झंझारपुर, दिसम्बर ३, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
आइ झंझारपुर केर किसान भवन मे साहित्यांगन द्वारा वार्षिकोत्सव कार्यक्रम संपन्न कैल गेल अछि। विदित हो जे पिछला एक वर्ष सँ साहित्यांगन द्वारा प्रत्येक मास दिवंगत मैथिली साहित्यकार लोकनिक पुण्य तिथि जाहि मास मे पड़ैत छल ताहि मास मे हुनक स्मृति विशेष रूप सँ मासिक आयोजन मे मनबैत छल। एहि तरहें कतेको रास रचनाकार केर कृति आदिक संकलन, ओहिपर समग्र चर्चा व प्रकाशन आदि अत्यन्त महत्वपूर्ण मौलिक कार्य होयबाक बाट सब प्रशस्त होएत आबि रहल अछि। वार्षिकोत्सव पर सेहो मैथिली भाषा-साहित्य मे पहिले-पहिल शब्दकोश जेहेन जटिल व आवश्यक पुस्तक देनिहार पं. भवनाथ मिश्र केर स्मृति करैत कीर्ति-कुम्भ साहित्यांगन केर स्थापना, योगदान आ भविष्यक योजना पर चर्चा भेल, संगहि दर्जनों कवि लोकनि एक सँ बढि एक रचना-कविताक वाचन कएलनि। कीर्ति-कुम्भ साहित्यांगन द्वारा आरो-आरो मास मे विभिन्न योगदानदाता केँ सम्मानित करबाक महत्वपूर्ण परंपरा केर निर्वाह करैत वार्षिकोत्सव पर चारि गोट महत्वपूर्ण सम्मान सेहो कैल गेल। आजुक समारोह मे पिछला हरेक मासक आयोजित कीर्ति-कुम्भ केर बैनर केँ शामिल करैत संस्था द्वारा कैल गेल अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्यक समस्त व्यौरा अपने आप मे एकटा इतिहास प्रस्तुत कय रहल छल।
साहित्यांगनक वार्षिकोत्सव समारोह केर अध्यक्षता सुप्रसिद्ध संस्कृत कवि व विद्वान् डा. रामजी ठाकुर कएलनि, विशिष्ट अतिथिक रूप मे डा. किशोर नाथ झा, उदयचन्द्र झा विनोद एवं धीरेन्द्र प्रेमर्षि छलाह, तथा सभाक संचालन आयोजक संस्थाक अध्यक्ष एवं संयोजक मलयनाथ मिश्र मंडन कएलाह।
पं. भवनाथ मिश्र केर व्यक्तित्व एवं कृतित्वपर डा. सतीरमण झा द्वारा व्याख्यान राखल गेल। डा. झा कहलैन जे पं. भवनाथ मिश्र ऋषि परंपराक पोषक छलाह आर हुनकहि त्याग-तप सँ मैथिली मे कतेको रास महत्वपूर्ण काज सब भेल अछि। ओ हिन्दी, मैथिली आ संस्कृत केर उद्भट्ट विद्वान् छलाह। हिनका द्वारा तैयार कैल गेल शब्दकोश मे मैथिली शब्द केर हिन्दी आ संस्कृत अर्थक अलावे शब्दक व्युत्पत्ति एवं ओकर खोजक मूल स्रोत – ग्रन्थक नाम पर्यन्त उल्लेखित अछि। हुनका द्वारा कइएको पुराण केर अनुवाद मिथिलाक्षर मे लिखल भेटैत अछि। एहेन करीब दस हजार पन्ना हुनकर अनुवादित काजक भेटबाक चर्चा ओ अपन प्रस्तुति मे कएलनि। डा. सतीरमण झा हुनकर व्यक्तित्व आ बहुतेक रास निजी संस्मरण सब सेहो सभा सँ साझा केलनि। ओ कहलैन जे १९३३ ई. मे हिनक अचानक मृत्यु भ जेबाक कारणे आरो बहुत महत्वपूर्ण कार्य होयबा सँ वंचित रहि गेल।
तहिना डा. किशोरनाथ झा द्वारा पंडित भवनाथ मिश्र केर व्यक्तित्व ओ कृतित्व पर विस्तृत चर्चा करैत कहल गेल जे ओ अंग्रेजी भाषाक सेहो ओतबे पैघ विद्वान् भेलाह। मैथिली शब्दकोश मे संस्कृत आ हिन्दीक अलावे अंग्रेजी शब्द समेटबाक सेहो कार्य ओ शुरु केने छलाह। ओ एहि महत्वपूर्ण कार्य लेल राष्ट्रीय आ अन्तर्राष्ट्रीय स्तरक कतेको विद्वान् सब संग सम्पर्क मे छलाह। हिनकर नाम सँ डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन लगायत विभिन्न अन्य विद्वान् केर पत्राचार सेहो भेटल अछि जे एहि तथ्यक प्रमाण थिक जे पंडित भवनाथ मिश्र अत्यन्त उच्चकोटिक विद्वान् हेबाक संग-संग समकालीन विद्वान् लोकनिक नीक विमर्शी सेहो छलाह।
आजुक कार्यक्रम मे महामहोपाध्याय पं. उमेश मिश्र केर स्मृति सेहो कैल गेल छलन्हि। पंडित उमेश मिश्र महामहोपाध्याय परंपराक अन्तिम महामहोपाध्याय भेलाह। ओ दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालयक प्रथम कुलपति छलाह। मैथिली साहित्य मे बहुविध प्रतिभाक परिचय देलनि। अनुसंधान आ सम्पादन कार्य मे ओ प्रवीण छलाह। हुनक रचना मे हुनकर प्रतिभाक प्रत्यक्ष प्रमाण भेटैत अछि। निबन्धकारक रूप मे हिनकर कार्य अपूर्व भेल अछि। कमला, उपाख्यानमाला, तिरहुता अक्षरक उत्पत्ति आ विकास, विद्यापति ठाकुर आदि प्रमुख अछि।
साहित्यांगन द्वारा लिखित प्रशस्ति पत्र, पाग, माला आ दोपटा सहित कुल चारि गोट महान साहित्यकार लोकनिक सम्मान सेहो कैल गेल छल। सम्मानित स्रष्टा मे डा. जगदीश मिश्र (कृतज्ञ साहित्यांगन विशिष्ट सम्मान), प्रो. रामचन्द्र मिश्र ‘मधुकर’ (आचार्य यन्त्रनाथ मिश्र साहित्य शिखर सम्मान), पत्रकार श्री सुनील मिश्र (कृतज्ञ साहित्यांगन पत्रकारिता सम्मान) आर पं. गोविन्द झा (पं. भवनाथ मिश्र साहित्य शिखर सम्मान) छलाह। पं. गोविन्द झा केर अस्वस्थताक कारण सभा मे उपस्थिति नहि भ पेबाक कारणे हुनकर सम्मान-पत्रक वाचन करैत ओकरा हुनकर आवास पर प्रेषित कैल गेल। आर सब सम्मानित स्रष्टा लोकनि केँ मंचपर भव्य उत्साह बीच सम्मानित कैल गेल छलन्हि।
एहि समारोह मे डा. खुशीलाल झा, प्रवीण नारायण चौधरी, डा. विश्वेश्वर मिश्र, कर्नल मायानाथ झा, प्रो. केदारनाथ झा, अजित आजाद, आनन्द मोहन झा, दिलीप झा, जगदीश प्रसाद मंडल, कपलेश्वर राउत, डा. रामसेवक झा, आदिक विशिष्ट सहभागिता छल।
स्मृति ओ सम्मान उपरान्त साहित्यांगन संस्थाक गतिविधि – भूत, वर्तमान आ भविष्य पर अजित आजाद द्वारा पूर्ण व्यौरा राखल गेल छल। ओ कहलैन जे मधुबनी जिला मे मैथिली भाषा आ साहित्य केर वास्ते उर्वरकता साफ झलैक रहल अछि। अनुमंडल स्तर पर उपलब्धिमूलक काज मे साहित्यांगन केर कार्य इतिहास बना रहल अछि। झंझारपुर अनुमंडल प्रकाशन – संपादन – सम्मेलन – लेखन आदि सब क्षेत्र मे आगू भऽ चुकल अछि आर एहि लेल संयोजक मलय नाथ मंडन केर जतेक प्रशंसा हो से कमे होयत। भविष्यक योजना आर घोषणाक सिलसिलेवार चर्चा सेहो कएलनि आर बचल-खुचल घोषणा स्वयं संचालक तथा साहित्यांगन अध्यक्ष मलयनाथ मंडन द्वारा होएत रहल छल।
सम्मानित पत्रकार सुनील मिश्र अपन संचारकर्मक धर्म निर्वाह करैत मिथिला मे भेटल अनेकानेक पुरातात्विक महत्वक खोजपर सभक ध्यानाकर्षण करैत एहि दिशा मे राज्य आ केन्द्र सँ अधिकारसंपन्नताक संघर्ष लेल आह्वान कएलनि। ओ बलिराजगढ आ भगवानपुर मे भेटल पुरातात्विक अवशेष सहित आरो छोट-मोट अनेको ऐतिहासिक – पौराणिक महत्वक स्थल सब पर लिखल अपन पोथीक चर्चा सेहो केलाह।
प्रसिद्ध कवि-विद्वान्-अभियानी उदयचन्द्र झा विनोद द्वारा राखल मन्तव्य मार्फत मैथिली भाषा-साहित्यक वर्तमान चुनौतीपर ध्यानाकर्षण कएल गेल। ओ कहलैन जे सब किछु रहितो राज्य नहि हेबाक कारणे हमरा लोकनि आइयो बहुत विपन्न अवस्था मे छी – पटना आ दिल्ली सँ बिना राज्य भेने कोनो न्याय भेटबाक आस्था आब नहि बाँचि गेल अछि।
मैथिली जिन्दाबाद केर सम्पादक प्रवीण नारायण चौधरी अपन मन्तव्य दैत नेपालक मिथिला आ भारतक मिथिला बीच भाषिक-सांस्कृतिक एकता अत्यन्त प्रबल रहबाक बात कहैत हरेक गतिविधि मे समुचित मार्गदर्शक, लेखक, अभियानी, पत्रकार आदिक आपसी सहकार्य आ सोसल मीडिया सँ जुड़ल रहबाक कारणे सामीप्यता बढबाक बात कहलैन। संगहि राज्यविहीनता सँ विपन्नता आयब आर ओहि सभ्यताक अन्त होयबाक सत्य केँ स्वीकार करैत हालहि आरम्भ भेल युवा प्रयास मिथिला राज्य निर्माण सेना सँ सब केँ जुड़िकय भारतक संघीयता केँ पूर्ण आ सम्मानित बनेबाक लेल मिथिला राज्यक स्थापना सर्वस्वीकार्य बनेबाक लेल आह्वान कएलनि। ओ कहलैन जे साहित्यकार आ अभियानी सब केवल मंचहि धरि समस्या उठाकय चुप नहि रहू बल्कि धरातल पर ओकरा क्रियान्वयन करबाक लेल सहकार्य बढाउ, साहित्य मे एतेक ओज बढाउ जे जन-गण-मन केँ अपन राज्यक आवश्यकता पर प्रकाश भेटय।
नेपाल सँ पहुँचल विशिष्ट अतिथि धीरेन्द्र प्रेमर्षि एहि सभा मे सहभागिताक अवसर भेटब पर प्रसन्नता व्यक्त कएलनि आ स्वीकार केलनि जे मिथिलाक मूल मौलिक कार्य एहि भूमि पर होएत रहल अछि, एकरे ओ टुकड़ा-टुकड़ा मे परसैत रेडियो कार्यक्रम हेल्लो मिथिला सँ विश्व भरिक मैथिल केँ अपन भाषा, साहित्य, संस्कृति आदि लेल जाग्रत अवस्था मे अनबाक प्रयास करैत रहला अछि। मैथिली भाषा-साहित्यक संरक्षण-संवर्धन-प्रवर्धन सँ मिथिलाक पहिचान अमर रहबाक बात सेहो ओ कहलैन।
दोसर सत्र मे डा. राम सेवक झा केर संचालन मे दर्जनों कवि लोकनि अपन-अपन कविताक पाठ कएलनि। आजुक कवि-गोष्ठी भारत-पाकिस्तान सीमापर शहादत देनिहार वीर-शहीद रैमा निवासी विकास मिश्र प्रति श्रद्धाञ्जलि स्वरूपें समर्पित रहय। एहि गोष्ठीक अध्यक्षता धीरेन्द्र प्रेमर्षि द्वारा कैल गेल छल। प्रीतम निषाद, गौरीशंकर झा, जगदीश प्रसाद मंडल, ईशनाथ झा, दिलीप कुमार झा, अमरनाथ झा, अमल झा, संजीब शमाँ, संतोष कुमार, घनश्याम घनेरो, उदयनाथ मिश्र, सहदेव झा, गिरिजानन्द झा, कपलेश्वर राउत, विरेन्द्र प्रसाद, नवीन कुमार आशा, विद्यापति ठाकुर, विद्याचन्द्र झा बमबम द्वारा शहीद विकास मिश्र केर शहादति केँ प्रणाम करैत – देशक सीमापर चौकस सेना केँ धन्यवाद करैत आर देशक दुश्मन केर आगाँ कथमपि नतमस्तक नहि होयबाक लेल वीर-रस सँ भरल आह्वान सब सँ भरल कविता उपस्थित दर्शक दीर्घा केँ खूब जोशियेलक। आयोजक संस्था द्वारा आह्वान कैल गेल अछि जे आरो-आरो लेखक सब आगामी १५ दिन धरि अपन रचना शहीद विकास प्रति समर्पित पठौता जेकर प्रकाशन होयत।
ईहो कहि दी जे आयोजक संस्था झंझारपुर सँ एकटा त्रैमासिक मैथिली पत्रिका प्रकाशन करबाक जिम्मेवारी सेहो ग्रहण केलनि जेकरा अजित आजाद अभूतपूर्व कहैत एहि मे सहयोगक समग्रता केँ आरो बढेबाक आह्वान केने छलाह।
आजुक समारोह मे लेखक विरेन्द्र नाथ झा केर नव कृति ‘ठाँय पठाँय’ जे पहिने अखबार मे नियमित स्तम्भरूप प्रकाशित होएत छल तेकरा समेटिकय पोथीक रूप मे प्रकाशित कैल गेल अछि – एहि पोथीक बारे कवि उदयचन्द्र झा विनोद संछिप्त समीक्षा रखने छलाह।
बहुभाषी कवि एवं विद्वान् ईशनाथ झा द्वारा सम्मानित सज्जनवृन्द लोकनिक अभिनंदन पत्र आ वाचन कैल गेल रहय। संगहि सहभोज व पोथी बिक्रय स्टल सेहो राखल गेल छल। हर तरहें एहि तरहक कार्यक्रमक आयोजन सँ जन-जन मे संस्कार बनैत – बढैत अछि आर एकरा आरो खुल्ला मंच सँ करबाक जरुरत बुझना गेल जाहि सँ बेसी लोकक जनसहभागित होय आर लाभार्थीक संख्या सेहो बढय।
(पूरा रिपोर्टः प्रवीण नारायण चौधरी केर प्रत्यक्ष सहभागिता मार्फत लेल गेल अछि। समयाभाव मे नाम व प्रस्तुतिक किछु विवरण छूटबाक संभावना सेहो अछि कारण ओ कनेक देरी सँ ओतय पहुँचल छलाह।)