मधेपुर, मार्च ११, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!
मधेपुर प्रखण्ड के आदिनाथ मधुसूदन पारसमणि संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में शुक्रवार को होली मिलन सह कवि सम्मेलन समारोह का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन प्राचार्य डॉ. हरि नारायण ठाकुर, डॉ. रामसेवक झा, डॉ. चित्रधर झा एवं नारायण झा ने संयुक्त रूप से किया । कार्यक्रम के निर्विघ्न समाप्ति हेतु वैदिक मंगलाचरण मनीष कुमार मिश्र ने किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. हरिनारायण ठाकुर ने कहा कि बसंत ऋतु के आगमन से प्राकृतिक वातावरण प्रफुल्लित हो उठती है । पेड़-पौधे में नव पल्लव प्रस्फुटित होकर फलदार वृक्ष मंजर से युक्त प्राकृतिक वातावरण को हरियाली युक्त बना देते है । जिससे आसपास के वातावरण नव सुगन्ध से मधुमय हो उठता है । होली पर्व घर-परिवार, महाविद्यालय आदि में सामाजिक सौहार्द व साम्प्रदायिक सद्भाव बनाने हेतु प्रेरित करता है । डॉ. रामसेवक झा ने अपने उद्वोधन में कहा कि होली पर्व उन्मादकता का द्योतक है । जो प्रत्येक प्राणीमात्र में सत्व-रज-तम गुणों से युक्त होकर प्रेरित करता है । यहाँ लाल वर्ण राग गुण सम्पन्न, श्वेत वर्ण सत्व गुण, कृष्ण वर्ण तामसी प्रवृति को उन्मादकता प्रदन करता है । वहीं होलिका दहन हमें यह शिक्षा प्रदान करता है कि मानव के अन्दर जो दुष्ट प्रवृति उसका हमें हवन करना चाहिए । वहीं ज्योतिष प्राध्यापक डॉ. चित्रधर झा ने कहा कि ऋतु परिवर्तन होने से शरीर में नव संचार होता है । होली पर्व सत्यं शिवं सुन्दरम् के प्रतीक है । जिस प्रकार सूर्य के सातों किरणे मानव के शरीर को अनुकूल-प्रतीकूल प्रभाव से प्रभावित करता है उसी प्रकार होली के यह रंग-गुलाल शरीर पर लगाने से राग-सत्व व तामसी गुणों से उन्मादकता प्रदान करता है ।
वहीं दुसरे सत्र में कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए ब्रजकान्त चौधरी ने कहा कि काव्य द्वारा रसानुभूति सम्पादित होती है । होली व वसंत पर आधारित संस्कृत एवं मैथिली भाषाओं में कवि नारायण झा, डॉ. चित्रधर झा, डॉ. रामसेवक झा सहित महाविद्यालय के कई छात्र भी काव्य प्रस्तुत कर सभागार को अनुगुञ्जित कर दिया ।
कार्यक्रम में डॉ. हरि नारायण ठाकुर, डॉ. रामसेवक झा, नारायण झा, सोहन मिश्र, बिमलेन्दु झा, रतन कुमार झा, रमाकान्त झा, विरेन्द्र झा, दिनेश्वर झा, बेचन मंडल सहित महाविद्यालय के छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे ।