सम-सामयिक चिन्तन
भूमिकाः
जनकक मिथिला आइ भले भूगोल मे नहि, दुइ देश बीच बँटायल अवस्था मे हो, राज्यक रूप मे स्थापित करबाक हल्ला-गुल्ला सेहो चलि रहल हो… सोसल मीडिया सँ लैत धरातल पर अक्सरहाँ देखय लेल भेटैछ जे मिथिला राज्य, मिथिलाक विकास, सांस्कृतिक-ऐतिहासिक पहिचानक संरक्षण, भाषा-लिपि आ साहित्यिक विकास आदिक प्रश्नपर लगभग हरेक प्रबुद्धजन चिन्तन कय रहला अछि। एहि चिन्तन मे एकटा विशेष चिन्ता सेहो अनिवार्य रूप सँ भेटैत अछि। ई चिन्ता यैह थीक जे एकमात्र लक्ष्य या मुद्दा ‘मिथिला राज्य निर्माण’ लेल अलग-अलग गूट या समूह कियैक…. जँ समूह अलगो अछि तऽ संघर्ष केँ सशक्त करबाक लेल एकजुटताक अकाल कियैक? प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण अछि। सोसल मीडियापर प्रवीण कुमार झा – स्वतंत्र लेखक द्वारा एक बेर फेर सँ ई चर्चा सोझाँ आनल गेल अछि जे देशक विकराल विपत्तिक अवस्था मे पक्ष-विपक्ष सब कियो एकताक प्रदर्शन करैत आयल अछि तखनहि भारतक अक्षुण्ण स्वरूप निर्वाह हेबाक संग-संग अनेकानेक उपलब्धि करैत देश आइ विश्वशक्तिक रूप मे अभरैत देखा रहल अछि, तखन मिथिला लेल अभियान मे लागल लोक अपन विपन्नता सँ ऊबार पेबाक लेल एकजुट कियैक नहि होएत अछि। आउ, एहि विन्दुपर एकटा मिरानिसे दृष्टि सँ समीक्षा करी।
एकटा गाम मे जनसभा राखल गेल अछि। मिथिला राज्य निर्माण सेनाक कार्यकर्ता लोकनि गामक सब वर्ग आ समुदायक लोक केँ एहि सभा मे सहभागी बनबाक लेल अनुरोध कएने छलाह, तहिना लोक सब सेहो सहभागी भेल। चर्चा शुरु भेलैक। संयोगवश प्रवीणजी जेकाँ सुन्दर तर्कपूर्ण बात रखैत गामक एक बुद्धिजीवी वर्गक भद्र नागरिक कहलखिन, “मिथिला राज्य निर्माण सेनाक सब कार्यकर्ता लोकनि केँ गाम मे स्वागत अछि, मुदा किछु बात अहीं सब स्पष्ट करू। देशक आजादी, दुश्मन राष्ट्र संग युद्ध, इमरजेन्सी, पाकिस्तान द्वारा काश्मीर केर आजादी दियेबाक लेल छद्म युद्ध सँ लैत आतंकवादी गतिविधि, ईस्लामिक सम्राज्यवाद लेल आइएसआइएस व विभिन्न अन्य उग्र उन्मादी धार्मिक समूह द्वारा जेहाद आ राष्ट्रीय अखण्डता सँ सम्बद्ध कोनो भी समस्या लेल पक्ष, विपक्ष, बहुदलीय मत, विधायिका, प्रशासिका, न्यायपालिका आ एतय तक कि पत्रकारिता – ई सब एकमत रहैत अछि। परन्तु मिथिला केँ भारतीय संघीय गणतन्त्र मे राज्यक दर्जा दियेबाक संघर्ष लेल विभिन्न समूह सब कार्यरत रहैत एक-दोसर केँ सहयोग करबाक बदला एक-दोसर केँ छिटकी मारि खसेबाक बियौंत मे रहैत अछि, आर एहि तरहें आम जनभावना मे ई मुद्दा लोकप्रियता हासिल करबाक बदला उल्टा प्रतिक्रियावादी मानसिकता उपजाबैत अछि आर एहि तरहें कतेको दसक सँ लोक सब लागल रहलाक बादो सम्बन्धित सरकारी पक्षक नजरि मे सेहो ई कोनो खास ध्यातव्य मुद्दा तक नहि बनि सकल अछि। तऽ मिथिला राज्य निर्माण सेना विभिन्न समूह संग एकताक प्रयास करैत संघर्ष केँ आगू बढबैथ, यैह जनाकांक्षा अछि।”
भद्रपुरुषक बात सुनैत देरी गामक ओहि जनसभा मे गरगराकय ताली बाजि उठल। तखनहि एकटा जीन्स-टीशर्ट मे २ दिन पहिने दिल्ली सँ लौटल आइसीआइसीआइ बैंकक मैनेजर युवा जनशक्ति बाजि उठला, “चाचाजी! विकास लेल संघर्ष त बुझय मे अबैत अछि, मुदा अलग राज्य…. ई मान्य नहि अछि। ई नेता बनबाक होड़ मे कियो सेना बनेबाक नौटंकी करैत अछि त कियो संघर्ष समिति। आर तही द्वारे सब अलग-अलग अपन मंच बनाकय पब्लिक केँ चूतिया बना रहल अछि। ई मुद्दा मात्र अपना केँ लाइमलाइट मे आनि कोनो आन पार्टीक नाव मे सबार भ अपन स्वार्थ सिद्धिक बेरा पार करय जेकाँ अछि।” फेर सँ युवा तूरक लोक सब खूब जोर सँ थोपड़ी पिटलनि, मिथिला राज्य निर्माण सेनाक कार्यकर्ता सब चुपचाप सभक बात सुनि रहल छलाह।
फेर पिछड़ा समुदायक एकटा मैनजन बाजि उठलाह, “अहाँ सब आर जे कहू, मुदा हमरा सभक मसीहा लालू यादव जी जाबत एहि मुद्दा केँ समर्थन नहि देता ताबत हम सब एतबे बुझैत छी जे मिथिला राज्य माने फेर ब्राह्मणक वर्चस्व बढेबाक बात…! एहि विन्दु पर जाबत ऊपर सँ हमरा सभक नेता नहि कहता, हम सब समर्थन कोना करी?” मैनजन बाजैथ आ हुनकर जातिक लोक थोपड़ी नहि मारय ई त संभव छहिये नहि, फेरो ताली गरगराय लागल। मिथिला राज्य निर्माण सेनाक कार्यकर्ता सब आब किछु बेसिये उदास देखाय लगलाह। एक गोट कार्यकर्ता हड़बड़ाइत बाजि उठला, “यौ जी! अहाँ सब अपन मसीहा कि मिथिला मे नहि ताकि सकैत छी? मैनजनजी! मिथिला मे अहाँ सब बहुसंख्यक छी आ अहींक मत सँ कियो विधायक आ मंत्री-मुख्यमंत्री बनत। तखन एहि लेल लालू यादव….?” मैनजन हुनका बीच्चे मे टोकैत कहलखिन, “हँ यौ सरकार! अहाँ आर बभनभौकी आन केँ देबैक। आब लालूजी हमरा आर के पकठोस बना देने छथि। सब बात बुझय छी। पहिने हुनका सँ कहबाउ तबे कोनो बात आगू करब।”
ताबत धरि मौलबी साहेब ठाढ भऽ बाजय लगलाह, “अच्छा-अच्छा! सुनिये आपलोग। ये जो राज्य का मुद्दा है इसमें मुस्लिम समाज को कितना आरक्षण मिलेगा? आर, उर्दू भाषा जो हमारी मातृभाषा है इसके लिये क्या सोचा गया है?” मिथिला राज्य निर्माण सेनाक कार्यकर्ता हुनका जबाब देलखिन जे मिथिला मे रहनिहार सब मैथिल आ राज-काजक भाषा मैथिलीक संग-संग आरो जे-जे भाषाभाषीक बहुल्यता (जनगणनाक आधारपर) रहत, से सब दोसर राजभाषाक रूप मे राखल जा सकैछ। एहि तरहें जनसभा मे भिन्न-भिन्न पक्षक अनेक मत आ आपसी जिरह सब चलैत रहल। आम जनमानस एहि सब अलग-अलग प्रकृतिक बात सब सुनि आरो बेसी सन्देह मे चलि गेल। तखन एकटा बुढ-बुजुर्ग मिरानिसे कार्यकर्ता सभक दयनीय स्थिति देखि दया करैत बाजि उठलाह…. “सुनय जाउ, ई सब जे सेना अपना गाम मे आबि ई जनसभा रखलैन, हिनका सभ सँ सब विन्दुपर विचार सुनी आ तखन निर्णय करी।” सब सहमति देलखिन। मिरानिसे कार्यकर्ता केँ सेहो कनेक भरोस बढलैन।
मिरानिसे प्रवक्ता ठाढ भ सब स्थिति केँ बुझैत बाजि उठलाह, “राज्यक आवश्यकता अपन सांस्कृतिक पहिचानक रक्षाक संग बाढि-सुखाड़ सनक समस्याक निदान आ आर्थिक पिछड़ापण दूर करबाक लेल अपन क्षेत्र सँ जुड़ल मुद्दा लेल काज करबाक लेल अछि। बिहार मे रहैत लगभग ७ दसक केर परिणाम सभक सोझाँ अछि। लोक अपन जीवनयापन लेल पलायन कय रहल अछि, अपन स्वदेश (मिथिला) मे रोजगार तक उपलब्ध नहि अछि। शिक्षा व्यवस्थाक खस्ता हाल – गरीबक बच्चा लेल स्तरीय शिक्षा नगण्य अछि। सीधा बात छैक जे प्रति व्यक्ति आय मे कोनो बढोत्तरी नहि भेलाक कारण आ सरकारी विद्यालय मे भ्रष्टाचार केँ बढावा देबाक कारण गरीब-पिछड़ाक बच्चा आरो बेसी अनपढ आ गँवार बनि रहलैक अछि। एहि तरहें मजदूर बनि बोली-गोली खाएत आन राज्य मे रोजगार पेबाक लेल पलायन मात्र ओकर भाग्य मे लिखा रहलैक अछि। पलायन सँ हमरा सभक प्राचीन आ समृद्ध संस्कृति ओ सभ्यता विनाशोन्मुख भेल अछि। बिहार राज्यक सैद्धान्तिक नीति मे मिथिला केँ मृत्युदान देबाक कूचक्र लगभग स्पष्ट भऽ चुकल अछि। एतुका जनप्रतिनिधिक हिस्सा मे कतेक बजट आ कतेक योजना विकास लेल भेटैछ ई विकासक गति देखला सँ स्पष्टे अछि। हम सब उपेक्षित छी। एहि उपेक्षाक एकमात्र निदान जे भारतीय संघ मे राज्य रूप मे स्थापित होइ आ अपन मुद्दा-सरोकार लेल अपन कोष ठाढ करी। केन्द्र सँ विशेष सहयोग ली। अपन जन, जंगल, जमीन, जल आदि प्राकृतिक स्रोत-संसाधन केँ विकसित करी। जहिना पहिने मिथिलादेश रूप मे सम्पन्न-समृद्ध रही, एक बेर फेर तहिना जनक-जानकीक मिथिला निर्माण करी।” लोक सब बहुत गंभीरता सँ हिनकर बात सुनलनि। मुदा प्रश्न पूछनिहार सभक मोन एखनहु घुरियाइत देखि ओ पुनः बाजि उठला,
“फल्लाँ चाचा, फल्लाँ भैया, फल्लाँ मैनजन, फल्लाँ मौलबीसाहेब सब जे प्रश्न पूछलनि ओ निरंतर चलऽवला प्रक्रिया थिकैक। सच छैक जे अपन महात्वाकांक्षा सब के अलग-अलग छैक आर कियो केकरो सँ कम नहि होबयवला होड़ मे पड़ैत अछि। प्रतिस्पर्धा केँ सकारात्मक रूप मे लऽ सकैत छी। जे कियो जमीन सँ जुड़ल अभियान चलबैत छथि, जे अहाँ सभक सरोकार पर ध्यान दैत छथि, अहाँक अधिकार लेल संघर्ष करबाक कूब्बत रखैत छथि, तिनका संग दैत एकमात्र संकल्प मिथिला राज्य लेल सद्भावनापूर्ण ढंग सँ आगू बढी। राज्यक मुद्दा आ विकासक मुद्दा एक-दोसरक परिपूरक थिकैक। सब धर्म – सब वर्ग – सब समुदायक हित लेल विशेष रूप सँ एजेन्डा तय कय केँ आगू बढबाक पदधतिपर हम सब चलब ई शपथ ली। अहाँ सभक तरफ सँ जनबल, धनबल आ मनोबल भेटय। मिरानिसे नकारात्मक प्रतिस्पर्धा मे नहि पड़त, टांग घिचयवला प्रवृत्ति कहियो नहि रहल आ न रहत। पहिने कैल अनेक काज मे सब केँ एक मंचपर अनबाक काज मिरानिसे कय चुकल अछि, आगुओ करत। आपस मे कोनो तरहक मतान्तर होयत तऽ बैसिकय वार्ता करैत समाधान ताकब।”
एकटा नव उम्मीद जगैत देखि लगभग समस्त ग्रामीण मिरानिसे प्रवक्ताक बात पर सहमति दैत सहयोग देबाक लेल अपन-अपन नाम लिखबैत छथि। तथापि किछु लोक अपने मत सँ बेहाल सब बात केँ बुढियाक फूइस कहि पोन झाड़ैत कोनो सहभागिता देबय सँ मना कय अपने मते मतंग रहि जनसभा उसरय सँ पहिने घर तरफ चलि जाएत छथि। मिरानिसे कार्यकर्ता सब कतबो पैर-हाथ धेलखिन मुदा ओ अपन मत सँ एको इंच टस-मस नहि भेलाह। बाकी सब कियो एहि विन्दुपर सहमति बनौलनि जे मिरानिसे एकटा स्वच्छ, सुदृढ आ सुन्दर नीतिक संग काज करैत रहय, सब कियो संग देत… एहि निर्णयक संग जनसभा समापन केर घोषणा कैल गेल।