हालहि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विदेश दौरा पर अपन कूटनीतिक मित्र लोकनिकेँ देल जा रहल उपहार मे मिथिला पेन्टिंग (मधुबनी पेन्टिंग) केर चर्चा जोर पर रहल। विभिन्न मिडिया आ व्यक्तित्व लोकनिक नजरि पर ई बात चढल जे सीधे भागवद्गीताक बाद प्रधानमंत्री अपन राष्ट्रक दोसर प्रतीक चिह्न मिथिला चित्रकलाक उपयोग कोना केलनि। ई बुझले बात अछि जे समग्र राष्ट्रवाद मे स्वदेश-स्वदेशीक मिठास सँ विश्व समुदाय केँ परिचित करेबाक लेल भारतीय जनता पार्टी वर्षों-वर्ष सँ संघर्ष करैत आबि रहल अछि। भारत मे छद्म धर्मनिरपेक्षवाद रहबाक आरोप ओ अपन विपक्षी विचारधारा पर सेहो लगबैत अछि जे अपन महत्ताकेँ धत्ता बता अनकर संस्कार आ संस्कृतिक संग सिद्धान्तक पोषण करैत भारतक स्वदेशी सुगंधकेँ हत्या कय रहल अछि। संघर्ष मे कतेको वर्ष बितलाक बाद नरेन्द्र मोदी समान प्रखर प्रधानमंत्रीक उम्मीदवारी मे भाजपा भारतक सत्ताकेँ अपना हाथ मे लैते एहि मुद्दा पर कार्य प्रारंभ कय देलक। मिथिला जे विगत केर केन्द्र तथा राज्य सरकारक उपेक्षाक शिकार बनि मृतप्राय बनि गेल छल, मोदीक वर्तमान डेग सँ पुन: एकटा प्राणरक्षक साँस लैत पुनर्जीवित होयबाक संकेत देखा देलक।
जनक, जानकी, याज्ञवल्क्य, कपिल, गौतम, गार्गी आदि अनेको पौराणिक विभूति सँ लैत मध्यकालीन भारतक विभूति मे सेहो मिथिला सँ विद्यापति, अयाची, मंडन, भारती, कालीदास, गोनू झा, चन्दा झा, वाचस्पति, बच्चा झा, गंगेश उपाध्याय आदि विभिन्न विभूति भारतवर्षक रक्षक बनि अपन योगदान सँ पोषण देलनि। तहिना एहि मिथिलाक जीवन-व्यवहार केँ पूर्ण वैदिक मानि सौंसे देश अंगीकार-स्वीकार करबाक वास्ते मिथिलाक पाण्डित्य परंपराक मान्यता देलक। मुदा राजकीय संरक्षणक अभाव मे ई सब शनै:-शनै: मृत्युक दिशा मे जा रहल अछि आ मैथिल पहिचान खत्म भऽ अन्य-अन्य पहिचान मे परिणति पाबि रहल अछि। लेकिन वर्तमान सरकार एहि तरफ नीक डेग बढेलक ई निश्चित सुखदायक अछि। पहिने सेहो यैह भाजपाक सरकारकाल मे मैथिली भाषा केँ संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान देल गेल छल।