पुरस्कृत पोथी गामक सिमान पर दुइ शब्दः युवा कवि विकास

चंदनजीकेँ पुरस्कृत पोथी पर उक्त लेख/समीक्षा

– विकास झा, हरिणे (मधुबनी) – हाल हैदराबाद सँ

“गामक सिमान पर : साकांक्ष कविक सार्थक चिंतन “
 
gaamak seemaan par1प्रस्तुत कविता संग्रह ‘गामक सिमान पर ‘मैथिलीक सुपरिचित युवा कवि चंदन कुमार झाक अद्द्यतन प्रकाशित कविता संग्रह छनि। एहि संग्रह मे कुल मिला कए ६३ गोट कविता संग्रहित कएल गेल अछि। कवि अपन एहि अद्द्यतन कविता संग्रहक नाम ‘गामक सिमान पर’ रखने छथि जे पहिलुक दृष्टिएँ पोथीक कलेवर सँ भरि छाक मेल खाइत अछि।
 
कविताक दीर्घ भूमिका मे सिद्धहस्त लेखक कमल मोहन चुन्नू आधुनिक कविताक स्वरबोध आ समावेशित विषयक बृहद टिपण्णी करैत ताहि संदर्भ मे चंदनजीक कविताक औचित्य आ स्वरूपक अनुखन वर्णन कएने छथि । तहिना पोथीक अंतिम पृष्ठ पर प्रकाशक कवि अजित आजाद कवि केँ गाम दिस तकबाक अपेक्षा सोझे गामक सिमान पर ठाढ़ होएबाक प्रवृत्ति केँ मैथिली कविताक खगता कहैत पाठक सँ अपन गाम देखबाक लेल उक्त संग्रह केँ पढ़बाक आग्रह करैत छथि।
 
एहि संग्रह केँ कवि मैथिलीक अनन्य सेवक आ स्वनामधन्य कवि जीवकांत केँ समर्पित कएने छथि।
 
अपन शिर्षकक अनुरूप एहि संग्रह मे बेसी कविता गामक बदलैत परिवेश, ताहि सँ परिवर्तित सरोकार आ व्युत्पन्न खंडित सौहार्दक परिधि मे परिक्रमा करैत आँगन, बाड़ी, खेत खरिहान सँ बिछल ठोस आ साधल बिम्ब सँ बिसराएल गामक एकटा बृहद कैनवास पाठकक सोंझा रखैत अछि। कविता सभ मे जहिना एक दिस गाम जिबैत अछि तहिना दोसर दिस गाम सँ गाम केँ मटियामेट करबाक आग्रही तत्व सभक मुखर प्रतिरोध सेहो भेटैत अछि।
 
पोथी आरंभ होइत अछि ‘ओकर भोर’ कविता शीर्षक सँ आ अंत होइत अछि ‘मुनिगा’ शीर्षक कविता पर आ मझिगाम मे भेटैत अछि ‘अथबल’ शीर्षक कविता। एहि तीनू कविता मे तीन टा भिन्न विषय जिनगीक विविध आयाम केँ परिलक्षित करैत कविक विशाल कविता संसार आ ओकर बृहद दृष्टि केँ परिलक्षित करैत अछि।
 
मैथिलीक आँचलिक अजस्रता केँ उघनिहार कवि चंदनजीक शब्द चयन आद्योपांत चमत्कृत करैत अछि आ ताहिना उपमा-उपमेय केर सटिक प्रयोग सँ हिनक कविताक शैली विशेष प्रभावोत्पन्नकारी भए उठैत अछि। ‘जीवनक अर्थ’ कविता मे बूढ़क अवहेलना केँ चित्रित कए कवि ओकर विभिन्न मनोदशा केँ रेखांकित करैत कतेक साधल बिम्ब प्रयुक्त कएने छथि :-
 
“आह्लादें धनुषाकार देह
तनिकए तीर भए जाइत छनि
जेना भेटि गेल होनि अपन जीवनक अर्थ”
 
कवि मे विस्थापित होएबाक जतेक अपराधबोध छनि ताहि सँ बेसी करेजक कोन मे नुकाएल ओहि गामक अनुराग छनि जे छाँह बनल सदति हुनका संग चलैत छनि, मुदा अभावक आगि मिझएबाक प्रयास मे इच्छा रहितो अपन माटि पानि सँ दूर ‘हमर गाम’ शीर्षक कविता मे कहैत छथि :-
 
“अपनहि मुँहक भाफ
धोन्हि बनि घेरि लेलक अछि हमर बाट
कुहेसक एहिपर
हमर गाम हँसैत होएत हमरापर
कुहेसक ओहिपार ”
 
बदलैत जीवनशैली मे प्रकृतिक बढ़ैत अवहेलना, प्रकृति पर अनुचित हस्तक्षेप आ ताहि सँ उत्पन्न विभीषिकाक आगम पाबि आहत कवि जनसामान्य एहि अचेतन व्यवहार पर साधल प्रहार करैत लिखैत छथि :-
 
“हमरा जखन जखन बुझि पड़ैए
अपन अस्तित्वक संकट
हम कटैत छी
अपने अस्तित्वक जड़ि
हम मारैत छी
अपने पएपर कुड़हरि”
 
गामक सिमान पर ठाढ़, चेतनाक चौकीदारी करैत कविक ह्रदय मे देशक प्रति अनुराग हुनक गामक अनुराग सँ मिसियो भरि कम नहि देखैत छी, जखन हुनक पारखी दृष्टि गामक सिमान टपि पहुँचैत छनि ‘मुग़ल गार्डेनक ट्यूलिप’ देखबाक लेल जाहि मे कवि एहि देशक सांस्कृतिक विरासत आ सवा सए करोड़ लोकक आशा आकांक्षा केँ सन्निहित देखैत छथि :-
 
“हिमालय सँ हिंद महासगर धरि
ई लाल ट्यूलिप
गवाही थिक
भारतक वशुधैव कुटुंबकमक केर”
 
चन्दनजीक एहि संग्रह मे एकाधिक प्रेम कविताक समावेश सेहो भेल छनि जाहि मे श्रृंगार अपन दुनू रूप यथा संयोग आ विप्रलंभ मे प्रतीत होइत अछि। एहि कविता सभ मे पुनः कवि प्रकृतिक साधल बिम्ब आओर योगरुढक प्रांजलता सँ चमत्कृत करैत छथि। कुहेस कविता शीर्षक मे लिखैत छथि :-
 
“कुहेसक लिफाफमे अहाँ पठौलहुँ अछि फेर
रंगीन वासन्ती पत्र
पढितहि जकरा
गुदगुदा उठल अछि
हमर गत्र -गत्र “
 
आशंका, मुग़ल गार्डेनक ट्यूलिप, सर्वधर्म समभाव, परिणति सन कविता मे कवि बन्हन तोड़ी जखन सिमान नँघैत छथि, कविता मे कविक मौलिकता आ विविधताक पूर्ण विस्तार भए उठैत अछि। परिवर्तन, विस्थापन, प्रतिकार आ आत्मचिंतनक भूमिका मे लिखल गेल कविता सभ संग्रह केँ कविताक समकालीन स्वर दैत बेस पठनीय बनबैछ।
 
चन्दनजीक कविता सभ मे एकटा साकांक्ष आ समकालीन मनोभावक बृहद विमर्शक संग-संग अपन माटि-पानि सँ विमुख होइत लोकक प्रति चिंता छनि। जाहि सँ कविता सभ मे चिंतन आ लोक जीवनक प्रभाव गहींर होइत अभरैत अछि। कविता गाम सँ उठाओल, गामक बिम्ब सँ सजाओल आ गमैया बिध व्यवहार, आचार-विचार सँ परिपूर्ण भए पाठक केँ अपन बिसरल परिवेशक अवलोकन आ ओकर समीचीन मूल्यांकन करबाक हेतु उत्स प्रदान करैत अछि।
 
ई पोथी अपन उद्देश्यक पूर्ति करए ताहि हेतु चन्दनजीकें अशेष शुभकामना…
पोथी – गामक सिमान पर
लेखक – चंदन कुमार झा
प्रकाशन – नवराम्भ

मूल्य – १५० टाका

नोटः दिल्ली मे सक्रिय मैथिली साहित्य महासभा द्वारा २०१६ केर युवा पुरस्कार एहि पोथी केँ देल जायत जाहि मे नगद २५ हजार टकाक संग प्रशस्ति पत्र सेहो आगामी ११ सितम्बर, २०१६ केँ होमयवला व्याख्यानमाला मे कवि चंदनकुमार झा केँ देल जेतनि। मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ पुरस्कृत करनिहारक संग पुरस्कार पेनिहार दुनू केँ हार्दिक शुभकामना!!