नेपालक संविधान में मिथिला

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नेपालक नव संविधान आ मिथिला

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आब करीब एक वर्ष पूरय लागल जे नेपाल में नव संविधान घोषणा पूर्व सर्वाधिक झँझटिया विषय संघीय नेपालदेश में प्रदेशक सीमांकन आ नामांकन केर प्रथम चरणक निर्णय लेल गेल छल। असंतोष आ विवाद झँझटिया काज में होइते छैक, घोषित संविधान केर सीमांकन में से देखेबे ता नहि लोक केँ भोगइयो पड़ल। करीब 5 मास केर लम्बा बन्द-हड़ताल केर कारण पहाड़ी प्रदेश में आ बन्द समग्र मधेश प्रदेश में त्राहिमाम मचि गेल जेकरा आनन-फानन में सत्ताधारी शासकवर्ग भारतीय नाकाबन्दी कहि कुप्रचार कय आंतरिक निपटारा करबाक स्थान पर नाकाबन्दी केँ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाकय अपना भैर मूल समस्या केँ झँपबाक असफल प्रयास केलक। एहि विंदू पर नव सरकार फेर गठन भेल अछि। कहल जाएत छैक जे असन्तुष्ट पक्ष केर मुद्दा केँ संविधान संशोधन करैत मनायल जायत। मुदा एक बात कि स्पष्ट अछि जे प्राकृतिक प्रदेश संरचना केँ कियो कहियो तोड़ि नहि सकैछ। जे मिथिला सनातन पहिचान केँ आइ धरि अपन सृजनशील भाषा आ संस्कार संग जोगाकय रखलक भले ओकर अधिकार कियो कोना हरण कय सकत! प्रदेश दुइ में एकर मूलरूप आबिये गेल अछि। एकरा में समुचित सुधार कय असन्तोष केर समाधान करैत देशक विकास दिस बढ़त से पूर्ण विश्वास अछि।

जय मिथिला जय जानकी!!

हरिः हरः!!