विचार
– शंकर कुमार (फेसबुक मार्फत)
परमप्रिय भोली भाई एकटा साहित्यिक जिज्ञासा उठाओल जे ” सिनेहिया बिसरि बैसल अछि गाम ” गीत केर लेखक के ? प्रतिक्रिया पढ़ैत रही, टैग होइत रही मुदा जवाब नहि छल तैं चुप रही मुदा अपना भरि अन्वेषण में लगलहुँ आ आदरणीय कक्का जी “श्री देव कान्त मिश्र” सौं तथ्य प्राप्त कैल जे एना अछि ——
“ई गीत मूलतः “श्री व्याधा” जीक लिखल छल जे आदरणीय “मधुप” जीक परमप्रिय शिष्य, मिथिला मिहिर में छपलो रहैक, मुदा बाद में जखन शिष्य अपन गुरु केर सामने ई गीत आनल तौं महाकवि केर कलम सौं ओहि में किछु परिवर्तन कैल गेलैक आ वैह लालित्य एहि गीत में “मधुप प्रभाव” बनि विद्यमान छैक, सन १९८१ में मधुपजीक जीवनकालहि में ई गीत जखन मूल लेखक कें बिसारै लागल छल तौ कविवर केर आग्रह पर पुनः श्री व्याधा जी एकरा मिथिला मिहिर में छपबावल, रहल प्रश्न अंतिम अन्तरा में “मधुप” शब्द केर तौं ओ कोनो गायक केर कृपा सौं आयल छैक ओना मूल शब्द छैक “पिया ” I
सिनेहिया बिसरि बैसल अछि गाम !!
मुद मन सुमन भ्रमर लखि भौंरा,
चाह करय मधुपान !
सिनेहिया बिसरि बैसल अछि गाम !!
पाथर हृदय कठोर बनल अछि,
चिठियो के नहि ध्यान,
मोती सन सन आखर लिखलौं,
निर्दयी केहेन अकान !
सिनेहिया बिसरि बैसल अछि गाम !!
घन घन घनन सिंह जगाबय,
देहबिच हियबिच दान,
राका शशि के धवल इजोरिया,
लागल प्रीत समान !
सिनेहिया बिसरि बैसल अछि गाम !!
कारी कारी बादल दै छै,
नीलगगन के समान,
तहिना हमर पियाबिच आनन्
लागल ताप समान !
सिनेहिया बिसरि बैसल अछि गाम !!
नित दिन कौआ कुचरे तैयो
बाट बनल सुनसान,
अंतिम समय पिया नहि आयल,
तेजब प्राण निदान !
सिनेहिया बिसरि बैसल अछि गाम !!
लेखक — श्री व्याधा जी
(ई गीत हमरा कतहु सौं उपलब्ध भेल मुदा प्रायः किछु अशुद्धि छैक)