सुजीत कुमार झा, जनकपुरधाम। जनवरी १०, २०१७. मैथिली जिन्दाबाद!!
सीतामढ़ीबाली आई काल्हि बहुत व्यस्त छथि । बजारसँ तिल, चुरा, मुरही आ गुड़ अनलीह अछि । आब तीन चारि दिन तिला संक्रान्तिके मात्र रहि गेल अछि । तिलवा, चुरलाई आ लाई बनाबएके अछि ओ कहलीह । हुनके बगलमे रहल प्रेमनगरबाली कहैत छथि हम तऽ लाई सभ बना लेने छी माघ १ गतेके विशेष भोजनके तैयारीमे लागल छी । माघ १ गते मिथिलाञ्चलमे विशेष भोजन बनाओल जाएत अछि ।
राजनीतिकर्मी रेणु झा कहैत छथि एहि दिन खिचडि़के बहुत महत्व रहैत अछि । एकरा घर घरमे विशेष प्रकारसँ बनाओल जाएत अछि । ओ एहिसँ जुड़ल एकटा फकरा सेहो कहैत छथि – खिचड़ीक चारि यार, घि पापर दही अचार । एहिमे बहुतरास परिकार बनाओल जाएत अछि ओ कहैत छथि ।
भोरे भोरे स्नान आ फेर किछु दान पुण्य आ विशेष प्रकारक भोजन एहि पावनिक महत्व रहल पुरोहित कार्यमे सक्रिय रहल पण्डित विद्यानन्द झा कहैत छथि । एहि दिन जनकपुरक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल गंगासागरमे सेहो स्नान करबाक परम्परा अछि । संक्रान्तिक दिन प्रत्येक बर्ष गंगासागरमे स्नान करएबला सभक भीड़ लागल रहैत अछि । बहुतो गोटे तऽ गंगासागरमे डुब्बी मारएके बाजी सेहो लगबैत छथि । जे जतेक डुब्बी मारैत अछि हुनका ओतेक तिलवा भेटत एहन बातसभ सुनबामे अबैत अछि । आजुक दिन ज्येष्ठ लोकनि अपनासँ छोटकेँ तिल चाउर आ गुड़ सेहो खुवाबैत छथि ।
मकर संक्रान्तिक महत्व
मकर संक्रान्ति हिन्दु सभक प्रमुख पावनि सभमेसँ एक अछि । ई पावनि प्रत्येक बर्ष माघ महिनाक पहिल दिन अर्थात माघ १ गते मनाओल जाएछ । एहि दिनसँ सूर्य उत्तरायण होबए लगैत अछि जखन कि उत्तरी गोलार्ध सूर्य दिश घूमि जाइत अछि । ओना परम्परागत हिसाबसँ ई मानल जाइत अछि जे ओहि दिन सूर्य मकर राशिमे प्रवेश करैत अछि । एहि पावनिकेँ वैदिक उत्सवकेर नाम सेहो देल जा सकैत अछि । मकर संक्रान्तिक दिन खिचडि अनिवार्य रुपसँ भोजनमे बनाओल जाएत अछि । एकर अतिरिक्त तिलवा, चुराके लाई, मुरहीक लाई आदि सेहो बनाओल जाएत अछि ।
एहि पावनिक सीधा सम्बन्ध प्रकृति, ऋतु परिवर्तन आ कृषिसँ अछि । प्रकृतिक कारककेर रुपमे एहि पावनिमे सूर्य देवकेर पूजा कएल जाएत छन्हि जिनका शास्त्रमे भौतिक एवं अभौतिक तत्वक आत्मा सेहो कहल जाएत छैक ।
धर्म ग्रन्थमे उल्लेख
मकर संक्रान्तिक उद्गम विन्दु बहुत बेसी प्राचीन नहि अछि । ईसा पूर्व एक सहस्त्र वर्ष पहिने ब्राह्मण एवं औपनिषदिक ग्रन्थमे उत्तरायणकेर ६ महिनाक उल्लेख पाओल जाएत अछि । उत्तरायणमे अयन शब्द आएल अछि जेकर अर्थ मार्ग वा स्थल होइत अछि । गृह्यसूत्रमे उदगयन उत्तरायणके द्योतक मानल जाएत अछि जाहिठाम स्पष्ट रूपसँ उत्तरायण आदि कालमे संस्कार करए के विधि वर्णित अछि । मुदा प्राचीन श्रौत, गृह्य एवं धर्म सूत्रमे उदगयन बहुत शताब्दि पूर्वसँ शुभ काल मानल जाइत अछि, अतः मकर संक्रान्ति जाहिसँ सूर्यक उत्तरायण गति आरम्भ होइत अछि , राशिके चलनके बादमे पवित्र दिन मानल जाए लागल ।
मकर संक्रान्ति पर तिलके एतेक बेसी महत्व किए देल गेल से कहनाई कठिन अछि । सम्भवतः मकर संक्रान्तिक समय जाड़ भेलाक कारण तिल जेहन पदार्थक प्रयोग कएल गेल हुए सम्भव अछि । ईसवी सन प्रारम्भसँ पहिने मकर संक्रान्ति नहि छल ।
संक्रान्तिक अर्थ
‘संक्रान्ति’क अर्थ अछि सूर्य एक राशिसँ दोसर राशिमे जाएब । अतः ओ राशि जाहिमे सूर्य प्रवेश करैत अछि, संक्रान्तिक संज्ञासँ विख्यात अछि । राशिक संख्या १२ अछि । मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक , धनु, मकर, कुम्भ, आ मीन । मलेमास पड़लाक बाद सेहो वर्षमे १२ राशि मात्र होएत छैक । प्रत्येक संक्रान्ति पवित्र दिन केर रूपमे मानल जाएछ । मत्स्यपुराणमे संक्रान्ति व्रतकेर वर्णन कएल गेल भेटैत अछि । एक दिन पहिने लोककेँ मात्र एक बेर मध्यान्हमे भोजन करबाक चाही आ संक्रान्तिक दिन दाँतकेँ स्वच्छ कऽ तिल युक्त जलसँ स्नान करबाक चाही ।
संक्रान्तिक दिन दान पुण्य
पूर्व पुण्यलाभक लेल पुण्यकालमे स्नान दान आदि कृत्य कएल जाएत छैक । सामान्य नियम ई अछि जे रातिमे नहि तऽ स्नान कएल जायत आ नहिये दान । सूर्यक किरण रहल समयमे कखनो स्नान कएल जा सकैत छैक । रातिमे ग्रहण छोडि़ कऽ अन्य समय स्नान नहि करबाक चाही । ई बात विष्णुधर्म सूत्रमे सेहो कहल गेल अछि । मुदा किछु अपवाद सेहो देल गेल अछि । जाहिमे ग्रहण, विवाह, संक्रान्ति, यात्रा, जनन, मरण तथा इतिहास श्रवण आदि अछि । अतः प्रत्येक संक्रान्ति विशेषतः मकर संक्रान्तिक दिन अवश्य स्नान करबाक चाही आ ओहिक बाद दान करबाक चाही ।
मान्यता
ई विश्वास कएल जाइत अछि जे एहि अवधिमे देहत्याग करएबला व्यक्ति जन्ममरणकेर चक्रसँ पूर्णतः मुक्त भऽ मोक्ष प्राप्त करैछ । महाभारत महाकाव्यमे वयोवृद्ध योद्धा भीष्म पितामह पाण्डव आ कौरवक बीच भेल कुरुक्षेत्र युद्धमे सांघातिक रूपसँ घायल छलथि । हुनका इच्छा मृत्युक वरदान प्राप्त छलन्हि । पाण्डव वीर अर्जुन द्वारा रचित बाणशैय्या पर पड़ल भीष्म उत्तरायण अवधिक प्रतीक्षा कएलन्हि । ओ सूर्यकेँ मकर राशिमे प्रवेश कएलाक बाद अपन अन्तिम श्वास लेने रहथि जाहिसँ हुनका पुनर्जन्म लेबए नहि पड़लन्हि ।
धनुषाधाममे मकर मेला
जनकपुर क्षेत्रक प्रमुख धार्मिक स्थल धनुषाधाममे एहि अवसरपर मेला लगैत अछि । माघ १ गतेक अतिरिक्त माघ महिनाक प्रत्येक रवि दिन धनुषा धाम मन्दिरमे भक्तजन सभके भीड़ लागल रहैत अछि । ओहि स्थलपर दूर दूरसँ श्रद्धालू-उपासक लोक सब पहुँचैत छथि । मकरमे धानक शीस आ भाँटा चढाबएके परम्परा सेहो रहैत अछि । धानक शीस चढाबएके पाछु धानक उत्पादन बढाबएकेर कामना आ भाँटा चढाबएके पाछु अहिला सहित चर्म रोगसँ मुक्तिक लेल अराधना रहैत अछि ।
धनुषाधाम ओ स्थल अछि जाहिठाम त्रेतायुगमे सीता स्वम्बरक समय भगवान रामद्वारा धनुष तोडलाक बाद एकटा भाग धरती पर खसल छल । ओहि स्थलपर एखनो धनुषक अवशेष देखल जा सकैत अछि ।