यात्रा संस्मरण
– प्रवीण नारायण चौधरी
सन्दर्भः जून १ सँ जून १०, २०१३ केर मिथिला राज्य निर्माण यात्रा – स्थान पुनौराधाम (सीतामढी) सँ महिषीधाम (सहरसा) धरि
सच त ई छैक जे एक कक्षा मे ४०-५० छात्र मुदा प्रथम श्रेणीक छात्रक संख्या बामोस्किल ५-१०! सच ईहो छैक जे प्रथम श्रेणीक कार्य आ अन्य श्रेणीक कार्य केर अनुपात सेहो ताहि तरहक एहि पृथ्वीरूपी कक्षा मे उपलब्ध भेटैत छैक। सब श्रेणीक लोक आ सब श्रेणीक कार्य मिलिकय सुन्दर संसार बनबैत छैक।
काल्हि ६ अगस्त – जगज्जननी जानकी केर अवतरण भूमि पुनौराधाम होएत मिथिला सेनानी लोकनि आशीर्वाद ग्रहण करैत फेरो सँ मिथिला राज्य निर्माण यात्रा केँ आगू बढता – ई पुनः २०१३ केर जून १ सँ आरम्भ रथयात्रा मोन पारि रहल अछि। भगवतीक चरण सँ एक फूल यात्री अनूप केर हाथ मे दैत संकल्प लेल गेल छल। आर तेकर बाद जे यात्रा आरम्भ भेल ताहि मे गाम-गाम आ चौक-चौक सँ गुजरैत ओ रथ आ मुद्दा “मिथिला राज्य निर्माण एवं स्व-विकास” सँ इलाकाक लोक सुपरिचित भऽ रहल छल।
बैढ-चैढकय लोक सब आगू आबि अपन-अपन क्षेत्रक विभिन्न समस्या यात्रा डायरी मे अंकित कय रहल छल। हमहुँ सहभागी रही ई हमर सौभाग्य छल। पहिले दिन बहुत रास अनुभव समेटैत भगवतीक नैहर केर लोक सब सँ भेंट करैत संध्याक समय शिवहर जिलाक देकुली धाम – शिव केर नगरी पहुँचि गेलहुँ। ओतय किछु लोक “मिथिला राज्य निर्माण यात्रा” केर विरोध मे आवाज देलनि आ हमरा सब केँ रथ वापस करबाक लेल दबाव देलनि। ओहो! तेकर बाद तऽ मानू जेना स्वयं देकुली महादेव अपन त्रिनेत्र खोलि देलखिन – ओहि विरोध कएनिहार पर जाहि तरहें स्थानीय पूर्व मुखिया माननीय राजेन्द्र यादवजी केर प्रखर समर्थन मे लोक सब उलैटकय झाड़-फटकार देबय लागल तेकरा सुनि-देखि साक्षात् चमत्कार अपन आँखि सँ देखि हृदय जुड़ा गेल।
कहबी छैक – अहाँ अपन मन आ आत्मा पवित्र राखू, स्वयं भगवान् अहाँक सब योगक्षेम वहन करैत छथि। तहिना भेल देकुलीधाम मे। हम सब एतेक पहिने सँ निर्णय कयने रही जे यात्रा मे पड़ाव एहि ठाम देबाक अछि। लेकिन अपरिचित लोकक बीच कोना कि होयत से नहि जनैत रही। ई सब व्यवस्था देखू जे जानकी स्वस्फूर्त लगा देलनि अपने। एतय मुखियाजी जिनकर आवाज आ कार्यशैली बिल्कुल लालू प्रसाद यादवजी केर शैली मे देखल – अत्यन्त जनप्रिय आ प्रभावशाली, मखैरकय बाजब, मुदा जे बाजब से ठोकल-ठठायल बात।
ओ अर्डर देलखिन जे ई मिथिला राज्य निर्माण यात्रा मे जतेक यात्री सब छथि ई त्रेता युग केर बाद पहिल बेर हमरा सबहक अपन मूल पहिचान सँ परिचित करेबाक लेल आयल छथि, ई सब आजुक महान अतिथि भेलाह आ स्थानीय लोक सब हिनका लोकनिक पूजा-अर्चना करय, सम्मान करय आ मिथिला मे अतिथि केँ जेना देवता मानल जाएत छैक से व्यवहार करय। एतेक कहिते देरी नस्ता, मिठाई, ठंढा, चाह, पान आदिक अम्बार लागि गेल छल। एक कतार सँ पचासो टा कुर्सी लगा देल गेल। घंटों धरि जनसभा भेल। मुखिया जी अपने सँ सभा केँ संचालन केलनि।
प्रो. उदय शंकर मिश्र पूरे रंग मे ओहि विरोध कएनिहार दूबे जी नाम्ना व्यक्तिक अनुरोध मानि पूर्णरूपेण बज्जिका भाषा मे मैथिली मे संबोधन केलनि। लोक सब प्रसन्न छल। ताली गड़गड़ाएत रहल। फेर अखिल भारतीय मिथिला पार्टी व फिल्म अभिनेता सलीम अन्सारी सहित हमरा लोकनि अपन-अपन भावना रखलहुँ। संग मे नेपाल सँ एक पत्रकार कमल रिमाल सेहो छलाह। ओ सब किछु देखि छुब्ध छलाह। ओ चमत्कार केर साक्षात्कार करैत पूर्णरूपेण भावविह्वल छलाह। आनन्द-आनन्द होएत गेल।
जनसभाक बाद फर्स्ट क्लास रहबाक व्यवस्था कएलनि ओ सब। ओतय एक सरकारी अतिथिशाला मे रहबाक खूब नीक इन्तजाम, जेनरेटर चलबाकय बिजली-पंखाक इन्तजाम… भोजनक व्यवस्था मुखियाजी केर घरहि पर भेल। खूब बाबाक नचारी आ विद्यापति केर गीत सब गाओल-सुनल गेल। रातिक १२ बजे धरि देकुलीधाम मे स्वयं महादेवक केर आश्रय मे परमानन्द केर बरखा होएत रहल। आराम कएल सब कियो।
भोरे फेर सब सेवा मे हाजिर! सब यात्री केँ भैर पेट पूरी-तरकारी-जिलेबीक भोजन करेलाक बादे ओतय सँ आगू प्रस्थान कैल जेबाक आदेश छल महादेवरूपी मुखियाजी केर। कतेको लोक स्वेच्छा सँ एहि मुहिम मे जुड़ि गेलाह। बात भेल जे मिथिला राज्य निर्माण सेनाक कार्यालय देकुलीधाम मे उपलब्ध करायब। सुजित भारती व मुकेश भारती बन्धु एकर पूरा भार-सम्भार गछलैन। स्थानीय सब कियो काफी उत्साहित छलाह। यात्रा केँ किछु दूर धरि अरियाति देल गेल। शिवहर धरि आगुए-आगुए ओ सब चललाह।
फेर वैह गति, वैह शैली आ ओहने अभियान। दोसर दिनक अनुभव सेहो किछु मिश्रित रहल। शिवहर जिलाक लोक सब माइक लैत अपन विचार राखैथ आ कहैथ जे “पहली बार लग रहा है कि हमें अपने से दूर किये – गैरमिथिला बना दिये कुछ विद्वानों ने दरभंगा-मधुबनी से मिथिला को आजाद किया है”। किछु लोक व्यंग्य सेहो करैथ, “आज इतने वर्षों बाद आपको हमारी सुध आई कि हम भी मैथिल हैं? साहित्य अकादमी और मैथिली अकादमी के अलावे विश्वविद्यालय तक में आप ही लोग सारा जगह केप्चर करके हमें कहीं ठहरने तक नहीं दिये, और अब राजनीतिक लाभ की बारी आई तो चले आये रथ घूमाने?”
बहुत बात सच मे हमहुँ नहि बुझि रहल छलहुँ…. लेकिन बड पैघ बात ओ सब कहलैन। ई बात यात्रा मे मुजफ्फरपुर जिलाक क्षेत्र मे जखन प्रवेश केलहुँ तऽ किछु बूढ-पुरान भूमिहार समुदायक लोक सब बुझाबैत कहलैन, “जब भाषा की ऐक्यता के लिये विद्वत् समाज ने पहले कोई प्रयास नहीं किया तो धीरे-धीरे लोग खुद को अलग मानने लगे। समाजको जोड़नेका पूरा भार विद्वानों पर होता है। इस मामले में दरभंगा-मधुबनीवालोंपर हम भी उम्मीद लगाये थे। परन्तु स्वतंत्रता के बाद कोई सूरज नारायण जैसा बेटा पैदा नहीं लिया।”
रथयात्रा कुल १० दिन केर छल। हम पहिल २ दिन सहभागी रही। लगभग यैह बात सब ठाम उठत से बुझि गेल रही। यात्रा डायरी मे सब ठामक मुद्दा समेटल गेल। मुजफ्फरपुर मे बज्जिकांचल विकास पार्टीक नेत्री बबिता कुमारी सेहो खूब स्वागत कएली। हुनके घर पर दिनका चाह-पानी सेहो भेल। ओ अपन पार्टीक नीति स्पष्ट केली, पहिने बिहार सँ अलग भेनाय जरुरी अछि। गंगा उत्तर अलग प्रदेश बनय ताहि लेल एकजूट छी हम सब। नाम आ अन्य बुंदा लेल आपस मे बैसार करबाक आवश्यकता अछि। यात्रा एहि क्रम मे चलैत रहल। बीच मे कौशल कुमार व अनुप मैथिल समस्तीपुर आ दरभंगा केर यात्रा पूरा कएलनि। रत्नेश्वर बाबु सेहो समस्तीपुर धरि संग देलखिन। फेर दरभंगा मे कमलेश बाबु आ उदय बाबु संग भेलाह।
डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू केर हर तरहक सहयोग आ मनोबल बढेबाक सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत भेल। दरभंगा मे यात्रीक भोजन व रहबाक सब इन्तजामक संग एकटा गोष्ठीक सेहो आयोजन कैल गेल। अनुप मैथिल ताहि समय मे सेहो दरभंगा केँ अपन कार्यक्षेत्र बनेबाक मन बना चुकल छलाह आ ताहि कारण पूरे शहर मे रथ केँ घुमौलनि। कौशलजीक विमतिक बावजूद अनुपजी एहि मामिला मे कोनो मौका छोड़य नहि चाहला आ अभियान दरभंगा मे एना लहकैत रहल। फेर मधुबनी आ गाम-ठाम होएत जनसभा करैत यात्रा सुपौल, मधेपुरा आ सहरसा पहुँचि गेल। फेर अन्तिम दुइ दिवस हमहुँ सहभागी भेलहुँ। बाबा सिंहेश्वरस्थान, बनगाँव, नीलकण्ठस्थान (चैनपुर) आ उग्रतारास्थान (महिषी) धरि संग रहैत समापन भेल। आर फेर यात्री लोकनि अपन ठेगान पर गेलाह। अस्तु!
ई यात्रा आ एकर जनजागरण सँ माहौल कतय धरि पहुँचल एकर समीक्षा आइ धरि लोक कय रहल अछि।
हरिः हरः!!