कहाय टा लेल लोक बौद्धिक, यथार्थतः स्वार्थी और मूर्खः डा. देवेश

विचार

– डा. देवेश कुमार ठाकुर, काशी (मूलः सीतामढी, मिथिला)

devesh kumarजे लोक सब बिहार केँ विशेष दर्जाक माँग कय रहल अछि, ओ सब बहुते पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाबैत मिथिला केँ बाँटबाक काज कय चुकल अछि। अत्यन्त शातिराणा तरीका सँ ई गिरोह द्वारा मिथिला केँ अंगिका, तिरहुत, कोसी और सीमांचल मे बाँटिकय राखल गेल अछि। बिहार केर २४ जिला और झारखण्ड केर ६ जिला मैथिली भाषी रहल। (डा. जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन केर लिग्विस्टीक सर्वे अफ इण्डिया १९०३ सँ १९२८ विभिन्न एपिसोड मे प्रकाशित, पटना उच्च न्यायालयक विभिन्न न्यायादेश, आदिक सन्दर्भ।) ई सब कहियो एक नहि भऽ पाबय और ओहि कुत्सित मानसिकताक राजनीति कएनिहारक राजनीतिक विरासत केँ कियो चुनौती नहि दैक, ताहि लेल एहेन विभाजनक नींब पड़ल। मुदा एहि कुत्सित राजनीतिज्ञक मनसाय केर पता तखन चलैत अछि जखन ई बिहार केँ विशेष राज्य केर दर्जा दियवाकय मिथिलाक संसाधन केँ लुटय लेल छुपल इच्छा रखैत अछि।

एकटा चौंकाबयवला तथ्य पटना गेलापर पता लागल, मिथिला केर विकास मे जे कोनो योजना चलि रहल अछि ओ दिल्ली सँ मात्र देल गेल अछि। राज्य सरकार अपन कोष मे सँ एको रूपया नहि दय रहल अछि। विधायक निधी पहिलहिये समाप्त कैल जा चुकल अछि। जखन मिथिला केँ बिहार मे रहैत किछु भेटबाके नहि छैक, साधारण लोक अपन स्वाभिमान केँ त्यागिकय घर सँ पलायन लेल मजबूर अछि, शेष बिहार एम्हुरका लोक केँ मजदूर केर रूप मे जानैत अछि, तखन एहेन परिस्थिती मे संग रहबाक कोनो औचितय नहि छैक।

हमर संस्कृति सबहक सम्मान करब आर मृदु बोली बाजब सिखबैत अछि, एकरा हमर कमजोरी बुझबाक कियो भूल करत ई सरकार पर भारी पड़यवला अछि। हम अखण्ड भारत केर सोच राखनिहार लोक छी, लेकिन भारत केर एक खणड मिथिला और ओकर संस्कृति केर उपेक्षा ठीक नहि अछि। 

मिथिला राज्य अलग हो – ई आन्दोलन कोनो व्यक्ति केर नहि छी। ई आन्दोलन मिथिलाक आम जनताक थीक। जेकरा संग छल कैल गेल अछि, ओकर आन्दोलन थीक मिथिला राज्य केर निर्माण बिहार सँ पृथक् कैल जाय। कम सँ कम मिथिलाक अपन कोष व कार्यक्रम रहत आर ओकर क्रियान्वयन सँ एहि छल सँ छुटकारा भेटत। जे छलल गेल अछि, जेकर संग कियो नहि दैत अछि, जे सम्मानपूर्वक अपन परिचयो नहि दैत अछि, जे वर्षोंवर्ष सँ तिरस्कृत अछि, ई सिर्फ ओकर आन्दोलन थीक। हम मात्र विचार प्रकट कय रहल छी।

कहैत अछि लोक जे एहिठामक लोक जे अत्यन्त बौद्धिक आ सुसंस्कृत अछि ओ सब एहि मुद्दा पर एकजुट नहि अछि, तखन पिछड़ल वर्गक बाते कोन। हमर विचार सँ ओ बौद्धिक कम आ दंभी बेसी अछि। वैचारिक समानता एतय जरुर आओत जखन सबहक सोझाँ बिहारक छल-कपट स्पष्ट होयत। बौद्धिकताक तात्पर्य स्वार्थलोलुपता कदापि नहि होएत छैक। एहेन बौद्धिक वर्ग केर दंभ थीक ई बौद्धिकता, असल मे ई सब स्वार्थी आ मूर्खक काज भेल। आब १०० वर्ष मे सेहो यदि बिहार केर उपेक्षा सँ लोक परिचित नहि भेल वैह एहेन मतभिन्नता राखि सकैत अछि। आइ बिहारक ९०% जनताक भर प्रवासक जीवन मे छैक, कि मिथिला एतेक विपन्न कहियो रहल छल, एतबो बुद्धि नहि तऽ बौद्धिकता केहेन। सब केँ ई बुझबाक आवश्यकता अछि जे अपन राज्य अन्तिम समाधान थीक। हिन्दीक ई दुइ पाँति सब केँ ध्यान मे रखबाक चाहीः

नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो रहे तटस्थ समय लिखेगा उनके भी अपराध!

समय आबि गेल अछि जे जन-जन केँ बिहारक एहि छल-कपट केर बारे जानकारी हो आर मिथिला राज्य निर्माण केर प्रक्रिया शीघ्रता सँ पूरा करेबाक लेल लोक दबाव दियय।