विशेष संपादकीय
मैथिली सिनेमाक गोल्डन जुबिली वर्ष बीत गेल। सुसंयोग सँ भारत मे पहिल बेर मैथिली भाषाक सिनेमा ‘मिथिला मखान’ केँ ६३वाँ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मे सर्वोत्तम मैथिली फिल्म पुरस्कार भेटल अछि, लेकिन दुर्भाग्य केहेन जे ईहो सिनेमा आम जनमानस केँ देखबाक लेल नसीब नहि भेल। काफी पैघ बजट मे बनल ई फिल्म संभवतः विदेशक लोकेशन तक जाय केँ सूटिंग केलक, एकटा नीक कथानक आ मिथिलाक मौलिकता केँ समेटबाक संग-संग पूर्वकाल आ वर्तमान पीढीक बीचक संभावना केँ सेहो जोड़बाक प्रयास छल – पौराणिकता आर आधुनिकता बीच सेतु निर्माण करैत नव पीढी मे अपन मूल पहिचान प्रति नेह जोड़बाक काज कय सकैत छल ई फिल्म – लेकिन रिलीज कैल जेबाक प्रक्रिया मे ई एखन धरि अड़कल अछि।
किछु समय पूर्व राजकमल चौधरीक उपन्यास ललका पाग पर आधारित सिनेमा नवका ‘ललका पाग’ केर सेहो खूब चर्चा सुनलहुँ। फिल्म समीक्षक आ तकनीकी पक्ष सँ सपरिचित मैथिल विश्लेषक लोकनिक हिसाब सँ ओहो सिनेमा अत्यन्त क्रान्तिकारी आ मैथिली सिनेमाक पारंपरिक कमजोरी केँ दूर हँटबयवला छल। मुदा दुर्भाग्य जे ओहो सिनेमा किछु कोपीराइट नियमक चक्कर मे फँसि गेल आर आम पब्लिक ओकरो देखय सँ चूकि रहल अछि।
सोसल मीडिया पर धूम-धड़क्का मचबैत मधुबनीक बहुचर्चित यथार्थ घटना ‘प्रीति-प्रशान्तक प्रेमकथा’ पर आधारित फिल्म ‘हाफ मर्डर’ विशालतम् पब्लिसिटीक बादो धरातलपर कतहु भऽ कय नहि स्थापित भऽ सकल। दर्शक एकर किछु गीत केँ त खूब पसीन केलनि, मुदा सिनेमा कहाँ दिन एको पाय कमा नहि सकल। एकर निर्माता-निर्देशक सँ बात भेलापर पता चलल जे सिखबाक काज टा भेल, आगू नीक काज कम खर्च मे कय सकब से उम्मीद बढल। बाकी जाहि तरहक अपव्यय भेल ताहि तरहक गुणस्तरीय मैथिली सिनेमा नहि बना सकलहुँ।
किछु एहेन सिनेमा जे बनिकय तैयार अछि, मुदा पहिने सँ दर्शकक मोन मे मैथिली सिनेमा देखबाक प्रति कोनो चाव नहि रहि जेबाक कारणे सिनेमा हौल केर मालिक द्वारा प्रदर्शनक मौका नहि भेट सकबाक कारणे ई सब सिनेमान रिले मे ओझराकय रहि गेल। निर्माता लोकनिक आपसी मतभेद सँ सेहो किछु सिनेमा आइ धरि प्रदर्शित नहि भऽ सकल अछि। हालत कोनो तरहें सुखद छैक ई कहब सहज नहि बुझा रहल अछि। मिथिला मखानक उदाहरण त हालक थीक, एखनहु निर्माता-निर्देशक रिलीज वास्ते लगानीकर्ता – सहयोगी हाथक खोज मे जुटले छथि। दर्शकक अभिलाषा कि छैक। सिनेमाक बाजार केहेन छैक। कलाकार, गायक, केहेन हेबाक चाही। मैथिली सिनेमाक कथानक केहेन हो। फिल्मांकन, बजट, बाजार, प्रदर्शन – हर पक्ष मैथिली सिनेमाक एतेक दसक बितलाक बादो कमजोर प्रतीत होएत अछि।
किछु विज्ञजन सँ चर्चा केला पर हुनका लोकनिक पसीन कैल सिनेमाक कथानक आर संस्मरण केर चर्चा केलापर डा. चन्द्रमणि मैथिली सिनेमा मे ‘सेनुरक लाज’ सब सँ सुन्दर फिल्म होयबाक बात कहैत छथि, तहिना सस्ता जिनगी महग सिनूर केँ सब सँ सफल मैथिली फिल्म कहलैन। ई दुनू फिल्म दहेजक त्रासदी पर फिल्मायल गेल अछि आर मिथिला समाज मे दहेज प्रथा धीरे-धीरे विकराल रूप लेबाक मर्म आम जनमानस मे बेसी बुझल जाएछ ई प्रमाणित करैछ।
शिव कुमार झा टिल्लू कहैत छथि जे ममता गाबय गीत बहुत बच्चे मे देखने रही, मुदा सब सँ सफल फिल्म सस्ता जिनगी महग सिनूर लागल। एकर गीत कने हँसियौ न सजनी गुलाब कहइ य आ मुरलीधर केर अभिनय बड नीक लागल। अभिनेता आ अभिनेत्री अपन सर्वोत्तम अभिनय कएलनि लेकिन तैयो कमी रहिये गेल जेना बुझायल।
मनीष बौआभाइ केर कहनानुसार तकनीकी दृष्टि सँ कखन हरब दुःख मोर आ कम बजट मे नीक आउटपुट देबयवला फिल्म मुखियाजी बनल मैथिली मे। विदित अछि जे कखन हरब दुःख मोर फिल्म विद्यापति आ उगना महादेव बीचक भक्त-भगवान् केर सम्बन्धपर आधारित फिल्म थीक, जखन कि मुखियाजी वर्तमान मिथिला समाजक परिवेशपर आधारित फिल्म। दर्शक केँ विद्यापतिक रचना जहिना पसीन पड़ैत अछि, तहिना हुनका जीवनपर आधारित नाटक आर ताहि स्वीकार्यताक लाभ उठबैत बनल सिनेमा ‘कखन हरब दुःख मोर’ केँ सेहो भेटल से स्पष्ट अछि। मुखियाजी सेहो कने दिन त चर्चा मे रहल लेकिन एकरा हिट मैथिली फिल्म त एकदम्मे नहि मानल जा सकैत अछि।
मैथिली फिल्म मे भाग्यक आजमाईश करयवला वृतान्त खूब सुनैत छी। पूँजी निवेश सँ लैत कलाकार चुनाव धरि, लोक स्थापित तकनीक, मांग-आपूर्ति नियम, बाजार प्रचार-प्रसार, कथानकक चुनाव, इत्यादि सब बात मे मनमौजीक बात सुनबा लेल भेटैत रहल अछि। कतहु कान त सोन नै आ सोन त कान नै! एना मे कोन गारंटी जे आगामी आरो ५० वर्ष धरि अवस्था मे कोनो सुधार नहि हो। हिन्दी सिनेमाक सफलताक इतिहास मैथिली सिनेमा लेल अनुकरणीय अछि। खास कय केँ सफल हिन्दी सिनेमाक कथानकक चुनाव – कलाकारक चुनाव आ फिल्मांकनक उत्कृष्टता आ बाजार-वितरण लेल पब्लिक प्रोमो सब किछु सिखय लेल प्रशस्त मार्ग दैत अछि। मात्र नकल करबाक लेल संगीत आ स्टोरीक अतिरिक्त तकनीकी तौरपर मैथिली सिनेमा केँ हिन्दी सिनेमा संग डेग सँ डेग मिलाकय चलबाक आवश्यकता अछि। राष्ट्र, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीयता, सामाजिकता, ऐतिहासिकता, मौलिकता पर आधारित कथानक संग मैथिली सिनेमाक भविष्य नीक बनय से एहि नव वर्षक पहिल दिन जनवरी १ तारीख २०१७ केँ शुभकामना दैत छी।