सन्दर्भः मैथिली मे पढबाक रुचि प्रति खास मैथिल जनमानस मे उदासीनता
विचारः डा. अरुणा चौधरी, मैथिली विभागाध्यक्ष, मगध महिला महाविद्यालय, पटना
मैथिली भाषा एक तरफ युपीएससी मे आइएएस-आइएफएस दैत देश मे उच्च स्थान प्राप्त कय रहल अछि, दोसर दिस चहुँदिस मैथिली-मिथिलाक शोर-गूल उठल एना लगैत अछि जे आब सब कियो जाग्रत भऽ गेलहुँ अछि। तैयो, विज्ञजन अपन चिन्ता व्यक्त करैत कहैत छथि जे हमरा लोकनिक अपने व्यवहार अपन भाषा आ संस्कार प्रति क्षुद्रतापूर्ण अछि। ई विचारणीय बात भेल।
मगध महिला महाविद्यालय मे मैथिली केर विभागाध्यक्ष डा. अरुणा चौधरी केर विचार एहि सन्दर्भ मे मैथिलीक प्रखर स्रष्टा निक्की प्रियदर्शिनीक माध्यम सँ एहि तरहें आयल अछिः
“चारु भर मैथिल, मैथिली, मिथिला ओ मिथिला राज्यक चर्चा-परिचर्चा – बहस – मुसाहिबा – संघर्ष चलि रहल अछि, प्रत्येक दिन एहि सबसँ सम्बन्धित सेमिनार – लेक्चर इत्यादि हम सब क रहल छी, मुदा अपना घर मे कतेक गोटा धीया- पुता सँ मैथिली मे गप करैत छी?
मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहारक बच्चा जखन एडमिशन क लेल शहर अबैत छथि आ शिक्षक हुनका अनुनय – विनय करैत छथिन कि नै ऑनर्सक रुप मे त १०० अथवा ५० नं मैथिली विषय लिय, स्कोरिंग विषय छै, ई विषय ल लेक्चरर, टीचर, यू पी एस सी, बी पी एस सी, ट्रांसलेटर व अन्य क्षेत्र चुनि सकैत छी त ओहि बच्चा लोकनिक जवाब होइत छैनि – मैथिली ?? ये क्या होता है ??
पूछैत छियैन जे माय सँ जाहि भाषा मे गप करैत छी ओ छै मैथिली । त जवाब भेटैत अछि – हम तो हिंदी में बात करते हैं। किओ कहत गार्जियन सँ पूछै छियैन (जवाब नकारात्मक) । यदि बुझौला सँ मैथिली विषय चयन करैत छथि त प्रातहि हुनक अभिभावक आबि विषय बदलवा दैत छथिन। से, हे मिथिलावासी मैथिल लोकनि! एवं शिक्षक लोकनि! अपने लोकनि सँ करबद्ध प्रार्थना कि धीया- पूता केँ अपन भाषा बाजय लेल ओ पढ़य लेल अवश्य प्रेरित करी।”
मैडम डॉ अरुणा चौधरीक ई वक्तव्य विचारणीय अछि। तें अपने सभक समक्ष राखि रहलहुँ अछि – ई कहैत व्हाट्सअप ग्रुप सँ सन्देश प्रसारित कय रहली अछि निक्की प्रियदर्शिनी।
वास्तव मे ई बहुत विचारणीय अछि जे हम सब एक दिस जागरुकता राज्य आ विकास आदि लेल आनि रहल छी, परन्तु हमर घर मे बीमारी पसैर रहल अछि तेकरा इलाज प्रति कियो गोटा ध्यान नहि दैत छी।
एहनो नहि छैक जे काज नहि भऽ रहलैक अछि। साहित्यकारक एकटा हुजुम नित्य कोनो न कोनो नव पोथी केर प्रकाशन पर ध्यान दय रहला अछि। कवि-कथाकार-लेखक केर समूह मे सब दिन एकटा नव जोश देखा रहल अछि। दूर-देश मे रहनिहार मैथिली पोथी ताकिकय पढबाक लेल डाक सँ आ अनलाइन सौपिंग मार्ट सँ मैथिली पोथी मंगा रहला अछि। हरेक वर्ष मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल केर आयोजन कैल जा रहल अछि। जैंह-तैंह कोनो कार्यक्रम मे फेर सँ मैथिली कवि लोकनि केँ सम्मान कैल जा रहलैन अछि। मैथिली पुस्तक प्रदर्शनी सेहो लागि रहलैक अछि। कतेको गोटा युपीएससी मे ऐच्छिक विषय मैथिली राखिकय सफलता प्राप्त कय रहला अछि। लेकिन जैड़ मे जे सिंचाई हेबाक चाही ताहिठाम निहित समस्या दिस डा. अरुणा चौधरी ध्यानाकर्षण करबैत अभियानी लोकनि केँ ईहो जिम्मेवारी स्वीकार करबाक आह्वान केली अछि। निश्चित एहि दिशा मे सरोकारवाला सबहक ध्यान जायत।
एकटा बात तऽ छहिये जे बारीक पटुआ तीत… स्वयं मैथिल केँ अपन भाषाक मिठास आ विश्व प्रसिद्ध होयबाक भान नहि छन्हि। हुनका अपन भाषा लिरिक लैंग्वेज – लयबद्ध भाषाक श्रेणी मे फ्रेन्च केर संग पड़बाक अनुमान तक नहि छन्हि। आ नहिये छैक कोनो तरहक राज्य केर अनुशंसा जाहि सँ लोक मे अपन भाषा प्रति झुकाव बनत। एम्हर विद्वत् वर्ग सब जे छथि ओ अधिकांशतः आपस मे उलझल रहैत छथि मानकीकरणक विषय पर, तऽ कहियो पचपनियां बोली आ शैली पर। सब एक-दोसरे मे बेसी उलझल रहैत अछि। ई ओहि किंवदन्ति केँ चरितार्थ करैत अछि जाहि मे कहल गेलैक अछि रणेभीता गृहेसूरा कुलाभिमानी आ आपसे परस्परविरोधिनम्…। दिल्ली आ देश लेल संचारक्षेत्र मे महारत हासिल छन्हि मुदा गामक चिन्ता करैथ टन्ना-दुक्खा सदस्यवला राजनीतिक दल आ राज्य एवम् भाषा आदि लेल आवाज उठेनिहार गोटेक लोक सब; ओ संचारकर्मी आबिकय फूस्टिक छोड़िकय चलि देता यैह हुनकर काज भेल।
जनजागरण अभियान मे बच्चा-बच्चा केँ अपन भाषा सिखबाक – पढबाक – बजबाक आ लिखबाक प्रेरणा कोना आओत ताहू दिशा मे चर्चा-परिचर्चा कैल जाय एहि लेल डा. अरुणा चौधरीक उपरोक्त विचार केँ मैथिली जिन्दाबाद प्रकाशित करैत सर्वजन-समुदाय मे एहि लेल अपील करैत अछि।
हरिः हरः!!