घर-घर मे यैह कहानी
– नीलमाधव चौधरी, महिषीधाम, सहरसा (हालः गाजियाबाद) अपन फेसबुक सँ
लाल काकी पहिले बेर दिल्ली आयल छलीह । बेटा के रहन सहन देखि मोन गद-गद छलैन्हि । कार, ए सी, फ्रीज ,वाशिंग मशीन इनवर्टर माने आधूनिक सुख सुविधा क सब समान सँ घर भरल छल । लालकाकी अल्पवयसे में बिधवा भ गेल छलैथ । कोनो कोनो लोक कहलकैन फल्ला गाम क रजिस्टार साहब क पत्नी स्वर्गवासी भ गेल छथिन ओ मुखिया जी क ओतय आयल छलाह । अहुँक चर्च भेल । जँ आहाँ के मंजुर होमय तँ वो फिरन के राख लेल तैयार छैथ । लाल काकी क लाल आँखि देखि जे वो पडायल से फेर कहियो कियो एहेन प्रस्ताव ल क नहि आयल । लालकाकी अपन बुद्धि, चातुर्य, संयम सँ जिनगी क बाट देलैन । तकरे फलाफल छल जे फिरन आय निक नौकरी करैत छैथ, घर में एशो आराम के सब सामान रखने छथि ।
लालकाकी के सब तँ ठीक लागैन मुदा फिरन क ड्युटी टाइम । एक त रोज़ टीवी पर देखथिन जे एतय लूट भेलय ओतय मर्डर भेलय, नित्य इहय टा समाचार, एहेन में इ नौकरी जाहि में समय क कोनो ठेकाने ने । कहियो फिरन एक बजे आबथि कहियो दू बजे कहियो चारियो बाजि जाइन एहनो होय जे कहियो काल नहि आबथि । एहि बात पर पुतोहु से कएक दिन चर्च कयलनि । मुदा पुतोहुक लेल धन सन । ओना लाल काकी बेटा क विवाह अपने मन मुताबिक पँचकोसी मिथिला मे करओने छलीह । पुतोहु सेहो पढल लिखल आधुनिक विचारधारा क स्त्री छलखिन । मुदा सासु के एला के बाद एकांत में खलल तँ पडिए रहल छलइन । आ सब सँ बेसि जे शिखा केँ अखरैन, दादी केँ रामायण पढि क सुनयबा काल आ दादी सँ युग जवाना क खिस्सा सुनबा काल वो कतबो चिचियाइत दूनुँ धिया-पूता में सँ कियो नहि हिलैन, एहि काल टा बापक इंस्ट्रक्शन क अक्षरशः पालन होइ । इम्हर काज आ खर्च दूनुँ बेहिसाब बढल जा रहल छल । फिरन केँ ड्युटी क टाइम क हिसाब किताब तँ ओहिना, चिक चिक बढि गेल रहय । रोज रोज यहए चर्चा ई छोडब दोसर पकडब । आफिस क झंझट घर आबि गेलेए आ घर क झंझट ?
फिरन के आब किछ नहि बुझाइन , एक दिस आफिस क चिक चिक, दोसर दिस सासु पुतोहुक स्नेहालाप, तेसर दिस बच्चा सब छेटगर भ गेल छलन्हि एहि मँहगाई में पढ़ाई लिखाई । तकर साक्षात प्रभाव घरनी पर सेहो छलइन । एक दिन घर में प्रवेश करिते बुझा गेलइन जे मामला गंभीर अछि । माँ अपन बिस्तर पर सुतल छलथि, ई तँ कोनो अजगुत बात नहि कहियो काल एहन होइत छल जे फिरन घर में प्रवेश करैत आ माँ नहि टोकने हेथिन, मुदा से कहिओए काल, नहि त घर में प्रवेश करैत देरी ,कान में मायक स्वर जरूर सुनथि, बड्ड अबेर भ गेल’, एहन कोन नौकरी घरक लोक मनुख छै कि नय । फिरन हू हाँ करैत अपन कोठरी में पैसि जाइत छल । मुदा आय माँ किछ नहि बाजल छलखिन जखन कि आय फिरन समय स आबि गेल रहथि । कनिया के देखलइन ओहो पटोटन देने । कात ल जा क बेटी केँ पुछलैथ
की भेलय दाई गे ?
मम्मी के माथ मे दर्द करय छै मम्मी तैं सुतल छै ।
फिरन के बुझा गेलइन माय के सिखाओल बेटी अछि , टस्स स मस्स नहि भ सकत ।
माय लग गेलाह तकिया भीजल छल । अपना पर क्रौध भेलइन, ग्लानि भेलइन आखिर एहन की बात । माता राम गंगा जमुना एक केने छथि ।
हमरा गाम द आब ।
की भेल ?
की हैत जे सबके होइ छै तू हमरा गाम द आब ।
फिरन के बुझा गेलेन मामला बहुत गंभीर अछि । आ माँ एहि स आगू किछु नहि कहती ।
मुदा बात त कह की भेलौ ?
बात ई छल जे लालकाकीक उम्रक संग अपन एकलौता पुत्र पर मोह सेहो बढल जा रहल छलैन । बेटा पूतोहु के बीच अनबन आब बेसि बढि गेल रहइन, आ जखन-जखन इ फसाद होय असर भनसे घर पर पडय ।
ओहि दिन लालकाकी पूतोहु केँ ललकली, किए एना करैत छि भगवान केहेन सुंदर धिया पुता देने छैथ किएक एकरा सब के भूँकें मारैत छिअय । हुनको बैसी टेंसन देबैन त ओहो कोनो दिन टन स रहि जेताह तखन बुझबैय जिनगी कोना बीतैत छय ।
की बुझबैय टन स रहि जेताह रहि जाउथ, जेना हिनकर जिनगी बीतलइन तहिना हमरो बीत जेतैय । लालकाकी अबाक रहि गेलीह । आख़िर की जबाब दैतथिन ।