कर्नल साहेब – अखिल भारतीय मिथिला पार्टीक पूर्व सांसद प्रत्यासी सदैव मिथिला लेल सोचैत छथि। परञ्च कतहु न कतहु सँ नकारात्मक सोच सेहो हुनका मे आबि जाएत छन्हि। ओ गोटेक-आधेक लोक जे पटनाक गली-कुची आ कि रेस्तराँ या फेर पान ठेला आदि पर भेटि जाएत छन्हि तेकर गप मे फँसि जाएत छथि। आइ अपन चिन्ता व्यक्त करैत लिखलनि अछि जे ‘मैथिल’ पहिचान सब जाति, सब धर्म, सब वर्गक लोक केँ स्वीकार्य नहि भऽ रहल अछि…. ई पक्का हिनका ओहने बोंगपाद लोक सँ जानकारी भेटलनि अछि आ फेर तेहने-तेहने घवाह लोक सब सँ सर्वेक्षण कएलनि अछि जे जमीन पर काज करिते नहि अछि।
पटनाक चिन्तन शिविर मे हिनका लोकनि केँ सीतामढी, शिवहर, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर सहित पूर्वक विभिन्न जिलाक रथयात्राक अनुभव आ लोक मे अपन मिथिला प्रति स्नेहक संग समर्पण केर सब बात मोन पारि देने रहियैन…. तैयो कन्फ्युजन छन्हि कर्नल साहेब केँ। जाबत अहाँ स्वयं धरातल पर नहि लोक सब सँ भेटब तऽ ओ फूस्टिकबाज आ अराजक राजनीति सँ देश केँ लूटनिहार जोंकवत् राजनेता सब मिथिलापर ब्राह्मणक एकाधिकार, मैथिली केँ ब्राह्मणक भाषा आ मैथिल माने मात्र ब्राह्मण कहबे करतनि।
कर्नल साहेब सँ निवेदन करबैन जे मैथिली जिन्दाबाद हो, कर या मर हो, मिथिला आन्दोलन हो – हमरे ३-४ हजार फोलोवर्स हो….. अहाँ कतहु चेक कय सकैत छी आ देखू जे कय गोटा ब्राह्मण आ कय गोटा कोन जाति-समुदायक छथि। आर त आर, काल्हि सेहो जे हम कार्यक्रम एतय विराटनगर मे राखय जा रहल छी ताहि मे आबिकय फेस-टू-फेस देखियौक जे कय गोट ब्राह्मण आ कय गोट अन्य स्रष्टा या दर्शक या वक्ता छथि। अहाँ स्वयं जँ ब्राह्मणक वर्चस्ववादी रोगीक हाता मे अपना केँ राखब तऽ अवस्था मे सुधार कथमपि नहि नजरि पड़त। कृपया ओहि सँ निकैलकय वास्तविक मिथिला मे आउ आ देखू गाम-गाम…. बामोस्किल २-५% लोक उच्चवर्गीय अहाँ केँ मिथिला मे भेटत। जेकर मिथिला सच मे छैक ओ गरीब आ असहाय जनमानस – निरक्षर जनमानस – मजदूरीक बदौलत अपन जीविकोपार्जन चलेनिहार सर्वहारा समाज आ ओकरा सब केँ जातिक नाम पर लूटि रहलैक अछि ओकर अपने मैनजन-मुखिया जे नीतीश आ लालूक झंडा लऽ कय हौउसे-हौउसे करैत छैक, ओकरा आइयो नगण्य ब्राह्मण व उच्चवर्ग केँ मुगलकालीन-ब्रिटीशकालीन सामन्ती युग केँ याद दियबैत छैक…. स्वतंत्र भारतक स्वतंत्रता सँ ओकरा परिचित तक नहि होमय देल गेलैक अछि…. तैँ… यथार्थ धरातल पर जे मिथिला राज्य चाही ओ दिल्ली-मुम्बई-नागपुर-बनारस-जमशेदपुर केर फ्लैट मे आराम सँ रहनिहार उच्चवर्गीय लोक लेल नहि, बल्कि असली धरतीपुत्र सब लेल चाही सरजी। अपने लोकनि ओकरा सबहक मुंह देखियौक आ फूस्टिकबाज धूर्त कविकाठी सबहक चक्कर मे नहि पड़ियौक। हमर करबद्ध निवेदन अछि।
जय मिथिला – जय जानकी!!
हरिः हरः!!