कक्का जी के विचारः गरीबे न रहत तऽ गरीबी कैसे ना हँटत

व्यंग्य प्रसंग

साभारः अपन मिथिला 

लिंकः https://www.facebook.com/apnmithilaa/photos/a.480691718763101.1073741827.480690508763222/660290944136510/?type=3&theater

kakka jeeकक्का जी कहिन…

भतिजा: कका हौ ! एगो बात पुछू ?

कका : हँ ! बौआ जे पुछे के हबे पुछू !

भतिजा: मधेशके जमीन बहुत पैदावार बाला हई, बहुत फसल होई छै । तैयो हमरा आउर के गरीबी किए ना हटै छै ? मधेशी सबके अइसन हाल कैला हो गेलई ?

कका : फसल के साथ साथ मधेश में “मसीहा” सबके सेहो पैदावार बेसी हो गेल है … अपन उपीन्दर, रजीन्दर , महन्थ बाबा, आउर ई राउत डॉग्डर साहेब जेतना नाम लेबs नेता सबके, सब छथ एक पर एक बड़का मसीहा… ई सब कह तs रहल छथ कि मधेश “स्वर्ग से सुन्दर” बनतै, खाली हुनका आउर के पामर चाही… होईत होईत आब मसीहो से बड़का पदवी हुनका आउर के मिले लगलै । कोइ कोइ “फलाँ बाबु” हमरा आउर के भगवान हई सेहो कहे लगलइ ह । तोरो मालुमें ह कि भगवान जमीन पर न न रहै छै, स्वर्ग में रहै छै । त आब स्वर्ग से सुन्दर बनतै कि स्वर्ग बनतै आ हमनी स्वर्गवासी, से न कह सकबो ! बुझले बौआ, फिकिर न करs ! आब गरीबी जरुर हट जतै । जब गरीबे न रहतै त गरीबी कहाँ से रहतै ? उ कहै छै न कि “बेसी जोगी मठ उजाड़” सेहे बात हइ मधेश के… ।

नोटः विदित हो जे नेपाल मे भौगोलिक तीन रूप अछि। सबसँ ऊँच हिमालय जतय लगभग बारहो मास बर्फ जमल रहैत अछि, किछु भूभाग मानव बसोवास लायक सेहो अछि, ओकरा हिमाली कहल जाएछ। दोसर, बीच मे पहाड़ केर भाग जाहि मे घाटी क्षेत्र मे सघन मानवीय आबादी केर बसोवास रहैत अछि, संगहि पहाड़पर सेहो नीक संख्या मे मानवीय बसोवासक क्षेत्र अछि, जेकरा पहाड़ कहल जाएछ आर ओतुका बासिन्दाकेँ पहाड़ी। तहिना तेसर मैदानी भूभाग अछि जे भारतक सीमासँ पूब, पच्छिम आ दच्छिन मे जुड़ैत अछि, जेकर संस्कृति भारतीय भूभाग सँ बेसी मेल-जोल खाएत छैक ओकरा तराई अथवा मधेस कहल जाएत अछि। जहिया सँ नेपाल मे राजतन्त्र केर अन्त भेल, ताहि समय सँ मधेस व मधेसी द्वारा समान नागरिक अधिकार केर संघर्ष चलि रहल अछि जेकरा मधेसी आन्दोलन कहल जाएत अछि। कतेको लोक एहि आन्दोलन केँ मुक्तिक लेल आन्दोलन सेहो कहैत अछि। परञ्च उपरोक्त व्यंग्य मे कहल गेल मुताबिक एहि ठामक नेता मे आपसी मेल-जोल केर कमीक कारण अधिकार संपन्नता नहि भेट रहल अछि, ताहि लेल व्यंग्यशैली मे कहल गेल अछि जे बहुते रास मसीहा फसल संगे उगि गेलाक कारण एतुका ई हाल अछि। संगहि, जहिया-जहिया एहि मसीहा सब केँ केन्द्र मे सत्ताक भोग भेटैत अछि तहिया-तहिया ई सब मधेसक मुक्तिक बात बिसैर जाएत अछि। नेपाल मे किछुए मास पूर्व नव संविधान जारी भेल जाहि मे मधेस व मधेसीक मांग केँ पूरा नहि करबाक आरोप लगायल जाएत अछि आर ई आन्दोलन कोनो न कोनो रूप मे एखनहु जारिये अछि सेहो कहल जाएत अछि। उपरोक्त भाषा वर्तमान समय प्राचीन मिथिलाक राजधानी जनकपुर केर आमजनवर्गीय लोक द्वारा बाजल जायवला मैथिलीक बोली थीक। संदेश मनन योग्य अछि।