विशिष्ट व्यक्तित्व परिचयः डा. प्रो. डा. केष्कर ठाकुर
साभार निक्की प्रियदर्शिनी – शोध छात्रा एवं मैथिली विदुषी – कवियित्री – रचयिता अपने लोकनिक सोझाँ मे आइ राखि रहल छी विशिष्ट व्यक्तित्व परिचय आदरणीय आ पूजनीय विद्वान् डा. केष्कर ठाकुर जी केर, जिनक योगदान सँ हाल धरि दर्जनो छात्र एक सँ बढिकय एक विषय पर शोध पूरा कएलनि अछि। मैथिली केर इतिहास मे डा. ठाकुर केर नाम राजा जनक समान एहि जीवनकाल मे स्वर्णाक्षर मे लिखल जा चुकल अछि। अत्यन्त सरल आ सरस स्वभावक शिक्षक डा. ठाकुर अपन विद्या आ गुण सँ कखनहु कोनो जिज्ञासू केँ मदैद करय लेल तत्पर भेटैत रहला अछि।
परिचय
नाम – प्रो (डॉ) केष्कर ठाकुर
जन्म – 20 दिसम्बर, 1956 चाइबासा, सिहभूम (वर्तमान झारखण्ड)
मूल निवासी – ग्राम-समौल, पोस्ट-विरसायर, भाया- पंडौल, जिला-मधुबनी, मिथिला
सुपुत्र – स्व0 पं0 क्षेमकर ठाकुर, भूतपूर्व प्राचार्य, मांगीलाल रुंगटा उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय, चाइबासा, राजकीयकृत उ0 मा0 विद्यालय भगवानपुर वैशाली।
माता – स्व0 शोभा देवी।
पत्नी – डॉ अरुणा चौधरी, अध्यक्ष, मैथिली विभाग, मगध महिला कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय, पूर्व सदस्य परामर्शदात्री समिति (मैथिली) साहित्य अकादेमी , नई दिल्ली।
तीन सुपुत्र – कर्नल (ई0) श्रेयस्कर, मेजर पायलट प्रियष्कर, अभिनेता अमियकर (फ़िल्म सिटी)।
शिक्षा –
प्रारंभिक चाइबासा, भगवानपुर (मुजफ्फरपुर) सँ, पटना विश्वविद्यालय, पटना सँ एम0 ए0 (मैथिली) लब्ध स्वर्णपदक 1976 पी-एच0डी0 विषय- “यात्री (नागार्जुन)क रचना मे वर्णित मिथिलाक सामाजिक जीवनक चित्रण” पटना विश्वविद्यालय
सम्प्रति 09/11/1979 सँ मारवाड़ी महाविद्यालय, टी0 एन0 बी0 महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय मैथिली विभाग मे व्याख्याता, रीडर एवं विश्वविद्यालय प्राचार्य (प्रोफेसर) एवं अध्यक्ष पद पर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुरक सेवा मे।
सीनेट, सिंडिकेट, विद्वत परिषदक सदस्य, बिहारक विभिन्न विश्वविद्यालयक सिलेबस कमिटी एवं गोपनीय कार्यक सदस्य।
लेखन –
‘संबोधित स्वर’ (प्रकाशनाधीन) एवं मिथिला एवं भारतक विभिन्न पोथी आ पत्रिका मे लगभग 50 शोधनिबंध प्रकाशित। साहित्य अकादेमीक अनुबंध पर बांग्लाक प्रसिद्ध उपन्यास ‘आरण्यक’ लेखक विभूतिभूषण बंध्योपाध्यायक पोथिक मैथिली अनुवाद।
पाठ लेखन –
वर्ग 7 एवं 8 हेतु पाठ्य पुस्तक मे पाठ लेखन, नालंदा खुला विश्वविद्यालय मे इंटर एवं एम्0 ए0 (मैथिली)क पाठ्यपुस्तक मे पाठ लेखन।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘भूमिजा’ (जनकपुर, नेपाल), सातम अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन, जमशेदपुर एवं अमेरिका सँ प्रकाशित हिंदी पत्रिका ‘विश्वा ‘ मे मैथिली विषय पर केंद्रित शोधालेख प्रकाशित।
संपादन –
‘नव नाट्य पुष्प’, विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम मे सम्मिलित, ‘मैथिली दलित लोकगाथा’, ‘शोधार्थी’।
निर्देशन –
14 गोट शोध छात्र-छात्रा पी0-एच0डी0 उपाधि सँ अलंकृत एवं 9 गोट शोध छात्र-छात्रा शोध हेतु पंजीकृत।
व्याख्यान –
1. पं राधाकृष्ण चौधरी व्याख्यान माला, आयोजक मैथिली अकादमी, पटना द्वारा देवघर मे, विषय ‘मैथिली उपन्यास मे सर्वहारा वर्ग’
2. बी0आर0ए0 बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर द्वारा आयोजित व्याख्यान मे विषय ‘ कथा साहित्य मे संवेदनाक स्वर’
3. झारखंड मैथिली मंच, रांची द्वारा आयोजित व्याख्यान मे विषय ‘मैथिली उपन्यास मे तत्व विधान’
4. मैथिल समाज बनारस द्वारा आयोजित व्याख्यान माला मे ‘विद्यापतिकालीन मिथिला ‘ पर व्याख्यान
आलेख पाठ –
साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, मैथिली अकादमी, पटना, चेतना समिति, पटना, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली, मैथिल प्रवाहिका एवं संस्कृति मंत्रालय छत्तीसगढ़ रायपुर, भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर कर्नाटक आदि द्वारा आयोजित विभिन्न सेमिनार मे शोध आलेख पाठ।
राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, (N M M ) भारत सरकार द्वारा लिपि पठन प्रशिक्षण प्राप्त कए ब्राह्मी, कैथी एवं तिरहुताक ज्ञान।
सम्मान –
मैथिल प्रवाहिका छत्तीसगढ़ द्वारा ‘मिथिला विभूति सम्मान’
मैथिल समाज बनारस द्वारा ‘ विद्यापति सम्मान’।
उद्देश्य –
अनवरत मैथिली भाषा-साहित्यक समबृद्धिक लेल छात्र-छात्रा केँ अध्यन- अध्यापन एवं शोधकार्यक हेतु प्रेरित करब, मैथिली साहित्यक नवीनतम विषय पर कार्यशाला, सेमिनार आदिक आयोजन करब, मिथिला परिषद् भागलपुर द्वारा सांस्कृतिक एवं सामाजिक संगठन मे सहभागिता।
जीवनक मूल मन्त्र –
“सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे संतु निरामया।”
प्रिय शब्द –
“जय माँ मैथिली”