मैथिली कथाक माध्यम सँ यथार्थ चिन्तन

मैथिली कथाः दिवा स्वप्न

– प्रवीण कुमार झा, बेलौन, दरभंगा (हालः दिल्ली सँ)

praveen-k-jha-dreamनै कहि ई स्वप्न देखबा सौं कहिया पाछां छूटत… आब अकच्छ भ् गेल छी. कतेको पैरि धोबि, बिछावन झाड़ब.. मुदा सबटा फेल… दरअसल दोख हम्मर बेसी अहि… हमरा स्वप्नक कैटोगरीये अलग अहि… से कनेक दिक् होईत अछि…

आई भोरहरबा में देखल… नवंबर महीना छल… मिरानी टाइपक् नाम के कोनो संस्था दरभंगा में मैथिलक् जमावड़ा लगौने छल.. भीड़ संभवतः मोदी आ लालू केर सभा सब सौं बेसी छलैक… दरभंगा के हरेक गली मोहल्ला में मिथिला केर आन-आन जिला सौं आयल लोक सब सह-सह क रहल छलैथ… अहि सबहक बीच जे सुखद आश्चर्यक चीज दृष्टिगोचर भेल – अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् केर संस्थापक धनाकर बाबु, मुख्य अतिथि सब केँ स्वागत कय रहल छलाह… हुनका अहि कार्य में अखिल भारतीय मिथिला पार्टीक राष्ट्रीय महासचिव रत्नेश्वर जी मदद कय रहल छलखिन… चारु कात भीड़ के बीच घुमि-घुमि मिसू केर कार्यकर्ता गण पानि आ अन्य जरुरत केर चीज बाँटि रहल छलाह. मिसू केर अध्यक्ष भाइ कमलेश मंच पर होइत तैयारी में अपश्यांत छलाह… माइक द्वारा पूर्व अध्यक्ष मिसू अनुप आ मिथिलाक चाणक्य कहेनिहार संजय रिक्थ भीड़ केँ नियंत्रण में लागल छलाह…

एम्हर मंचक ठीक सामना में मैथिल केर सबटा मूर्धन्य विद्वजन मुंह में पान गलोठने व्यंगक तरंग छोड़ि रहल छलाह… अभियानी-लेखक प्रवीण बाबू हुनक स्वागतक संगे विराजल महानुभाव सब केँ बीच यदा कदा अपना हंसी के गुंजायमान कय रहल छलाह… मंच पर पिपही, तुरही बजबा केर तैयारी छल… मंच फूल सौं लदल गम गम करैत छल… एक टा किनार में कोकिल विद्यापति आ यात्री बाबा केर मूर्ति के संगे बड़का टा’के दीप प्रज्वलित करबाक तैयारी रहैक… एक आदमी मंच पर उडैत झालैर सम्हारै में व्यस्त रहैथ… क्रांति केर आभास छल ई… माँ मैथिली निक दिनक खुशखबरी ल’य केबार ठकठका रहल छलि शायद… मुदा ई की…! दरभंगा कलेक्टर अपना दल बल संग मैदान में घुसि रहल छलाह… लोक सब में कनेक अफरा-तफ़री मचि गेलैक… हम कलेक्टर केर हाथ पकडि किनार ल जा के कहलियैन – ”एवरी थिंग ईज अंडर कंट्रोल हियर… डॉन्ट ट्राय टू स्पोइल दिस इवेंट… आप जाइये प्लीज… सर, लाखों लोग हैं… पहली बार… अपने मंत्री, विधायक और सांसद के साथ बैठिए… और अगर आप नहीं मानेंगे तो बस इतना कहूंगा की मैथिल पुत्र जाग गये हैं… वो जात-पात और दल-संस्था भुला चुके हैं… वी आर नो मोर अ क्रैब नाउ… वी बीकम आंट्स… बेटर एलेफन्ट्स कीप डिस्टेंस फ्रॉम अस….

ई सुनि कलेक्टर त दलबल ल’ चलि गेलाह मुदा हम जे ताव में आबि हाथ पैर भांजैत रही से देख कनियाँ गर्म चाय म हमर आँगुर बोरैत कहलेंनि – “हे भगवत्ति, नै कहि के डाइन जोगिन मथा खराब क् देलक हिनकर.. यौ उठु ने आब सात बाजल… लियह चाय पिबु… आ हे… काज बाली आइयो नै आयल… बर्तन बाशन अहिं के करय पडत”।