एक विचार २५ दिसम्बर २०१३ केर….
मिथिला एक अकाट्य संस्कृति थिकैक – पूर्ण सभ्यता थिकैक। वैश्विक मानव समाजकेँ ठाड्ह करऽमे एक महत्त्वपूर्ण भूमिका सनातनकाल सँ आइ धरि निर्वाह कय रहल छैक। मैथिल कतहु छथि तँ अपना बौद्धिकता आ सहिष्णुता सँ सबहक दिल जीतने छथि। विदेही गुणसँ हुनका मान-अपमान बेसी समानेरूपमे बुझाइत छन्हि। जखन सहनशक्ति जबाब देबय लगैत छन्हि तैयो पति वा पिता वा मालिककेँ मान रखैत अपन त्याग स्थापित करैत सीताजेकाँ मायकेर कोरामे सिमैट जाइत छथि, लेकिन फालतूक उग्रता आ नटनी-नाच न अपने नचैत छथि आ ने केकरो नचाबय लेल आतूर होइत छथि। अपवाद सब किछु मे होइत छैक, जेना ‘नटिन खेल’ द्वारा मिथिलाक लोक-परंपरामे एक नटपंथीकेँ देखाओल जाइत छैक, तिनको सबहक अस्तित्व धरि जरुर रहैत छन्हि, लेकिन हुनक उपस्थिति अपवादहि समान।
*आइ राज्यविहीन मिथिला अपन आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, भौतिक संरचनात्मक वा विभिन्न विकासक पहलूमे परतंत्रताक शिकार छैक। ताहि लेल मिथिला राज्य चाही। मानैत छी।
*लोक पहिले कोनो माँगकेँ समुचित स्थानतक पहुँचाबय लेल शान्तिपूर्वक काज करैत छैक, जन-जनसँ भेट करैत छैक, लोककेँ बुझाबैत छैक जे हमरा सबकेँ स्वराज्य किऐक चाही। माँगक मजबूती करैत एम्हर बौद्धिक स्तरसँ सेहो विधायकमंडल – विधानमंडल – विधानरक्षक सबसँ सेहो निरन्तर भेटघाँट करैत अपन माँगक औचित्यपर कायम रहैत कहियो असहयोग आन्दोलन, कहियो पदयात्रा, कहियो सत्याग्रह, कहियो सडक जाम… इत्यादिसँ जनभावनाकेँ सबहक सहयोग सँ सरेआम राखल जाइत छैक।
*अहिंसा सँ हिंसा दिशि जेबाक बाध्यता तखनहि बनैत छैक जखन दमन चरमसीमासँ ऊपर जाइत छैक। वर्तमान दमन प्रत्यक्ष नहि, अप्रत्यक्ष आ तरघूस्कीपूर्ण षड्यन्त्रमूलक छैक। अहाँक अधिकार नहि देब, अहाँक हक छीन लेब, अहाँकेँ बाजहो तक नहि देब, घरसँ निकलय नहि देब…. ई सब भेलैक प्रत्यक्ष दमन जे मिथिलापर केकरो मजाल नहि भेलैक जे लादि देतैक। एतयतँ आपसेमे अहाँकेँ जातिक नामपर, बुद्धिक विभेदपर आ कतेको तरहक सांगठनिक एकताकेँ ध्वस्त करैत बिहारी शासक मिथिलाकेँ बढय-बनयसँ रोकने अछि। तखन कार्यक्रम तऽ ओहेन कैल जाय जे अहिंसक हो, आ जनसरोकारवाला हो। जेना – एक-एक ब्लक (प्रखंड) द्वारा देल जा रहल सरकारी सुविधाक वितरण प्रणाली बेईमानीपूर्ण आ दलाली-प्रथासँ ग्रस्त हेबाक बात सरेआम सबकेँ बुझल अछि, जहिया ओहि बात लेल गामक-गाम लोक उलैट जेबैक तहिया देख लियौक जे लोक स्वराजक असल अर्थ केना बुझय लगैत छैक आ तखन अहाँक रोड जाम कि, पटना जामतक मिथिला सेना चढाइ करैत कब्जा नहि कय लौक तऽ जे कहू!
*हिंसाक शख केकरा भऽ सकैत अछि? समय कम लगेबैक – फसाद बेसी देखेबैक…! एहि प्रकृतिक नेताजी लोकनि सब दिन सर्टकट तकैत छथिन। नारदगिरी केलासँ – फोटो न्युजपेपर मे छपेलासँ भित्री तंत्र उपनिवेशी शासककेँ अहाँ नहि जीति सकब। जन-सरोकारक विषयमे जखनहि सवाल ठाड्ह करबैक तखनहि दलाल, कमीशनखोर विधायक, भ्रष्ट प्रशासक आ सब चूहा-छुछुन्दर सबहक नजैर खुलत आ मिथिला राज्य केर स्थापना होयत। तहिना भविष्यक शासनक विषयमे जनतामे एक विश्वास उत्पन्न होयत। आ फफरदलालीसँ एगो बस यदि जरैये देबैक तऽ १०० कित्ता मुकदमा लडैत ओहिना हारब जेना पूर्व मे उपनिवेशी शासक अहाँक घरे-घरे मुकदमाबाजीमे फँसबैत पूँजी लूइट अहाँकेँ दरिद्र बना देलक। याद करू अपन पूर्वक समृद्धि आ दरिद्री तक केर सफर।
हरि: हर:!!
पुनश्च: अपन फूल मूडवाला फोटो लगा दैत छी, छीट संतोषक संग जन्तर-मन्तरपर धरनावाला…. छीट संतोष सब दिन गप्पे टा दैत छैक, आ हमरा हरदम भांगे खेने देखैत छैक, धरि ई फोटो ओ कहने छल जे फ्रेश मूडवला छी। आब अहीं सब मीटर लगाके से सब नापैत रहू, विचार ऊपरमे छैक। ॐ तत्सत्!!