पहिने अपन नाम आ काम हो फेर मिथिला लेल सोचबः हम मैथिल छी?

विचार

ram babu singh3– राम बाबु सिंह, मधेपुर (कलुआही), मधुबनी, मिथिला (हाल दिल्ली सँ)

“मिथिला राज्य पुनर्स्थापना” – समस्त संस्था आ सबहक मोनक स्थति लगभग समान छनि, मुदा इच्छाशक्ति सँग समर्पण में बहुत पैघ अभाव छनि। जहिया निजी वर्चस्व केर स्वार्थ केँ बिसरि मात्र मिथिलाक हित मोन मस्तिष्क में आबि जाएत तहिया स्वतः सब किछु भेट जाएत। सब एक दोसर सँ निहोरा करैत देखल जाएत अछि, इम्हर चलि आउ त उम्हर चलि आउ, लोक भ्रम में छथि इम्हर आ उम्हर में की आ कतेक फरक छै? बूझिकय ओ व्यक्ति इम्हर उम्हर छोड़ि रस्ते बिसरि जाएत अछि। एतय की 2 के 5 बाला खेला थोड़े नै होय छै कि तुरन्त लगाऊ आ तुरन्त पाऊ। कुनु चिट फण्ड योजना नै छै यौ मैथिल सरकार?

एतय निवेश छै मोनक विश्वास केर, तनक परिश्रम केर, रुपैया कौड़ी केर, व्यवहारिकता आ वैचारिकता सँग कुशल नेतृत्व क्षमता आ सबसँ बेसी समर्पण भाव सँ काज करय बाला मातृभूमि केर सेनानी केर। हमरा कहबा में कोनो लाज नै अछि कि एखन तकर घोर अभाव देखल जा रहल अछि। सब चाहै छी पहिने हमर नाम स्वर्ण अक्षर में अंकित भ जाए फेर मातृभूमि लेल कुनु काज के लेल सोचब। सपना देखबा पर कुनु सरकारी टैक्स थोड़े नै देबय के अछि? सँजोगने रहु अहि सपना केँ! जीते जिनगी त नै मुदा मरलाक उपरान्त धिया पुता जरूर एकरा लेल दोष दैत रहत आ अपन नाम पर अपने कएल गेल काजक कालिख पोतब?

हम सब बेलुड़ा छी कारण मैथिल छी? सब कियो स्वयंभू छथि। जनकल्याण सँ कोसो दूर बस बिना काजे नामक जय जयकार चाहै छथि। आ ज कियो आगू बढ़ि काज करबाक प्रयास करताह तखन कुकुड़ जेकाँ भौंकब हमर स्वाभाव अछि, किएक त हम मैथिल छी???

अजगर जेकाँ पड़ल पड़ल बस शिकार केर इंतजार करैत रहब हमर स्वाभाव अछि, भेट गेल तखन नीक नै त सड़ल गलल आहार सेहो ग्रहण कय लेब कारण हम मैथिल छी????

स्वाभाव सँ हमरा सबहक ख़ून शान्त आ ठंढा अछि, आंदोलन अभियान सँ कहियौ कुनु लेना देना रहल नै? जहिना जीवन भेट गेल जिवैत रहलहुँ। बीमार आदमी सेहो स्वयं के कहियो बीमार नै बुझै छथि कारण ओकरा ओहि में आनन्द भेटै छनि। हमरा सब शिकारी छी ने ते मरलाहा माल जाल पर टूटि पड़ै छी स्वाभाववश गिद्ध जेकाँ अपन अपन कुरिया लेब लेल कारण हम मैथिल छी????

परस्पर प्रेम आ स्वाभाव अहि आधुनकि परिवेश में ताख पर राखि सब स्वयं में जिव रहल छथि। निज धर्म के बिसरि मार्ग बदलि लेने छी। स्थिती एहन अछि कि जँ पड़ोस के चन्वार जरैत होय तखन हम अपन चन्वार पर पानि झोंकय पर मजबूर छी स्वभावश कारण हम मैथिल छी???

की कहु मोनक व्यथा, बहुत किछ अंतर मोन में उद्वेलित कएने अछि? मुदा फेर अंत में शांतचित भ फेर सँ अपने सब कुशल पाण्डित्यजन मैथिल मिथिला प्रेमी सँ कर जोड़ि कय निवेदन करै छी मिथिला कुनु एक व्यक्ति एक संगठन के आंदोलन नै होयत अछि। समस्त मैथिल के आंदोलन अछि तेँ एक दोसर के मुँह नै ताकू आगू आउ अभियान सँग यथासम्भव सहयोग देबाक चेष्टा करू। मिथिलाक आस्मिता पर कुनु वर्चस्व के बात मोन में नै राखक चाहि।

आग्रह अछि एक मन्च पर एक मत सँ दरिभंगा अधिवेशन में श्रमशक्ति माध्यमे बिहार में जनक्रांति देखेबाक अछि जेकर धमक दिल्ली धरि पहुंचेबाक अछि। जय मिरानिसे जय मिथिला जय जानकी।