचारः सन्दर्भ कोलकाता मे सम्पन्न मिथिला विकास परिषद् केर कार्यक्रम मे प्राप्त अनुभव
हमरा कनिको सन्देह आ असमंजसता नहि अछि जे प्रथम अखबाक नगरी कलकत्तामे अशोक झा सन जीवटवाला लोक सेहो छथि जे एसगरो मिथिला विकास परिषदकेँ टेकने साल भरि किछु ने किछु करैत रहैत छथि। हम हुनक एकाकी अभियानक पक्षधर छी से नहि, मुदा मैथिलीक नाम होइ तँ कोनो पुर्व निर्धारित कार्यक्रमकेँ बाधित करबा लेल ताहि तिथि आ समयपर दोसर कोनो कार्यक्रमक योजना कऽ देल जाइक तँ पुर्व निर्धारित कार्यक्रमकेँ सफल बनएबाक लेल आयोजककेँ निष्ठुर, एकाकी आ तखन कखनो काल एक पक्षीय सन बनबा बाध्य होबऽ पडैत छैक।
अशोक झामेँ जँ की एहने माहोलमे एकाकी बनबाक बाध्यता सऽ गुजरबाक सामर्थ्य आ दायित्वबोध छन्हि, हम हुनका एक्ला मानुष कहलहुँ अछि।
मिथिला विकास परिषदक आयोजनामे गत २० मार्च कऽ कोलकत्ता, बडा बजारमे मिथिला महोत्सव २०१७क तेसर पुष्पक रुपमे सम्पन्न सम्मान एवं अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलनक ओरिआओन सँ हमरा सेहो तेहने व्यक्तित्वक दर्शन भेल छ्ल। हमरा इहो मोन अछि बाबू साहेब चौधरीक इएह एकल प्रयास आ मेहनत संस्थाक संगहि पत्रिका चलएबाक हिम्मत दैत रहैत छलनि। लगैय कलकत्तामे एहने मैथिली लोकनिक प्रयासे मैथिली जीवित रहल अछि। ओना ई बात नीक नै मानल जा सकैछ जे कोनो सामुहिक कार्यक्रम कोनो एक व्यक्तिक भऽ कऽ रहि जाए। ई दोसर बात छैक जे परिषदक कार्यक्रम अशोक जीक एकल निर्णय वा कार्य देखार होइत छल, मुदा सहयोग तँ छलैहे। एकटा नीक टीम हुनका संगे छलनि जे निरन्तर सहयोग आ सम्पर्कमे रहलनि। तखनने कार्यक्रम अपन निर्धारित नियार अनुसार सम्पन्न भेल ।
मैथिलीमे एखनो वर्गीय चिन्तन सं मुक्तिक दूर-दूर धरि संभावना नहि देखि पडैछ। एतेक पैघ, मुदा विचार सँ संकुचित घेरा छैक मैथिली मिथिला अभियानक जे आन वर्गक लोककेँ सहजहि प्रवेश सम्भव नहि भऽ पाबैत अछि। मंच सऽ बेर-बेर एहि तिलिस्मकेँ आब तोडबाक हेतु बात कहल जाइछ। मुदा हाथेक सफाइ सऽ जँ जादु भऽ सकैछ आ अपन भ्रमजाल दर्शक/श्रोता पर परसल जा सकैछ तहन किए अपन विरासतकें केओ छोडत। तँए मैथिली कहियो रोजगारीक भाषा नहि भऽ सकल से कहैत छी मुदा जँ एहिमे रोजगारो नहि, किछु पाँतिक सम्मान पत्र देबाक अवश्य आबैछै तँ गोलैसीक आधारपर तकर वितरण होइछ। घेरा सँ बाहर निकालबाक प्रयास होइछ तँ आयोजककेँ आलोचना कएल जाइछ। तकर कार्यक्रमकेँ भाँडबाक प्रयास होइछ । एकरा किन्नहुँ मैथिली विकासक हेतु नीक नहि मानल जा सकैछ।
जँ एहन भेल हो आ करबाक किनको नियार हो तँ तकरा सभ दिससँ विरोध होयबाक चाही। साहित्य अकादमी हो, अथवा कलकत्ताक एक प्रतिष्ठित पुरस्कारक बात हो, ताहुमे किछु एहने सन गन्धक बात पत्र पत्रिकामे छपैत रहैत छैक एहि पर सतर्कता जरुरी छैक । हम पुनः मिथिला विकास परिषदक एहि आयोजन प्रति आभार व्यक्त करैत छी, एहि दुआरे नहि जे हम जे सामेल रही, एहि दुआरे जे विकट परिस्थिति (स्वास्थ्य आ संगठन रहैतो) ई एक सफल आयोजन भऽ सकल।