केकरा चाही मिथिला राज्यः सर्वेक्षण आ परिणाम
– प्रवीण नारायण चौधरी
सन्दर्भ – मैथिली जिन्दाबाद वेब पोलिंग (मतदान)
प्रश्न – अहाँ केँ कोन मिथिला राज्य चाही?
जानकीक बाप जनकक मिथिला (79%, 57 Votes)
हमरा लेल बिहारे नीक अछि (13%, 9 Votes)
बाभन-सोलकन आ जातिवादी सँ ग्रसित मिथिला (8%, 6 Votes)
Total Voters: 72
ई एकटा दृष्टान्त थीक जे वर्तमान मिथिला समाज मे केहेन मिश्रित जनभावना अछि अपन मिथिला राज्य लेल। अशिक्षित लोक केर तऽ बाते कि कहू, शिक्षित सुसंस्कृत लोक पर्यन्त मिथिला राज्य केर मुद्दा सँ सही-सही परिचित नहि बुझाएत छथि। परन्तु वोटिंग केर परिणाम स्पष्ट देखा रहल अछि जे प्रत्येक मिथिलावासी केँ अपन मूल पुरुष ‘जनक’ सँ प्रेम छन्हि। जनक अपन नामहि गुणे धर्म सेहो निर्वाह कएलनि अछि। शास्त्र-पुराण मे वर्णित हुनक यशगान सेहो एहि बात केर पुष्टि करैत अछि जे हम वर्तमान मैथिल जनमानस अपन पुरखा प्रति श्रद्धावान बनिकय करैत छी।
आय सवाल मात्र अपन राज्य केर छैक। काल्हि फेर ओत्तहु वैह चुनाव, वैह नेता आ वैह समाज – सरोकार – सरकार बनत। तैँ प्रश्न उठैत छैक जे कोन मिथिला राज्य लेब, जनक जाहि तरहक मिथिला बनौलनि जे जानकी समान जगज्जननी केँ एहि धरा पर अवतार संभव भेल ओ मिथिला आ कि गोटेक वर्ष पूर्व (भारतक स्वतंत्रता पूर्व) धरि जेना सामन्ती – जमीन्दारी प्रथा मे ‘बाभन-सोलकन’ मे बँटल मिथिला समाज छल तेहेन मिथिला बनायब, या फेर हमरा लेल बिहारे सही अछि। उपरोक्त मतदानक तीनू विकल्प ताहि कारण एनाही राखल गेल छल।
परिणाम सोझाँ मे अछि। बेजा कियो नहि चाहैत अछि। जानकीक बाप जनकक मिथिला सब केँ चाही, कुल ७२ मत मे सँ ५७ मत पूर्ण बहुमत यानि दुइ-तिहाई सँ बेसी एहि पक्ष मे अछि। आर, ६ मत देनिहारक मत सँ विखंडित समाजेवला मिथिला ठीक रहत, एहेन दृष्टिगोचर भऽ रहल अछि। आर ई कहय मे हमरो लाज नहि होएत अछि जे पढलो-लिखल मैथिल अपना केँ बिहारी पहिचान सँ ताबत धरि अलंकृत पबैत छथि जाबत कोनो आन स्टेट मे बिहारी बहुसंख्यक केर कारी करतूतक कारण माथ झुकि जाएत छन्हि आ तखन अपने बिहारी अन्य बिहारी केँ गारि पढैत मोन मना लैत छथि। जे बिहार मिथिलाक पहिचान पर ग्रहण लगौने एकरा पूर्ण मृत्यु देबाक सब खेल मे मगन अछि, ताहि बिहार केर जय-जयकार करनिहार आइयो मैथिल जनमानस मे सब जाति आ वर्ग मे देखाएत अछि। हम सब एहि मानसिकता मे सुधार लेल ईश्वर सँ मात्र प्रार्थना कय सकैत छी। एतय मतदानक परिणाम मे ‘हमरा लेल बिहारे ठीक अछि’ विकल्प पर स्वतः ७२ मे सँ ९ मत यानि १३% मत खसब जायजे अछि।
कतेक लोक तऽ ई सब चर्चा सुनैत देरी नाक-भौं सिकोड़ब शुरु कय दैत छथि। ओ सब नेतागिरी आ राजनीति केर अति-चहल-पहल सँ पहिने सँ ततेक आहत छथि जे ई मिथिला राज्य विषय हुनका वास्ते कतहु ठाढ होयब त दूर चर्चा शुरु करब तक बड पैघ अपराध थीक। हिनका सब लेल राज्य आ राजा सब बात स्वस्फूर्त चलयवला प्रक्रिया थीक जाहि मे हुनकर कोनो रुचि नहि रहैत छन्हि। चुनाव थिकैक, हर ५ वर्ष पर होएत छैक, मध्यावधि चुनाव सेहो संभव छैक, चुनाव आयोग द्वारा निहित मार्गचित्र पर सब बात भऽ जेतैक…. मोन हेतैन ओ वोट देमय चलि जेता… नहि तऽ सब किछु अपन गति सँ होएत रहतैक, हिनका सब केँ घर मे नीक-निकुत भोजन चाही, कपड़ा खूब साफ-सुथरा आ अपन धिया-पुता परिवार सब कियो कुशल चाही। बस! मिथिला राज्य होइ – नहि होइ, एहि सब सँ हिनका कोन लेना-देना!
तखन फेर मतदान केर परिणाम मे दुइ-तिहाई बहुमत सँ बेसी एहि पक्ष मे अछि जे जानकीक बाप जनकक मिथिला चाही। ई आँकड़ा ब्रह्मसत्य केँ ओहिना निरूपित कय रहल अछि जेना अहाँ कान्सियस वोटर्स केँ कोनो एक स्थान पर राखि कोनो निश्चित विन्दु पर पोलिंग करैत छी आ बहुमत सत्यक पक्ष मे रहैत अछि। कोनो वेबसाइट पर उपलब्ध मतदाता मे मिथिला राज्य या स्वराज्य केर महत्व स्पष्ट छैक। ऊपर सँ एतय उपलब्ध बेसी रास मतदाता उच्चवर्गीय शिक्षित जनमानस मे सँ छथि। स्वाभाविके हुनकर झुकाव स्वतंत्र-स्वच्छन्द-स्वराज्य दिस हेबे करत। आवश्यकता छैक जे एहि वर्गक लोक बेसी सँ बेसी यथार्थ धरातल पर रहैथ। तखन हुनकर मतदान सही आ सार्थक होयत। मिथिला राज्य केर निर्माण मे ई सूत्र केर प्रयोग करैत स्वराज्य निर्माण होयत एकर अपेक्षा अछि, लेकिन धरातलीय गतिविधि मे कमी रहि जाएत अछि आ एहि कमी केँ दूर करबाक लेल युवा केन्द्रित मिथिला राज्य निर्माण सेना समान प्रतिबद्ध कार्यसमूह चाही। शनैः शनैः सब कार्य सफलता दिस अग्रसर भऽ रहल अछि। कल्प्रिट आ सेल्फिश एक्टीविस्ट्स केर कारण मिथिला आन्दोलन भले बेर-बेर पटरी सँ उतरैत रहल – उतरैत रहत, लेकिन प्रक्रिया यैह थिकैक। कार्यसिद्धिक दिशा मे हम सब कियो अग्रसर छी।
जय जानकी – जय जनक!
जय मैथिली – जय मिथिला!!
हरिः हरः!!