निर्धन के बेटी बनि जग मे सहब कतेक अपमान यौ

प्रसिद्ध गीत – जेकर मर्म हृदय केँ छूबि जाएत अछि, दहेज मुक्त समाज निर्माणार्थ एहि गीत केँ हम सब बेर-बेर मनन करी। आइ एक गैर-मैथिलीभाषी सज्जन ई गीत उपलब्ध करेबाक अनुरोध पठौने छलाह। 

nirdhan ke beti

गीत

बारि वयस बितै अछि हमरो, सुनियौ कृपानिधान यौ।

निर्धन के बेटी बनि जगमे, सहब कतेक अपमान यौ॥

 

काका घुरला वर नहि भेटलनि, जँ भेटलनि त बात नहि पटलनि।

दस लाख के बाते सुनि क, बाबू मुनलनि कान यौ….

निर्धन के बेटी बनि जगमे, सहब कतेक अपमान यौ!

 

बाप गरीब माय कि करती, बेटी देखि मनहि मन झखती।

हुनका आँखिक नोर देखि क, भैया तेजथि प्राण यौ……

निर्धन के बेटी बनि जग मे, सहब कतेक अपमान यौ!!

 

जामुन देहे चाइल उचक्का, मुँह नै कान सेहो लेत टाका।

एहनो वर के बाप मुदित मन, ऐंठल चलत उतान यौ…..

निर्धन के बेटी बनि जगमे, सहब कतेक अपमान यौ!!

 

लाज हमर नवयुवक बचाबथि, अबला के प्रेमी बनि आबथि।

दुखिया के प्रेमी बनि औता, तखन होयत कल्याण यौ….

निर्धन के बेटी बनि जगमे, सहब कतेक अपमान यौ!!

 

(एहि प्रसिद्ध गीत केर रचनाकार संभवतः विभूति आनन्द छथि, ई साभार वीणा यादव केर हम सब मैथिल छी ग्रुप पर राखल गेल पोस्ट केर संपादित रूप एतय तत्काल लेल पोस्ट कैल जा रहल अछि।)