Bhumi Adhigrahan Bill Par Rajneeti

भूमि अधिग्रहण बिल पर राजनीति

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भारत मे नव सरकार गठित भेला उपरान्त बहुत रास निर्णय निर्धक्क ढंग सँ होमय लागल अछि, जनादेश मुताबिक देश मे काँग्रेसक दीर्घकाल धरिक शासन सँ जनमानसक ऊबाइ साफ देखायल। राजनीतिक माहौल मे काँग्रेस मुक्त भारतक नारा सच होयत ई विभिन्न राज्य मे भेल विधानसभाक चुनाव सँ सेहो देखल जा सकल। विपक्षी दल मोदीक बढैत वर्चस्व सँ पूर्ण दहसति मे अछि आ सब कियो एकठाम – एक गठजोड़ बनाय देशक लोकतंत्र केँ रक्षा करबाक लेल मजबूत विपक्ष देबाक बात करैत अछि। विपक्षक भूमिका महत्त्वपूर्ण होइत छैक, नहि तऽ मनमानी ढंग सँ कोनो शासन पक्ष अपन मनक बात करत आ जनहित भावना किछु समय लेल पाछू कय अपन छूपल मानसिकता सँ देश मे नव विधान बना सकैत अछि, ताहि हेतु कोनो बिल (विधेयक) पर सत्तापक्ष संग विपक्ष आ संसदक दुनू सदन मे समुचित बहस संग निर्णय करबाक परंपरा आ संवैधानिक व्यवस्था छैक। लेकिन अपन छूपल मानसिकता मे यदि मात्र सत्तालोभ आ कुर्सी पर नियंत्रण टा हो तँ देशक बेरा गर्क मे जेतैक इहो तय छैक। भारत मे लोकतंत्र आ लगभग ७ दशक स्वतंत्रताक बितलो पर विकास कम आ भ्रष्टाचार असीमित छैक, एकर पाछाँ राजनैतिक मंशा कतहु न कतहु बेईमान छैक, ई जनमानस मे स्पष्ट भेल छैक। लेकिन तंत्र किछु एहेन छैक जे एक बेर चुनि लेलाक बाद ५ वर्ष धरि अहाँकेँ देखय पड़त जे आखिर एकर प्रदर्शन केहेन छैक।

वर्तमान भूमि अधिग्रहण बिल पर सरकारक रूख दृढ छैक। विपक्ष एकजूट भऽ केवल राजनीति कय रहल छैक। किसानक हितकर ओ बनैत छैक जे आइ दशकों धरि शासनकाल सँ किसानक जमीनी समस्या जेना बीज, खाद, सिंचाईक संग नव-प्राविधिक उपकरणक सहयोग आ फसल संरक्षणक समुचित उपाय तक नहि कय सकलैक, नहिये किसानकेँ प्राकृतिक आपदा सँ बचबाक लेल कृषि बीमा केर व्यवस्था सँ आत्मसुरक्षा हेतु कोनो ढंगगर व्यवस्था दय सकलैक – राम भरोसे हिन्दू होटल केर तर्ज पर किसानकेँ देखाबटी ललीपप खुअबैत वोटक राजनीति धरि खूब कैल जाइत रहलैक अछि। वर्तमान सरकार कृषक केर भूमि उद्योग केर विकास लेल लेतैक, उद्योग सँ रोजगार बढतैक, रोजगार फेर वैह कृषककेर संतति-परिवारजन लेल हेतैक आ समग्र मे देशमे उत्पादनशीलता बढला पर विकास दर केर बढोत्तरी सँ सब देशवासीकेँ समुचित लाभ पहुँचतैक। देशक समग्र विकास मे एक-दोसर सँ जुड़ल विभिन्न बात केर विकास हेतैक। यदि अहित हेतैक तऽ ओकरा मे संशोधन सेहो जायज छैक आ से कैल जेतैक। शंकाक बात जतय छैक ताहि पर सदन मे बहस जरुरी छैक। वर्तमान प्रारूप मे सुधारक गुंजाइश जँ छैक तऽ ओकरा पर विपक्ष द्वारा प्रस्ताव आबैक आ ताहि पर सत्तापक्ष समुचित ध्यान दय कार्य करैक। ई कि जे दारू आ पाइ खर्च कय दिल्ली मे प्रदर्शन करैत मिडिया मे हवाबाजी करैत देशक किसान केँ बरगलेबाक कूराजनीति सँ विकासक मार्ग अवरूद्ध कैल जा रहलैक अछि? कि यैह राजनीति जे फल्लाँक राज मे कोनो विकासक काज नहि होइक आ ऐगला बेर चुनाव मे मोदी केँ रोकि देबैक देशक हित मे हेतैक? इलेक्ट्रानिक मिडिया आ प्रिन्ट मिडिया – सर्वत्र सत्ता पक्ष आ विपक्ष केर मुद्दा सोझाँ मे राखल जा चुकल छैक।

किसान अनपढ आ गँवार नहि जे बात नहि बुझि रहलैक अछि। लेकिन जेकरा हाथ मे सत्ता आ जेकरा साथ मे सत्ता संग समझौता करबाक अछिकार छैक, ओकर नौटंकी केँ मूक बनि देखबाक अलावे अन्य चारा नहि छैक। देशक हित मे मूढतापूर्ण आन्दोलन कहियो नहि रहलैक, एहि लेल सदनक गरिमाकेँ बरकरार राखि संवैधानिक व्यवस्था अनुरूप कार्य हो, सबहक कल्याण हेतैक। काल्हि जा कय बिलक दुष्प्रभाव पड़तैक तऽ उद्योगपति केँ सेहो कृषिक चिन्ता करहे पड़तैक, ई प्राकृतिक न्याय थिकैक। केवल राजनीति करबाक लेल एहेन हथकंडा अपनेनाय आ देशक विकास केँ अवरूद्ध केनाय कतहु सँ जायज प्रतीत नहि होइत छैक।