मैथिली गीत
फूलहुँ सँ कोमल काया अछि, मधुरस संचित अछि ठोर हमर।
हम रातुक सजल इजोरिया छी, उजड़ल उपटल सन भोर हमर।
फूलहुँ सँ कोमल काया अछि.………
अपराध हमर कि पाप हमर, नारी जीवन कि शाप हमर।
नारी स्वभाव, नारीके चरित, उपहार तोहार, अभिशाप हमर।
दुःख दर्द शोक संताप भोग, जग पोछि सकल नहि नोर हमर।
हम रातुक सजल इजोरिया छी, उजड़ल उपटल सन भोर हमर।
फूलहुँ सँ कोमल काया अछि.………
गमकि उठल चन्दन सन तन, जग जाहिर भेल चर्चित यौवन।
सुंदरता अभिशाप जगत् केर, दूभर नारी केर जीवन।
थोपल हमरे पर अनाचार, विधि पाथर सनक कठोर हमर।
हम रातुक सजल इजोरिया छी, उजड़ल उपटल सन भोर हमर।
फूलहुँ सँ कोमल काया अछि.………
हम इंद्रपुरीक अप्सरा उर्वशी, धरती सीता गांधारी छी।
हम सभा बीच द्रौपदी बनल, जूआ मे हारल नारी छी।
दुष्यंत छलिके शकुन्तला, नोरहुँ भय गेल इन्होर हमर।
हम रातुक सजल इजोरिया छी, उजड़ल उपटल सन भोर हमर।
फूलहुँ सँ कोमल काया अछि.………
कंगन नूपुर काजर टिकुली, लय साँझ करै श्रृंगार हमर।
प्रेमक उपहास हमर जग भरि, कय रहल राति बाजार हमर।
अन्याय कतेक सह्बै “बक्शी”, दुःखक नहि ओर आ छोर हमर।
हम रातुक सजल इजोरिया छी, उजड़ल उपटल सन भोर हमर।
फूलहुँ सँ कोमल काया अछि.………
– उमा कान्त झा “बक्शी ”
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