साहित्य सेवा मे उमेर बाधा नहिः मैथिली कवि अमरनाथ झा

साक्षात्कारः मैथिली कवि अमरनाथ झा

amarnath-jha-mahrail1सोसल मीडियाक कारण मैथिली भाषा मे रचना लिखनिहार कतेको नव आ पुरान स्रष्टा लोकनि अभरैत रहला अछि, एहि मध्य अवकाशप्राप्त जीवनक उमेर मे आ मिथिलाक सुसंस्कृत गामक परिवेश सँ मैथिली भाषा-साहित्यक सेवा मे लागब आ नित्य नव-नव सृजनहार सँ पाठक केँ आकर्षित करब आमजन लेल एकटा नव जिज्ञासाक विषय होयब स्वाभाविके छैक। ई सर्जक दोसर कियो नहि बल्कि सहज, सुन्दर आ स्पष्ट भाषा-शैली मे मैथिली केर कविता लिखनिहार अमरनाथ झा थिकाह। गाम महरैल, झंझारपुर (मधुबनी)क पड़ोसे मे अवस्थित एक प्रसिद्ध गाम हिनक वास-स्थल थीक।

२०१५ मे मैथिली जिन्दाबाद पर सुसंयोग सँ हिनक पहिल रचना प्रकाशित कैल गेल छल। आर तेकर बाद सँ एखन धरि लगातार रचना लिखैत गेला अछि, एतेक रचना लिख लेलनि जाहि सँ हिनक पहिल पोथी सेहो प्रकाशनार्थ प्रेस मे जा चुकल अछि।

amarnath-jha-akanal-degअमरनाथ झा, रिटायर्ड आडिटर – बिहार सरकार केर परिचय मैथिली जिन्दाबाद पर राखि रहल छी। हालहि अपने साहित्यिकी केर २७३म मासिक बैसार पर बिट्ठो मे विशिष्ट अतिथिक रूप मे भेंट भेल रही। आउ, हिनका संग भेल संछिप्त वार्ता पढी आ एहि सँ प्रेरणा लैत अपनो जीवन केँ अपन मातृभूमि, मातृभाषा ओ मानवता लेल समर्पित करी।

हमः सरजी, प्रणाम! हमरा अहाँक एकटा व्यक्तित्व परिचय प्रकाशित करबाक अछि। अपन परिचय कोना देबैन आब? सभा मे त सब कहि रहल छलाह जे मैथिलीक सबसँ युवा कवि अपने छी?

अमरनाथ झाः हम वित्त (अंकेक्षण) विभाग, बिहार सँ मई २०१२ मे उप लेखा नियंत्रक पद सँ सेवानिवृत भेलहुँ ।

हमः साहित्य मे रुचिक इतिहास कि रहल अछि?

अमरनाथ झाः बड़ शुष्क विषय काॅमर्सक छात्र रही आ ओहू सँ शुष्कवृति अंकेक्षण कार्य होइ छै । पूर्व मे कोनो खास साहित्यिक गतिविधि नै रहल । मई २०१५ मे पहिले पहिल कलम उठाओल । हमर पहिल कविता “हम छी नेआय” १४ मई केँ लिखल गेल आ अपने द्वारा मैथिली जिंदाबाद मे सम्मान पओलक । तैँ, हम अखन लालेबम छी । पहिल पोथी “अकानल डेग” प्रेसमे गेल अछि । ई साहित्यिकीक सिनेह जे एहि लालबम केँ सम्मान देलक । साहित्य सेवा मे उमेरक दरकार नै होइ छै । कखनो श्रीगणेश कएल जा सकैए । हमर लेखनक उद्देश्य सोझ, सुवोधकर भाषा मे देखल, सुनल आ अनुभव केँ पाठकक सम्मुख लाबक रहलए । किछु बिसरल जाइत मैथिली शब्द कें समावेश करबाक प्रयास रहैए । लेखनक उद्येश्य माँ मैथिलीक सेवा करैत समय काटब सेहो रहैए ।

हमः अपन जीवनी सँ हमरा सबकेँ कि सीख देबय चाहब? केहेन माहौल छैक कोर मिथिला मे? कि मिथिला केँ बचेबाक लेल संविधान मे स्थान प्रति कोनो सजगता? कोनो भावना आम जनमानसमे?
 
अमरनाथ झाः देखियौ प्रवीण जी! घर भात तँ बाहरो भात । इएह कहब मैथिलीक भविष्यक संदर्भ मे सोशल मिडिया बड़ सहायक भेलैए । हम कतेक मित्र सँ मैथिली बजाओल ए आ लिखाओल ए।