जुलाई १७, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
पुराण मे वर्णित भगवान शिव केर उपासनाक खास महत्व साओन मास मे विशेष कहल गेल अछि। ओना तऽ शिव केर पूजन विधि सब दिन आ सब समय अपरिहार्य अछि, परन्तु साओन मास मे स्थापित शिवलिंग पर जलार्पण करबाक एकटा विशेष परंपरा हिन्दू धर्मावलंबी बीच बेसी लोकप्रिय अछि।
महादेव – महेश – शिव केर अति प्रिय नाम ‘भोलाबाबा’ सँ मिथिलाक जन-गण-मन विशेष रोमांचित होएत अछि। भोला केँ मिथिलाक लोक जमाय सेहो मानैत अछि, गौरी जे शैलपुत्री थिकीह, हुनका मिथिलाक अंग मानिकय मिथिलाक लोक शिव केर बरियातीक स्वागत करैत अछि। आइयो जँ कतहु कोनो विवाह होएत अछि तऽ बेटी-जमाय केँ गौरी-शंकर केर रूप मे देखि लोक अपन हिया जुड़बैत अछि।
शिव केर पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ और ‘महामृत्युंजय मंत्रः ॐ त्यंबकम् यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिवबन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्’ आदि केर जप बहुत खास अछि। एहि मंत्र सबहक जप-अनुष्ठान सँ सब तरहक दुःख, भय, रोग, मृत्युभय आदि दूर होएत मनुष्य केँ दीर्घायु केर प्राप्ति होएत अछि। सब तरहक उपद्रव केर शांति तथा अभीष्ट फल प्राप्ति निमित्त रूद्राभिषेक आदि यज्ञ-अनुष्ठान कैल जाएछ। शिवोपासना मे पार्थिव पूजा केर सेहो विशेष महत्व हेबाक संग-संग शिव केर मानस पूजा केर सेहो बहुत पैघ महत्व अछि। सपादलक्ष्य पार्थिव शिवलिंग पूजाक आयोजन मिथिलाक्षेत्र मे समारोहरूप मे कैल जाएछ।
शिवपूजन लेल बारह मास मे सँ साओन मास केर महत्व विशेष अछि। एहि मास मे नारी संग अधिकांश हिन्दू धर्मावलम्बी पुरुष सेहो शिव केर विशेष आराधना मे रत रहैत छथि। प्रत्येक सोमवारी व्रत आ शिवपूजनक आरो बेसी महत्व कहल गेल अछि। अपन-अपन गाम-घरक आसपास अवस्थित शिव मन्दिर मे भक्त-श्रद्धालू लोकनिक बड पैघ भीड़ एकत्रित होएत सब कियो शिवलिंग पर जलाभिषेक करबाक संग-संग विभिन्न अनुष्ठान, जप, कीर्तन, गायन आदिक संग शिवपूजन करैत रहैत छथि। जहिना नाम छन्हि भोला, तहिना अढरण-ढरण जगत् केर स्वामी शिव सब भक्त-श्रद्धालू लोकनिक हियाक आस पूर करैत छथि। जेकरा जे चाही वैह अभीष्ट पूरबैत रहैत छथि।
बाबा बैद्यनाथधाम केर कामर यात्राक विशेष विधान
मिथिला सहित देशक विभिन्न भाग केर भक्त-श्रद्धालू लोकनिक अपार भीड़ रावणेश्वर शिवलिंग बाबा बैद्यनाथ केर पूजा लेल जूटैत छथि। अजगैबीनाथधाम (सुल्तानगंज, भागलपुर) मे देवनदी गंगा उत्तराभिमुखी बनि बहि रहली अछि, ताहि ठाम सँ गंगाजल भरल गगरीक संग सजल-धजल कामर कान्ह पर लैत ‘बोलबम-बोलबम’ केर नारा सँ गुंजायमान केसरिया वस्त्र-परिधान मे सजल कामरियाक लाइन हरियर-हरियर गाछ आ जंगल केर बीच बनल पगडंडी पर चलैत एतेक सोहावन दृश्य देखबैत छथि जेकर वर्णन शब्द मे करब संभव नहि बुझा रहल अछि। ऊपर सँ प्रकृतिक जल-फूहार – कखनहु जोर सँ छींटा आदिक संग बरसात – सब तरहें आनन्द-परमानन्द केर बरसात होएत रहैत अछि आ लोक सब बाबा लेल जल भरने कामर संग बमकारा नारा लगबैत चलैत रहैत अछि। भोर-साँझ आरती – दिन-राति कामरियाक चलायमान अवस्था – डेग-डेगपर सजल दोकान मे फल, जूस, फलाहारी भोजन, नास्ता, मिठाई, आदिक आनन्द लैत बूढ सँ बच्चा धरिक कामरिया सब बाबाधाम (देवघर) लेल आगू बढैत रहैत छथि। एक सँ बढिकय एक नचारी आ बटगबनी मे बाबाक गुणगान करैत सब कियो कामोद लिंग महादेव सँ अपन-अपन मनक कामना पूर्ति हेतु भक्ति करैत मन्दिर दिस बढैत रहैत छथि।
सुल्तानगंज सँ देवघर आ फेर देवघर सँ वासुकीनाथधाम – कुल दूरी १५० किलोमीटर मे लागल ई मेला विश्व केर सबसँ पैघ मेला समान प्रतीत होएत अछि। नित्य दिन लाखों-लाख लोक कामर उठबैत छथि आर ई क्रम महीनों भरि चलैत रहैत अछि। मिथिलाक कामरिया सब तऽ बारहो मास बाबा केर चरणक पूजा लेल कामर सहित यात्रा करैत रहैत छथि। वर्तमान समय मे मासिक बम मिथिलाक अलावे भारत-नेपालक विभिन्न कोण सँ पहुँचय लगला अछि। शिव केर पूजा-आराधना मे रत भक्त-श्रद्धालू लोकनि मनुष्य जीवन केँ पार लगेबा लेल भोला केर भजन सेहो ओतबे मस्त अन्दाज मे गबैत रहैत छथि। जहतर-पहतर भोला मे मगन भगत लोकनि गाँजा-भाँग केर सेवन करैत दुनिया सँ कटल रहैत मात्र अपन ईष्ट केर सुमिरन मे लागल रहैत छथि। कवि प्रेमी लिखैत छथि, सुख-दुःख के चिन्ता नञ केकरो डसै छै, थौआ छै पैर मुदा चैलिते रहै छै, तैयो नऽ छोड़य छै जल के गगरिया, लाल रंग कामर छै लाल रंग कमरिया!!’ एक सँ बढिकय एक कविक रचना सब सँ बाबाक नाम सुमिरन करैत भक्त लोकनि बाबाधाम मे कामना-लिंग महादेव केर पूजा-आराधना लेल पहुँचैत छथि।
सावन मास केर आरंभ होइते व्रत-उपास केर दौर शुरू भऽ जाएत अछि। सावन मास मे शिवोपासना, शिवलिंग केर पूजा कैल जाएत अछि जाहि सँ मनुष्य केँ अपार धन-वैभव केर प्राप्ति होएत अछि। एहि माह मे बिल्व पत्र, जल, अक्षत और बम-बम बोले केर जयकारा लगाकय तथा शिव चालीसा, शिव आरती, शिव-पार्वती केर उपासना सँ सेहो अहाँ शिव केँ प्रसन्न कय सकैत छी। दयालु होयबाक कारण भगवान शिव सहजहि अपन भक्त सब केँ कृपा पात्र बना दैत छथि।
यदि अहाँ लेल सब दिन शिव आराधना करब संभव नहि होयत तँ सोम दिन केँ शिव पूजन और व्रत कय केँ शिव भक्ति केँ प्राप्त कय सकैत छी। और एहि लेल साओन मास तऽ अति उत्तम अछिये। साओन मास केर समय एक महीना धरि अहाँ भगवान शिव केर विशेष पूजा-अर्चना करैत साल भरिक पूजाक फल प्राप्त कय सकैत छी। शिव केँ दूध-जल, बिल्व पत्र, बेल फल, धतूरा-गेंदा केर फूल और विभिन्न प्रसादक भोग लगाकय शिव केर सफल आराधना कय सकैत छी।
भगवान् अहाँक सब मनोकामना पूर करैथ!
मधूप जी केर लिखल एकटा भावपूर्ण भजनक संग साओन मास मे शिवक आराधना लेल शुभकामनाक संग ई आलेख केँ विराम दैत छीः
तोर घरक लखि हाल महादेव विस्मित अछि संसार
के ई उठा सकय अछि भार
खेती न पथारी न घर घरारी पेटू भरि परिवार
के ई उठा सकय अछि भार
तिख-बिख भोजन सदा मसानी – भूत प्रेत समाज निसानी
नंग-धरंग भंग टा छानी – सह-सह साँप निवासहि जानी
मुंडमाल बिधु भाल जटासँ बहय छै गंगाधार
के ई उठा सकय अछि भार
तोर घरक लखि हाल महादेव……
मधुप जेठ सुत षड्मुखधारी – तपर गजानन पेटक भारी
पंचानन अपनहि त्रिपुरारी – भैरव भेला भांग भरारी
अन्नपूर्णा बिना देतनि के अजगर सभक अहार
के ई उठा सकय अछि भार
तोर घरक लखि हाल महादेव…..
हरिः हरः!!