जागरूक मिथिला
| झा चंदन | नई दिल्ली | 22वाँ अप्रिल,2015 09:55भोर IST
आय अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनौल जा रहल अछि । सन्युक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित एक्टा प्रस्ताव मs कहल गेल छल जे वर्तमानक औ भविष्यक पीढिं कs लेल आर्थिक, सामाजिक औ पर्यावरणीय आवश्कता सब मs संतुलन बनाउ क लेल लोग सब कs प्रकृति कs संग सद्भाव रैखकर जिवाक चाहि ,जेतेक प्राकृतिक संसाधन सब छै ओक्कर ढ़ंग सौं उपयोग औ रख-रखाव हेवाक चाही।
मिथिला क्षेत्रक गप्प करि तह मैथिल समाज शुरु सौं प्रकृति सs जुरल छैथ , चाहे कृषि सौ जुरल काज हुवै, या कोनो तरह कs पाबैन-त्यौहार । कृषि संबंधित काज मs मैथिलजन धान, गेहूँ , मरुवा, साग-तरकारी , कुशियार संगे विशेषत: पान , माँछ औ मखान जेकि हरेक मैथिलक भोजन संगे पाबिनक संसाधन थिक पs बेसि जोर दै छैक । अहि संसाधन कs उगवै सौ लsकs , भुमि , जल औ पर्यावरणक सहि सौ उपयोग औ बचाव (संरक्षण) सम्मलित अछि औ अहि कार्यविधि के मैथिलसब संस्कारक रूप मs अप्पन पीढी क प्रेषित कs रहलैथ हँ| मिथिलाक पाबिनक-त्योहारक गप्प करि तह जेतेक पाबिन अछि सब प्रकृति कs समर्पित अछि, जेनाकि होरी , जुरि-शीतल, दीपावली,हुका-हुक्की, छैठ , मधुश्रावणी,बरिसैत औ आन सब| मुद्दा पलायन औ युवा-पीढी पs आन संस्कृति संगे पर्व-त्योहारक प्रभाव केर कारण मैथिल सब अप्पन संस्कृति औ एककर महत्वपूर्ण उपयोगी प्रभाव सौ विमुख भs रहाल छैथ, अहि उदासीनता के कारण सामाजिक औ राजनैतिक स्तर पs प्रचार औ प्रसार के अभावो छैक|
पृथ्वी-दिवसक अवसर पs आग्रह जे आन अहाँक संस्कृति के महत्तव बुझै छैथ औ आदर करै छैथ ताहि सौ अहुँ अप्पन संस्कृति,भाषा,भूमि औ संसाधन के महत्तव के बूझि औ आवै वाला पीढी कs संस्कारिक रूप मs प्रेषित करि|
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