भूकंप एक: चर्चा अनेक
विगत किछु वर्ष मे भारतीय उपमहाद्वीप पर विभिन्न तरहक भयावह प्राकृतिक आपदा-विपदा सँ मानवकेँ साक्षात्कार भेलैक अछि। किछु घटना तऽ एहेन छैक जेकरा स्मृति मे अनैत आइयो रोयाँ काँपि उठैत छैक, सिहरन सँ आत्मा तक दग्ध भऽ जाइत छैक। ओना प्राकृतिक घटना-दुर्घटना पर केकरो कोनो नियंत्रण नहि छैक, तथापि लोक आस्था-अनास्था सँ अनेको बहन्ना जोड़ि भिन्न-भिन्न तरहक चर्चा करैत अछि। चाहे ओ केदारनाथ आ चारू धामक यात्रापर आयल भीषण बाढि सँ भेल तबाहीक दृश्य हो, चाहे धरतीक स्वर्ग मानल जायवला जम्मू तथा कश्मीर मे आयल बाढि सँ उत्पन्न स्थिति हो, या फेर वर्तमान नेपाल भूकंप सँ मचल ताण्डव-लीला। ध्यातव्य ई छैक जे बेसी रास लीलापूर्ण तबाही आखिर एहि पहाड़ी क्षेत्र – हिमालय रेन्ज मे कियैक देखय लेल भेटैत छैक।
निश्चित रूप सँ समूचा पहाड़ केँ देवाधिदेव महादेवक वासस्थल कैलाश पर्वत सँ जोड़िकय देखल जाइत छैक, कतेको ठाम शक्ति-स्वरूपा देवीक उपासनास्थल छैक, पौराणिक गाथा आदिक अनेको जीवित दर्शनीय स्थल एहि पहाड़ मे भेटैत अछि, केदारनाथ, पशुपतिनाथ, कैलाश मानसरोवर, वैष्णोदेवी, कामाख्यादेवी, बाराहक्षेत्र, दन्तकाली, मुक्तिनाथ, हलेसी महादेव, पाथीभरा देवी – ई सब तऽ गोटेक नाम भेल, एकर अतिरिक्त हजारों किलोमीटर केर विस्तार क्षेत्र हिमालय मे ठाम-ठाम पर आराध्यदेवक अनेको रूपक विख्यात मन्दिर आ आदिकाल सँ हजारों-लाखों ऋषि-मुनिक तपस्याक्षेत्र रहल स्थान आइ पर्यटन लेल प्रसिद्ध अछि। पौराणिक आस्था पर आधुनिकताक सुख-सुविधाक आवरण चढि गेला सँ आस्थावान आहत होइत कहैत अछि जे ई सब ताण्डव-प्रकृतिक विनाशलीला शिवजीक कोप सँ होइत अछि। किछु एहने प्रमाणो अभरैत छैक जाहि सँ ई आस्थाक बात आरो गंभीर रूप सँ स्थापित होइत छैक। ओहेन भयानक बाढि मे केदारनाथ मन्दिरक ढाँचा जहिनाक तहिना ठाढ रहब, एहेन भयावह भूकंप मे काठमान्डुक पशुपतिनाथ मन्दिरकेर किछुओ नहि बिगड़ब… ई सब आस्थावानक मनक वेदनाकेँ अनास्थावान द्वारा कैल जा रहल कतेको प्रकारक आडंबरी भौतिकतावादी व्यवहार सँ उत्पन्न विनाशलीलाक बातकेँ सच प्रमाणित करैत छैक।
दोसर दिशि पहाड़ी जल-बहाव केँ पहाड़ी क्षेत्र मे बान्हिकय जल-दोहन करबाक नीति सँ सेहो पहाड़क स्थिति मे परिवर्तन अबैत छैक जेकर असर भूतल केर विभिन्न परत पर पड़ैत छैक। हालहि समाचार मे आयल छल जे चीन ब्रह्मपुत्र सन महानद केर जलकेँ संचित कय हजारों मेगावाट बिजली परियोजना पर कार्य कय रहल अछि। एक विशाल क्षेत्र मे जल-संचय लेल बान्ह बना रहल अछि। वैज्ञानिक तहिये सँ आशंका करय लागल छल जे एहि तरहक प्रयास मानवहित लेल खतरनाक भऽ सकैत छैक। तहिना भारत मे सेहो हिमालय सँ निकैल रहल विशाल जलस्रोत केँ बान्हिकय अपना तरहें परियोजनाक विकास मे लागल अछि। कतेको बेर एहि सब पर विवाद सेहो भेलैक। एतेक तक जे गंगाक जलस्रोत तक केँ बान्हि कय लाखों-करोड़ों आस्थावानक संग खेलबाड़ कैल गेलैक। भौतिक विकास लेल प्राकृतिक संरचना संग छेड़छाड़ करब कतहु न कतहु विनाशकारी होयबाक आशंका एखन विश्वास मे परिणति पाबि रहलैक अछि।
मानवहित लेल आस्था, प्रकृति, विज्ञान आदि मे नीक समन्वय केर आवश्यकता प्रतीत भऽ रहलैक अछि। नहि तऽ महाप्रलय केर भविष्यवाणी सच मे परिणति होइत शीघ्रे देखल जायत तेहेन प्रतीत होमय लागल अछि।
हरि: हर:!!