हैदराबाद मे देसिल बयना द्वारा मिथिला विभूति पर्व

‘देसिल बयनाक’ मिथिला विभूति पर्व संपन्न

– विकास झा, हैदराबाद। मई ३१, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!

hyderabaad1भारतक सुदूर दक्षिण मे मैथिली साहित्यिक प्रतिनिधि संस्था ‘देसिल बयना’ द्वारा एहि वर्ष व्यंग्य सम्राट स्व. हरिमोहन झा पर केन्द्रित ‘मिथिला विभूति पर्व’ दिनांक २९/५/२०१६ केँ केंद्रीय विश्वविद्यालय ( हैदराबाद ) केर स्कूल ऑफ़ ह्यूमैनिटीज़ केर सभागार मे मनाओल गेल ।

कार्यक्रम केर शुभारम्भ मंचासीन अतिथिक हाथें दीप प्रज्वलन आ हरिमोहन झाक प्रतिमा पर सभागार मे उपस्थित साहित्यप्रेमी द्वारा पुष्पार्पण सँ भेल । तदोपरांत विदुषी द्वय श्रीमती अर्चना झा आ श्रीमती शारदा झा द्वारा गोसाउनिक गीत आ स्वागत गीत केर कोकिल गान सँ समस्त सभागार मुग्ध भ’ उठल ।

कार्यक्रम कें आगाँ बढ़बैत उपस्थित विद्वान लोकनि प्रो० झाक स्मृति मे पुण्यात्मा कें नमन करैत हुनक एकाधिक आयाम पर अपन-अपन वक्तव्य रखलाह । संस्थाक संयोजक/संस्थापक श्री दयानाथ झा अपन उद्गार आ आशीर्वचन मे नवतुरिया केँ आगु आबि साहित्य आ संस्कृति केँ अक्षुन्न रखबाक विह्वल इक्षा सोझा रखलैन आ संगे विगत ६ मास मे दिवंगत भेल मिथिला-मैथिलक लेल सम्पर्पित पुण्यात्माक प्रति शोकसंवेदना व्यक्त केलैन।

hyderabaadदरभंगा सँ आयल मुख्य अतिथि प्रा. डा. मंजर सुलेमान द्वारा हरिमोहन झाक विभिन्न रचनाक सूक्ष्म विश्लेषण करैत ओहि मे निहित सामाजिक सरोकार आ प्रगतिशीलताक संग पाखंडक विरोध करबाक बारिकी केँ फरीछ करैत समकालीन विश्वसाहित्यक सन्दर्भ दैत ई सिद्ध कएलनि जे कोना हरिमोहन झा साहित्याकाशक भोरुकबा तरेगन सन सदिखन विशिष्ट भ’ एखन धरि प्रेरणाक दिव्य पुंज बनल छथि ।

विशेष अतिथि आ संस्कृत सं साहित्य अकादमी अवार्ड प्राप्त केनहार उद्भट विद्वान् प्रा. डा. राधाकांत ठाकुर द्वारा हरिमोहन झाक रचना मे संस्कृत आ दर्शनक विन्यासक मादे बृहद वक्तव्य रखलैन । तहिना मुख्य अतिथि आ हैदराबादक मैथिलक ह्रदयसम्राट श्री बुद्धिनाथ झा अपन वक्तव्य मे हरिमोहन झाक कथाक अनुपम शिल्प आ संवाद शैली पर प्रकाश दैत कहलैन जे मैथिल सबकिछु बिसरि सकैत अछि मुदा हरिमोहन झाक सृजित पात्र हुनक मानस पटल सं कथमपि विस्मृत नहि भ’ सकैत अछि । श्री झा अपन पांडित्य-पूर्ण व्याख्यान मे हरिमोहन झाक जिनगी सँ जुरल बहुत रास प्रसंग श्रोताक आगु रखलैन ।

विशेष अतिथि प्रा. डा. अहिल्या मिश्र हरिमोहन झाक साहित्यक व्यापकता आ एकर मिथिलेतर प्रसार पर प्रकाश दैत प्रो. झाक विराट व्यक्तित्व सं श्रोता कें परिचित करौलैन ! संस्थाक महासचिव श्री मनोज शांडिल्य संस्थाक साल भरिक पेटार श्रोताक मध्य फोललनि ! हुनक कथ्य मे संस्थाक गौरवबोध ई कहैत भेटल जे कोना देसिल बयना आँकुर सँ लत्ती बनि मैथिली साहित्य मे एकटा बेस चतरल, फूल आ बतिया सँ पाटल एकटा हिलसगर कनक लता सन अभरैत अछि।

संस्थाक उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर झा अपन विलक्षण उद्घोषण सँ पहिल सत्र केँ विशेष प्रभावकारी बना अंत धरि राखलनि। पहिल सत्रक समापन संस्थाक अध्यक्ष श्री चन्द्रमोहन कर्णजीक संबोधन सँ भेल आ अपन संबोधन मे सय प्रतिशत ईमानदार होइत समस्त सहयोगीक प्रति अपन विनम्र आभार प्रकट करैत संस्थाक उद्देश्यक प्रसांगिकताक मादे सदस्यक संख्या मे बृद्धिक बात रखलनि।

तदुपरान्त भोजनावकाश आ पोथिक स्टॉल लग एकटा छोट सन मिथिलाक प्रत्यक्ष अनुभूति समस्त आगंतुक अतिथि कें ‘देसिल बयना’क प्रसंसा करबाक लेल बाध्य केलक । अहुना जखन मंच सँ साहित्य आब हेरायल सन लगैत अछि ताहि अकलबेरा मे मैथिलीक लेल ई बड्ड पैघ उपलब्धि छैक जे मात्र साहित्य केन्द्रित भरि दिन कार्यक्रम होइत अछि आ भोर सँ साँझ धरि श्रोता पूर्ण तन्मयता सँ ओहि मे रमल रहैत अछि। कहब अतिशयोक्ति नहि होएत जे ‘देसिल बयना’ ओ अएना अछि जाहि मे आनो सँस्था सब देखि अपन बगए सँवारि सकैत अछि ।

एहि सत्रमे संस्था द्वारा प्रकाशित बहुचर्चित स्मारक पत्रिका ‘देसिल बयना’क विमोचन अतिथिगण तथा संस्थाक पदाधिकारीगण द्वारा कयल गेल। दोसर सत्र मे कवि गोष्ठी; उद्भट विद्वान् आ मंचिय परम्पराक शीर्ष पुरुष श्री बुद्धिनाथ झाजीक अध्यक्षता मे भेल । अहि सत्रक आरम्भ बौआ अनन्याक कविता पाठ सं भेल आ अहि क्रम कें अगां बढबैत मंजर सुलैमान, त्रिवेणी झा, राधाकांत ठाकुर, बुद्धिनाथ झा, चंद्र मोहन कर्ण, मनोज शांडिल्य, मोहन मुरारी झा, विकाश झा, शारदा झा, मीनाक्षी चौधरी, अर्चना झा, मनोजकुमार झा, शम्भुनाथ झा, दीपक झा, जयचंद्र झा सहित लगभग दू गाही कवि/कवियित्री लोकनि अपन अपन कविता पाठ केलनि !

दोसर सत्रक मुख्य आकर्षण श्री बुद्धिनाथ झाजीक कविता रहलैन जे अहि बातक पुष्टि करैत अछि जे एखनहुँ मैथिली मे श्रोताक अभाव नहि छैक जँ माँजल कवि समक्ष होइथ । कार्यक्रमक समापन संस्थाक उपाध्यक्ष डॉ अजित कुमार ठाकुरक धन्यवाद ज्ञापन सँ भेल।