मिथिला मे पर्यटन उद्योगक संवर्धन-प्रवर्धनक आवश्यकता

आलेख

– प्रवीण नारायण चौधरी

darbhangamithila-proud-of-mithilaअत्यन्त प्राचीन सभ्यताक नमूना ‘मिथिला’ संयोगवश अपन भाषा ‘मैथिली’ सहित आइयो जीबित अछि। एखनहु एहि ठामक माटि-पानि-हवा मे वैह ओज झलकैत अछि जे सत्ययुग, त्रेता आ कि द्वापर मे रहबाक बात पुराणादि मे उल्लेख कैल गेल अछि।

आब जनक समान राजाक संरक्षण एतय नहि अछि, ताहि हेतु भूगोल मे ई आइ दुइ देश मे विभक्त अछि। तथापि एहि ठाम सांस्कृतिक विरासत एखनहु अपन अतीतक गान अपने आप गबैत रहैत अछि। एखनहु एहि भूमि पर हिमालय सँ गंगा धरिक चिड़ै-चुनमुन मानू जानकी-जनक संग विश्वामित्र-राम केर गान कय रहल अछि। नहहि घरे-घर त गामे-गाम याज्ञवल्क्य-गौतम केर परिचिति अवस्से टा भेटैत अछि।

vidyapatidham-lachhminiyaपौराणिक स्थल खंडहर केर रूप मे कियैक नहि हो मुदा गामक अपनहि लोक केर स्वयंसेवा ओ स्वसंरक्षण सँ जीबित अछि। बहुत किछु मेटा गेलाक बादो एहि ठामक सुशिक्षित संस्कार सब किछु केँ अपन सृजन-श्रृंगार सँ बचाकय प्रत्येक छाती मे मिथिला केँ जीबित रखने अछि।

वर्तमान बिहार सरकारकेर पास पर्यटन विकास हेतु मिथिला सँ सम्बन्धित सिफारिशपर प्रकाश आ समीक्षा निम्नलिखित अछि:

girijasthan7*कोनो राज्य लेल ओहि ठाम कला तथा कलाकृति आदि पर्यटक लेल आकर्षणक केन्द्र होइत छैक – एहिमे मिथिला पेन्टिंग, मिथिला क्षेत्रमे लागऽवाला वार्षिक व अन्य मेला आदिक संग एहि ठामक लोकनृत्य आ लोकगीत संग लोकनाट्य परंपरा सेहो प्रसिद्ध छैक – सरकार मात्र गप टा दऽ रहल अछि, कोनो उल्लेखणीय प्रगति नहि, बस नाममात्र आ ताहूमे दलाली आ चमचा-बेलचाक खोंच लागल व्यवस्थापनसँ बर्बादी टा बेसी देखाइत छैक।

मधुबनी आ भागलपुर क्रमश: मे मिथिला पेन्टिंग व सिल्क लेल दिल्ली हाटक तर्जपर मेलाक आयोजन मात्र पेपर-सिफारिश धरि रहि गेल छैक। मिथिलाक लोकनृत्यकेँ कतहु समेटल तक नहि गेल छैक, एकर प्रस्तुति आ प्रोत्साहन तँ बड दूरक बात छैक।

saurath sabha1जाहि सौराठ सभामे लाखों ब्राह्मण पहुँचैत छलाह आ जाहिसँ सब जाति आ समस्त जिलासंग बिहार राज्यकेँ सेहो लाखों पर्यटक सालाना भेटैत छलैक वैवाहिक सभामे, तेकरो ऊपर जासूस आ दहेज केर बढाबा देबाक दूलहा बाजार कहि तोडि देल गेलैक। लोक आब समुचित आ आवश्यक सिद्धान्तो वास्ते कम्मे अबैत अछि एतय, विवाह लेल वरक संग आयब तऽ बिसैरिये जाउ। सरकारक कोनो व्यवस्थापन आ प्रोत्साहन नहि एहि लेल।

मिथिलाक शक्तिपीठ शखड़ेश्वरी दर्शन - विस्तार सँ समाचार प्रभाग मे पढू
मिथिलाक शक्तिपीठ शखड़ेश्वरी दर्शन – विस्तार सँ समाचार प्रभाग मे पढू

*सालाना मिथिला आ अंग फेयर लगेबाक सिफारिश २००३ सँ आइ धरि लम्बित – बदलामे ललीपप जे विभिन्न ठाम स्थानीय महोत्सव आयोजन आ ताहि नामपर लाखों-करोडोंक सरकारी खजानामे चपत लगेबाक काज, पर्यटक के आयब तऽ दूर – भीख माँगल कोषपर मलफाइ टा उडेबाक कार्य। जेना दरभंगामे मिथिला महोत्सव, सहरसा मे कोसी महोत्सव, भागलपुर मे अंग महोत्सव इत्यादि।

*धार्मिक पर्यटन लेल मिथिला परिक्रमा समान महात्त्वाकांक्षी परियोजनाक चर्चा – काज नगण्य!

janaki mandir kantipur*मिथिलाक विभिन्न कला आदि लेल कला-गाँव निर्माण केर सिफारिश – पैछला २ वर्ष सँ सौराठमे मिथिला पेन्टिंग संस्थान रूपमे स्वीकृति, काज अधरमे। नहि जानि काज प्रारंभ कहिया सँ होयत!!

*मिथिला पेन्टिंग सहित सिक्की कला, हस्तकला, आदि सँ मिथिलाक महिलामे स्वरोजगार आ सशक्तीकरण योजना – आंशिक रूपमे मधुबनी टा मे संचालित, बाकी सरकारी लूट-खसोटपर कोनो स्थिति स्पष्ट नहि।

*मिथिला विवाह सभागार – मैथिली संस्कृतिक विवाह अनुरूप निर्माण कार्य – प्रगति नगण्य।

*मिथिला क्षेत्रमे मिथिला महोत्सव, अंग महोत्सव, कोसी महोत्सव द्वारा सांस्कृतिक संरक्षण – प्रगतिक जगह आपसी विभेद आ कूव्याख्यासँ जोडबाक जगह आपसी खंडित रहबाक पोषण।

baba kusheshwarnath2*जिला स्तर पर धार्मिक, सांस्कृतिक, कला-सम्बन्धी पर्यटन विकास लेल जगह सबहक चुनाव, विश्रामालय, यातायात सुविधा, सूचना केन्द्र स्थापना… एहि सब मे आंशिक प्रगति, लेकिन अधिकांशत: मंत्री आ ठीकेदार संग चमचा-बेलचा सबहक चपेबाक इन्तजाम साबित।

मिथिला राज्य पृथक मांग कएनिहारक ध्यान मिथिलाक पर्यटन उद्योग केर विकास दिसः

मिथिला राज्य अभियानी जे विभिन्न राजनीतिक दलक समर्थक हो, चाहे भाजपा समर्थक होइ, काँग्रेस समर्थक होइ, आप समर्थक होइ, जदयू-राजद-भाकपा-माकपा-सपा-बसपा-लोजपा आ कोनोपा के समर्थक होइ; ओ सब कियो एहि ठामक पर्यटन उद्योग विकास लेल सपना देखैत योजना बनबैत अछि। परन्तु राज्य सत्तापर काबिज जातिवादी राजनीति केँ विकास सँ कोन सरोकार। विद्रोह अहु वास्ते होएत देखाएछ। मिथिलावादी विचारधारा अनुसार एहि ठामक पर्यटन उद्योग केर विकास अपन राज्य भेटलाक बादे संभव होयत कहल जाएछ।

ugratara* स्वराज्य आ मिथिला राज्य

* सभ्यता आ संस्कृतिक संग भूगोल-इतिहास-भाषा-साहित्य-लिपि-समाजिकता आदिसँ बनल पहचानक विशिष्टता आ ताहि लेल संवैधानिक सम्मान (जेना एतुक वासीक पहिचान मैथिल छी, बिहारी नहि।)

* शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि, उद्योग, भौतिक निर्माण कार्य आ समग्र विकास

* जातिवादिताँ ऊपर समान नागरिक अधिकार आ सामाजिक समरसता

* मिथिलाक विशेष पर्यटन विकास

* जलकृषि, सिंचाई, पनबिजली, जलपरिवहन, झील संरक्षण, तालाब-पोखरि-इनार संरक्षण आ मत्स्य पालन, मखान, पान, आ वनारोपण-संरक्षण, फलयुक्त कलम-गाछीक सहकारिता तर्जपर दोहन, आदि।

प्रेरणास्पद व्यक्तित्वक खोजी आ प्रोत्साहनक आवश्यकताः

बाबा बाणेश्वरनाथ महादेव केँ सावनक अन्तिम सोमवारी पर भेल श्रृंगार आ १५६ प्रकार प्रसादक विशिष्ट भोग केर विहंगम दृश्य। फोटो: राहुल झा, बनगाँव
बाबा बाणेश्वरनाथ महादेव केँ सावनक अन्तिम सोमवारी पर भेल श्रृंगार आ १५६ प्रकार प्रसादक विशिष्ट भोग केर विहंगम दृश्य। फोटो: राहुल झा, बनगाँव

मिथिलाक प्रत्येक गामक संरचना देखला सँ बुझाएत छैक जे कोनो न कोनो महापुरुष केर आह्वान – योगदान पर सामूहिक श्रमदान, योगदान आ निर्माणक कार्य सदैव स्वयंसेवा सँ एतय होएत रहल अछि। वर्तमान समय सेहो किछु पुत्र एहेन अछि जे एहि ठामक पर्यटन केन्द्र केर विकास आ संवर्धन-प्रवर्धन लेल एंड़ी-चोटी एक केने रहैछ। एतय किछु उदाहरण मात्र राखय जा रहल छीः

ओहि गाम सँ प्रेरणा सभके लेबाक चाही जाहि ठाम उत्साही युवा आ प्रौढ समाज संग अवकाश प्राप्त कर्मठ लोक-समाज एकजूट बनैत विकास लेल तरह-तरहके कार्यक्रम करैत छथि। सामूहिक पूजा समारोह हो या नवाह संकीर्तन या सांस्कृतिक कार्यक्रम वा कोनो भी तरहक सार्वजनिक कार्यक्रम जेकर मानांक समाजक हरेक वर्ग लेल होइक आ समग्रमें विकास मात्र लक्ष्य होइक; एहि सभके चर्चा खुलिके फेसबुक समान मिडियापर कैल जाय जाहि सँ प्रेरणाक नवधारा सभ लग पहुँचय जे फेसबुक पर सक्रिय छथि आ गाम-समाज-मिथिला विकास लेल सोचैत छथि, विशेषतः आजुक युवा।

एहि प्रेरणाक किछु उदाहरण एना देब:

दुर्गा पूजा समापन उपरान्त शान्त मन्दिर आ आसपास: कुर्सों दुर्गास्थान
दुर्गा पूजा समापन उपरान्त शान्त मन्दिर आ आसपास: कुर्सों दुर्गास्थान

सनत कुमार झा, ग्राम: चैनपुर (सहरसा) विगत किछु समय सँ गामक विकास लेल दीपनारायणजी संग मिलिके योजना बना रहल छलाह, संजयजी, श्यामल सुमनजी आ एक सऽ एक विद्वान्‌— -विज्ञजनके गाम चैनपुरक अनेको लोक हुनका सभकेँ एहि लेल उत्साहवर्धन आ सहयोग हेतु वचन दऽ रहल छलखिन। ताहि बीच एक युवा किशोर ठाकुर सेहो एक नव प्रस्ताव रखला जे गामक विकास लेल एहि बेर ‘मैराथन’ कार्यक्रम गाम में राखल जाय आ ओ सभ एक स्वरमें सहमति दैत मैराथन कार्यक्रम, स्वास्थ्य कैम्प, चैनपूर आइडोल, गीत-संगीत प्रतियोगिता आदि आयोजित करैत रहैत छथि।

sikligarh narsimh mandirश्री यज्ञी मिश्र (वरिष्ठ समाजसेवी), ग्राम: चकौती जिनक अध्यक्षतामें दुर्गा पूजा समिति चलैत अछि आ समस्त ग्रामक एकजूट प्रयास व सहयोग संग मन्दिर निर्माण कार्य निष्पादित कैल गेल अछि। भगवतीके मन्दिरके डिजाइन आ संरचना स्वतः बजैत अछि जे गामक लोकमें कतेक स्फुरणा आ विकास प्रति संवेदनशीलता अछि। हमरा विश्वास अछि जे एहि गामके लोक में कदापि विपन्नताक प्रवेश नहि भऽ सकैत छैक। यदि मिथिला सनातनकालीन अछि तऽ यैह तरहक त्यागपूर्ण कीर्तिके कारण! ओना प्रेरणाक स्रोतमें युवाशक्तिके भूमिका काफी सकारात्मक देखलहुँ। आपसी सहमेलता आरो पसिन्न पड़ल। विनोद कुमार झा जे श्री देवचन्द्र झा ‘मेजर साहेब’क पुत्र छथि हुनकर क्रियाशीलता मनके छूबि गेल। अपना द्वारा पुरखाक एक पुरान परंपरा जे समूचा पतरा के ‘एक झलकमें पंडित’ शीर्षक सँ प्रकाशित करबैत आयल छथि तेकर प्रकाशन २१ वर्ष एहि बेर भेल आ मेलामें आयल हजारों आदमीकेँ एक-एक प्रति दैत छथि, मन भाव-विभोर बनि गेल। नमन अछि इ लगन के! तहिना हम अहाँ फेसबुक पर जनैत छी भास्कर वत्स के – मुंबईमें प्राइवेट नौकरी करैत छथि लेकिन गामक संस्थाक विकास लेल १० दिनक छूट्टीके बखूबी उपयोग करैत छथि। सौभाग्यशाली छथि चकौतीवासी जतय अनुभवी आ अत्यन्त शालीन अभिभावक जेना श्री शुभचन्द्र झा जे मैथिली-मिथिलाक आन्दोलन अपन दिल्ली प्रवासमें रहितो निरंतर केने छलाह अखिल भारतीय मिथिला संघक अध्यक्षता कयके; तहिना श्री देवचन्द्र झा ‘मेजर साहेब’, श्री राज कुमार ठाकुर, श्री गिरिजानन्द मिश्र, श्री देवेन्द्र कुमार झा, एवं अनेको गणमान्य केँ शुभ संरक्षण प्राप्त छन्हि। प्रेरणाक बहुत पैघ उदाहरण बुझायल चकौती!

डा. शेखर चन्द्र मिश्र, ग्राम: सौराठ – एसगर लड़ैत-जुझैत सौराठ सभाके जियाबयवाला लोक! गाममें सेहो केओ सार्थक समर्थक नहि, कतेको लोक बताह बुझैत छथि हिनका जे बेकार में मरल संस्थामें नव-प्राण फूकय लेल शेखर बौआयल छथि… लेकिन कुल आ शील के असर हिनका पर हावी अछि; नाना तरहक नकारात्मकताके बावजूद हिनकर लगन हमरा लेल प्रेरणा के पैघ स्रोत अछि। एहि बेर हिनकर सौराठमें निवासक आगू जे फूलबारी देखल ओ गामक संस्कृतिमें शहरक संस्कृतिक फ्युजन सऽ अनुपम-अपूर्व सुन्दर लागल। नित्य खुरपी आ पानि पटाबयवाला पाइपक संग भोर करैत छथि आ दू घन्टा केवल बगियाक सुन्दरतामें देब हिनक दैनिकी बुझायल। बिना मेहनतके भौतिक सुन्दरता नहि निर्वाह भऽ सकैत छैक। काश! यदि सभक सहयोग भेटैत तऽ ई अवश्य सौराठ सभागाछीके अपूर्व सुन्दर बना देने रहितैथ, कम से कम लोक आबो सजग होय आ सभागाछीके चारूकात बाउण्ड्री-वालके संग अन्दरमें सतहीकरण आ छोट-छोट कॅटेज निर्माण करबैत एक कंप्युटरीकृत पंजीकार कार्यालयके संग एक पूर्व स्मृतिक जोगाबयवाला म्युजियम बनैक; दहेज मुक्त मिथिलाक तरफ सँ हमर वचन देल अछि एहि लेल। माधवेश्वरनाथ महादेव मन्दिरके जीर्णोद्धार हेतु आवाज उठायल तऽ बिहार सरकारक पर्यटन समिति अन्तर्गत योजना पास कयल गेल, काज आइ धरि शुरु नहि भेल मुदा। आब ऐतिहासिक सौराठ सभाक पंजियन पूरा कराओल गेल अछि, देखी एकर केहेन लाभ भेटैत छैक।

एहेन उदाहरण हर गाम मे भेटैत अछि। आवश्यकता अछि जे एहेन-एहेन सपुत केँ राज्य स्तर पर सम्मानित कैल जाए। दोसरो केँ प्रेरित कैल जाय जाहि सँ एहि पौराणिक मिथिलाक गाम-गाम केर पर्यटन उद्योगकेर संभावना बढैत जाय। ई सर्वविदित अछि जे आगामी समय मे मिथिलाक राजस्व व सकल लाभ आर्जन हेतु राजस्व एहि पर्यटन उद्योग सँ उल्लेखणीय भेटत।

मिथिलाधाम यात्रा

अयलाह राम ओ कृष्ण जतय
आ विचरण केलाह महादेव,
ओतहि चलियौ मीत घुमय लऽ,
छुबि माटि भवसागर तैर लेब!!

बहुत घुमलियै साउथ-नर्थ,
आब घुमबय सिया केर नगरी,
जतय बाजय संस्कृतहिमे सुगा,
पैनभरनी भरि-भरि गगरी!!

जतय अयाची सिखबैथ सबकेँ,
जीवन केर संपूर्ण रहस्य,
मात्र सवा-कट्ठा के उपजसँ,
पालथि सतति सदस्य!

विद्यापति जे रचि-रचि गाबथि,
आबथि शिव बनि उगना,
जनक खेत जोतथि जे अपनहि,
अहिल्या केर ई अंगना!

चलू मीत घुमी एहि बेर,
अपनहि मिथिलाधाम,
देखी गौरा दाइ केर नैहरा,
पाहुन सभ भगवान्!!

ऐगला आलेख मे मिथिला संपूर्ण पर्यटन स्थलक सूची पर प्रकाश रहत।

हरिः हरः!!