हम तऽ बिक गेलियै दहेज मे (मैथिली कविता) - विजय मंडल भेल जन्म रहे हमर जमिन्दारक घरमे खुबे लाड़-प्यारसँ पोसलक पैसाके माहौलमे पढेलक बढेलक बड़का आदमी बनेलक गर्ब सँ सबकेँ सुनेने घुरलक लागैत रहय हमरा हमर माइ बाप सँ बेसी प्यार कियो नै करय अछि एहि धरती पर हमरा सँ लायक कियो नहि हैत एहि धरती पर मगर से घमण्ड हमर शीशाके जेना टुइट गेल खन्कैत चुड़ी टूटला पर हाथक कलाइकेँ जहिना दर्द होइ यऽ ओहने दर्द भेल जखन दहेजक बात होइ यऽ हमर सपना लेने कियो कतहु दूरमे सोचि रहल यऽ अपन घर अगना छोड़िके हमरा संग आवय लऽ ओ सब किछु त्यागि रहलै यऽ माइ बापक नयनाक नोर ओ पोछि रहलै यऽ हर क्षण नया चुनौतीक सामना ओ कय रहलै यऽ धन्य ओ माइ-बाप जे बेटीक लेल किछो भी करै यऽ बेटीक खुशीक लेल फाँसी तक चैढ जाइ यऽ तखनितो हुनकर ओहेन प्यार देखि कय आँखि नोराइ यऽ दिलो हमर काइन उठै यऽ हमर माइ-बापसँ सेहो बहुते ओ माइ-बाप पर हमरा प्यार आबै यऽ खुशी सम्पन्न जमीन्दार कहाय रहल हमर माइ-बाप बहुत बड़का आदमी छी कहैत रहय हमर माइ-बाप हमरा तऽ ओ सब एखन सबटा झूठ लागे लागल जखनिते माइ-बाप दहेजक माँग करय लागल दोसरके चौखटपर बोली लागाके हमरा बेचे लागल हमरा बेचे लागल हमरा बेचे लागल विजय मण्डल http://N2Q2 Tel: 9842299527