– किसलय कृष्ण, सहरसा। मैथिली जिन्दाबाद, मार्च १८, २०१५.
राष्ट्रीय स्तर पर मैथिली नाटक हेतु प्रख्यात मैथिली लोक रंग (मैलोरंग) नित्य नव प्रयोग मे लागल रहैत अछि। एहि क्रम मे उक्त संस्था द्वारा आगामी १ सँ ३ मई, २०१५ धरि गिरिधारी नगर भवन, मधुबनी मे भव्य रंग-महोत्सव केर आयोजन होमय जा रहल अछि। एहि आयोजन मे कुल पाँच मैथिली नाटक केर प्रस्तुति कैल जायत। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालयक पूर्व निर्देशक देवेन्द्र राज अंकुर केर निर्देशन मे राजकमल चौधरीक कथा कोलाज ‘मैथिली नारी: चारि रंग’, प्रकाश झा केर निर्देशन मे शेक्सपियर केर अमर कृति रोमियो-जुलियटकेर मैथिली परिणत रूप ‘चान-चकोर’, मुकेश झा द्वारा प्रसिद्ध नाटककार महेन्द्र मलंगिया रचित नाटक ‘देह पर कोठी खसा दियऽ’, एनएसडी प्रशिक्षित सहनी निर्देशित आ विजय दानक लिखल नाटक ‘फाँस’ आ रामेश्वर प्रेम लिखित बाढि समान विकराल समस्या पर केन्द्रित नाटक ‘जल डमरू बाजे’ प्रकाश झा केर निर्देशन मे प्रदर्शित कैल जायत। विदित हो जे मैलोरंग द्वारा पैछला २ साल मे मुख्यरूप सँ यैह नाटक सबहक प्रदर्शन भारतीय राजधानी आ मैलोरंगक मूल कार्यक्षेत्र दिल्ली सहित देशक विभिन्न भाग मे प्रदर्शित कैल जा चुकल अछि।
मिथिलाक मूल धरा पर एहि तरहक महोत्सव सँ वर्तमान लोकपलायनक खतरा आ स्वसंस्कृति-सर्वनाशक संक्रमण सँ पीड़ित मिथिला लेल किछु नव जान फूकबाक कार्य करत एहि तरहक भावना समाजक बुद्धिजीवी वर्ग राखि रहल अछि। जाहि मिथिलाक प्राचिन सभ्यता मे सुप्रतिष्ठित रंगकर्म जे गाम-गाम आ ठाम-ठाम मे आयोजन कैल जाइत रहल, ओ आर्केस्ट्रा आ पश्चिमी धुनक लहरीक संग-संग गजपट-गन्हायल असंस्कारी भोजपुरीक फूहरपन मे बेसी रमाइत देखल जाइछ। राजनीतिक अवस्था सँ उपजल जाति-पाति मे टूट आ सुसंस्कारी समाज केँ अल्पसंख्यक मानि अभद्रताक प्रसार सँ मिथिला रुग्ण अछि, जाहि मे मधुबनी समान मैथिलीक मधुर वाणी लेल प्रसिद्ध भूमि आइ ९५% संक्रमित भऽ चुकल अछि, ताहि ठाम ई आयोजन निश्चित तौर पर क्रान्तिक आगाज करत आ लोकमानस मे अपन संस्कारक माधुर्यताकेँ रक्षा करबाक प्रेरणा देत ई निस्तुकी मानल जा रहल अछि।