तब कोनो बात बनै
हमरा लिखै से की …?
आहाँ पढू तब कोनो बात बनै…..
हमरा सोचै से की …?
आहाँ समझू तब कोनो बात बनै……
हम चुप-चाप छि त की ….?
आहाँ कुछ बोलू तब कोनो बात बनै…..
हमरा चाहैय से की …..?
आहाँ महसूस करि तब कोनो बात बनै……
हम फूल छि त की ..?
आहाँ खुशबू बनी तब कोनो बात बनै….
हम बैरंग छि त की…?
आहाँ रंग भरु तब कोनो बात बनै…
हम असफल भेलौं त की ..?
आहाँ सफल हेव तब कोनो बात बनै….!!!!
जय श्री कृष्णा
अशोक कुमार सहनी
लहान ४ रघुनाथपुर
अखुन (दोहा क़तार)