मिथिला राज्य केर आवश्यकता पर होमय लागल अछि वृहत् चर्चा

संपादकीय

map of mithilaओना त मिथिला राज्य आन्दोलन नाम लेल १९४० ई. सँ भारत मे चलि रहबाक बात शोध कहैत अछि, मुदा एकर व्यापक असर वर्तमान जनजागरण आ एक-दोसर सँ सम्पर्क अभियान सँ होएत स्पष्ट भेल अछि। हालहि २०१३ ई. सँ जनजागरण अभियान चलेबाक संकल्पक संग समूचा भारतक मैथिल युवा समाज द्वारा स्थापित मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा लगातार विभिन्न जिलाक दौरा करैत समाजक विभिन्न तह मे ई चर्चा चलायल जा रहल अछि। आर्थिक उपेक्षा आ पटनाक बदनियतपूर्ण राजनीतिक परिपाटीपर आम राय बनेबाक एकटा प्रयास कहि सकैत छी, मुदा ई बात आब आम चर्चाक विषय शनैः शनैः बनैत जा रहल अछि जे उत्तरी बिहार यानि मिथिलाक्षेत्र एकटा पृथक् राज्य बनत तखनहि टा एकर कल्याण संभव होयत। आइ लगभग ७ दसक केर स्वतंत्र भारत मे सेहो एहि ठामक स्थायी समस्या बाढिक कोनो निदान नहि भेल, नहिये समुचित सड़क, शिक्षा, सिंचाई, स्वास्थ्य व अन्य सरोकारक रेखदेख बिहार राज्य मे संभव भेल, अतः एकर समुचित विकास हेतु अलग राज्य एकमात्र समाधान अछि, दोसर किछु नहि, ई आम राय बनैत जा रहल अछि।

ई मुद्दा एखन धरि कोनो राष्ट्रीय राजनीतिक दल द्वारा गंभीरतापूर्वक स्वीकार नहि कैल जा सकल अछि, नहिये कियो एहि मुद्दा पर कहियो कोनो तरहक चुनावी घोषणापत्र आम जनमानस केर समक्ष रखलक। इक्के-दुक्का नेता वा विचारक लोकनि विभिन्न राजनीतिक दल सँ एहि विन्दु पर अपन विचार जरुर रखैत आयल अभरैत छथि। ओहो विचार कोनो वृहत् राष्ट्रीय मीडिया चैनल पर नहि वरन् हुनका सँ कोनो मिथिलावादी विचारक केर राखल गेल प्रश्नक उत्तर मे ओ सब जनक आ जानकीक मिथिलाक पौराणिकता आर ऐतिहासिकताक कारण नकारात्मक उत्तर नहि दय सकबाक कारण बस टाल-मटोल केर नीति जेकाँ किछु बाजिकय पार उतैर जाएत छथि, यैह कहि सकैत छी।

तेलंगाना राज्य बनेबाक निर्णय लेलाक बाद तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह दोसर राज्य पुनर्गठन आयोग बनेबाक मांग ओहि समयक यूपीए सरकार सँ करैत तेलंगानाक अतिरिक्त आनो-आनो राज्यक मांग केँ संबोधन करबाक कार्यक दिशा मे ध्यानाकर्षण करौलनि, मुदा आब ओ स्वयं गृहमंत्री आ सत्ताधारी शासक दल केर ओहदेदार नेतृत्वकर्ता रहितो ओहेन कोनो चर्चा आ कि मांग पर कोनो टिप्पणी नहि देलनि अछि।

जन्तर-मन्तर पर राखल जायवला धरना मे काँग्रेसक वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह रस्ते-रस्ता पहुँचैत छथि तऽ समर्थनक नारा लगा बैसैत छथि, धरि आइ तक कोनो प्रकारक आधिकारिक समर्थन काँग्रेसक तरफ सँ कतहु नहि अभरैत अछि।

राज्य मे सत्तापर तेसर खेप राज कय रहल जदयू पहिल राजनीतिक दलक रूप मे सूचीकृत अछि जे मिथिला राज्यक समर्थन शुरुहे मे केने छल, लेकिन जहिया सँ सत्ताक सीढीपर चढल तहिया सँ ओहो एहि मांगपर आगू किछु घोषणा करितय से कतहु नहि अभरैत अछि।

भाजपाक वरिष्ठ नेता आ २०१४ केर चुनाव घोषणापत्र कमिटीक चेयरमैन डा. मुरली मनोहर जोशी कानपुर केर एक सभा मे आश्वासन जरुर दैत छथि जे जहिना मैथिली भाषा केँ भाजपा स्थान देलक तहिना मिथिला राज्य सेहो आइ न काल्हि भाजपा बनायत, मुदा घोषणापत्र मे हुनका एहि दिशा मे कोनो टा घोषणा करबाक मौका नहि भेटैत छन्हि।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समान चिर-परिचित राष्ट्रवादिताक समर्थक सेहो राजनीति केर आर सब पक्ष पर बजैत अछि मुदा भारतीय संघ केर निर्माणकर्ताक भूमिका निर्वाह कएनिहार विश्वक प्रथम गणतंत्र बज्जि संघरूपी मिथिला केँ राज्य रूप मे स्थापित करबाक लेल कोनो नीति निर्धारण नहि कैल जा सकल अछि से जानकारी करबैत अछि।

तखन तऽ उपेक्षित राज्यक पलायन करैत जनता आ विपन्न मूल धरातल पर कराहैत जनताक मुंह सँ राज्य चाही ई मांग कतेक दूर धरि पहुँचत से स्वाभाविके अनुमान लगायल जा सकैत छैक। जैह किछु चर्चा संभव होएछ ओ केवल मिथिला सनक ऐतिहासिक-पौराणिक सभ्यताक संरक्षण हेतु चिन्तनशील छिटफूट समूह ओ अभियान केर चलतबे होएत अछि। कहियो जन्तर मन्तर तऽ कहियो दरभंगाक अनशन सँ ई मुद्दा जिबैत रहल अछि। आब राज्य निर्माणक सर्वथा महत्वपूर्ण आधार ‘जनभावना’ मे एहि विषय केँ प्रवेश करेबाक कार्य मिथिला राज्य निर्माण सेना समान सामाजिक-राजनीतिक संजाल द्वारा कैल जा रहल अछि। जाहि मे धीरे-धीरे सही लेकिन मिथिलाक्षेत्रक जनप्रतिनिधि आ राजनीतिकर्मी सेहो उचित रुचि देखा रहला अछि। सामाजिक-सांस्कृतिक अभियान सँ ई विषय राजनीति मे प्रवेश करैत देखा रहल अछि। जनभावना मे सेहो ई सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक अभियान टा सँ होयत। आर तेकर बाद एकर निर्माण अवश्यंभावी होयत।

किछु नकारात्मक तत्त्व एहनो अछि जे कोनो नव राज्यक निर्माणक विषय केँ वर्तमान राज्यक विभाजन मानि आक्रोशित होएत अछि, ओकरा हिसाबे जेहो राज्य छैक बरु सबकेँ जोड़िकय एकटा देश टा बनि जाउक ओ उचित हेतैक। यथार्थतः ओकरा न संघीयताक मर्म बुझल छैक आ नहिये ओकरा राज्य अथवा सामाजिक-सांस्कृतिक-ऐतिहासिक-पौराणिक-राजनीतिक पहिचान आ सामर्थ्य सँ कोनो सरोकार छैक, ओ त वर्तमान व्यवस्था मे तेनाकय भीज गेल अछि जे कोनो नव निर्माण केर बातहि सँ खिसियाएत अछि आर ओकरा एना लागय लगैत छैक जे फेर नव राज्य बनत तऽ ढेर रास नव नेता बनत आ देश मे शान्तिक स्थान अशान्ति आ भ्रष्टाचार पसरत। ओ सिस्टम सँ ऊबि गेल अछि। परञ्च शनैः शनैः ओकरो सबकेँ ज्ञान खुजैत जेतैक जे संघीयताक सुदृढ संरचना लेल राष्ट्रक विभिन्न पहिचान ओ संघ केँ राज्य केर दर्जा देनाय राष्ट्रीयताकेँ आरो मजबूती प्रदान केनाय होएत छैक। एहि सँ अनावश्यक चिन्ता मे डूबब अपना केँ कष्ट देब समान छैक। एहि सँ सब बचय। मिथिला राज्यक निर्माण महान् जनक केर देल पहिचान सँ जुड़ल अछि आर ई भारतक समृद्धिक द्योतक अछि।