मिथिला राज्य निर्माण सेनाः प्रवीणक डायरी

विशेष आलेख

– प्रवीण नारायण चौधरी

rathyatra-cartoonई आलेख मिथिला राज्य निर्माण सेनाक आगामी राष्ट्रीय अधिवेशन नवम्बर ८ आ ९ तारीख दरिभंगा लेल प्रकाशित कय रहल छी। एहि ठाम तारीखवार ओ सब पोस्ट राखल जा रहल अछि जे मिरानिसे सम्बन्धित – मिथिला राज्य निर्माण सँ सम्बन्धित हमर डायरी (फेसबुक पर प्रकाशित) मे उपलब्ध अछि। एहि मे प्रयुक्त नीति, सिद्धान्त, व्यक्ति आ परिकल्पना आदि नितान्त हमर अपन स्मृतिक आधार पर अछि आर विभिन्न कालक्रम मे स्थिति-परिस्थिति अनुसार कैल गेल लेखनी सँ सुरक्षित अछि। एहि मे विवाद लेल कोनो बात नहि बल्कि मिथिला राज्य निर्माण लेल मात्र सब बात केँ ग्रहण कैल जायत ताहि उम्मीदक संग वर्तमान प्रासंगिकता केँ देखैत संकलित रूप मे प्रकाशित कय रहल छी।

जनवरी ८, २०१३ – मिथिला चौक, कनाट प्लेस, दिल्ली

संध्या ५ बजे सँ रातिक ८ बजे धरि एकटा सामूहिक बैसार ‘कन्नारोहट कार्यक्रम’ मे दिल्लीक कनाट प्लेस स्थित पिपलेश्वरी काली मन्दिर पर पूर्व सँ कार्यरत अभियानी (अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति) सहित नवतुरिया लोकनिक एकटा बैसार कैल गेल जाहि मे भारतीय गणराज्य मे मिथिला राज्य संविधान मे स्थापित नहि भेने कि सब नोकसान भेल ताहि पर चर्चा मुख्य छल। एहि कन्नारोहट कार्यक्रम मे सहभागी प्रसिद्ध मैथिली भाषा-साहित्यक विद्वान् आर मिथिला अभियानी डा. काञ्चीनाथ झा ‘किरण’ केर पौत्र कवि एकान्त द्वारा ४ दिवसीय उपवास जन्तर-मन्तर पर करबाक घोषणा संग एकटा निश्चित कार्यक्रम प्रारूप बनबैत युवा मैथिल केँ आगू जोड़बाक नियार कैल गेल।

जनवरी ११, २०१३ – दिल्ली सँ यात्राक उपलब्धि पर चर्चा

आउ दिल्ली यात्रा के समेटी। काल्हि प्रस्थान करबाक अछि, से सभक ध्यानाकर्षण महत्त्वपूर्ण विन्दु तरफ चाहब, कृपया ध्यान दी आ सहयोग हेतु वचन दी।

१. कवि एकान्त द्वारा मिथिला राज्यके माँग लेल ४ दिनक अनशन कार्यक्रम। प्रस्तावित तारीख मार्च २२-२५, २०१३। स्थान: जन्तर-मन्तर, दिल्ली। संयोजन भार: दिवाकर बाबु।

२. मैथिल युवा द्वारा मिथिला राज्य लेल वृहत धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम। स्थान, तिथि उपरोक्त कार्यक्रम के समापन दिन घोषणा कैल जायत। संयोजन भार: सागर मिश्र।

उपरोक्त कार्यक्रम १ लेल कवि एकान्तजी अपन जन-सम्पर्क दिल्ली लगायत समस्त मिथिलामें कय रहल छथि। जतेक संघ-संस्था आ सहयोगी मैथिल व्यक्तित्व सभ छथि तिनका सभसँ दिल्लीमें सभ जगह घूमि-घूमि सहयोग सदेह उपस्थिति लेल प्रथम द्वितीय सदाचार-विचार अनुरूप जे स्वेच्छा हो ताहि तरहें याचना कैल जा रहल छैक। सभकेँ अपन माटि-पानि-इतिहास आ पहचान लेल राज्य निर्माण जरुरी कहि सहयोग हेतु अग्रसर होयबाक निवेदन कैल जा रहल छैक।

ई पहिल बेर हिम्मत देखौनिहार मिथिलाक युवा वर्ग सँ मैथिलीसेवी कवि थिकाह जिनका प्रति अपार समर्थन बनेबाक जिम्मा हमहुँ लेलहुँ, स्वेच्छा सँ। हम ई नहि देखय लगलहुँ जे एहिमें के-के छथि आ किनका-किनका सँ हमरा पटरी बैसैत अछि आ कि हमर सिद्धान्तके माननिहार छथि। हम केवल यैह देखलहुँ जे हम कि कय सकैत छी, आ कि करबाक अछि, कोना करब। आर ताहि अनुरूप आन्दोलनक प्रासंगिकता ऊपर समस्त मिथिला समाजमें विभिन्न मिडिया द्वारा एहि बात के प्रसार जे उपरोक्त कार्यक्रम जे मिथिलाक अस्मिता जोगेबाक लेल कैल जा रहल अछि ताहिमें सभक शुभकामना आ वाँछित सहयोग देल जाय। अही क्रममें जन-जन तक बात पहुँचय जे आइ धरि मिथिला लेल कि-कि भेल, कतेक सफलता-असफलता, आदि पर उल्लेखणीय चर्चा कराओल जायत आ बेसी सँ बेसी लोक के जोडल जायत। जोडय लेल किनको ५०० टाका के नोट पठाय वा गर्दैनमें गमछी बान्हि बलजोरी राजनीतिक रैला जेकाँ नहि आनल जायत, बल्कि समस्त मिथिला सँ जतेक कलाकार-रंगकर्मी-पेशाकर्मी-जातिय संगठनकर्मी आदि छथि तिनका सभकेँ आह्वान कैल जायत जे एक जोरदार प्रदर्शन लेल दिल्ली आबी आ भारत सरकारकेँ मजबूर करी जे मिथिला राज्य निर्माण लेल सोचैथ आ शीघ्रातिशीघ्र सम्बोधन करैथ। खाली भाषणमें बिहार राज्य द्वारा मिथिलाक विकासक बात बहुत भेल, मुदा असलियत एतबी जे दलाल-ठीकेदार-हाकिम-होशियार लेल छूद्र-लूट-खसोट के ललीपप आ आम जनतामें जातिवादिताके झगडाके अलावा मिथिलाके दोसर किछु नहि देल गेल एखन धरि। सुशासनके सरकार सेहो बस गपहि टा देलक, जमिनी सुधार बस खोखला प्रमाणित भेल। एकर सभक लेखा-जोखा कैल जाय आ केन्द्रके विशेष पर्यवेक्छक मिथिलाक जमिनी यात्रा करय आ उपेक्छा के हर संभव वैकल्पिक समाधान ताकय। मिथिलासँ आयल सांसद-विधायक सभकेँ ई सोचय पडत जे आखिर विकासक कोन गति मिथिला लेल चलल, राज्य वा केन्द्र सरकार के द्वारा। विकास लेल सेहो राज्यक निर्माण वांछणीय अछि।

पहिल कार्यक्रमके सफलतापूर्वक पूरा भेला उपरान्त बस दोसर महत्त्वपूर्ण कदम यैह जे मैथिल युवा द्वारा धरना आ प्रदर्शन के संपूर्ण भार लैत आन्दोलन के ताबत निरन्तरता देल जाय जाबत मिथिला राज्य ससम्मानपूर्वक बनि नहि जायत।

हरि: हर:!!

जनवरी १५, २०१३ः मिथिला राज्य लेल कवि एकान्तक ४ दिवसीय अनशन प्रति लोकजागरण कार्यारम्भ

विषय: कवि एकान्त द्वारा चार-दिवसीय अनशन पर लोकक चुप्पी।
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चारू कात मिथिला-मिथिला हल्ला मचल अछि लेकिन संगठित रूपमें कतहु किछु नहि! बड दु:खक बात जे दिल्लीमें एक युवा ४ दिनक अनशन करत मिथिला राज्य निर्माण वास्ते लेकिन एहनो घडी समर्थन देनिहार अनशनकारी लग तरह-तरहके सौदाबाजी कय रहल छथि। कियो ई कहैत जे अनशनकारी हमर संगठन – हमरहि छत्रछाया – हमरहि आदेश मानैथ तऽ कियो अन्य तरहक शर्त मुदा ‘हम्मे-हम्मा गीत’ गाबैत अनशनकारी के मानसिकता पर अत्याचार कय रहल छथि, ओतहि बिना कोनो पूर्व शर्त आ मिथिला राज्य लेल कैल जा रहल विरोधक कार्यक्रममें युवा द्वारा पहिले बेर एतेक पैघ जोशीला स्वरमें आगाज के स्वागत हेतु आगू आबयमें हिचकिचा रहल छथि। आखिर कियैक?

एतेक रास मैथिली साहित्य के सेवार्थ दिन-राति एक केने सुरेबगर रचनाकार सभ छथि मुदा कवि एकान्त के आह्वान प्रति नजैर ईमानदार नहि छन्हि – कियैक?

मिथिला आवाज लग सेहो कवि एकान्तके आवाज नहि पहुँचल अछि, कियैक?

कतेको तरहक मिडियाके डिबिया जरौनिहार खाली ‘हम्मा-हम्मा गीत’ कखन तक गाबैत रहता?

किऐक नहि कवि एकान्त के अनशन के मिथिला राज्य लेल एक टर्निंग प्वाइन्ट मानैत समस्त मिथिला-मैथिलीसेवीकेँ गूटनिरपेक्छ मंच सँ जुडबाक चाही आ बिना कोनो शर्त आगू आबि आन्दोलन के समर्थन करबाक चाही?

मिथिला राज्य के जे घरहिमें विरोधी छथि तिनको सोचब जरुरी जे आखिर युवा पीढीमें एहेन तरहक सोच आबि गेल, परिस्थिति कतहु ने कतहु ई दरशा रहल अछि जे अवस्था ठीक नहि अछि…. तखन बहानामें मिथिला राज्य लेल संग नहि देब आ कूतर्की बहस सँ निज‍— होशियारी मात्रके प्रदर्शन करैत बेकार समय के बितायब, आखिर कतेक दिन?

ई आवाज थीक – एहि मंच सँ एक सर्वमान्य नेतृत्व चुनाव के! अपन-अपन विचार जरुर राखी!

हरि: हर:!!

जनवरी २२, २०१३ – कवि एकान्त द्वारा ४-दिवसीय अनशन लेल एक वृहत् योजना निर्माण

कवि एकान्त द्वारा अनशन कार्यक्रम लेल सहभागिता हेतु:

*मिथिलाके प्रत्येक जिलामें कम से कम पोस्टर बैनर पम्पलेट समुचित मात्रामें पहुँचाबी। बजट: २ लाख न्युनतम!

*मिथिलाके प्रत्येक जिला सँ ट्रेनके एक बोगी रिजर्व करी। याने लगभग ५०-१०० आदमी के सहभागिता। बजट: ५ लाख न्युनतम!

*कवि, कलाकार, विद्वान्… जिनका जतय सऽ होइन जरुर आबैथ। दिल्ली चलू – दिल्ली चलू! बजट: १ लाख न्युनतम!

*लगभग ५०० आदमी के रहबाक, खेबाक, यातायात के इन्तजाम सेहो दिल्लीमें ४ दिनके वास्ते। बजट: ५ लाख न्युनतम!

*मिथिला के झंडा आ बैनर संग अन्य प्रचारात्मक वस्तु निर्माण – बजट २ लाख न्युनतम!

*स्टेज, साउन्ड, लाइट, चाय, नाश्ता, फल, धरना स्थल लेल। बजट २ लाख न्युनतम!

*आकस्मिक बजट: ३ लाख।

कुल बजट: २० लाख!

कोष स्रोत: सहयोग संकलन, प्रत्येक जिला सँ – मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा।

कवि एकान्तके चारि दिनक अनशन क्रममें भारत सरकार के सम्बोधन भेला सऽ ठीक अन्यथा आमरण अनशन के रूपमें श्रेष्ठ अभियानी द्वारा निरंतरता आ मिथिलाके प्रत्येक जिलामें कार्यकर्ता के वापसी पर अखिल मिथिला बंद के घोषणा!

हरि: हर:!!

जनवरी २९, २०१३ – मिथिला राज्य केर नक्शा व अन्य कागजात सम्बन्धी बात पर

नक्शा लगायत राज्य लेल आवश्य समस्त विन्दु पर ग्रियर्सन के रिपोर्ट जे १९०३ ई. में तत्कालीन राज्य निर्धारण समितिके देल गेल छल से थीक, मुदा विभिन्न इतिहास, भाषा-भाषी, संस्कृतिके समेटैत बुद्ध, महावीर, आ सिक्ख गुरु गोविन्द सिंह लगायत विभिन्न संत-ऋषिके विहार करयवाला भूमिके एकमुष्ट नाम बिहार राखि राज्य बनेबाक परिकल्पना मिथिला के प्रस्ताव के ठुकरेलक, हलाँकि एहिमें एक मुख्य बात ईहो जे मिथिलाके एक चौथाई भूभाग १८६५ में अंग्रेज शासक नेपाल संग समझौतामें दय चुकल छल… लेकिन तहिये सऽ दबल-दुर्बल आवाज मिथिला राज्य लेल लगैत रहल अछि। लेकिन जीत एखन धरि मिथिला विरोधी टा के भेल, कारण मैथिल कतेको विद्वान् अपन स्वाभिमान व्यक्तिगत विकास टा के बुझला, समुदाय के संग लैत स्वराज्य पर बहुत कम लोक हिम्मत कय सकला…. जे किछु करबो केला तऽ आवश्यकता सऽ अधिक बुधियारी, राष्ट्रीयता आ हिन्दी प्रेम, दरभंगा राज प्रेम आदि के चक्कर में मिथिला राज के परिकल्पना के ध्वस्त केला – बिहार के समर्थन केला, बिहार के निर्माण केला…. आब जखन मैथिलीक पुनर्स्थापना भारतीय संविधानक अष्टम् अनुसूचीमें अटलजी समान प्रखर राजनेता द्वारा कैल गेल तखन दूरदर्शी मिथिलाक किछु ऋषि-मुनि-विद्वान् लोकनि फेर मिथिला राज्य लेल सुगबुगायल छथि। एहि क्रममें एक संत कवि एकान्त सेहो सुगबुगायल छथि जे जन्तर-मन्तरपर २२-२५ मार्चके अनशन करता। सभक समर्थन आ मिथिला राज्य प्रति एकबद्ध स्वरमें आवाज लगायब आवश्यक। युवा जागल तऽ मिथिला संस्कृतिक स्वाभिमानक रक्छा जरुर होयत। हलाँकि कट्टर बुद्धि काँकौर के मिथिलाक माटिमें कमी नहि….. कतहु भुरभुरी छोडि दैत छैक…. बुझल रहय किछु वा नहि लेकिन कखनहु बेचारे मिथिला राज्य लेल समर्पित लोक सभकेँ चूट्ट भिराय खून-खुनामें कय दैत छैक। नेतबो सभ केहेन जे बस हुलो-लो-लो करैत ओकरा ओ पटकत तऽ ओकरा ओ! बुझाइत छैक जे शापित होइ – लेकिन अपन चमचिकलीपन लेल सभ बड होशियार, कंबल ओढि घी पीनिहार के कमी नहि। हरि: हर:!!

फरबरी २२, २०१३ – अपील जारी – मिथिला राज्यक मांग पर एक संछिप्त रिपोर्ट सहित

स्वतंत्र भारत आ मिथिला राज्यक माँग (एक नजरिमें)
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१९४७ ई. भारत स्वतंत्र – मिथिला राज्य निर्माण लेल माँग शुरु।

१९५० ई. भारतीय संविधान लागू – मिथिला राज्य निर्माण लेल आवश्यक सामग्री पर चर्चा।

१९५२ ई. भाषाक आधारपर राज्य गठन करबाक माँग तेज भेलापर प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा तीन-सदस्यीय राज्य गठन आयोगके फजली हसनके अध्यक्छतामें २९-१२-१९५२ के दिन गठन।

(महत्त्वपूर्ण नोट: भाषाक आधारपर तेलगु राज्यक निर्माण लेल एन टी श्रीरामूल द्वारा लगातार ५६ दिन धरि भूख हडताल करैत मृत्यु भेलापर काँग्रेस सरकार हिलि गेल छल आ परिणामस्वरूप राज्य गठन आयोग के नींब राखि भाषाक आधार पर राज्य गठन लेल रिपोर्ट माँगल गेल छल।)

१९५३ ई. भाषाक आधारपर प्रथम राज्य १-१०-१९५३ ई. तमिलनाडुसँ अलग आंध्र प्रदेश (तेलुगु भाषी) के घोषणा।

(महत्त्वपूर्ण नोट: वर्तमानमें आंध्र प्रदेश सँ अलग तेलंगाना राज्यक माँग जोरपर।)

१९५६ ई. बाम्बे सऽ अलग महाराष्ट्र आ गुजरात के गठन।

(महत्त्वपूर्ण नोट: वर्तमानमें अलग विदर्भ राज्यक माँग।)

१९५६ ई. के बाद: पंजाब सँ पंजाब तथा हरियाणाक गठन। वनवासी मूल आ छेत्रीयताक आधारपर ६ उत्तर-पूर्वी राज्यक गठन: नागालैण्ड, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आ त्रिपुरा। पुर्तगाली छोडलाक बाद गोआ। बिहार सँ अलग झारखण्ड (२००० ई.)। मध्य प्रदेश सँ छत्तीसगढ। उत्तरप्रदेश सँ उत्तराखंड।

(महत्त्वपूर्ण नोट: भाषाक आधारपर बिहार सँ मिथिलाक माँग १९४७ सँ यथावत। महाराष्ट्र सँ विदर्भ आ गुजरात सँ सौराष्ट्र आ कच्छ। छेत्रीयताक आधारपर उत्तरप्रदेशके चारि भाग। आदि।)

मिथिलाक माँग किऐक महत्त्वपूर्ण आ राज्य निर्माण लेल पूर्ण अछि?

भाषा, संस्कृति, भौगोलिक, समाजिक आर्थिक, राजनैतिक, प्रशासनिक आ प्राकृतिक संपदाक दृष्टि सँ स्वतंत्र राज्यक सब तत्त्व अछि मिथिलामें। राजश्व, उर्जा, कृषि आधारित आर्थिक विकासक हेतु सिंचाई, उद्योग हेतु कच्चा माल – मिथिला एहि समस्त आवश्यकता पुर्ति लेल सक्छम अछि। ग्यान आधारित वैग्यानिक संवर्धनक छेत्रमें मिथिला प्रतिभाक धनिक अछि। अतएव भाषागत आधारपर जनपदीय भावना, बौद्धिक प्रतिभा एवं सांस्कृतिक जागृति – राज्यक हेतु आवश्यक आवश्यकताक रूपमें प्रत्येक दृष्टिसँ मिथिला सक्छम अछि। तैं भारत सरकारकेँ मिथिला राज्यक आधारभूत संरचना अविलम्ब स्थापित करबाक चाही। (फजली आयोगक रिपोर्टक सार।)

हरि: हर:!!
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अपील

अलग मिथिला राज्य लेल अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा २१ फरबरी, २०१३ केर एक-दिवसीय धरना कार्यक्रमक सफलता उपरान्त आब ऐगला कार्यक्रम २२-२५ मार्च, २०१३ कवि एकान्त द्वारा चारि दिनक अनशन के अछि। एहि तरफ सभक ध्यानाकर्षण समेत एहि अपीलकेँ अधिक सऽ अधिक मैथिल संग शेयर करबाक विनम्र अनुरोध करैत छी।

भारतमें मिथिला आइ सऽ नहि बल्कि १९५६ सँ राज्य बनबाक लगभग सभ कोलममें फिट रहितो केवल राजनीतिक विद्वेषसँ राज्यरूपमें मान्यता नहि पौलक अछि। तीन सदस्यीय राज्य पुनर्गठन आयोग – अध्यक्छ फजली हसन तथा सदस्य हृदयनाथ कुगर एवं ए. एन. पणिकर द्वारा तत्कालीन नेहरु सरकार के देल गेल राज्य गठन लेल मिथिला लेल सिफारिशकेँ अवहेलना बस किछेक मिथिला विरोधी राजनेता (जेना डा. राजेन्द्र प्रसाद) आ कमजोर मिथिलाक प्रतिनिधित्वक चलते षड्यन्त्रपूर्वक आडंबरी आरोप लगाय मिथिला राज्य केवल ब्राह्मणहि टा के चाही कहैत नकारल गेल तेकर दुष्परिणाम आइ ५६-५७ वर्षमें देखि चुकल छी। एतबा नहि! मिथिला लेल अंग्रेज द्वारा छुटा कऽ राखल गेल कोष जाहि सँ बाढि नियन्त्रण लेल बहुत विस्तृत योजना छल तेकरा भाखडा-नांगल परियोजना, पंजाब तथा दामोदर घाटी परियोजना, बंगालकेँ स्थानान्तरित करैत स्वतंत्र भारतक प्रथम सरकार द्वारा जेना पिछडापन के तकदीर लिखल गेल सेहो प्रत्येक मैथिल केँ बुझक जरुरति अछि। विद्वेषकेँ झाँपय लेल आ भ्रष्टाचारी नेता आ तिनकर मैथिल दलालक लूटपाट लेल हडबडीमें कनपट्टी सिनूर लगबैत जाहि तरहें बाँध निर्माण परियोजना लाबैत सगर मिथिलाकेँ उर्वरा भूमिकेँ सर्वनाश करबाक आ बेर-बेर बाँध टूटला सँ धन-जनकेर छति सँ मिथिलापर दरिद्रताक चाप लादल गेल सेहो कदापि बिसरय योग्य नहि अछि। तदोपरान्त मैथिली पर बेरा-बेरी प्रहार करैत मिथिलाक मानवक उर्वर मस्तिष्क पर सेहो हिन्दी-अंग्रेजी अफीम सेवन के बाध्यता थोपब केकरो सऽ छूपल नहि अछि। आइ मिथिला सून्न-मसान अछि। नहि कोनो नेता, नहिये कार्यकर्ता… बस राम भरोसे हिन्दू होटल चलैत मिथिला अन्तिम साँस गानि रहल अछि। आब मिथिला केवल सस्ता मजदूर आपुर्ति करयवाला सेहो बिहारी नाम सँ गैर आ उपेक्छा सुनैत-झेलैत भारतक अन्य औद्योगिक नगरक सेवक प्रवासी बनि गेल अछि।

जाहि षड्यन्त्र सँ एहि संस्कृति पर प्राचिन काल सँ आक्रमण होइत रहल अछि तेकरा यदि हम सभ आइयो नहि तोडि बस आपसी द्वेषमें जाति-पातिके नामपर बँटल छी तऽ आरो १०० वर्ष उपेक्छित रहय पडत ताहिमें दू मत नहि। राज्यक रूपमें हमरा लोकनि अपन अस्मिता सेहो बचा सकब आ विकास लेल सेहो अपनहि जिम्मेवार बनब। ओ पूरान भ्रम जे ब्राह्मण या अगडा जातिक लोक आगू रहैत सत्ता-उपभोग करत से जमाना भारतीय प्रजातंत्र के मजबूत बुनियाद द्वारा तिरस्कृत कैल जा चुकल छैक। ओहेन कोनो भय सँ आम जनता – मैथिल एकदम आक्रान्त नहि होइ। भाषा, संस्कृति, भेष, पहचान, मान, सम्मान, स्वाभिमान, रोजगार, शासन, प्रशासन – सभ किछु पूर्ण समावेशीपन साथ चलबैत बस स्वराज्य लेल एकजूट बनैत मिथिला राज्यक माँग प्रति जागरुक बनी।

हरि: हर:!!

भैया हौ! राखह तर्कक झंझैट अपनहि पास!
हम छी मैथिल मैथिलीभाषी होऽऽऽ-२ मिथिले सऽ छै आश!
भैया हौ! राखह तर्कक झंझैट अपनहि पास!

अहिना पहिले बनि बडका तू छोटका सभके नथलह
तोरा कहियो कमी न भेलह अनका सभके गमलह
आब बनल तू परदेशिया होऽऽऽ-२ सिखबय छऽ नव भास!
भैया हौ! राखह तर्कक झंझैट अपनहि पास!

आइयो भूख मेटै छै देखहक जोति-कोरि-सींचि अपन खेत
अपनहि उपजा खाय छी आइयो भागी देखि बेसाहक रेत
तोरो खाय लेल हमही पठबी होऽऽऽ-२ तहिपर कृष्णा राश!
भैया हौ! राखह तर्कक झंझैट अपनहि पास!

नहि रहलय आब वैह जमाना तोंही टा जे पढलह
बौआ हमरो स्कूल कालेज शिक्षा सऽ जे सटलह
आब कथीमें कम छै मैथिल होऽऽऽ-२ लौतय अपन स्वराज!
भैया हौ! राखह तर्कक झंझैट अपनहि पास!

आब समंती युग नहि भैया सभक अपनहि जोर
जाति-विशेषण निज-धर्महि तक नवे भेलहि भोर
मिलिजुलि राज चलेबै अपन होऽऽऽ-२ बनतै मिथिला राज!
भैया हौ! राखह तर्कक झंझैट अपनहि पास!

हरि: हर:!!

मार्च ११, २०१३ः कवि एकान्त केर अनशन लेल अपील

१ दिनक उपवास तऽ भारी छैक,
तखन ४ दिनके उपवास करब!
कि बात छैक? किछु तऽ हेतैक?
कवि एकान्त! ई त्याग के हमर नमन अछि!!

पेट अपन कुकूरो पोसैत अछि,
जे अबैत छैक संसारमें सभ पोसैत छैक!
लेकिन मातृभूमि आ मातृभाषा लेल मरबाक लेल तैयार,
ताहू में जवान-जहान! कवि एकदम एक लीवर के युवा छथि।
हिनका सभक आशीर्वाद चाही!
मिथिला लेल प्राण तक न्योछाबड करबाक लेल तैयार!
अहाँ महान छी! मिथिला राज्य लेल ई त्याग जरुर रंग पकडत!

दिल्ली रहनिहार तऽ कहियो समय मुश्किल सऽ निकाललाह,
वा निकालि सकैत छथि! तखन एहि बेर दिल्ली सहित
नोएडा सऽ, फरीदाबाद सऽ, गाजियाबाद सऽ,
मथुरा सऽ, ग्वालियर सऽ…
बेसी संख्यामें लोक जूटत से हमरा विश्वास अछि।

मिथिला सऽ सेहो कतेको लोक पहुँचता, हमहुँ पहुँचब!
जे नहि पहुँचि पेता से अपन-अपन क्षेत्रमें धरना पर बैसताह!

जय मैथिली! जय मिथिला!
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अपील

२२-२५ मार्च, २०१३ केँ जन्तर-मन्तर जरुर आउ।

कवि एकान्त धरनापर बैसता – लेकिन उत्साहवर्धन करबाक लेल आ अपन स्वराज्य – मिथिला राज्य बनेबाक लेल सभक एकजूट समर्थन लेल हमर हार्दिक अपील अछि।

होइतय तऽ ओ नीक जे मिथिलाक हर जिलासँ राजनीतिक कार्यकर्ताक सहभागिता होइत…. लेकिन कवि असगर ई सभ कय नहि सकैत छलाह आ जे कियो संग देनिहार भेलखिन ओहो सभ भावनात्मक समर्थन बेसी संगठनात्मक या फेर आर्थिक सहयोग करबा सँ असमर्थ भेलखिन या किछु तऽ एहेन भेलैक जे आन्दोलन के जे उग्रता धरबाक चाही से पुन: युवाक जागृति पर्यन्त सऽ संभव नहि भेलैक जेना हमर अनुमान अछि।

तखन तऽ जे हेतैक ताहिमें हमरा लोकनिक समर्थन अवश्य हेबाक चाही… जतेक सकी ततेक तऽ करबे करी! हम सभ पहुँची।

कवि एकान्तकेँ मैथिली आशीर्वादित राखैथ आ मिथिला ऐश्वर्य पुन: वापसी करय।

हरि: हर:!!

मार्च २२-२५, २०१३ – कवि एकान्त द्वारा जन्तर-मन्तर पर पूर्व घोषणा अनुरूप कौशल कुमार व मनोज झा संग ४ दिनक अनशन – दिल्ली केर विभिन्न क्षेत्रक युवा अभियानी ओ मिथिला राज्य समर्थक सबहक आगमन आर भविष्य मे मिथिला राज्य केर संघर्ष केँ युवाक हाथ मे लेबाक दृढ निर्णय।

मार्च २६, २०१३ – मिथिला राज्य लेल ४ दिना अनशन: युवा पीढी द्वारा

(पृष्ठभूमि आ कार्यक्रम आयोजन: विस्तृत समीक्षा).

अनशनकारी कवि एकान्त द्वारा ४ दिनक अनशनक फैसलाक संग मिथिला राज्यक माँग प्रति युवामें चेतना जागृतिक एक महान अवसर भेटल से सोचि जनबरी ९, २०१३ केर ‘कन्नारोहट कार्यक्रम’में कार्यक्रमके भव्यतापूर्व आयोजन करबाक निर्णय लेल गेल छल। कवि एकान्तक हृदयमें अनशन प्रति जिम्मेवारी आ कार्यपथ-निर्माण संग योजनाक सुन्दर निष्कर्ष निम्नरूपे कैल गेल छल:

“आन्दोलन मे ऐबाक उद्देश्य इहो रहय ” मिथिला राज्य लेल संघर्ष आ संघर्ष मे लागल मैथिल आ संगठन के एका “। क्रमशः एका बनय आ से होईत प्रतीत भ रहल अईछ। एहि कार्यक्रम मे जे रहथि मैथिल रहथि। अप्पन पार्टी आ बिचारधारा स उप्पर उठी के एकटा मैथिल मात्र आर किछो नहि। आरंभिक कन्नारोहट आ अप्पन अप्पन क्वाथ के बोकर्लाक उपरांत शुद्ध भय सब मैथिल सभक बिचार रहय जे एहि आन्दोलन के एक भ’य उद्देश्य लेल लाड़ल जाई।

प्रवीन भाई के बैजू बाबू सँ सेहो गप्प भेलैन, ओहो आशीर्वाद देलाह आ हुनक समर्थन सेहो भेटल (प्रवीन भाई के वार्तानुरुप आ उपश्थित अमरेन्द्र भाई के कथनानुसार )।

ज्ञात हो की एहि आन्दोलन के एकटा मैथिल बनि लड़बाक निर्णय के सर्प्रथम समर्थन पूज्य धनाकर बाबू आ आदरनीय रत्नेश्वर बाबू केने रहथि आ संस्थाक रूप मे AMP के पूर्णिया ईकाई केने अछि।

आन्दोलन मे अनशन के एहि अध्याय के संचालन लेल प्रवीन भाई आ दिवाकर भाई मे नीक बहस आ सार्थक बर्तालाप के परिणाम सुखद रहल जे सब अप्पन अप्पन बेदना के मुखर भ’ क’ रखलाह आ प्रस्ताब रहल जे:

* मिथिला राज्य के निर्माण आ मिथिला मैथिली मैथिल के बिकाश के आधारभूत कारक मानि आन्दोलन के आगाँ बढेबाक आवश्यकता अईछ।

* समग्र मिथिला राज्य के माँग के छोड़ी, भारत मे मिथिला राज्य के माँग के लक्ष्य कयल जाई।

* आन्दोलन international border के आदर करैत नेपाल स्थित अप्पन मैथिल स्वजन के लेल संबेदना के प्रति सदैब कटिबद्ध रहय, जेना नेपाल स्थित मैथिल छथि।  अस्मिताक संघर्ष दुनू दिस चलि रहल अईछ।

* आन्दोलन ब्यक्ति स उप्पर उठी कय हो उद्देश्य लेल हो, मैथिल के संगठित आ एकाकार करबाक माद्दा मात्र मुद्दा मे अछि आ ताहि हेतु मुद्दा भेल नायक। समस्त आन्दोलन के स्वाभाबिक प्रतिनिधित्व मिथिला राज्य निर्माण के उद्देश्य हो।

* कहब बहुत आवश्यक नहि जे आन्दोलन मे समस्त मैथिल संगठन के समर्थन देबाक लेल आग्रह करबाक बिचार भेल।

* उद्देश्य के साधबाक लेल Joint Committee बनेबाक प्रस्ताब भेल।

* अनशन के उपरान्त मिथिला राज्य निर्माण लेल एकटा joint memorandum देबाक बिचार भेल, से हो कोना ई बिचार के बिषय रहल।

* प्रवीन भाई आन्दोलन के एहि गुटनिरपेक्ष स्वरुप के अधिक स अधिक मैथिल तक पहुँचेबाक सार्थकता पर जोर देलाह।

हम एतबे कहब मिथिला आ मैथिली सब मैथिलक के छी, चाहे ओ कतुको होथि, बजैत कोनो भाषा होथि मुदा ह्रदये मैथिल होथि। मिथिला राज्य के निर्माण के एहि महायज्ञ मे अप्पन भूमिका निर्धारण पर बिचार करू, इतिहास के बनबा के प्रक्रिया मे अप्पन योगदान पर बिचार करू। समय आबी गेल जे “मूक दर्शक के भुमिका के तलांजलि दय इतिहास निर्माण मे आबी, अप्पन मैथिली बचाबी, अप्पन मिथिला बनाबी”

जय मिथिला !! जय मैथिली !! जय मैथिल !!” (कवि एकान्तक विचार, जनवरी १०, २०१३ फेसबुकपर)।
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दिल्ली सऽ वापसी करबाक क्रममें अपन विचार जे सभक समक्ष प्रेषित केने रही जनवरी ११, २०१३ केँ:

“आउ दिल्ली यात्रा के समेटी। काल्हि प्रस्थान करबाक अछि, से सभक ध्यानाकर्षण महत्त्वपूर्ण विन्दु तरफ चाहब, कृपया ध्यान दी आ सहयोग हेतु वचन दी।

१. कवि एकान्त द्वारा मिथिला राज्यके माँग लेल ४ दिनक अनशन कार्यक्रम। प्रस्तावित तारीख मार्च २२-२५, २०१३। स्थान: जन्तर-मन्तर, दिल्ली। संयोजन भार: दिवाकर बाबु।

२. मैथिल युवा द्वारा मिथिला राज्य लेल वृहत धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम। स्थान, तिथि उपरोक्त कार्यक्रम के समापन दिन घोषणा कैल जायत। संयोजन भार: सागर मिश्र।

उपरोक्त कार्यक्रम १ लेल कवि एकान्तजी अपन जन-सम्पर्क दिल्ली लगायत समस्त मिथिलामें कय रहल छथि। जतेक संघ-संस्था आ सहयोगी मैथिल व्यक्तित्व सभ छथि तिनका सभसँ दिल्लीमें सभ जगह घूमि-घूमि सहयोग सदेह उपस्थिति लेल प्रथम द्वितीय सदाचार-विचार अनुरूप जे स्वेच्छा हो ताहि तरहें याचना कैल जा रहल छैक। सभकेँ अपन माटि-पानि-इतिहास आ पहचान लेल राज्य निर्माण जरुरी कहि सहयोग हेतु अग्रसर होयबाक निवेदन कैल जा रहल छैक।

ई पहिल बेर हिम्मत देखौनिहार मिथिलाक युवा वर्ग सँ मैथिलीसेवी कवि थिकाह जिनका प्रति अपार समर्थन बनेबाक जिम्मा हमहुँ लेलहुँ, स्वेच्छा सँ। हम ई नहि देखय लगलहुँ जे एहिमें के-के छथि आ किनका-किनका सँ हमरा पटरी बैसैत अछि आ कि हमर सिद्धान्तके माननिहार छथि। हम केवल यैह देखलहुँ जे हम कि कय सकैत छी, आ कि करबाक अछि, कोना करब। आर ताहि अनुरूप आन्दोलनक प्रासंगिकता ऊपर समस्त मिथिला समाजमें विभिन्न मिडिया द्वारा एहि बात के प्रसार जे उपरोक्त कार्यक्रम जे मिथिलाक अस्मिता जोगेबाक लेल कैल जा रहल अछि ताहिमें सभक शुभकामना आ वाँछित सहयोग देल जाय। अही क्रममें जन-जन तक बात पहुँचय जे आइ धरि मिथिला लेल कि-कि भेल, कतेक सफलता-असफलता, आदि पर उल्लेखणीय चर्चा कराओल जायत आ बेसी सँ बेसी लोक के जोडल जायत। जोडय लेल किनको ५०० टाका के नोट पठाय वा गर्दैनमें गमछी बान्हि बलजोरी राजनीतिक रैला जेकाँ नहि आनल जायत, बल्कि समस्त मिथिला सँ जतेक कलाकार-रंगकर्मी-पेशाकर्मी-जातिय संगठनकर्मी आदि छथि तिनका सभकेँ आह्वान कैल जायत जे एक जोरदार प्रदर्शन लेल दिल्ली आबी आ भारत सरकारकेँ मजबूर करी जे मिथिला राज्य निर्माण लेल सोचैथ आ शीघ्रातिशीघ्र सम्बोधन करैथ। खाली भाषणमें बिहार राज्य द्वारा मिथिलाक विकासक बात बहुत भेल, मुदा असलियत एतबी जे दलाल-ठीकेदार-हाकिम-होशियार लेल छूद्र-लूट-खसोट के ललीपप आ आम जनतामें जातिवादिताके झगडाके अलावा मिथिलाके दोसर किछु नहि देल गेल एखन धरि। सुशासनके सरकार सेहो बस गपहि टा देलक, जमिनी सुधार बस खोखला प्रमाणित भेल। एकर सभक लेखा-जोखा कैल जाय आ केन्द्रके विशेष पर्यवेक्छक मिथिलाक जमिनी यात्रा करय आ उपेक्छा के हर संभव वैकल्पिक समाधान ताकय। मिथिलासँ आयल सांसद-विधायक सभकेँ ई सोचय पडत जे आखिर विकासक कोन गति मिथिला लेल चलल, राज्य वा केन्द्र सरकार के द्वारा। विकास लेल सेहो राज्यक निर्माण वांछणीय अछि।

पहिल कार्यक्रमके सफलतापूर्वक पूरा भेला उपरान्त बस दोसर महत्त्वपूर्ण कदम यैह जे मैथिल युवा द्वारा धरना आ प्रदर्शन के संपूर्ण भार लैत आन्दोलन के ताबत निरन्तरता देल जाय जाबत मिथिला राज्य ससम्मानपूर्वक बनि नहि जायत।

हरि: हर:!”
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यैह आन्दोलनक पृष्ठभूमिमें छल निम्न सोच:

“मिथिलाक माँग केकरा लेल अवाञ्छित?

हालहि २८ दिसम्बर, २०१२ ई. विराटनगर में आयोजित विद्यापति स्मृति पर्व समारोह २०६९ में आयल छलाह विशिष्ट अतिथि भू.पू. अररिया साँसद मा. सुखदेव पासवानजी, ओ दिल्ली रहैथ वा कतहु, लेकिन हर वर्ष एहि समारोह में अपन गरिमामय उपस्थिति सँ आम जनमानस के ओ दाकियानूस धारणा के झूठलाबैत छथि जे मैथिली आ मिथिला बस किछु उच्च जातिके माँग मात्र थीक। हमरा लिखैत हर्ष भऽ रहल अछि जे सम्माननीय अतिथि ओहि मंच सँ घोषणा कयलाह – बहुत जोर दैत बजलाह जे हम आइ यैह मंच सऽ घोषणा करैत छी जे बिहारके १८ जिला मिलाय मिथिला राज्य बनय। ओ किछु जिला के नाम तक लेलाह आ ताहिमें शामिल छल कटिहार, किशनगंज, अररिया, पुर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, खगडिया, समस्तीपुर…. आदि। छद्म बुद्धिके पत्रकार आ बिना पेंदी के लोटा समान कतेको चुटपुट नेता एहि आह्लाद के शायद नहि बुझि सकत, लेकिन हमरा गर्व अछि सुखदेव पासवान जी पर, गर्व अछि मेहताजी (फारबिसगंज पूर्व विधायक) पर आ गर्व अछि हर ओ गूढ रहस्य बुझनिहार बुजुर्ग अनुभवी पत्रकार आ नेतापर जे मिथिलाक सम्मान लेल हर समय तैयार रहैत छथि आ हर सतह पर आवाज उठबैत छथि।

तहिना नेपाल सरकार के उप-प्रधान तथा गृहमंत्री आ उपरोक्त समारोहके प्रमुख अतिथि मिथिलाक गरिमाके प्राचिनतम् कहैत संवैधानिक सम्मान हेतु वचन देलाह आ बजलाह जे बिना मिथिलाक सम्मान देने नेपाल देशके सम्मान नहि भेटतैक। ओ खूलिके बजलाह जे मधेस एक बनेनाय बहुत कारण सँ संभव नहि छैक तऽ बारा सऽ पूब झापा धरि एक राज्य बनाउ जेकर नाम मिथिला मधेस राखू, हमरा एतराज नहि अछि। ई दू घोषणा उपरोक्त मंच सँ साधारण नहि छलैक। लोक आइ-काल्हि १७ नव नाम के पाछू जमानी-दीवानी गबैत अछि, मुदा गहिराई में जाय सोचैत नहि अछि जे केवल नामकरण कैला सऽ सीमाँचल-धर्मांचल-बूरिराजान्चल-पूर्वान्चल कयला सऽ मिथिलाक गरिमा ऊपर ग्रहण नहि लगा सकैत अछि। मिथिलाक जे महासागर भूगोल, इतिहास, भाषा, साहित्य, संस्कृति, पहचान आ हरेक सन्दर्भ जे एक राज्य हेतु गणतंत्रमें पूरा करैत अछि से स्वत: प्रमाण बनि पहाड समान ठाड्ह होइछ आ भूकयवाला अदूरदर्शी लोक के सीना तानिके कहैछ जे मिथिला के सम्मान बिना तोहर कोनो मान नहि।

तदापि मिथिला अवाञ्छित अछि आ एहि सत्य सँ हम सभ पाछू नहि हँटि सकैत छी। प्रश्न उठल जे अवाञ्छित अछि… तऽ केकरा लेल? आउ मंथन करी!

१. जनसाधारण जनमानस: जे आइ धरि बोनि – मजदूरी करैत रोजी कमेलक, ओकरा लेल धैन सन! ओकरा तऽ लालटेन धरा दियौक आ ईशारा कय दियौक… बुझि गेलहक न… यैह छाप थिकैक। केओ दोसर दिस सऽ आयत आ गाँधीजी छाप मैन्जनके हाथमें दैत कहत जे बस एहि बेर प्रभाकर बाबु के पार लगा देबैन, छह महीना के जोगार बखारी सऽ उठा लेब। मैन्जन तैयार तऽ सभ तैयार। ओकरा लग राज्य के कि माने छैक आ कि पहचान के महत्त्व ताहि सभ सऽ सरोकार कि? तखन प्रयासो किछु नहि भेलैक अछि केकरो द्वारा जे राज्य किऐक आ तेकर सार्थक प्रभाव कोना से मानय पडत। १३३-१३४ बेर यात्रा प्रवीण केलक लेकिन ध्यान सभ दिन ओहि बकथोंथी करयवाला टा पर रहलैक। आबो यदि नजैर खुलल छैक तऽ आगू जाय किछु करय, बस! बुझबय ओहि मिथिलाक गणकेँ जे विदेह राजा जे सम्पन्नता, ऐश्वर्य, रिद्धि आ सिद्धिके संग समस्त मिथिला भूमिके शुद्ध-शिक्त रखलाह जे केरो के पात पर देवता के इहा-गच्छ – इहि-अतिष्ठ कहलापर दौडल आबय पडैत छन्हि से फेरो होयत आ अहीं सभक प्रत्यक्छ सहभागिता सँ पूर्ण समावेशी आ प्रदेश-विकास सरकार बनत जे बस मिथिले लेल सोचत। आइ धरि जे ६० वरख अहिना बहलाबैत-फुसियाबैत बिता देलक स्वतंत्र भारतमें से मिथिला बनेनहिये कल्याणक मार्ग प्रशस्त होयत। जे शिक्छा हिन्दी आ अंग्रेजीमें देबाक चलते सभक धियापुता पढाइ करबा सऽ वञ्चित रहि जाइत अछि से मातृभाषा मैथिलीमें पढेलापर सभ आराम सऽ साक्छर बनत। मजदूरी करबाक लेल दिल्ली-मुंबई नहि जाय अपन राज्यमें रोजगार भेटत। अपन खेत के पटाबय लेल उधारके दमकल नहि अलग-अलग नदी सँ चिरल अपनहि नहर होयत। पानिक कमी थोरेक न अछि, बस बेईमान व्यवस्थापन आ जाहि नामपर बिहारी नेता लूट-खसोट मचबैत अछि तेकरा नियंत्रण करबा सऽ काज होयत। आ मनमें शंका जे ब्राह्मण बडका जातिक लोक सभ ऊपर बैसि लूटत तेकर प्रतिकार बहुल्यजन कोना करैत छैक से आब ककरो सऽ छूपल नहि अछि। अत: अपन राज्य अपनहि अधिकारवाली सूत्रपर सभके जुडैत काज करबा लेल मिथिला राज्य निर्माण करू।

२. मैथिली बिसरल लोक: अफसोस जे मैथिली ऊपर ततेक रास डांग मारल गेलैक, अपनो आ सहजहि बहरियो द्वारा जे रोजीके भाषा पूर्णरूपेण मैथिली नहि बनि सकल आ स्वत: लोक मैथिली बिसरय लागल। आब जे मैथिली बिसरि गेलाह तिनका लेल मिथिला राज्य के प्रासंगिकता पुन: एक उच्च बुझनुक तवका मात्र लेल बाँचल, बाकी सभ जहिना-तहिनामें खुश छथि। कोनो आत्मसम्मानके भूख नहि, जखन मैथिली बिसरा गेल, दोसर भाषा अपना लेलहुँ तऽ आब मिथिला हो, बज्जिकाँचल हो, अंग प्रदेश हो, सीमांचल हो, कोसी प्रदेश हो, झारखंड हो, दियारा प्रदेश हो या जे भी हो – सभ सऽ उत्तम बिहारहि में रहब। खूब जाति-जाति भोकरब आ कहियो लालटेन जरायब तऽ कहियो तीरे मारब, कमल तऽ फूलाइ सऽ रहल आ हाथ तऽ कहिया नऽ कटि गेल जे मिल बन्द भेने पार। अहू दिस ध्यान कि देबय पडतैक जे मैथिली भाषा हो या मैथिली के भाषिका, सभके मिथिलाक पूर्ण भाषा मानि बस ऐतिहासिक पहचान प्रति सम्मान लेल जोडय के काज करैत मिथिला निर्माण लेल एकजूट करय पडतैक। संगठन एक बेर तऽ नेताजीके डायरीमें बनैत छैक लेकिन पुन: संगठनात्मक कार्य कि करी, प्रगति कि भेल, कतेक दिन प्रखंड पर धरना भेल, कतेक गरीब के राशन उपलब्ध करबाओल गेल, कतेक विकासक काजके लेखा-जोखा लेल गेल…. सभ नदारद! आ जे स्थापित राष्ट्रीय पार्टी सभ छैक तेकरा तऽ कोन योजना अन्तर्गत कतेक पाइ निर्गत भेल आ लूटय लेल के सभ छें ताहि सऽ फूर्सते नहि, भाँडमें गेल मिथिला या बिहार या भारत या पहचान या आत्मसम्मान!

३. बिहार सरकार के कर्मचारी: मलफाइ उडबय लेल मोट तनख्वाह भेटिते यऽ आ हमरा कोन लेना-देना है ई आन्दोलन-फान्दोलन से! होत तब अच्छा है, ना होत तबो अच्छे है। एहि वर्गके जोडबाक लेल आर्थिक भार दैत आन्दोलन करय के आवश्यकता, जाबत ई वर्ग चाप महसूस नहि करतैक तऽ आन्दोलन नहि सफल होयत आ सभ दिन खाली आली-हौसे चलैत रहत। ओना कोनो कार्य लेल बुद्धिजीवी प्रकोष्ठके निर्देशन जरुरी!

४. कलेजिया विद्यार्थी: ‘यार! हमरे सेन्टर पर तऽ खूब चोरी हुवा, तोरा सेन्टरपर केना हुवा?’ यैह अर-दर बहस चलैत छैक कारण नागेन्दर बाबु के समय सऽ जे रोग लगायल गेल चोरी सेन्टर के तेकर दुष्परिणाम आइ धरि भोगि रहल अछि विद्यार्थी वर्ग। आदर्शता गायब छैक। धोइधफूल्ला मास्टर सब पढेतैक कि कपार बस गप लडबैत छैक, नोट लिखबैत छेक, खूब घोंकबैत छैक, पास करबैत छैक। ओ विद्यार्थी भला कि बुझय गेलैक आत्मसम्मान-संस्कृति-पहचान? तऽ झंडा धराय कार्यकर्ता एकरहि सभके बनाबय पडतैक। स्वत: धीरे-धीरे जानकारी बढैत जेतैक। काजो प्रबलताके संग आगू बढतैक।

५. मैथिलानी: ‘चुल्हा फूकय सऽ फुर्सत भेटय बौआ तऽ अहाँके आन्दोलनमें आबी?….’ ‘धू जाउ! हुनका एहि सभ सऽ घृणा छन्हि।……’ ‘अहाँ सभ हमरा सभके पूछबो करैत छी?….’ ईत्यादि! बस बाजिके खानापुर्ति! बाकी किछु नहि। केओ लाजे परेती तऽ केओ कुनु बहन्ने! संगठन विशुद्ध हिनकहि सभके हो आ किछु काज लेल संपूर्ण जिम्मेवारी हिनकहि सभके देल जाय तऽ सुधारक गुंजाईश छैक। बाकी हम अनुभवहीन छी एहि मामले! अपने घरवाली नहि टेरती तऽ दोसर के के पूछैत अछि।

एहिमें बहुत रास विन्दुपर सोचब हमरा लेल समयाभावमें नहि भऽ पायल, यदि संभव हो तऽ किछु महत्त्वपूर्ण विन्दु जरुर जोडी!

हरि: हर:!”

तदोपरान्त जेना सामान्यतया मैथिल द्वारा घोषित हरेक कार्यक्रममें होइत छैक जे गूट-निरपेक्ष मानितो खूब गूटबाजी आ वैमनस्यता पसारबाक नांगट खेल, किछु तहिना सकारात्मक सोच संग नियोजित एहि कार्यक्रममें भेलैक आ संवादविहीनताक कारण, एक-दोसराक पीठ पाछू कूचेष्टापूर्ण निन्दाक खेल सँ सशक्त आन्दोलनके जगह निरीह आ कामचलाउ आन्दोलन सेहो कठोर प्रतिबद्धता आ सात्त्विकताक संग २२-२५ मार्च, २०१३ केर ४ दिना अनशन अपार सफलतापूर्वक इतिहास रचैत पूरा भेल। मिथिला निर्माण में एहि आन्दोलनक भूमिका युवावर्गमें मिथिला-राज्यक माँग प्रति सचेतना जाग्रत केलक। उतार-चढाव सेहो भेल कारण हमर बात सऽ केकरो टीस आ केकरो बात-व्यवहार सऽ हमरा टीस उठब मैथिलक पुरान पहचान थीक। लेकिन जे मूल उद्देश्य छलैक से पूरा भेलैक। एक कवि सऽ अनशनकारी तीन मिथिलाक धरतीपुत्र बनि गेलाह – नमन कौशल कुमार व मनोज झा केँ जे स्वस्फुर्त आ बिना केकरो कोनो उकसाहटक एहि पवित्र आन्दोलनकेँ चारि चाँद लगा देलाह। कवि एकान्तकेँ मना केला के बावजूदो अनशनक प्रारूपपर असगर ठाड्ह राखब आ बहुत अन्तिम क्षणमें ई स्पष्ट करब जे समन्वय समिति या कार्यक्रम आयोजन हेतु एक संयुक्त कार्यदल नहि बनल, कोष निर्माण नहि भेल, के सब औता तय नहि भेल, ज्ञापन पत्र कोना बनत, कि बनत… किछु स्पष्ट नहि भेल… मिडिया सहयोग, भारत सरकारसँ वार्ता करबाक लेल प्रतिनिधि मंडल…. सभ बात लेल कोनो पूर्व योजना नहि तैयार भेल…. एतेक तक कि मंच केना बनत, साउण्ड सिस्टम, उपस्थिति पुस्तिका…. कोनो पूर्वाधार के किछुओ इन्तजाम नहि भेल… ई समस्त बात मानू जे अपने आप में कतेक भयंकर डरावनापूर्ण आ लज्जास्पद छैक… तखन दोष केकरो नहि बस अनुभवहीनता मात्र हावी बनल। अनुभवहीनता तऽ सोझाँ देखायवाला वस्तु थीक, मूल में कारक किछु आर रहल जे कोनो सार्वजनिक स्थलपर रखला सऽ हमरा सभक नुकसान अछि, बस ई बुझू जे मैथिलक आपसी मेलमें व्यक्तिगत स्वार्थक भयानक मारि अछि आ दुष्परिणाम जे गूटबाजी नहि छूटि रहल अछि।

लेकिन अपन थोर-बहुत अनुभव सँ कहयमें संकोच नहि भऽ रहल अछि जे ‘महादेव सर्वोपरि छथि’ आ कोनो हृदय सँ विचारल कार्य पूरा करबाक लेल आइ धरि ओ स्वयं ठाड्ह होइत रहलाह छथि, ठीक तहिना कवि एकान्त पूर्व-संध्यापर विचारल योजना तहत बस माँ काली के शरणापन्न होइत अनशन स्थलपर विदा भेलाह आ बाकी अपनहि महादेव त्रिशूल नचबैत सभ कार्य अपराह्न होइत-होइत डोरिया देलखिन। दुनियामें ढिंढोरा पीटनिहार भले किछु बाजि एहि आन्दोलनक मर्मके तुच्छता आ छूद्र नाम लेल झाइल बजबैथ, मुदा काजक रहल केवल बाबा बैद्यनाथक कृपा! 🙂 बस शरणागत भक्त लेल ओ स्वयं सेहो साक्षात् माँ पार्वती (काली) केर कृपा संग ४ दिनक अनशन मानू ४० मिनटमें तय कय देलनि।

एक सऽ एक विचार कयलनि, क्रान्तिक बिगूल बाजल, नवपथ सोझाँ आयल आ आब जल्दिये निरंतरताक क्रम बनत। मिथिलाक धरतीपर – भारतक राजधानीमें – दुनू जगह तऽ कम से कम मैथिल प्रण कय लेलाह जे अपन सुसुप्त शक्तिकेँ जगायब। उपरोक्त अनशन मानू जे जाम्बवन्तजी समान हरेक सुच्चा मैथिलमें हनुमानजीक शक्तिके आभान करौलक। आब जल्दिये नव-नव घोषणा सँ पुरान संस्थाक संग नवयुवा डेग बढबैत चलताह से हमरा विश्वास अछि।

हरि: हर:!!

अप्रैल ३, २०१३ – विश्व मैथिल संघ – बुरारी केर अध्यक्ष हेमन्त झा द्वारा १४ अप्रैल सामूहिक विचार गोष्ठी केर आयोजनक घोषणा ओ आमंत्रणः

जय मैथिली! जय माँ जानकी!! जय मिथिला!!

अलग मिथिला राज्य के आवश्यकता किऐक?

“मिथिलाक इतिहास, वर्तमान व भविष्य”
विषय पर
सामूहिक परिचर्चा कार्यक्रम

समय: अपराह्न ३ बजे सँ संध्या ६ बजे तक
दिनांक: १४ अप्रील, २०१३ (रविवार)
स्थान: मिशन आइआइटी पीएमटी एकेडमी, मेन मार्केट, संतनगर, बुरारी, दिल्ली।

आयोजक:
विश्व मैथिल संघ, दिल्ली।

अप्रैल १०, २०१३ – फरबरी – २०१३ केर अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति केर संसद सत्रक आरम्भ दिन राखल गेल एक-दिवसीय अनशन सँ सक्रिय आन्दोलनी बनि ‘सेपरेट मिथिला स्टेट समिति’ केर परिकल्पक अनुप चौधरी, कटका, दरभंगा द्वारा राखल प्रस्ताव रथयात्रा लेल विस्तृत विचारः

मिथिला राज्य लेल रथयात्रा

जेना बेर-बेर आ निरंतरता में कहि रहल छी, फेसबुक मिडियाक भरोसे जे क्रान्ति मिथिलाक खसैत अस्मिताके जोगेबाक लेल कैल जा रहल अछि ओ ऐतिहासिक अछि। एकर सकारात्मक असर आब यथार्थक धरातल पर पडय लागल छैक। मिथिला राज्यक माँग आ एकर सार्थकता प्रति साक्षर मैथिल साकांछ बनि चुकल छथि। लेकिन अफसोस जे साक्षरता ततेक न्यून छैक जेकर चर्चा करब लज्जास्पद होयत। शिक्षा पद्धतिमें पेट-पोसब मात्र लक्ष्य छैक आ इतिहास, संस्कृति, पहचान, स्वाभिमान, आध्यात्मिकता आदि काफी दूर फेका गेल छैक। ई समस्या केवल बिहार टा में नहि अपितु पूरा भारत में छैक, जाहिके चलते दिन-ब-दिन बलात्कार, अपहरण, चोरी, डकैती, लूट, भ्रष्टाचार, असत्यक प्रसार, कूसंस्कृतिक दुष्प्रभाव आइ भारतमें राष्ट्रीयताक ऊपर सेहो पैग प्रश्न ठाड्ह कय रहल छैक। लोक के दृष्टिमें केवल जीवन-निर्वाह लेल टा नहि बल्कि रावणी अट्टालिका आ स्वर्ण लंका निर्माण करबाक दुष्प्रवृत्ति सँ गलत-सही जेना-तेना मात्र पैसा कमायब टा बनि गेल छैक। लेकिन मिथिला सभ दिन सँ भारतवर्षक आध्यात्मिक स्वरूपके सुरक्षित रखबाक लेल तपोभूमिके काज करैत एक सऽ एक शास्त्रीय संदेश देबाक काज करैत आयल छैक। ठीक तहिना आब मिथिलाक साकांछ समाज एहि बातके आत्मसात कय रहल छैक जे बिना मिथिला राज्य बनने भारतक कल्याण संभव नहि छैक, आ ताहि लेल जन-जनमें जागृतिक बहुत पैघ आवश्यकता छैक।

नव जागृतिक स्वरूप के सभ सँ पैघ विशेषता जे युवा समाज जाग्रत बनल छैक। युवा केहेन जे पूरा सामर्थ्यवान व समृद्ध व्यक्तित्वक स्वामी छैक तेहेन युवा सभ फाँर्ह बान्हि आन्दोलनी मैदानमें उतरि गेल छैक। अवश्य बौद्धिक क्षमता एकरे सभ में छैक आ जोश के रंग सेहो रोम-रोममें भरल छैक। मिथिला राज्यके आन्दोलन प्रति २०१३ नव-नव संदेश संग शंखनाद केलकैक अछि आ कवि एकान्त, कौशल कुमार व मनोज झा द्वारा कैल गेल ४-दिवसीय अनशन उपरान्त आब लक्ष्य २०१४ (संसदके चुनावपूर्व जन-जागृति) के हिसाब सँ एक-स-एक कार्यक्रम के घोषणा कैल गेल छैक। एहि समस्त आन्दोलनकेँ संचालन युवा मैथिल स्वयं अपन दक्ष कार्यशैलीमें आगू बढि रहल छैक। जेना दिल्लीक लाखो मैथिल व हुनक संगठनमें एकताक आह्वान एहि समस्त आन्दोलन लेल एक अकाट्य मीलक पाथर प्रमाणित हेतैक तहिना युवा द्वारा मिथिलाक गाम-गाम रथयात्रा ओतबी प्रभावी हेतैक। लोकक जिज्ञासा आ युवाक कंठ सँ निकलल उद्घोषण – यैह टा मिथिला राज्यक आवश्यकताक परिचायक बनतैक। विरोधी आ षड्यन्त्रकारी लेल ई रथयात्रा अन्तिम अहिंसात्मक आ शान्तिपूर्ण सत्याग्रह हेतैक जे मिथिलाकेँ बचेबाक लेल मिथिला राज्यक माँग पूरा कैल जाय। मैथिलकेँ सोराज चलाबय लेल आबो अधिकारसम्पन्न कैल जाय। मिथिलाक न्यायप्रणाली देशकेँ आगू लऽ जा सकैत छैक तऽ मिथिला स्वयं पिछडल रहय आ मैथिल स्वयं दर-दर ठोकर खाइत देश-विदेश पलायन करय से मिथिलाक सांस्कृतिक हत्या जघन्य अपराध हेतैक आ ताहि सँ भारतकेँ सेहो कल्याण संभव नहि छैक। आगामी समयमें मिथिलामें सेहो रावणी-पूत-कपूत मात्र पैदा लेतैक आ स्वयं विध्वंसक बनैत सनातन इतिहासकेँ समाप्त कय देतैक जे केकरो लेल कल्याणकारक नहि भऽ सकैत छैक। जे मिथिलाक भूमि एक सऽ एक सपुत एहि पृथ्वीकेँ प्रदान केलकैक से १९४७ के बाद एतेक विपन्न कोना जे आब स्वयं मैथिल दाँत खिसोरैत हिन्दी-अंग्रेजी बाजय में बुधियारी बुझैत छैक, नहि कि फेर सऽ कोनो पुत्र डा. लक्ष्मण झा समान त्यागी आ तपस्वी बनैत छैक… फेर सऽ कियो गंगानाथ झा कहाँ… आ जखन तपस्वी-ऋषिक जन्म नहि तऽ लाखों-करोडों निठल्ला पुत केँ सम्हार कोना? बहुत बात छैक। कोनो संस्कृतिकेँ सुरक्षा लेल राजनीतिक दृष्टिकोणकेँ साकांछ होयब बहुत जरुरी छैक।

रथयात्रा सांकेतिक हेतैक, लेकिन एकर उपयोगिता सभक लेल संवादवाहक के काज करतैक। युवाक आवाजमें ओ बुलंदी होइत छैक जे आरपार के संघर्ष घोषणा करैत छैक। जखन कि मिथिलाक धरतीपर आब केवल १० गोट लोक बचि गेल छैक, ९० लोक पलायनके शिकार बनि गेल छैक… लेकिन धरती आइयो ओतबा गंभीरता सँ अपन पुत्रक कपिल, याज्ञवल्क्य, गार्गी, सीता, मंडन, सलहेष, दीनाभद्री, अयाची, विद्यापति, भारती आ कम से कम सपुत बनबाक लेल बाट जोहि रहल छैक। सैकडो पुत्र-पुत्री एहि रथयात्रामें सहभागी बनता से हमरा पूर्ण विश्वास अछि। अतिक अन्त कहिया नहि भेलैक अछि? आखिर ईश्वरके गरिमा आइ आदि-अनादिकालसँ जे विदित छैक से कथी लेल? किऐक अर्जुनकेँ अपनहि स्वजनपर बाण चलेबाक लेल कृष्ण स्वयं सारथी बनि रथ हाँकलैन? सोचू! हमरा हिसाबे यदि मैथिल युवा अर्जुन बनि गेल छथि तँ मिथिला राज्य कायम करबाक लेल कौरव-किला ढहबे करत। बस जेना कृष्ण कहलखिन कि बिना कोनो लाग-लपेट के धर्मक युद्ध करे अर्जुन! हमहुँ समस्त मैथिल युवा सँ आह्वान करैत छी जे श्रीकृष्णक सामीप्य राखि न्याय करबाक लेल धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्रमें प्रवेश करू आ मोह, क्रोध, लोभ सँ परे केवल सत्यक राज्य स्थापित करबाक लेल युद्ध लडू।

आजुक युवा लेल मूलमंत्र:

अर्जुन उवाच।

नष्टो मोहः स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत॥
स्थितोऽस्मि गतसन्देहः करिष्ये वचनं तव॥१८-७३॥

हरि: हर:!!

अप्रैल ११, २०१३ – गोष्ठीक सफलता हेतु सहयोग लेल अपील

सहयोग लेल अपील:

मिथिला राज्य लेल दोसर ऐतिहासिक पहल, “विश्व मैथिल संघ” द्वारा आयोजित “मिथिलाक भूत, वर्तमान व भविष्य” विषयपर सामूहिक परिचर्चा कार्यक्रममें विशाल सहभागिता हेतु आमन्त्रण।

आ निरंतर युवा द्वारा प्रयास करैत रहबाक प्रतिबद्धता जाहिर करबाक लेल एहि विशेष शुभ दिन पर अपनेक उपस्थिति अपरिहार्य अछि।

हरि: हर:!

मिथिला राज्यक आन्दोलन: नव चिन्तन

ब्यर्थक चिन्ता कथी लेल जँ साधन सीमा में नाच करय?
केलहुँ जतेक सकलहुँ अपने आब युवा हाथमें साँच चलय!

मनोजजी काल्हि बड चिन्तित देखेलाह…. कारण बहुत वर्षक मेहनत छन्हि आ आन्दोलनक अनुभव सेहो दशक पुरान अवश्य छन्हि। किताब जँ लिखल जाय तऽ कम से कम १००० पन्ना के जरुर लिखा जायत। हिनका एकहि बात के डर छन्हि जे आन्दोलन दिशाविहीन भऽ रहल छैक।

रत्नेश्वरजी सेहो यदा-कदा विस्मित बनि जाइत छथि…. आन्दोलनमें सहभागिता बढि रहल अछि लेकिन घूसपैठियाक प्रवेशक आशंका आ परिणाम अनिश्चित हेबाक भय भऽ रहल छन्हि।

पूर्वमें सेहो कतेको तथाकथित गाँधी आ नेहरु मिथिलाक कर्णधार सभ कोनो न कोनो बहाने भय आ त्रास व्यक्त कय चुकल छथि। कतेको तरहक आशंका आ व्यक्तिगत असन्तुष्टि प्रकट कैल जा चुकल अछि। कतेको लोक तऽ अशिष्ट आ मिथ्याचारक सहारा लैत अपन पूरा बल सेहो लगा देलनि जे मिथिला राज्य लेल कैल जा रहल आन्दोलन बस हुनकहि बुद्धि सऽ चलय नहि कि एहिमें कोनो तरहक अनुभवहीन, दिशाविहीन, संगठनविहीन या एक शब्दमें हुनकर मनमर्जीक विरुद्ध चलय।

लेकिन वास्तविकता ई छैक जे फेसबुक मिडिया पर चलायल गेल जागरुकताक सार्थक परिणाम आबय लगलैक अछि आ युवा पीढीमें जागृति पूरा जोर पर छैक। विडंबना ई जरुर छैक जे समाजशास्त्रके ज्ञान सबके नहि छैक, तखनहु हम के छी आ हमर इज्जत भारत देशमें केहेन अछि ततेक जानकारी सभके छैक आ समस्त मैथिल जेकर जीन में बौद्धिकता गह-गहमें भरल छैक ओकरा बेसी बुझाबय के दरकार नहि पडैत छैक, अ सऽ अलंकार के ज्ञान बनि जाइत छैक। से युवा पीढी अपन अंदाजमें सभ किछु हैण्डिल करय लागल छैक जेकर परिणाम पूर्व-निर्मित अनेको संघ-संस्था-दल आदिमें हरकम्प मचब स्वाभाविक छैक। यदि अरविन्द केजरीवालके आम आदमी पार्टी काँग्रेस आ भाजपा समान दिग्गज पार्टीके चौ में दर्द बनि सकैत छैक तखन कोनो भी समाजमें पूर्व महंथक आगू नव-जोगी सभ अपन जट्टा देखबैत लोक में अधिकारक लडाई लेल आग्रह करतैक तऽ स्वाभाविके पुरना महंथ कोनो खेल खेला सकैत अछि।

हलाँकि ईहो सत्य जे नि:स्पृह भावना संग बढि रहल कोनो डेग, ओ भले पुरान हो या नव, केओ नहि रोकि सकैत छैक कारण वैह टा असल परिवर्तन आ क्रान्ति समयानुकूल प्रवेश करबैत छैक, सनातन यैह होइत आयल छैक… कोनो एहेन परिवर्तन कहियो नहि भेलैक अछि जे सूर्य पूर्वक बदला पश्चिम सँ उगैथ या फेर दिसम्बर महीना बरखा हेतैक आ धनरोपनी हेतैक… तैयो जखन चर्चा चलैत छैक तऽ दूर तक जाइत छैक से सही बात। दबाइ खेबैक तऽ एक बीमारी छूटत आ साइड इफेक्ट सऽ किछु न किछु गडबड सेहो होयत। तदापि जे रोग छैक ओकरा दुर करबाक लेल दबाइ खायब जरुरी छैक आ चिकित्सक रोगीकेँ सल्लाह दबाइ खाइ लेल कहैत छैक, साइड इफेक्टपर नजरि तीव्रता सँ रखैत छैक जे वाइटल सिस्टम टा काज करैत रहौक, रोगीके जान बचि जेतैक।

मिथिला-मैथिली आइ आइसीयू वार्डमें भर्ती छैक आ चिकित्सकक टोली अनेको एकरा रिवाइव-सर्वाइव कराबय लेल लगन सँ कार्य कय रहल छैक। संयोग केहेन नीक छैक से देखियौक…. मिथिला-मैथिली (रोगी)क कियो गार्जियन नहि छैक। डाक्टर सभ अपने मन सऽ पाकेटखर्चाक पैसा खर्च करैत इलाज कय रहल छैक। उलटे चक्कू-गज्जू-धन्नू-रुन्नू सन-सन आवारा आ कुन्नू-अन्नू-रुस्सू-फूल्लू सन-सन लफुआ लठैत सभ डाक्टर सभके धमकाबय लेल अबैत छैक जे अहाँ एकर इलाज नहि करियौक, अहाँ एना मंगनीमें नाम नहि कमा सकैत छी… नेता बनय के प्रयास नहि करू… नहि तऽ… खैर नहि अछि… लेकिन इलाज आब आइसीयु वार्डमें चलि रहल छैक आ जल्दिये हृष्ट-पुष्ट मिथिला-मैथिली अपन यौवन-अवस्थामें रथपर चढि बाकायदा डाक्टरक टोलीक संग सभकेँ अभिवादन लेल निकलतैक… एहि में चक्कू-गज्जू-धन्नू-रुन्नू सभ चढत सेहो सत्य छैक। लेकिन एखन १४ तारीख सऽ पूर्व कुन्नू-अन्नू-रुस्सू-फूल्लू लाठी भाँजैत रहत तेकर चिन्ता छोडि अपन तैयारी दिस ताकय जाउ।

जय मैथिली! जय मिथिला!

हरि: हर:!!

अप्रैल १२, २०१३ – हेमन्त झा संग आन्तरिक विमर्श मे एकटा युवा केन्द्रित अभियान केर स्थापना लेल परिकल्पनाक निर्माण – आर्थिक गतिविधि संचालित करबाक सोच सहित एक विचार प्रस्तुतः

मिथिला ब्राण्ड – मैथिली ब्राण्ड

पता अछि मिथिलाक समृद्धि कतेक छैक आइयो? आत्मनिर्भरता हर तरहें मानव-जीवन लेल मिथिलाक भीतर सभ तरहें उपलब्ध छैक। बस एक संछिप्त रूप देखल जाउ – कुटीर उद्योग केँ संचालन हेतु जातीय-व्यवस्था सँ दक्ष घरैया लूरि द्वारा उत्पादनशीलताक विलक्षण उदाहरण मिथिलामें भेटैत छैक। कृषि प्रणालीमें सभ तरहक अनाज उपजौनाइ आ विभिन्न प्रकारक जमीन मिथिलामें उपलब्ध रहब एक उत्कृष्ट उदाहरण मिथिलामें भेटैत छैक। खान-पान, जीवन-यापन, रहन-सहन, तप-जप आ भाइ-चाराक आध्यात्मिक स्वरूप मिथिलाक कण-कणमें भेटैत छैक। तखन मिथिला ब्राण्ड कमजोर केना? तखन मैथिली ब्राण्ड कमजोर केना? विपन्नता कोना? एकर एकमात्र कारण छैक जे भारत जहिया सँ स्वतंत्र भेलैक तहिये सँ मिथिलाक सामाजिक संतुलनकेँ अनेको प्रकारके बहरी राजनीति गूर सँ ध्वस्त करैत आइ जतेक सकारात्मक पक्ष रहैक तेकरा चौपट कय देलकैक आ नहि जानि एहिमें स्वयं मैथिलक किछुए मुदा महत्त्वपूर्ण राजशाही-परिवारक मदद सँ जनमानसकेँ बरगलाबैत मिथिलाके वोटबैंकमय बना देलकैक। एहि उपेक्षाक विरुद्ध लडबाक लेल आब कोनो दोसर उपाय नहि बचल छैक सिवाये एक कि मिथिला जल्द सँ जल्द राज्य बनय। आ ई लडाई आन कियो नहि लडि सकैत अछि सिवाये युवा पीढी जे पढल-लिखल छैक लेकिन पलायन-प्रवासके कारण पेट आ माथ दुनू सँ बन्हा गेल छैक, पहचान या संस्कृतिक आभान ओकरामें अपनहि शक्तिसँ अनभिज्ञ हनुमानजी जेकाँ सुसुप्तावस्थामें छैक। बहस करैत छैक लेकिन भटकल मस्तिष्क आखिर कि बहस करतैक, बेर-बेर मुर्च्छा आबि जाइत छैक।

हमरा बुझने आब युवा पीढीकेँ आधुनिक व्यवस्थापन सिद्धान्तसँ जाग्रत करबाक उपयुक्त समय छैक। एहि लेल मिथिला-मैथिली ब्राण्ड सँ ओकरा जोडैत विश्वक अर्थतन्त्रमें मिथिलाक अलग पहचान स्थापित करय लेल मैथिल करपोरेट के सख्त जरुरत बुझा रहल छैक। जेना मिथिलाक ‘मैथिली गुर’, मिथिलाक ‘मैथिली बासमती चाउर’, मिथिलाक ‘मैथिली कोनिया’, मिथिलाक ‘मैथिली मटकुरी’, मिथिलाक ‘मैथिली गहना’, मिथिलाक ‘मैथिली माछ’, मिथिलाक ‘मैथिली पान’, मिथिलाक ‘मैथिली मखान’, मिथिलाक ‘मैथिली उपभोग्य हरेक वस्तु’क बाजारीकरण करैत समूचा भारतकेँ मिथिलामय कय देबाक छैक। मिथिलाक आर्थिक तंत्रकेँ चमकाबय लेल बहुते रास गृह-निर्मित वस्तुक भंडार छैक…. हम तऽ बस किछुवेक नाम लेलहुँ अछि। आर्चीज ग्रिटींग कार्डके जगह मिथिलाक ‘मैथिली ग्रिटींग कार्ड’ मिथिलाक विशेष बाँस व अन्य वनस्पति द्वारा निर्मित पेपर तथा मिथिला पेन्टिंगके प्रिन्टमें दुनियामें डंका पीट सकैत छैक। मिथिलाक अदौरी, कुम्हरौरी, मुरौरी, चरौरी, दनौरी, तिलौरी, तिसियौरी आ कतेको फास्ट-फूड कर्नर पर क्रान्ति आनि सकैत छैक। बस प्रयास के दरकार छैक आ करपोरेट मिथिला या मिथिला कोओपरेटिव हाउस एहि समस्त कार्यकेँ आराम सँ कय सकैत छैक।

विशेष चर्चा करी हम सभ बुरारी (संतनगर) – दिल्लीक परिचर्चा कार्यक्रममें – १४ अप्रील, २०१३। आयोजक विश्व मैथिल संघ! आउ पहिले संगठित होइ। विपन्न हम सभ दिमाग सँ नहि छी, बस राजनीतिक उपेक्षाक चलते हम सभ अपन भाषा, अपन भेष आ अपन संस्कृति सँ दूर जा रहल छी आ दोसर हमरा सभके गुलाम बनौने जा रहल अछि। लडाई पहिले आत्मनिर्भरता लेल लडी, राजनैतिक उपेक्षाक विरुद्ध लडी… ई सोचि नहि हारी जे लडाई मिथिला के सरजमीं पर किऐक नहि होइत छैक। ओतय वनस्पति, वायुमण्डल, आकाश, धरती, जल, आदि सभटाकेँ पहिले सँ ऋषि-मुनि ततेक न ‘शान्ति-शान्ति’ यज्ञ सँ शान्त कय देने छथिन जे तुरन्त अगिया-बेताल होयब संभव नहि छैक। आ एहि लेल अहुँ सभ आतूर नहि बनू। हेतैक! सभटा हेतैक! बस आउ, किछु चर्चा करी।

हरि: हर:!!

आइ हालत ई छैक जे सोचक अनुरूप मैथिली लेल मिडिया नहि बनि सकल, ओ कतेक दिन खेपत से भगवाने जनैत छथि… लेकिन संघर्ष सभक छैक आ हम सभ एतबी शुभकामना दय सकैत छी जे सभक कल्याण हो। लेकिन जाहि तरहें पूर्वाग्रही भावना संग लोक मनमाफिक मिडिया मैनेज करैत अछि आ छूद्र स्वार्थ लेल मूल्यकेर सौदा करैत अछि ताहि सँ दूरी तक तय करयवाला वातावरण नहि बनि पबैत अछि, एकर अफसोस रहि गेल मिथिला के!

मिथिला राज्य लेल जे मुखपत्रके बात छल तेकर कमी एखनहु अछि आ पुन: इन्तजार करू जे कोनो मैथिलीपुत्र एहि लेल ठाड्ह हेता आ ई कमी पूरा होयत। जरुर पूरा होयत।

१४ अप्रील के परिचर्चामें एहेन अनेको विन्दुपर चर्चा करैत आगामी समय लेल सुन्दर नीति निर्माण आ सक्रियता तय करबाक अछि, आउ बुरारी (संतनगर) दिल्ली, दिन के ठीक ३ बजे सँ परिचर्चा शुरु होयत।

हरि: हर:!!

अप्रैल १४, २०१३ – विश्व मैथिल संघ – बुरारी (दिल्ली) मे सामूहिक विचार गोष्ठी आर ताहि मे मिथिला राज्य निर्माण सेनाक गठन।

अप्रैल १५, २०१३ – डायरी मे रिपोर्ट मिरानिसे गठन संबंध मे

युवाक जीत भेल

मिथिला राज्यक संघर्ष जेना युवा हाथ में लेलक तेकरा लेल एक तात्कालीन कार्यकारिणीक गठन के संग-संग आगामी समय में सदस्यता व वृहत कार्यकारिणी बनेबाक निर्णय भेल। ऐगला बैठक २८ अप्रील, स्थान आ समयके जानकारी नवनिर्मित समिति द्वारा विधिवत् करायल जायत, अखबार व फेसबुकक संग टेलिविजन द्वारा। मिथिला राज्य लेल युवा सभक आन्दोलन पर राखत नजर आ हरेक आन्दोलनकेँ सफलतापूर्वक निष्पादन लेल हर प्रकार के सहयोग उपलब्ध करायत ई कार्यकारिणी समिति।

आयोजक विश्व मैथिल संघ – बुरारी द्वारा आयोजित ‘सामूहिक परिचर्चा कार्यक्रम’ केर सफलता एहि बात सँ भेल जे उपरोक्त कार्यसमितिक निर्माण आ पूर्ववत् घोषित कार्यक्रम सभके बागडोर सौंपैत अभियानीक योजना आ ताहि पर कार्यकारिणीक बहस संग निर्णय आदि कैल जायत। मुख्य रूप सँ वर्तमान कार्यसमिति दिल्लीक संग संभव-सक्य हरेक शहर-गाम-पंचायत में अपन विस्तार करत आ तदोपरान्त वृहत कार्यकारिणी निर्माण प्रजातांत्रिक – मिश्रित – पूर्ण समावेशी बनत जाहि लेल सेहो आगामी ६ महीना में कार्य पूरा कैल जायत। अनुशासन व आदर्श सिद्धान्त लेल सेहो ऐगला बैठक द्वारा निर्णय होयत। आइ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सँ कार्यकर्तामें बहुत जोश सेहो देखल गेल जे मिथिला लेल शुभ-संकेत थीक।

हरि: हर:!!

सामूहिक परिचर्चा सम्पन्न: मैथिल युवा

विश्व मैथिल संघ द्वारा आयोजित सामूहिक परिचर्चा कार्यक्रम में “मिथिला राज्यक आवश्यकता किऐक?” संग “मिथिलाक इतिहास, वर्तमान तथा भविष्य” विषय पर युवाजन द्वारा खूलिके चर्चा भेल। एहि कार्यक्रमकेर उद्घाटन सुनील मोहन ठाकुर जे बोकारो सँ आयल छलाह तिनका द्वारा कैल गेल। मिथिला विद्यागारा केर प्रतीक विद्वान् विद्यापतिक चित्रपट समक्ष ‘दीं दीपनाथाय नम:’ करैत दीप जरबैत कार्यक्रम शुरु कैल गेल। उद्घोषक दयानन्दजी द्वारा संस्थाक संछिप्त परिचय करबैत सभाक अध्यक्षता लेल विश्व मैथिल संघक अध्यक्ष हेमन्त झा संग मुख्य अतिथि सुनील मोहन ठाकुर लगायत विभिन्न संघ-संस्थाक प्रतिनिधित्व केनिहार सहभागी मैथिल स्रष्टा व युवा वक्ता लोकनिकेँ सेहो आसन ग्रहण करायल गेल। तदोपरान्त मिथिला राज्य आन्दोलनक वरिष्ठ कार्यकर्ता अनुभवी कृपानन्द झा द्वारा मिथिला राज्य किऐक चाही तेकर समर्थनमें सविस्तार तथ्यांक रखैत सहभागी जनमानसकेँ ई सोचबाक लेल प्रेरित कैल गेल जे किऐक अलग राज्य हो से सोचबाक समय आब नहि अछि, बल्कि कोना बनय ताहि दिस सभक ध्यान जेबाक चाही आ एहि लेल सभकेँ एकमत संकल्प लेबाक लेल सभा अग्रसर हो। हलाँकि बहुतो रास सहभागीजन कतेको रास विन्दुपर अलग मिथिला राज्यक सन्दर्भमें जिज्ञासू छलाह जाहि पर सभाध्यक्षक आदेश सँ उद्घोषणक जिम्मेवारी मूल रूपसँ मुख्य वक्ताक रूपमें आमन्त्रित हमरे (प्रवीण) भेटल आ वक्ताक जिज्ञासा अनुरूप यथासंभव समाधानकेर खाका सेहो प्रस्तुत कैल गेल। कतेको बेर नोंक-झोंक सेहो भेल जे सभाक सफलताक द्योतक मानि सकैत छी, कारण रजनी-सजनी-मुँहचटनीक भाषा ओ संस्कृति बनैत मैथिली-मिथिला पहिले बहुत नुकसान सहलक आ लगभग विलोपान्मुख बनि गेल, आर आजुक समयमें ई परंपरा बदलब क्रान्तिक उद्घोषक बनत से हमर विश्वास अछि। जाबत शंका-उपशंका दूर नहि होयत, संदेहक स्थिति अन्त नहि होयत, ताबत कियो कोनो आन्दोलनमें विशुद्धताक संग प्रवेश नहि पाबि सकैत छथि। एहि तरहें ई परिचर्चा बहुत सार्थक भेल, सभ कियो अपन मनक कूथ – कूढ – मूढ – शुद्ध विचार एकदम सुस्पष्टताक संग रखलाह, जखन कि समय कम पडि गेल जेकर चलते जरुर किछु महत्त्वपूर्ण बात आ वक्ता दुनू छूटि गेलाह। जाहि लेल आगामी बैठकमें पुन: चर्चा होयत आ छोट-छोट डेग लेकिन अनेको टा सार्थक कार्य होयत से विश्वास मानि सकैत छी।

सभाक सफलता में राज्यक माँग कदापि नहि बुझनिहार लोक आह्वानक बावजूद जे संगठन सांस्कृतिक मर्यादा सहित राज्यक माँग लेल हो तेकरा सर्वसम्मति सँ नकारि केवल राज्यक माँग लेल मात्र हम सभ एक संगठन निर्माण करी ताहिपर सहमति जतौलनि। काल्हिक परिचर्चाक सभ सँ बेसी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यैह रहल आ आपसी घंथन-मंथन सँ तुरन्त एक तत्काल-प्रभावी समिति बनायल गेल जे ११ सदस्यीय अछि। आगामी बैठक २८ तारीख लेल तय भेल। ताबत धरि आवश्यक विधान, अनुशासन पद्धति, कार्यकर्ता निर्देशन सिद्धान्त, सदस्यताक प्रकार, आदि लेल उपरोक्त कार्यकारिणी तत्परता संग कार्य करता आ समितिक विस्तार ऐगला बैठक सँ कैल जायत। परिचर्चामें कार्यकारिणी समिति निर्माणक मूल उद्देश्य युवा-पीढी व अन्य द्वारा कैल जा रहल राज्यक माँग प्रति संपूर्ण कार्यभार वहन करबाक लेल सहमति बनल। आगू अभियानी कियो रहैथ लेकिन समितिक सलाह – सुझाव – सहयोग – संग – समर्थन सँ समस्त अभियान चलत यैह एहि समितिक एकमात्र लक्ष्य रहत। आब नेता बनबाक लेल खुलेआम प्रतिस्पर्धा होयत, जिनका अपन मातृभूमि प्रति जेना आन्दोलन करबाक हो ताहि लेल समितिमें आवेदन दैत कार्यक्रम आगू बढा सकैत छथि। आशा करी जे विगत में भेल कमजोर आन्दोलन केर पुनरावृत्ति एहि कार्यकारिणीक निर्माण उपरान्त एकदम नहि होयत आ प्रभावशाली तरीका सँ मिथिला राज्यक आन्दोलन २०१४ के संसदीय चुनाव पूर्व जमीन पकडि लेत।

आगामी समय लेल अन्तर्राष्ट्रीय मैथिलक महासम्मेलन, मिथिलामें रोजगार व अर्थ-व्यवस्थाक सुदृढीकरण लेल सहकारी संस्थानक स्थापना, मैथिली-मिथिलाक मुखपत्र मिडिया व्यवस्थापन, जनचेतना व सदस्यता प्रसार लेल प्रतिनिधिमंडल निर्माण, मैथिल करपोरेट केर सिनेट, आदि विन्दु पर सेहो सक्रियता संग उपरोक्त कार्यकारिणी निरन्तर कार्य करत। संगहि भारतीय गणतंत्रमें समस्त राजनीतिक दल सँ मिथिला राज्यक समर्थन वा विरोध प्रति सोचकेँ सार्वजनिक करेबाक मूल कार्य करत। भारतीय रेलवे, संचार विभाग संग मैथिलीक प्रश्रय लेल आवश्यक अनुरोध-आन्दोलन करत। मिथिलाक भूमि पर संचालित प्रतिष्ठान सभ सँ मैथिली भाषामें बोर्ड लगेबाक आन्दोलन सेहो करत। एकर अतिरिक्त कोनो व्यक्ति वा संस्था द्वारा मिथिलाक हितमें चलायल जायवाला अभियानकेँ आवश्यक सहयोग लेल प्रतिबद्ध बनत।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

मई १३, २०१३ः मिरानिसे रथयात्रा लेल परिकल्पनाः

मिथिला राज्य निर्माण यात्रा – प्रथम
(ड्राफ्ट कापी, सुधार लेल सुझाव आमन्त्रित)

उद्देश्य:
मिथिलाक पहचान गणतांत्रिक भारतक संविधानमें स्थापित करबाक उद्देश्यसँ आजादीक ६५ वर्ष बितलाक बादो बिहार राज्यमें रहैत कोनो तरहक विकासक संभावना बचल नहि रहि गेलाक कारण आ उपेक्षापूर्ण व्यवहारसँ मिथिलाक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भाषिक, बौद्धिक आ हर तरहक विशिष्ट पहचानकेँ सदाक लेल खत्म करबाक षड्यन्त्रक विरुद्ध जन-आन्दोलन हेतु सचेतना प्रसार करबाक लेल युवा टोली द्वारा मिथिलाक विभिन्न जिलाक भ्रमण हेतु एहि यात्राक आयोजन कैल गेल अछि।

यात्रा प्रारूप:
१. वसुधाक ओ सुन्दर ठाउँ जतय साक्षात् जगज्जननी सिया अवतरित भेलीह – पुनौराधाम (सीतामढी) सँ गामक बड-बुजुर्ग द्वारा यात्रा टोलीकेँ आशीर्वाद दैत समस्त मिथिलाक लोकमें जागृति प्रसार करैक लेल रथकेँ झन्डा देखाय रवाना करताह।

२. यात्रा अपन पहिले सँ सुनिश्चित कैल गेल मार्गपर अग्रसर होइत जन-जन संग अपील करैत आ सार्वजनिक स्थल पर रुकि-रुकि उपरोक्त उद्देश्य प्रति सचेतना प्राप्ति हेतु संछिप्त संबोधन करैत आगू बढैत चलताह।

३. सुनिश्चित मार्गपर हर गाम – हर ठामक जनगण सँ यात्रामें कम से कम अपन गामक सीमा धरि शरीक होइत पुण्यक भागी बनैत संसारक सभसँ पुरान इतिहास मिथिलाक प्राण रक्षा लेल विनती करैत आगामी चुनावमें वैह राजनीतिकर्मीकेँ समर्थन देबाक अपील करता जे मिथिलाक सम्मान संविधानमें स्थापित करबाक तैयारी करैत वोट माँगय लेल औता।

४. यात्रा में सहभोजक जे इन्तजाम ग्रामीण तथा संयोजन समितिक संयुक्त निर्णय अनुरूप होयत ताहि ठाम सहभागी समस्त अभियानीक भोजनक इन्तजाम कैल जायत।

५. आवश्यक प्रचार, उद्घोषणा आ संबोधन कार्यक्रम नित्य यात्राक पूर्व संध्यापर निर्णय लेल जायत।

६. एक आमसभा जेकर समयावधि कम से कम २ घंटाक होयत तेकर इन्तजाम नित्य कोनो एक जगह कैल जायत जतय बेसी सँ बेसी जनगण उपस्थित भऽ सकैथ। संबोधनमें मिथिलापर कैल गेल विभिन्न राजनीतिक उपेक्षाक ब्योरा सँ जनमानसकेँ अवगत करायल जायत।

७. विशाल जनमानस सम्पर्कमें ‘मिथिला राज्यक स्थापना लेल हस्ताक्षर अभियान’ सेहो संचालित कैल जायत। संकलित हस्ताक्षर भारतक राष्ट्रपति, दुनू सदन, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री लगायत सम्बन्धित पक्षकेँ यात्रा समाप्ति उपरान्त मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा हस्तान्तरण कैल जायत।

८. यात्रा टोलीमें जन-जनकेर इच्छा कि छन्हि तेकरा लेल एक विशेष टोली कार्यरत रहत आ सभक प्रतिनिधित्व सुनिश्चिति लेल लिखित जानकारी संकलन कैल जायत।

९. संध्या ४ बजे प्रेस रिलीज में नित्य यात्रा आ ऐगला दिनक कार्यक्रम पर जानकारी मिडियाकेँ देल जायत।

१०. सत्याग्रह रूपी एहि यात्रामें शान्ति-सुरक्षाक संपूर्ण जिम्मेवारी स्थानिय प्रशासनक रहत जेकरा लेल अग्रिम सूचना संबंधित थानामें देल गेल रहत।

११. यात्राक संध्या विश्राम आ भोजन सेहो सामूहिक भोज समान होयत जे वास राखल गेल ग्रामीण व संयोजन समितिक निर्णय अनुरूप कैल जायत।

१२. विश्राम सँ पूर्व सर्वधर्म-संप्रदाय आ मानवताक कल्याण हेतु विशेष प्रार्थना सभा कैल जायत।

(यैह क्रममें यात्रा अपन पूर्व निर्धारित मार्गपर अग्रसर रहत। संयोजन समिति आ निर्धारित मार्ग लेल घोषणा बादमें कैल जायत जेकर जानकारी मिडिया द्वारा सेहो करायल जायत।)

यात्रा टोलीक संग समस्त अभियानकेँ योजना अनुरूप मार्ग-निर्देशन लेल: प्राध्यापक कृपानन्द झा, संरक्षक, मिथिला राज्य निर्माण सेना, दिल्ली।

यात्रा टोली प्रमुख: युवा नेतृत्वकर्ता श्री अनुप कुमार (टोलीमें कुल १० सहभागी वा बेसीक सहभागिता रहत, जेकर नाम बादमें प्रकाशित कैल जायत)।

यात्रा संयोजन समिति प्रमुख: श्री राजेश – जिनकर प्रतिवेदन २०-२५ मईके बीच प्रस्तुत करैत मार्ग निर्धारण पर अन्तिम निर्णय आ उपरोक्त इन्तजाम के पूर्ण व्यवस्थापन करत।

संगठन आ संकलन: श्री हेमन्त – संयोजक, मिथिला राज्य निर्माण सेना व श्री विजय – सह-संयोजक, मिथिला राज्य निर्माण सेना, दिल्ली।

प्रचार-प्रसार: श्री कौशल कुमार – प्रवक्ता, मिथिला राज्य निर्माण सेना, दिल्ली।

सल्लाहकार: श्री श्रीचन्द कामत, प्रवक्ता, मिथिला राज्य निर्माण सेना व श्री रत्नेश्वर झा, महासचिव, अखिल भारतीय मिथिला पार्टी।

मिडिया प्रभारी: श्री शंकर आनन्द झा, मिथिला राज्य निर्माण सेना, दरभंगा व श्री रोशन झा, मिथिला आवाज, दरभंगा।

विशेष उपस्थिति: मिथिला राज्य लेल समर्पित कार्य करनिहार प्रत्येक नेता व कार्यकर्ता जे सहर्ष आ स्वेच्छासँ एहि कार्यक्रममें अपन उपस्थिति आ सहभागिता पूर्व निर्धारित करता।

यात्रा समापन: कोसीमें जल-प्रलय के ओ जगह (कुसहा बाँध) जतय कोसीक महाप्रकोप सँ लाखों मैथिल बेघर आ त्रासदीपूर्ण जल-समाधि लेबय लेल बाध्य भेलाह – तिनका सभकेँ श्रद्धाञ्जलि दैत वर्षों-वर्षक उपेक्षाक भंडाफोर करैत प्रथम चरण समाप्तिक घोषणा।

हरि: हर:!!

मई १५, २०१३ः संध्या ५ बजे। विराटनगर। 

हमर द्विदिवसीय गामक यात्रा, मिथिला राज्य निर्माण सेनाक परिचय, हुनका लोकनि द्वारा कैल जा रहल रथ यात्रा सँ जागृतिक प्रयास, बिहार राज्यमें मिथिला क्षेत्रक विकास उपेक्षा, गामक मुद्दा – मिथिलाक मुद्दा सभक खोज, वर्तमान राजनैतिक अवस्था, जन-जनकेर भावना आ कतेको तरहक महत्त्वपूर्ण बात पर केन्द्रित रहल। गामक युवा आ बुजुर्ग दुनू वर्ग सँ नीक अन्तर्क्रिया भेल। किछु महत्त्वपूर्ण बातक सूची बना सकलहुँ जे समस्त फेसबुकिया नेतागण व समाजसेवी संग ओहि कर्मठ मिथिलापुत्र लेल पोस्ट कय रहल छी जे आगामी समयमें मिथिलाक आन्दोलनकेँ बिना कोनो लाग-लपेट आ राजनीतिक स्वार्थ बस जन-जागृति लेल मिथिलाक यथार्थ धरातल पर प्रवेश दियाबय जा रहल छथि:

१. हरेक गाममें आइयो सभ तरहक लोक मौजूद छथि। साक्षर-निराक्षर, बुधियार-बकलेल, संत-चंठ, मुखिया-महंथ, नारी-पुरुष, छोटका-बडका आ जतेक तरहक लोक के खोजी रहैत अछि अभियानीकेँ, ओ सभ भेटैत छथि।

२. राजनैतिक संरक्षण, गणतंत्र, राज्य, आदि तकनीकी पक्ष सँ मोटामोटी ९०% लोक अनभिज्ञ छथि। जे १०% बात बुझितो छथि हुनका एहि सभ सँ कोनो खास सरोकार नहि छन्हि कारण राजनीति के माने सरकार बनेनाय आ जनताके लूटनाय मात्र स्थापित भऽ चुकल अछि आ बेसीतर लोक राजनीतिक बात-विचारसँ दूरी राखैत छथि, कारण अपन कमायब तखनहि पेट भरत आ राजनीति-फाजनीति गंदा बात होइत छैक, बस यैह सामान्य समझ सँ बेसी लोक जीवन व्यतीत करैत छथि।

३. ५% लोकमें राजनीतिक वातावरण में कोना भीजल जाय से स्फूरणा छैक, मुदा ओकर सरोकार बस बिहार सरकार द्वारा ललीपपरूपी खरात लूटबाक लेल आ कन्हा कुकूर के माँड पियेबाक लेल छोट‍–मोट पूल, रास्ता, समुदायिक भवन, मन्दिर, मस्जिद, गेट, विद्यालय भवन आदि निर्माण करेबाक काज करैत अपन दल लेल संगठन आ वोट बैंक तैयार करब रहि गेल अछि। मिथिला या मैथिली कोनो मुद्दा नहि अछि एहेन नेताक लेल, तदापि जखन सभक ध्यान ओहि दिस रहैत छैक तऽ हिनकर ध्यान सेहो ओहि दिस जाइत बुझैछ।

४. ५% लोक जे सही में अपन माटि-पानि-संस्कृतके महत्त्व संग-संग संरक्षण लेल सेहो सजग छथि, हुनकर हार्दिक इच्छा छन्हि आ बुझेला पर ओ सभ सहर्ष तैयार छथि जे एहि लेल जे करबाक हेतैक से कैल जाय आ सशक्त आन्दोलनकेँ दिशा निर्धारित कैल जाय।

५. युवामें बहुत बात बुझबाक क्षमता या समय नहि छैक, अभिभावक वर्ग केर समर्थन आ हमरा लोकनिक उत्साहपूर्वक सहभागिता लेल सदिखन तैयार। नेतृत्व लेबाक लेल सहर्ष तैयार। जे बात अभिभावकवर्ग द्वारा नहि भेल से हम सभ करब।

६. आ… मुद्दा हरेक तरहक छैक, शिक्षाक इन्तजाममें सरकारी ढिलाइके चलते लोकमें प्राइवेट संस्थान तरफ झुकाव, कोनो स्तरीय शिक्षा लेल पुख्ता इन्तजाम नहि भेटला पर शहर तरफ परिवारके स्तानान्तरित करब…. अस्पताल नहि, सिंचाई नहि, कृषिमें वैज्ञानिकीकरण के कोनो व्यवस्था नहि, सूचनाक अधिकार पर कुठाराघात, जनताक नामपर पंचायती जन-प्रतिनिधि द्वारा लूट, राजनीतिके नामपर जाति-पातिमें बाँटब…. बहुत रास स्थानीय मुद्दा सभ छैक जाहि पर मिरानिसे द्वारा सूची बनायब जरुरी आ ताहि तरहें पब्लिक सेन्टीमेन्ट संग जुडब जरुरी।

७. मैथिली भाषाक पुनर्जीवन लेल सांस्कृतिक टोली द्वारा अभियान चलायब, मिथिलाक्षर के प्रसार लेल अभियान चलायब, विभिन्न पुरस्कार आ सम्मान स्थानीय स्तर पर चलायब जरुरी।

८. मिथिला आ मिथिलाक इतिहास में भूतकालसँ वर्तमान व भविष्य धरिक समस्त बात पर रंगकर्मी द्वारा क्रमबद्ध प्रदर्शन जरुरी।

९. मैथिली केर भारतीय संविधानक अष्टम् अनुसूचीमें दर्ज भाषा होयबाक जानकारी आम जनमें कम अछि, एहि तरफ सेहो फायदा आदि के जानकारी देब जरुरी, कार्यालयमें आवेदन देबाक लेल मैथिली भाषामें लिखल पत्राचारके स्वीकार्यता पर समुचित जानकारी देब जरुरी।

आ… कतेको तरहक बात! जुन १ सँ ५ दिन पहिले कम से कम एक विज्ञ टोली द्वारा पूर्व यात्रा सर्वेक्षण जरुरी। मिरानिसे द्वारा एहि तरफ डेग उठेबाक आवश्यकता!

हरि: हर:!!

(एहि प्रतिवेदन अनुरूप अभियानी कौशल कुमार द्वारा मिथिला राज्य निर्माण यात्रा पूर्व प्रस्तावित सब जिलाक रूट व सम्पर्क व्यक्ति रथ केर स्वागत आ सुरक्षा लेल तत्पर करबाक हेतु एकटा यात्रा कैल गेल।)

मई १७, २०१३ – यात्रा अपडेट

मिथिला राज्य निर्माण समितिक वरिष्ठ अधिकारीगण आ युवा नेतृत्वकर्ताक फेसबुक अपडेट जे ओ सभ राष्ट्रक राजधानी सँ सभ कियो बहुत पैघ यज्ञ ‘मिथिला राज्य निर्माण यात्रा – प्रथम’ केर अपार सफलता लेल आबि रहल छथि – से जानि हृदय गदगद अछि। माँ मैथिली सँ विनती जे हमरो सिक्वेन्स जल्दी लागय जाहि सँ हम सभ सहकार्यके गति दी आ आगू बढी। हरि: हर:!!

आजुक भेंटघाँट मात्र आदरणीय सत्यानन्द बाबु संग भऽ सकल आ समय सँ होटल वापसी नहि कय सकलाक कारण सुमित भरद्वाज जी व समूह संग भेंटघाँट कार्यक्रम काल्हि ९ बजे प्रात:काल लेल अग्रसारित करय पडि गेल। क्षमा चाहब, गुवाहाटीमें संध्याक समय सडक जामके समस्या बड पैघ रहैछ से नहि पता छल आ पुर्वोदय भवन पहुँचैत-पहुँचैत कुल १ घंटाक समय बाटेमें समाप्त भऽ गेल। तथापि अनुभवी, कर्मठ आ लगनशील व्यक्तित्व पुर्वोदय दैनिक हिन्दी पत्रिकाक संपादक आ संगहि पुर्वोत्तर मैथिल समाजके संपादक-प्रकाशक आ कतेको अमर कीर्तिके रचयिता श्री सत्यानन्द पाठक संग भेंटघाँट बहुत महत्त्वपूर्ण रहल। ओहीठाम मिथिला मिहिर में ‘जिन्दाबाद-जिन्दाबाद’ आ कतेको कथा सभक निरन्तर प्रकाशित केनिहार मैथिल स्रष्टा ‘नीरज’जी संग सेहो भेंटघाँट भेल आ काफी बेर तक मिथिला-मैथिलीक विभिन्न स्वरूपक संग मिथिला राज्य निर्माण सेनाक सक्रियता संग मिथिला राज्य निर्माण यात्रा – प्रथम केर योजना पर सेहो चर्चा भेल। चूँकि पाठकजी स्वयं काफी सक्रिय अभियानी आ मिथिलाक अस्मिता रक्षा लेल तत्पर सेनानी छथि, अवश्य हिनकर मार्गदर्शन आ आशीर्वाद आजुक नवयुवक नेतृत्व शक्तिकेँ भेटत ताहि लेल आश्वासन भेटल। विशेष समाचार काल्हि मिटींग उपरान्त देब। गुवाहाटी सेहो मैथिली-मिथिला लेल वरदान सिद्ध होयत से आत्मविश्वास अछि आ समस्त संसारक मैथिलकेँ मिथिला लेल आवश्यक चिन्तन लेल तत्पर देखि सकी ताहि लेल सेहो किछु गंभीर विचार-विमर्श कैल गेल, विस्तार सँ जानकारी बाद में प्रस्तुत करब।

हरि: हर:!!

काल्हि शनि दिन दिनांक १८.०५.२०१३ होटल रितुराज में भिनसर ९ बजे सँ मैथिल अभियानी लोकनि संग भेंटघाँट कार्यक्रम रखने छी, अपने लोकनि सँ निवेदन जे गुवाहाटी में यदि उपस्थित छी तऽ जरुर भेंट दी, आभारी रहब।

मिथिलाक अस्मिता रक्षार्थ अपनेक सहयोग अनिवार्य अछि, नि:स्वार्थ भावना सँ जिनकामें अपन मातृभूमि सेवाक भावना हो, केवल हुनकहि टा संग लेल हम सदा-सर्वदा याचना करैत रहब। मिथिला राज्य निर्माण यात्रा लेल अहाँ सभक भावनात्मक आ यात्रामें सहभागिता लेल आवश्यक चर्चा-परिचर्चा लेल राखल गेल भेंटघाँटमें जरुर संग दी।

हरि: हर:!!

मई २१, २०१६ः यात्रा अपडेट

क्रमश: ओ दिन (समय) नजदीक आबि रहल अछि जे जन-जागृतिक ओ सामूहिक प्रयास होयत जे बहुत पहिले होयबाक छल…. बहुत पहिले सेहो महत्त्वपूर्ण बहुत रास बात भेल लेकिन ओ समस्त महत्त्व एक व्यक्तिक निर्माण केलक, एक नया नेतृत्वकर्ता प्रदान केलक, मिथिलाक मानवर्धन भेल लेकिन एक हद तक…. तखन एहि बेर अलग कोना… विचारू:

*एहि बेर कोनो एक व्यक्ति नहि वरन् १० गो एक संग यात्रा करता।

*एहि बेर समुचित व्यवस्थाक संग स्वयंसेवा भावना जाग्रत करबाक पहिल यात्रा होयत।

*एहि बेर केवल ओ लोक नहि जिनका कोर मिथिला मानि आन क्षेत्र अपनाकेँ अलादा बुझैत अछि, वरन् सिलसिलेवार ओ सभ जिला होयत जेकर आत्मा ‘मैथिली’ आ भूगोल ‘मिथिला’ मानल गेल छैक जेकर ऐतिहासिक दस्तावेजी प्रमाण सेहो छैक।

*एहि बेर केवल भारतीय संसद में बनल डेस्कके रजिस्टर मेनटेन करबाक लेल या गृह मंत्रालयके सम्बन्धित विभाग द्वारा असंतोषक ब्योरा लिखि चुप होयबाक लेल नहि वरन् जनक्रांति शुरु करबाक लेल यात्रा कैल जायत।

*एहि बेर फेर युवा के अग्रसरतामें आ बिना कोनो घूरपेंचीक केवल विशुद्ध माँगके संग सत्याग्रह कैल जायत जे नहि सिर्फ सरकार संग अपील करत, बल्कि सरकारक मालिक जनता संग प्रत्यक्ष भेंटवार्ता मार्फत ओ प्रश्नक समाधान ताकय लेल छोडत जे सचमें मिथिलाक अस्मिता, पहचान, विशिष्टता, संस्कृति, भाषा, लिपि, इतिहास आ ओ सभ बात जे संसार में मिथिला अलग किऐक तेकर बोध करबैत अछि ताहि सभके लेल राजनैतिक समाधान एकमात्र यैह जे ‘मिथिला राज्य’ अलग हो – जनगणकेर मनमें विषय प्रवेश शायद जरुर करा सकत।

बहुत तरहें एहि बेरुक यात्रा अलग अछि लेकिन नि:संदेह पहिले कैल गेल बहुत रास काजक बुनियाद पर आजुक ई नव मकान निर्माण होयत। एहिमें सभक सहयोगक अपेक्षा अछि, जे हृदय सँ चाहैत होइ तिनको आ जे एहि माँग पर हँसैत होइ तिनको। बस ई टर्निंग प्वाइन्ट होयत से बोध हो!

कार्यक्रम समीक्षा हेतु काल्हि २२ तारीख दरभंगामें मिटींग राखल गेल अछि, जिनका सभ लेल संभव हो ओ जरुर सहभागी बनैथ, हार्दिक निवेदन!

संपर्क आ स्थानक जानकारी फोन पर काल्हि ९ बजेक बाद देब – संपर्क करी (९४३१२२८२९५).

हरि: हर:!!

एखन हमर ध्यान केवल एक दिसि अछि जे कोना ‘मिथिला राज्य निर्माण यात्रा – प्रथम’ सफलतापूर्वक ईश्वरकृपा सँ पूर्ण होयत। हरेक जिम्मेवार मैथिल सँ निवेदन जे अन्य कोनो दोसर मुद्दा दिसि ध्यान नहि बँटाबी। जिनका-जिनका पर जे भार अछि से काल्हि धरि मिटींग पूर्व विजय बाबु आ राजेश बाबु केँ जरुर पूरा जानकारी करा दी से निवेदन।

हरि: हर:!!

बड पैघ खुशखबडी देलाह छथि आदरणीय शेखर बाबु, अपन जिम्मेवारीकेँ पूरा करैत मिथिला राज्य निर्माण यात्रा – प्रथम लेल रथ कोन होयत ताहिके समाधान लेल जानकी सेनाध्यक्ष – मिहिरजी संग वार्ता करैत वैह रथ रहत तेकर घोषणा कयलन्हि अछि, काल्हि बाकी बात लेल हम भिनसर ११ बजे तक मधुबनी पहुँचब आ तेकर उपरान्त २ बजे दरभंगाक मिटींग बेलामोड में विजय जी व मिथिला राज्य निर्माण सेनाक अन्य अधिकारीगणके संग करब। सभ बातपर काल्हिये समीक्षा होयत। जय मिथिला!!

हरि: हर:!!

मई २३, २०१३ः यात्रा अपडेट

खुशी सँ कानय दियऽ!
दु:खोकेँ भगाबय दियऽ!

मैथिल जागल छै अंगना,
मन गदगदाबय दियऽ!

खुशी सँ ….

के नहि जानय एहि जगमें, मिथिलाक विशिष्ट स्थान
कतबो किछु बनबय राजा, ओकर मैथिल टा पहचान

बिसरल भाषा ओ लिपि
फेर सँ सम्हारय दियऽ!

खुशी सँ ….

पग-पग पोखैर-खरिहान, आसक्तिविहीन संतान
बुद्धिमानक खूलल मचान आ एक सऽ एक विद्वान्

विद्यागारा पुण्य भूमि
चलू घूमि आबय दियऽ!

खुशी सँ ….

(मिथिलाक बहुत पैघ क्षेत्रक भ्रमण सँ पुलकित मन आ हर्खक नोर सऽ उपरोक्त रचना समस्त ‘मिथिला राज्य निर्माण यात्रा’क सहभागीकेँ नमन करैत समर्पित करैत छी, हम अपने लोकनिक दर्शन उपरान्त सकुशल घर पहुँचि गेल छी आ आब किछुवे कालमें आवश्यक कार्य निष्पादन हेतु हम सभ अनलाइन मिटींग शुरु करी।)

हरि: हर:!!

मई २४, २०१३ः यात्रा अपडेट

मिथिला राज्य निर्माण यात्रा: जन सरोकार आ जन-जागृतिक अचूक मंत्र

एहि पोस्ट द्वारा रथ-यात्रा वृतान्त केँ परिकल्पना कागज पर उतारबाक प्रयास कय रहल छी जे आगामी समय में रथ-यात्री अभियानी ‘मिथिला राज्य निर्माण सेना’क वीर-पुरुष लेल सेहो काजक होयत। मार्गदर्शन लेल मानचित्र पूर्व यात्रा आ जनता संग सहकार्यक आधार पर कैल जा रहल अछि।

समय भोरे ५ बजे वसुधाक ओ महत्त्वपूर्ण भूभाग जतय साक्षात् जगज्जननी सिया अवतरित भेलीह – अवतारक प्रसंग सर्वविदिते अछि जे रावणक अत्याचारी अहंके बध करबाक लेल मायारूपी जगदम्बिका सीतारूपमें जनकनन्दिनी बनि लीला कयलीह; ताहि पुनौराधाम (सीतामढी) सँ रथयात्री अपन-अपन धर्म अनुरूप ईश्वरकेँ प्रार्थना (सजदा) करैत यात्रा प्रारंभ करताह। उपस्थित जनमानसकेँ रथयात्री द्वारा संबोधन करैत सामान्य जनमानसहि सँ कोनो बुजुर्ग आ प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता द्वारा पुनौराधामक विकास संग ओहि क्षेत्रक आम-जनताक माँग सूची सेहो प्राप्त करताह आ तदनोपरान्त यात्रा आगू बढत। पुन: सार्वजनिक महत्त्वके कोनो भूमिपर रथ रुकैत जन-जनसँ गला-मिलानी करैत, हाथ जोडि प्रार्थना करैत मिथिलाक खसैत अस्मिता आ पिछडल विकासक चर्चा करैत ओहि गाम-ठामक सरोकारक सूची ग्रहण करैत आगू बढैत चलता। हरेक ५० कि.मी. के यात्रामें कोनो एक जगह जनसभाक आयोजन कैल जायत। ओहि जनसभामें कोनो एक स्थानीय अभिभावककेर नेतृत्वमें विचार-गोष्ठी कैल जायत जेकर विषय ‘भारतीय गणतंत्रमें मिथिलाक स्थापना: मिथिला राज्य निर्माण’ होयत। विचार पक्ष या विपक्ष दुनू के समेटल जायत। प्रस्तावना सहित के रजिस्टर पर जनमानसकेर उपस्थिति जगह-अनुरूप, नाम, सम्पर्क आ हस्ताक्षर लेल जायत। पुन: ओहि जनसभामें एक प्रश्नावली जे विषयपर लिखित विचार लेबाक दृष्टिकोणसँ होयत ताहिपर जनमानसके प्रतिक्रिया संकलन कैल जायत, एहि पर्चीमें लोकक नाम, फोन नं. आ विचार जे मिथिला राज्य चाही वा नहि तेकर निर्णय लिखित रूपमें रहत आ गुप्त रूपमें बैलट-बक्समें संग्रहित कैल जायत जेकर गिनती यात्राक अन्तमें कैल जायत आ ओकरा जनादेश मानल जायत। तहिना रथयात्रा एक यज्ञ रूपमें सत्याग्रह थिकैक ताहि लेल सभक आर्थिक अनुदान लेल सेहो दान-पेटीक प्रयोग कैल जायत आ जिनका जे श्रद्धा हेतन्हि से योगदान देताह। मिथिला राज्य निर्माण सेनामें जे कियो सहभागी बनय लेल इच्छूक हेता आ गाम-गाममें संगठन विस्तारक आवश्यकता देखैत एहि लेल अनुरोध करैत नाम जोडल जायत। मिथिला राज्य निर्माण परिषद् के सदस्यता नाममात्र (१० रुपया) शुल्क पर्ची काटैत कैल जायत। यात्रा विश्राम कोनो मन्दिर या मस्जिद या आमजनक उपकारी स्थल पर ग्रामीणक सहयोग सँ कैल जायत। रात्रि भोजन व विश्राम सँ पूर्व सेहो विचार गोष्ठी आ उपरोक्त समस्त प्रक्रिया निरंतर रूपमें कैल जायत। जन-जन के विचार लेबाक लेल उपरोक्त प्रक्रियासँ अतिरिक्त आरो प्रभावी उपाय अपनेबाक योजना अछि। सत्याग्रही लेल कोनो बात विरोधाभासी नहि होइत छैक, समर्थन या विरोध सभ किछु एकसमान होइत छैक – ताहि हेतु विचार प्रकट करबाक स्वतंत्रता समस्त जनमानसकेँ देल जायत। सत्याग्रहीक विचार केकरो पर थोपल जयबाक या केकरो विचारधारा या सिद्धान्तक विरोध लेल कम बल्कि भारतीय संविधानमें जन-गणकेर सरोकारक बात राखब आ मिथिला समान ऐतिहासिक संस्कृतिक संरक्षण लेल राज्य निर्माण जरुरी कहि जन-जनकेँ अपन आगूक संघर्ष लेल प्रेरणा संचरण कैल जायत। पुन: दोसर दिनक कार्यक्रम जाहि सँ दोसर जिलाक यात्रा उचित समयसँ पूरा हो ताहि तरहें भोरे ७ बजे सँ नित्य प्रारंभ करैत सूर्यास्त होइत-होइत समुचित स्थानपर यात्राक रात्रि-विश्राम देल जायत। हरेक जिला सँ विभिन्न राजनीतिक दल आ समाजसेवीक समुचित सहभागिता पर विशेष बल रहत, जाहि सँ सभक विचार ग्रहण करैत एकजूट प्रयास सँ मिथिला राज्य निर्माण लेल संघर्ष जमीन पर चलत से विचार अछि।

हरि: हर:!!

मई २६, २०१३ः यात्री लेल गाइडलाइन

महत्त्वपूर्ण चेतना (मिथिला राज्य निर्माण सेना लेल):

मिथिला राज्य निर्माण यात्रा सत्याग्रह थिकैक, राजनीतिक नहि। एहि यात्राक उद्देश्य कोनो राजनीतिक दलके झंडाक प्रचार नहि बल्कि जन-जनमें आह्वान थिकैक, अपन हक व अधिकार लेल जाग्रत होयबाक आ बिना राज्य कोना-कोना दिन-दिन मिथिला-मैथिली मैर रहल छैक तेकर अनुमान लगाबय लेल आ संगहि भारतीय गणतंत्रक संविधानमें मिथिलाकेँ सम्मान दियेबाक लेल जनसंघर्षक माँग थिकैक ई यात्रा।

एहि यात्राक मार्फत हर क्षेत्रक मुद्दा समेटबाक योजना छैक। कृषि, सिचाई, अस्पताल, विद्यालय, पंचायतीराजक अवस्था, रोजगार, व्यवसाय, आ हरेक ओ बात जाहि लेल मिथिला राज्य निर्माण सेना वर्तमान सरकार समक्ष मुद्दा अग्रसर करैत कार्य कराबय लेल आवश्यक लडाई लडत; ताहि सभ लेल पूर्वाधार थिकैक वर्तमान यात्रा।

एहि यात्रामें सभक समर्थन आ सहयोग के आवश्यकता छैक, लेकिन सहयोगक बदला कियो अपन व्यक्तिगत एजेन्डा जे राजनैतिक लाभ लेल होयत तेकर प्रचार नहि करा सकैत अछि। जन-सरोकार आ विकास लेल सभक प्रचार कैल जा सकैत छैक। परिचय सभक करायल जा सकैत छैक। कदापि एहेन कोनो कार्य नहि करबाक छैक जे यात्रामें पडयवाला कोनो गाम, व्यक्ति, संस्था या सरोकारवालाक हितपर चोट हो। सभ स्वतंत्र छैक आ अभिव्यक्तिक स्वतंत्रताक सम्मान सभक छैक।

यात्रामें सहभागी मूल-सेनानी-रथयात्री जेना अनुप मैथिल, कौशल मैथिल, हर्ष मैथिल – जेना हम सभ पूर्वाभ्यास केने रही आ नि:संकोच भाव सँ लोकमानसमें अपन बात रखने रही, बस तहिना सत्याग्रही बनैत यात्राकेँ शुभ-शुभ निष्पादित केनाय छैक। निवेदन!

हरि: हर:!!

मई २९, २०१३ः यात्रा अपडेट

मिथिला राज्य निर्माण यात्रा – प्रथम
(जुन १ सँ जुन १०, २०१३ धरि। सीतामढी – १ जुन, शिवहर – २ जुन, मुजफ्फरपुर – ३ जुन, समस्तीपुर – ४ जुन, दरभंगा – ५ जुन, मधुबनी – ६ जुन, सुपौल – ७ जुन, मधेपुरा – ८ जुन आ सहरसा – ९ जुन, समापन समारोह – १० जुन।)

आब मात्र आइ छोडि काल्हिक दिन टा बचि गेल अछि जे मिथिलाक गरिमाकेँ वापसी करेबा लेल ठानल अनुष्ठान ‘रथयात्रा’ – मिथिला राज्य निर्माण यात्रा जे गौरवपूर्ण इतिहास रचत तेकर शुरुआत सीतामढीक पुनौराधाम जतय स्वयं जगज्जननी सिया अवतरित भेल छलीह ताहि ठाम सँ होयत। रथयात्री सभ तैयार छथि। अभिभावकजन तैयार छथि। ई यात्रा कोनो निजी उद्देश्य या दृष्टिकोणसँ नहि कय सामूहिक मिथिलावासीक इज्जत-प्रतिष्ठा आ मिथिलाक कैल गेल उपेक्षा विरुद्ध जन-जागरण लेल अछि। एहि यात्रामें कोनो खास जाति या वर्ग या धर्म केँ श्रेय नहि दय सामूहिक जन-जनसँ अपील अछि आ सभक संग पबैत जनजागृतिक लक्ष्य अछि।

विदित हो जे एहि यात्रामें सहभागिताक लेल सामूहिक आमंत्रण कैल गेल अछि, कोनो विशेष वा विशिष्ट जनकेँ कदापि नहि। देखबाक अछि जे आखिर मिथिला सँ स्वाभाविक प्रेम आइयो कतेक जनगणमें बनल अछि। विश्वास अछि जे अपन भूमि आ मिथिलाक सम्मान सभक लेल एक समान छैक आ ताहि हेतु कोनो खास जाति या धर्म या व्यक्ति मात्र नहि बल्कि ई यात्रा सभक लेल सामूहिक सरोकार के विषय अछि। किछु जगह सँ आमंत्रणकेर चर्चा उठल ताहि लेल ई स्पष्टीकरण पूर्ण होय से अवगत कराबय लेल चाहब।

एहि बीच किछु एहेन लोक जिनका रथयात्रामें सेहो राजनीति देखा रहल छन्हि, जिनका यात्रामें राजकीय घूसपैठ देखा रहल छन्हि, जिनका स्वयं के मूर्तिपूजा कम देखा रहल छन्हि आ जिनका पूर्वक भाँति एहि बेर मूल्य-मान्यतामें कोनो तरहक घटी-जोख देखा रहल छन्हि – कूल जोड मिथिलाक नामपर चलि रहल दाकियानूस-झाडफानूस ब्राण्डक बिक्री कमजोर नजरि पडि रहल छन्हि ताहि मिथिलाक दोकानदार द्वारा जानि-बुझि एहि यात्राक अवमूल्यन कैल जेबाक कार्य कैल जा रहल अछि जखन कि सामान्य जनमानस सभ काफी उत्साहित छथि आ मिथिला लेल एहेन प्रयास पहिले सेहो किऐक नहि कैल गेल ताहि शिकायतक संग एहि बेर अलौकिकताक संग मिथिलाक रथपर साक्षात् परमेश्वरकेँ प्रतीक मिथिलाक मुद्दा आ माध्यम युवाजन “मिथिला राज्य निर्माण सेना”क भव्य स्वागत आ आतिथ्य कैल जायत।

एहि यात्राक सफलता लेल महत्त्वपूर्ण अंशदान केनिहार प्रति पूर्ण आभारक संग बेर-बेर नमन जे अपनेक त्यागक प्रतिफल ईश्वर नीक करताह, ईमानदारी आ सत्यक वचन संग अपने लोकनिक निरंतर सहयोग सँ मिथिलाक गरिमा जरुर वापसी करत से विश्वास दियाबय लेल चाहैत छी।

विशेष शुभ हो! यदि समय भेटय तऽ एको दिन खातिर यात्रामें अपन वाहन सँ जरुर सहभागी बनी। रथके संग अहाँक वाहन ओहिना शोभा पायत जेना स्वयं रघुवीरके संग देवताक मण्डली मानू एक बेर फेर मिथिला भ्रमण कय रहल छथि।

हरि: हर:!!

स्मृतिमें लाउ संसारक सभ सँ बेसी महत्त्वपूर्ण धर्मयुद्ध – महाभारत!

संसारक सभसँ महत्त्वपूर्ण आदर्श ज्ञान – गीता!

गीताक प्रथम श्लोक: आन्हर राजा धृतराष्ट्रक चिन्ता लेकिन धर्मपरायण वचन:

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सव:।
मामका: पाण्डाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥१।१॥

कुरुक्षेत्र जे धर्मक्षेत्र (धार्मिक कार्य करबाक केन्द्र) ताहिठाम युद्धक इच्छासँ एकत्रित कौरव आ पाण्डवक स्थितिपर सरकारक जिज्ञासा!!

महत्त्वपूर्ण छैक जे मिथिला लेल राज्यक माँग आइये नहि भारतक स्वतंत्रता उपरान्तसँ निरन्तर कैल गेल छैक, कारण भारतीय गणराज्यक मूलभूत आधार समस्त भाषा, संस्कृति, इतिहास, आदिकेँ अधिकारसम्पन्न बनबैत बेहतरीन प्रशासन आ क्षेत्रीय विकास लेल राज्य सरकार आ केन्द्र सरकार द्वारा शासन चलेबाक बुनियाद छैक। तदापि मिथिलाकेँ आवश्यक संसाधन रहितो राज्यक दर्जा नहि देब आइ ई परिस्थिति सृजन केलकैक अछि जाहिमें विवेकशील मैथिलकेँ अपन पहिचान मिथिलासँ जुडल संविधान द्वारा राज्यरूपमें मान्यता नहि देबाक कारणे क्रमश: मिथिलाक अस्मिता ओहिना खत्म होइत नजरि आबि रहल छैक जेना मिथिला लिपि खत्म भऽ गेल, मैथिली भाषा खत्म भऽ गेल, मिथिलाक लोकसंस्कृति बहुतायतमें विलुप्त भऽ गेल, मिथिलाक विशिष्ट शिक्षा प्रणाली मृत भऽ गेल आ एहेन कोनो नव कार्य नहि कैल जा रहल अछि जाहिसँ मिथिलाक विशिष्ट संस्कृति-पहिचानक सुरक्षा कैल जा सकैक।

कहबी छैक, नीक तऽ पाण्डव आ बेजाय तऽ कौरव! ई ओना तऽ मात्र द्वंद्व थिकैक लेकिन स्वयं परमात्मा श्रीकृष्ण अधिकार लेल युद्ध आ हत्या-हिंसा तककेँ धर्मयुद्ध नाम देलनि अछि आ जायज कहलैन अछि। तखन, एहि यात्राकेँ धर्मयात्रा आ अहिंसात्मक सत्याग्रह रूपमें हम सभ अग्रसर करैत केवल जनजागृति आ केन्द्र व राज्य सरकार लेल पर्यन्त समझौताक बाट खोलबाक आ मिथिला लेल आवश्यक सोच बनबैत राज्य निर्माण करबाक आह्वान मात्र कय रहल छी। हम सभ युद्ध लेल नहि समझौता लेल अग्रसर छी। हिंसा लेल नहि बल्कि सत्याग्रह लेल अग्रसर छी। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी समान युगपुरुषकेँ आदर्श मानि रथक शोभा बनाय हुनकहि सारथिरूप कृष्ण मानैत यात्रापर आगू बढी।

आदर्श १: राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीक स्थापित रथपर यात्रा कैल जाय। मिथिलाक प्रतीक चिह्न सीता-अवतरण सहित सर्वधर्म समभावके पैघ पोस्टर लगबैत रथकेँ सज्जा कैल जाय।

आदर्श २: नित्य भोरे ब्रह्ममुहुर्तमें उठि समस्त यात्री द्वारा नित्यकर्म उपरान्त अपन स्वविवेक व धर्म अनुरूप ईष्टकेँ मनेबाक लेल प्रार्थना कैल जाय आ मिथिलाक कल्याण लेल जनगान कैल जाय। नित्य नवपुष्पसँ रथपर विराजमान् राष्ट्रीय सम्मानक प्रतीक चिह्न सभकेँ श्रद्धापूर्ण स्मृतिमें लबैत पुन: रथयात्रा प्रारंभ कैल जाय।

आदर्श ३: समस्त रथयात्री द्वारा सदिखन करबद्ध प्रार्थनाक रूपमें जनमानस संग वार्ता कैल जाय। आवश्यकताक बात आ जनभावनाकेँ आत्मसात करैत समुचित बात जे पूर्णरूपेण अहिंसात्मक हो ताहि तरहें निर्वाह कैल जाय। हिंसा कथनी, करणी आ विचार सँ होइत छैक – जे कोनो बोली, कर्म या विचार जनगणकेर भावनाकेँ चोटिल करैत हो ओ कदापि नहि कैल जाय। अपन बात रखलाके बाद जनगणकेँ ध्यानपूर्वक सुनल जाय आ हुनका लोकनिक अपेक्षापर हम सभ ठाड्ह कोना भऽ सकब ताहि लेल मुद्दाक संकलन कैल जाय, वचन देल जाय जे राज्यसँ ओ माँग कोना पूरा करा सकब आ फेर हम सब कोना जनगणसँ सम्पर्क बनायब, ताहि लेल एक या बेसी लोकक सम्पर्क सूत्र सेहो लेल जाय। जनगणसँ वचन लेल जाय जे आवश्यकतामें हमरा लोकनिक पुकार जरुर सुनैथ।

आदर्श ४: अनावश्यक प्रश्न या उत्तर में यात्राक उद्देश्य सँ भटकाव नहि ताहि लेल लिखित आवेदन आ विचार मात्र संग्रह कैल जाय आ दूरी अनुरूप समयके खर्च हो जाहि सँ यात्रा अनुशासित रूपमें संपन्न कैल जा सकत।

आदर्श ५: यात्राक उद्देश्य सँ अनभिज्ञ आ विरोध केनिहार कोनो स्वरकेँ दमन या बहिष्कार नहि कय सभक बातकेँ लिखित व मौखिक सुनैत नोट बनबैत जरुर समेटल जाय।

आदर्श ६: यात्रा अवधि भरि कोनो प्रकारक तामशिक भोजन या नशापान (खैनी, सिगरेट, पान, आदि) केर प्रयोग नहि कैल जाय।

आदर्श ७: रथयात्री बेराबेरी अपन भावना प्रकट करैथ आ कोनो अन्तर्भेद पर आपसमें बहस करैत निराकरण करैथ नहि कि सार्वजनिक रूपमें एक-दोसरक मतकेँ काटैथ।

आदर्श ८: हरेक पडाव पर एक यात्री आ कम से कम एक स्थानीय नागरिकक मत जरुर राखि अन्तर्संवाद करबाक शैली पर जरुर कायम रहैथ।

आदर्श ९: पडाव (दिन वा रातिक) कतय हो ताहिपर जिला संयोजक आ स्थानीय लोकक आग्रह अनुरूप निर्णय करैथ आ पूर्व-निर्धारित कोनो कार्यक्रममें परिवर्तन भेलापर समयसँ जानकारी अग्रसारित जरुर करैथ।

आदर्श १०: यात्रा-खर्चक पूरा-पूरा हिसाब लिखैथ आ आवश्यकतामें यात्रा संयोजक सँ सम्पर्क करैथ।

आदर्श ११: कोनो अप्रिय घटना वा संभावित जोखिम केर सूचना तत्काल नजदीक पडैत थानामें नोट कराबैथ आ जिलाधीश – आरक्षी अधीक्षक तक अपन बात पहुँचाबैथ कारण यात्राक सुरक्षा लेल आवश्यक जिम्मेवारी हुनकहि लोकनिक थीक।

आदर्श १२: यात्राक पडाव पर व्यवस्थापनक जिम्मेवारी स्थानीय अभिभावक पर छोडैथ, एकर अभावमें संयोजक समितिक निर्णय अनुरूप पडाव राखैथ।

आदर्श १३: यात्रा संभवत: सूर्योदय सँ सूर्यास्तक बीच मात्र करैथ आ नित्य यात्रा प्रारंभ करबा घडी ओहि दिनक दूरी तय करबाक निर्णय पूरा करैथ।

आदर्श १४: यात्रा अवधि भरि कोनो खास राजनीतिक दल या कोनो खास विचारधाराकेँ रथ पर स्थान नहि दय केवल ‘मिथिला राज्य निर्माण सेना’क नारा, जागरण अभियान, आ मिथिला लेल कैल जा रहल सत्याग्रही प्रयास केँ पोषक रहैथ तिनका मात्र रथ पर स्थान देल जा सकैथ अछि।

आदर्श १५: रथयात्राक समर्थनमें कोनो राजनीतिक दल या विचारधारा अपन सहयोग कय सकैत छथि। लेकिन जनभावनाक बिपरीत आ मुद्दाक बिपरीत कोनो कार्य करनिहार संग रथयात्राकेँ कोनो तरहें नहि जोडैथ।

समग्रमें एक निष्ठापूर्ण धर्मयात्राक रूपमें कैल जाय ई यात्रा आ जन-जन तक बात पहुँचायल जाय जे मिथिलाक अस्मिताक रक्षा बिना राज्य बनने पूरा नहि होयत, संगहि ६५ वर्षक उपेक्षा, वर्तमान विकासमें मिथिला क्षेत्र संग कैल जा रहल अवहेलनापूर्ण व्यवहार, जनगणकेर सरोकार सँ सरकारक दूरी, भ्रष्टाचारके कारण जनताक सुख-सुविधाक नाम पर राजनीतिक खेल आ लूट, आदि पर केन्द्रित हो।

हरि: हर:!!

मई ३०, २०१३ः यात्री लेल अन्तिम सीख

मिथिला राज्य निर्माण यात्रा लेल उद्यत सेनानी ‘बंधुगण’!

इदमद्य मया लब्धमिदं प्राप्स्ये मनोरथम्।
इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम्॥गीता १६-१३॥

असौ मया हत: शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि।
ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी॥गीता १६-१४॥

आढ्योऽभिजनवानस्मि कोऽन्योस्ति सदृशो मया।
यक्ष्ये दास्यामि मोदिस्य इत्यज्ञानविमोहिता:॥गीता १६-१५॥

उपरोक्त तीन श्लोक आसुरिक प्रकृतिकेँ किछु स्वरूप राखि रहल अछि। मिथिला असुर लेल कदापि नहि बनल। आ नहिये कोनो असुर आइ धरि टीकि सकल। लेकिन जखन असुर स्वयं हमरहि-अहाँमें बास करय लागल तहिया सऽ मिथिला शिथिला बनि गेल अछि।

हम सभ जाहि मिथिलाक परिकल्पना पर कार्य कय रहल छी ताहिमें जनसाधारण लोकक माँग आ सम्मान छैक। कदापि ओहेन लोकक नहि जेकरामें उपरोक्त तिनू श्लोकक चरित्र भेटत। यथा:

‘आइ हम एतेक कमा लेलहुँ, हमर फल्लाँ इच्छा सेहो पूरा होवयवाला अछि, एतेक हमर भऽ गेल अछि आ भविष्य ओहो सम्पत्ति हमरे भेटत। फल्लाँ दुश्मनकेँ हम बध कय चुकल छी, बाकीके सेहो हम मारिये देबैक। हम सर्वेसर्वा छी, मजामें छी, सफल छी, शक्तिशाली छी, आनन्दित छी। सम्पन्न आ कूलीन छी। के दोसर हमरा समान अछि? हमहीं त्याग करब, हमहीं देबैक, हमहीं भोगब।’

हमरा लोकनिक यात्रामें विशुद्धता अछि आ जन-गणकेर आवाज!

ध्यान रहय! अपन कोनो व्यवहार सँ कदापि केहनो परिस्थितिमें सत्याग्रह सँ डिगबाक नहि अछि। बड कम उम्रमें बहुत पैघ जिम्मेदारी कपार पर उठा लेने छी, लेकिन जे ब्रह्म छथि वैह सारथि छथि। ओ जेना डगर पार उतारैथ, उतरैत चलू।

श्रीकृष्ण: शरणं मम!!

हरि: हर:!!

जून ०२, २०१३ – यात्रा मे पहिल २ दिनक भ्रमण सँ वापसी पर

यात्रा (मिथिला राज्य निर्माण यात्रा – प्रथम) में काल्हि पुनौराधाममें सहभागी बनैत विभिन्न जगह जन-जागृति लेल जनसभा करैत काल्हि रात्रिक समय देकुलीधाममें आमजनक भव्य स्वागत आ सत्कार बीच अभिभावक आ पूर्व मुखिया श्री राजेन्द्र प्रसाद यादव जी ओहिठाम समस्त रथयात्री-अभियानीक भोजन उपरान्त सरकारी गेस्टहाउसमें सुजीत भारती जी (संरक्षक) केर सहयोग सँ रात्रि-विश्राम कैल गेल, तदोपरान्त आइ रवि दिन ओहि देकुलीधाममें बाबाक मन्दिरक प्रांगण में अपार भीड बीच अपन जागृति अभियानक प्रसार केला उपरान्त कमरौली, शिवहर, मुशकल, मीणापुर लगायत दर्जनो स्थल पर जनसभा करैत जनसमर्थन समेटैत, स्थानीय मुद्दा समेटैत आ संगठन बनबैत आगामी समय में राज्य निर्माणक आन्दोलनक संग-संग विकास लेल सभ सरोकारवालाक संग लडबाक प्रतिबद्धता हेतु मिथिला राज्य निर्माण सेना कटिबद्ध अछि। विशेष जे हम मुजफ्फरपुर तक रथक संग यात्रा कयला उपरान्त संग में समर्थन लेल विशेष समय देनिहार मुंबई सँ आयल फिल्म प्रोड्युसर सलीम अंसारी आ अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषक (पत्रकार) कमल रिमाल जी केर दोसर कार्यक्रममें सहभागिता हेतु आइ विराटनगर वापसी कयलहुँ। आगूक यात्रा लेल पुन: काल्हि छोडि परसू निकैल जायब। ओना हम सदिखन यात्राक संग छी आ रहब।

हरि: हर:!!

जून ०५, २०१३ः यात्रा विश्लेषण

सच छैक जे १०० में १०० के विश्वास दियाबय में मिथिला राज्य निर्माण सेना पहिले प्रयासमें सफल नहि भऽ सकैत अछि, लेकिन निरंतरतामें ई अभियान आब एहेन जैड पकडत जेकर बयान किछु शब्दमें करब संभव नहि होयत। अन्ततोगत्वा ई प्रमाणित भेल जे युवा जागरण के परिणाम कतेक प्रभावी होइत छैक। हम किनको-किनको ६ महीना के समय देने रही…. शायद मिथिलाक युवा हमर ओ अन्तर्भावनाकेँ मात्र ५ महीना में पूरा कय देलनि आ एहिमें सहयोगी कर्मठ मैथिल जिनकर सभक नाम हम सभ सार्वजनिक नहि करबाक सोच बनेने छी, लेकिन हुनका सभकेँ हृदयसँ आभार सहित धन्यवाद देबय चाहब। आइ फेसबुक हो या कोनो मिडिया…. सर्वत्र ई चर्चा चलि चुकल अछि जे मिथिला राज्य कि आ किऐक, मैथिल के आ कोना!

एक अत्यन्त प्रसन्नताक बात ई जे एहि यात्रा सँ सभ क्षेत्रक स्थानीय समस्या समेटल जा सकल, सभ क्षेत्रक लोककेँ स्वविवेक सँ आ बिना जाति-पाति देखने समेटल गेल, संगठन एहेन जे स्वस्फूर्त बनय ओ कहियो कोनो क्रान्तिक बिगूल बजा सकैत अछि। आइ आब दोसर ६ महीना के भीतर ओहि सभ मुद्दा पर मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा सार्थक कार्य चाहे भारत सरकार वा वर्तमान राज्य सरकार सँ करेबाक बात सार्वजनिक तौर पर घोषणा कय रहल छी, कारण आजुक युवा समाजक भरोसा हमरा लेल आ समस्त मैथिल – मिथिलावासी – मिथिलाभाषी लेल बहुत महत्त्वपूर्ण अछि आ सभक दर्द पर मनन करैत समाधान निकालब हमरा लोकनिक कर्तब्य सेहो थीक।

आशा अछि जे मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा सही समय पर दिल्लीमें राष्ट्रीय चैनेल आ पत्रिका सभ लेल वृहत प्रेस कान्फ्रेन्स कैल जायत जेकर जानकारी मुख्य संयोजक श्री हेमन्त झा करौलनि अछि। भऽ सकैत छैक जे एहि अवसर पर राष्ट्रीय दल सभक राय सेहो आबि गेल रहत।

हरि: हर:!!

जून ९-१०, २०१३ दुइ दिवस पुन” यात्रा मे सहभागिता देलाक बाद जून ११, २०१३ केँ राखल विचारः

काल्हि रथयात्रा समापन उपरान्त जोगी जनक कुशवाहा, विश्वेश्वर प्रसाद मंडल, सुधीरनाथ मिश्र आ हम एक गाडीमें, दोसर रथमें कौशलजी आ समस्त यात्रा उपयोगी वस्तु, तेसरमें अनुप, उदय शंकर मिश्र आ कमल किशोर झा छलाह। वापसीमें यात्रा खर्च किछु कम पडि गेल छल लेकिन संयोगवश एगो एटीएम खूजल छल आ इमरजेन्सीमें काज निकैल गेल। धन्यवादक पात्र छथि ओ समस्त मिरानिसे संरक्षक वर्ग जिनका खबैड होइते देरी राताराती कियो ५ हजार तऽ कियो ३ तऽ कियो २ करैत आकस्मिक खर्चकेँ पूरा कयलाह। हम एहि एकजूटता सँ काफी उत्साहित भेलहुँ आ बाबा पर बनल विश्वास जे कहियो निष्ठावान कार्य में कमी नहि अबैत छैक तेकर प्रत्यक्ष चमत्कार देखलहुँ।

हलाँकि हर जगह, जतय-जतय रथ पहुँचल, सभकेँ इच्छा छलन्हि जे एहि गरिमामय यात्रामें अपन किछु योगदान दैथ। लेकिन ई प्रथम यात्रा आ मिथिला राज्य निर्माण सेनाक स्थापना उपरान्त पहिल महत्त्वपूर्ण कार्य रहबाक कारणे हमरा लोकनिक एहेन कोनो मंशा नहि रहल छल जे आमजन सँ कोनो आर्थिक सहयोग संकलन करी, तदापि अपना मोंने किछु लोक देबे केलखिन।

रास्तामें ताहि समय भेंट भेलाह सहरसाक पूर्व विधायक संजीव कुमार झा आ अपन पूर्ण समर्थन आ संगहि हुनका द्वारा उठायल गेल मिथिला राज्य लेल आवाज प्रति सेहो हमरा लोकनिक ध्यानाकर्षण कयलाह। एहेन युवा नेता हमरा सभकेँ चाही। जे मिथिला लेल लडता। अवश्य! आब ऐगला लक्ष्य हमरा लोकनिक वैह युवा छथि जे मिथिला लेल चुनाव लडता आ राजनीतिमें नया समीकरण बनेता। बिना प्रयास के किछु नहि होइत छैक। आइ जतेक कदम हम सभ हिम्मत करैत उठेने जा रहल छी ततेक शायद गप मारैत मात्र कथमपि संभव नहि होइत।

हरि: हर:!!

मिथिला राज्य के माँग धरातल पर बहुत अलग आ काफी मजबूत छैक। जतय-जतय रथयात्रा भ्रमण केलक ओतय-ओतय हर वर्गमें ई सोचय लेल मजबूर केलक जे आखिर हम सब मूलत: मैथिल छी आ मिथिला राज्य हमरा लोकनिक हितमें अछि, यैह स्वराज्य लेल हम सभ तन, मन आ धन सँ आगू कार्यरत संस्था वा दल केँ करब आ संगठनकेँ जन-जन तक प्रसार करब।

काल्हिक २ महत्त्वपूर्ण सभा बनगाँव आ महिसीधाममें उमडल विशाल जनसमूह आ युवामें जोश देखैत बनल। पैघ बात नहि जे ऐगला कार्यक्रम ओहने जागल युवा द्वारा महिसीधाम सँ शुरु करैत दोसर चरण के मिथिला राज्य निर्माण यात्रा कैल जायत।

एहि बीच मिथिला राज्य निर्माण सँ जुडल चिन्तन फेसबुक पर सेहो काफी सघन होइत देखाय लागल अछि। हलाँकि ई जतेक विश्लेषक छथि हुनका शायद यथार्थक धरातलपर मिथिला राज आ एहिसँ जुडल बहुतो बात के समुचित जानकारी तक नहि छन्हि, तखन विश्लेषण एहि बात दिस संकेत कय रहल अछि जे आर बेसी किछु नहि, एहि विश्लेषकवर्गमें सेहो आब मसलाक गंभीरता सोझाँ आबय लागल छन्हि।

काश! मिथिलाक लोकमें अपन संस्कृति आ पहचान प्रति ओ समर्थन भाव रहैत जे यथार्थक धरातल पर अछि। आब ऐगला ६ महीनामें मिथिला लेल नेता तैयार कैल जायत आ मिरानिसे अपन विशिष्ट कार्यशैली सँ सहयोगी व्यक्ति व संस्थाक खोज सेहो करता।

हरि: हर:!!