हे गै दिलतोड़िया दिल हमर किऐ तोड़लें गैः कमल महतोक गीत

गीतकार-गजलकारः कमल महतो, जनकपुर
kamal mahtoगजल
 
किए गेलौ पिया सात समुन्द्र पार यौ।
अाइब जाउ पिया छोड़िकऽ कतार यौ॥
 
सुनसान लगैअ घर अाँगन अा दलान यौ।
निक न लगैयऽ करैत अहाँ बिन सिंगार यौ॥
 
ने चाही कोठा अटारी ने चाही मकान यौ।
ने चाही गरो-गहना ने चाही लाख हजार यौ॥
 
सब दुनिया सँ नीक यऽ अपन मिथिला गाम यौ।
गाम ने छी पिया नञ नीक लागै पाबैन तिहार यौ॥
 
अपन बड़ फरल छै कलकततिया मालदह अाम यौ।
अहाँ लेल बनाकऽ रखने छी पिया चहटगर अाँचार यौ।।
 
 
मैथिली गीत
 
हे गै दिलतोड़िअा, दिल हमर किए तोड़लें गै।
हे गै हमर दिल तोड़िकऽ दोसरके सँग तु जोड़लें गै॥
 
नहि तु हमरा, एना तड़पाबैने।
हमरा सँ एक बेरी तु मिल अाबैने।
तोरालेल हमर दिलके दरबाजा छैं खुल्लले गै।
हे गै दिलतोड़िआ….
हे गै हमर दिल तोड़िकऽ….
 
सपनामे अाबिक तु , हमरा नहि सताबि जो।
हमरा जिनगीमे तु ,एक बेरी अाबि जो।
हे जहर माहुर खाए सँ ´तु´ हमरा बचाबिले गै।
हे गै दिलतोड़िआ…
हे गै हमर दिल तोड़िकऽ….
 
मैथिली गीत
 
कत तू जाई छेँ गै।
ककर बाट तकै छेँ गै।
चलैने हमरा सँगे जनकपुर बजार गै।
किन देबौउ तोरा कुर्ती सलबार गै।
 
कतअौ हम जाईछी तऽ तोरा कि काज रै।
बेसी फटर फटर तूँ ने छौंडा़ बाज रै।
नहि तऽ माइर जुत्ती सँ फोईर देबउ कपार रै।
 
चलैने हमरा सँगे जनकपुर बजार गै।
किन देबौउ तोरा कुर्ती,सलबार गै।
 
नहि जेबौउ तोरा सँगे जनकपुर बजार रै।
नहि चाहि हमरा कुर्ती सलबार रै।
 
कत तुऽ जाईछे गै।
ककर बाट तकैछे गै।
चलैने हमरा सँगे जनकपुर बजार गै।
किन देबौउ तोरा कुर्ती सलबार गै।
 
कत तुऽ जाईछे गै।
ककर बाट तकैछे गै।