कि, अहाँ सेहो बिहारी होयबा पर गर्व करैत छी?
*अहाँक लिट्टी-चोखा आइ धरि फूटपाथ आ ठेला मे पड़ल अछि।
*अहाँक अपन भाषा केँ राज्य द्वारा मान्यता नहि देल गेल अछि।
*अहाँक भाषा मे कोनो प्रकाशन वा समाचारपत्र मुश्किले सँ भेटैत अछि।
*युवा सतति पलायन कय रहल अछि।
*शायदे कोनो साहित्य बाँचि गेल अछि।
*रेडियो मिर्ची अहाँक अपन फिल्मक गीत कहियो नहि बजबैत अछि।
*अहाँक माता-पिता अपन मातृभाषा मे कहियो बात तक नहि करैत छथि।
*भोजपुरी फिल्म बिहार केर संस्कृति केर प्रतिनिधित्व करैत अछि जे पोर्नोग्राफिक (कामूकता सँ भरल दृश्य) प्रस्तुति अछि आर मैथिली अत्यन्त दरिद्री मे अछि।
*अहाँ बिहार मे रहितो बिहार सँ बाहरे रहबाक मानसिकता मे रहैत छी।
*अहाँ अपन पहिचान अपने सँ नुकबैत छी। बोली, करनी, आदि जीवनक व्यवहार सँ बिहारी नहि होयबाक भरपूर देखाबा करैत छी जे कियो बुझि नहि जाय जे अहाँ बिहारी छी।
*अहाँक अपन भाषा आर साहित्य केर कतहु कोनो शिक्षा व्यवस्था तक नहि भेटैत अछि।
*बिहार सँ बाहर रहबाक समय अहाँ अपन भाषा मे बातो करय मे लज्जाक अनुभूति करैत छी।
तखन कथीक गर्व करैत छी अहाँ?
बुद्धा, जिनकर कियो अनुसरण केनिहार नहि?
अशोक, जे मैर गेलाह?
आइएएस/आइपीएस जे बिहार वास्ते किछो करय सँ असफल भऽ गेल छथि?
लालू….?
नीतीश….?
मटुकलाल….?
ई थीक ओहि कार्टून (हास्यचित्र) केर भावानुवाद।
आब अहाँ स्वयं एहि विन्दु पर मनन करू आ ताकू जे वास्तव मे अहाँ केँ बिहारी होयबाक केहेन आत्मसम्मान भेटैत अछि?
हरिः हरः!!