मिथिलाक युवा गीतकार व कवि राजदेव राजः विशिष्ट परिचय

व्यक्तित्व परिचयः मैथिली कवि-गीतकार राजदेव राज, चौहर्वा (सिरहा), मिथिला, नेपाल

– विन्देश्वर ठाकुर, दोहा, कतार 

rajdev rajमैथिली जिन्दाबाद सँ प्रकाशित होएत आबि रहल नव सर्जक खोज अभियान अन्तर्गत आइ परिचय करबा’ रहल छी एकटा एहन लेखक सँ जे मूल वासिन्दा त नेपाली मिथिलाक सिरहा जिल्ला मे पड़यवला प्रसिद्ध स्थान चौहर्बा गाम सँ छथि, मुदा एखन वैदेशिक रोजगारीक सिलसिलामे मलेशियामे रहि रहल छथि। करब कि? प्राय: सर्जक विदेशेमे छथि। देशक हाले जे बेहाल छै… आर ताहू पर सँ मधेस सँ विभेद मे मिथिलाक्षेत्र मे त रोजगारक कोनो अवसरो भेटब दुतियाक चान समान छैक । आर ईहो सच छैक जे बेसी सर्जकक केसे मे देखल गेलैक अछि, ओ सब जखन अपन माटि, पानि आ परिजन सँ दूर जाएत छथि, तखन हुनका मे अपन मूल भाषा, संस्कृति, देश, समाज आदि सँ अपनापन केर भावना बेसी उजागर होएत छन्हि आर परिणामस्वरूप ओ सब लोक सृजनधर्मी बनि जाए छथि । आर ओतहिसँ नव इतिहास रचब शुरू भऽ जाएत छैक । एकर ज्वलन्त उदाहरण छथि – कवि राजदेव राज ।

वैदेशिक रोजगारीमे कम्पनीक कामकाज केलाक उपरान्त बचल-खुचल समयमे किछु-किछु अध्ययन कय अपना आपकेँ मैथिलीक विकासमे लगौने रहैत छथि कवि राजदेव राज ।

 

ई सर्जक मूलत: गजल आ लप्रेकमे कलम चलबैत छथि । गोटेक रास कविता आ अन्य रचना सब सेहो लिखैत रहैत छथि । हिनकर एकटा गीत जे बेस चर्चित भेल आ जनजनमे पसरल -“Abcd Efghi हमरा कनिया पढबैए भाइ” – मिथिलाक झमकौआ एलबम “चहटगर चटनी”मे सेहो संकलित अछि आर तेजू मैथिल केर स्वर मे एकर सराहना गीत-संगीत जगत केर सब पुरोधा लोकनि सेहो करैत छथि । विदित हो जे ई एलबम अन्तरास्ट्रिय मैथिली समाजिक अभियन्ता सम्मेलन – २०१६ विराटनगरमे विमोचन भेल रहए आर एकर नामाकरण हमरा सबहक प्रेरक, कवि – साहित्यकार व मैथिली-मिथिला अभियानी तथा मैथिली जिन्दाबाद केर संपादक प्रवीण नारायण चौधरी द्वारा कएल गेल छल ।

 

हिनक रचनासब मैथिलीक सुप्रसिद्ध कार्यक्रम हेल्लो मिथिलामे सेहो निरन्तर प्रसारण होएत आबि रहल अछि । एतय मैथिलीक भविष्य आ हमरा सबहक नवतुरिया सर्जक राजदेव राज केर किछु रचना सब पढल जाओ –

 

गजल

 

अपन गाम किए सुनसान देखै छी !

भुकमरी मे पडल किसान देखै छी !!

 

कोइली के अवाज गुञ्जै छल सगरो !

ओएह गाम आइ समशान देखै छी !!

 

दुष्ट सरकार मारै कपारमे गोली !

सुतल अकचकाइत अपन कान देखै छी !!

 

धर्म , संस्कृति छोडने ओ दानव सब

अपने समाजक स्वार्थी बैमान देखै छी !!

 

मोनक ई पीडा किनका सुनौता राजदेब !

गोली , बारुद जेहन सपना मे समान देखै छी !!

 

मैथिली लप्रेक

 

– hello के..?

 

– हम अभिलासा । चिन्हलौ ??

 

-अच्छा अपने छी ! कोना बिसरब यौ ! एखने अहीँके याद करै छलौ हम –

 

– जाउ-जाउ झुठे के नय पतियाबू

 

– नै नै सत्ते कहैछी । साली भैयाके छियै किने मुदा हमर त …..

 

– अँह जाउ ! अच्छा घर जा’क मम्मीके खुसखबरी सुना दियौ जे अहाँके भतिजा भेल

 

– आरे वाह ! बधाइ हो ! मौसी होएबाक लेल

 

– देखियौ देखले दिनमे भैया-भौजीके बौवा भऽ गेलै । आ अपनासबके त ……

 

– हे ! चुपू पहिने हमरा बाबू जी सँ हाथ त मांगु ।सादी त करु तहन ने किछो होत । ई हाथ पर हाथ धैला सँ आ बिल्लीमे नुकैला सँ कुछो नै होब बला हा आब !

 

 

गजल

 

सुमधुर स्वरमे गुनगुना दितही माए ।

नैनपन केर लोरी सुना दितही माए ।।

 

सदित हम रहितहुँ अाँचर के छाँह मे ।

जौं कपुत सँ सपूत बना दितही माए ।।

 

दुख नहि भोगितहुँ माए पापी संसार मे ।

तोरे बेटाछियौ सभके जौं जना दितही माए ।।

 

जग जीत लितहुँ माए तोहर अभगला ।

रुसल जिनगी के जौं तू मना दितही माए ।।