संपादकीय
सन्दर्भ छैक मिथिला राज्य निर्माण सेनाक आगामी राष्ट्रीय अधिवेशन मे मिथिलाक अनुमानित नक्सा मुताबि सब जिलाक लोक केँ प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करब आर ताहि अनुरूपे ९ नवम्बर केँ एक विशाल आमसभा करैत राज्य निर्माणक संघर्ष केँ अन्तिम युद्धघोष करबाक।
सामान्यतया ई देखल जाएत छैक जे आब लोक मे मिथिला प्रति तेहेन अनुराग नहि रहि गेल छैक – एहेन समझ विकसित भ गेल छैक अधिकांश लोकक मन मे। खासकय दरभंगा-मधुबनी-सहरसा आदि जिलाक उच्चवर्गीय बुद्धिजीवी मे ई शंका बेसी घर केने छैक। चूँकि ओ सब अपन जिला सँ बाहर कोनो सम्पर्क स्थापित करबाक साधनक विकास नहि केला ताहि हेतु आब सम्पर्कविहीनताक कारण ई मतिभ्रम होयब स्वाभाविके छैक। शंकाक एकटा आरो आधार छैक जे मिथिलाक पौराणिकता आ व्यापकता केँ तथाकथित दरभंगा-मधुबनीवला मैथिली भाषाक मानदंड पर जोखैत ई शंका होयब स्वाभाविके छैक जे मिथिलाक सीमा घटल बुझाएत छन्हि। मुदा मिथिला हिनका लोकनिक मैथिली सँ बहुत ऊपर सबहक बाजल जायवला मैथिलीक विभिन्न बोलीक समग्र रूप थीक आर सीमा ताहि सँ ग्रियर्सनक परिभाषित नक्सा मुताबि स्थापित छैक ई बुझय मे भांगठ छन्हि।
एहेन सन्देहक बीच जखन अभियानी लोकनि दरभंगाक बाहर अभियान लऽ कय जाएत छथि तऽ किछु चमत्कारिक शक्ति अपने आप कार्य करय लगैत अछि। जेहो न आशा केने रहैत छथि सेहो सब काज सहजे संभव होमय लगैत छन्हि। एकरा जानकीक खास कृपा मानि ओ सब मुग्ध होएत छथि। स्वाभाविके छैक! तखन जानकीक कृपा सँ परिचय केकरा भेटैत छैक? जानकीक कृपा सँ परिचय ओकरे भेटैत छैक जे एहि लेल तपस्या करैत अछि।
एकटा सहज तपस्या मिथिला राज्य निर्माण यात्रा सेहो सर्वोपरि अछि। बहुत लोकक वास्ते मिथिला राज्यक मांग एकटा राजनैतिक हल्ला-हुच्चर आ लोभादि समान प्रतीत होएत छैक। मुदा जे एहि मांग केँ संविधान मे स्थापित करेबाक लेल मात्र आतूर अछि, जे अपन मूल पहिचान केँ पुनःस्थापित होएत मात्र देखय चाहि रहल अछि, ओकरा लेल ई मांग कदापि भौतिकतावादी नहि बल्कि आध्यात्मवादिताक परिचायक छैक।
अरे! राजनीति तऽ सीधे-सीधे संख्यानीति पर चलयवला अराजक व्यवस्था समान सिद्ध भऽ चुकल अछि, जतेक जन्माउ ततेक पाउ वला हिसाब सँ – भले धिया-पुता पढय-लिखय-बनय से सब छोड़ू, बस खूब जन्माउ आ वोटक संख्या बढाउ, जातीय सबलता बनाउ आ नेता चुनिकय सदन मे पठाउ…. ओ नेता जे औका-बौका आ नाकक पोटा तक पोछय के लूरि नहि रखैत हो तेकरा चुनू, अपन मताधिकार केँ इग्गी-दुग्गी लोभ मे बेचू, पाँच वर्ष धरि हाथ-पर-हाथ धय बैसू…. फेर ५ वर्ष बाद नवका उन्माद आ नेता चुनू…. ई थीक आजुक राजनीति।
राजनीतिक स्वार्थ सँ पटना गद्दी आर बिहारी सत्ताक संचालन मे समाजक दुर्दशा एहेन बदतर भेल अछि जेकर दुष्परिणाम लोक पलायन, विखंडित समाज, वैमनस्यता, असहयोग, अव्यवस्थित श्रम आ कृषि सहित विभिन्न पूर्वाधार निर्माण कार्य आदि सोझाँ मे अछि। आइ लोकक खेत भले परती रहि जाय मुदा ओहि उर्वर जमीन केँ जोतब-कोरब आ मानव मात्र लेल अन्न उपजेबाक अवस्था पर्यन्त अराजक बनि गेल अछि। सब सँ बेसी दुर्दशा ओहि वर्गक देखैत छी जेकरा मे जातीय उन्माद आ अपन जातीय संख्याबलक दंभ घर करैत अछि आर ओ अपन मत केर सदुपयोग करबाक स्थान पर दुरुपयोग करैत अछि। चलू भाइ! अपन स्वराज्य बना आ जे करबाक छौक से मिथिला लेल करे। संघर्ष अपना गाम-टोल लेल करबैक त निश्चिते अपन विकास केर अवस्था मे सुधार हेतैक। अहु लेल मिथिला राज्य निर्माण हेतु जागि जाउ।
मुदा हमरा जनतब मे मिथिला राज्यक राजनीतिक नहि आध्यात्मिक थीक आर ताहि लेल ई काज जानकी केँ प्रसन्नता दैछ, एकर अनुभूति हम आइ कतेको वर्ष सँ करैत आबि रहल छी।
वर्तमान समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, मुंगेर, बाँका, भागलपुर, देवघर धरिक यात्रा आ तेकर कमान्डर राजेश झा आर स्वयं जानकीक विशेष दूत जे पृथ्वी पर रहितो बहुत समय सँ कमान्डरक प्रतीक्षा कय रहल छलाह ताहि सूची मे विजय, सुभाष भाइ, सत्यनारायण महतो, प्रेम कुमार जी, बौआ बाबा, किशोर बाबा, मेयर साहेब आदि कतेको विशिष्ट मार्गदर्शक आ सहयोगी सब जुटि रहला अछि। जानकीक विशेष कृपा चारूकात बरैस रहल अछि।
मिथिलाक निर्माण बखूबी ओतय धरि भऽ रहल अछि जेकरा डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन १९०३-१९२८ धरिक महत्वपूर्ण भारतीय भाषिक सर्वेक्षण मार्फत उकेरने छलाह।