काठमांडु, ३० मई, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
बितल शनि दिन २८ मई नेपालक गणतंत्र दिवस पर आयोजित सभा मे प्रधानमंत्री के. पी. ओली केर उपस्थिति मे पूर्व उपराष्ट्रपति परमानन्द झा केर बैसबाक लेल कोनो निर्धारित जगह नहि रहबाक कारणे अपमानित महसूस करैत सभा सँ वापस बाहर जेबाक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटल अछि।
एहि सन्दर्भ मे संचारकर्मी बिरेन्द्र केएम द्वारा पूर्व उपराष्ट्रपतिक प्रतिक्रिया मंगला पर ओ कहलैन जे, “हम गेल रही, ओतय पहिले सँ सब कुर्सी मे नाम-प्लेट लगायल गेल छल, पूर्व राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपतिक नाम कतहु नहि लिखल छल। आब दोसराक कुर्सी मे बैसबाक बातहि नहि भेल, हम अपमानित महसूस केलहुँ आर वापस आबि गेलहुँ।”
विडंबना देखू जे नव नेपाल मे गणतंत्र केर प्रवेश भेलाक बाद ओ एहि मुलुक केर प्रथम उपराष्ट्रपति बनलाह। लेकिन प्रथम उपराष्ट्रपतिक सम्मान वास्ते व्यवस्थापन-आयोजन समिति द्वारा कोनो सम्मान नहि देल जेबाक घटना केँ कोन रूप मे लेल जाय? सर्वविदिते अछि जे नेपाल मे पहाड़ी मूल केर पदधारी केँ प्रथम दर्जाक नागरिक मानि एकटा अलगे सम्मान देल जाएत छैक, मधेस (नेपालक तराई भूभाग) केर वासिन्दा कतबो पैघ पद पर स्थापित भऽ जाय तैयो ओकरा दोसर दर्जाक नागरिक मानिकय एहि तरहक दुर्घटना जानि-बुझिकय कैल जाएत रहलैक अछि। एहि सँ पूर्व मे सेहो अवहेलनापूर्वक मधेसी मूल केर पदधारी व आम जनताक संग कइएक बेर भेल अछि। परन्तु वर्तमान समय जखन नेपाल संविधान-शासित संघीय मुलुक मे परिणति पाबि गेल, ताहि संविधान केर निर्माण लेल विशेष दिवस ‘गणतंत्र दिवस’ पर संविधानक अत्यन्त सम्मानित पदधारीक मूल ‘मधेसी’ होयबाक कारण पूर्व राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति वास्ते कोनो स्थान तक निर्धारित नहि करब ई दरसाबैत अछि जे विभेदक अन्त आत्मा सँ एतय एकदम नहि भेल अछि।
एक दिस बड़-बड़ दाबी कैल जाएत अछि जे सब नागरिक केँ समान अधिकार देल गेल अछि नव संविधान मे, केकरो संग आब विभेदक बाते नहि अछि, मुदा दोसर दिस एहेन दुर्भाग्यपूर्ण अपमान व्यवहार मे फरक केँ स्वतः झलकाबैत मुंह बाबिकय कहैत अछि जे ई देश मे एखनहु परिवर्तन लेल क्रान्तिक समय अन्त नहि भेल अछि। मधेसवादी नेतृत्वकर्ताक आरोप यदाकदा झूठ अभरैत छल, परञ्च एहि दुर्व्यवहारक घटना सँ हृदय काँपि उठल अछि। ई नेपाल एखनहु एकल पहिचान – एकल भाषा – एकल देश केर लीक सँ ऊपर नहि उठि सकल अछि। एतय नेपाली कहेबा पर गर्व करबाक लेल बहुत रास कसरत एखनहु बाकिये अछि। नव संविधान मे उद्धृतो कैल गेल अधिकार सचमुच व्यवहारो मे परिणति पाओत एहि पर सन्देह गंभीरता धारण कय रहल अछि।
समाचार साभारः हिमालिनी
ओली की उपस्थति में पूर्व मधेशी उपराष्ट्रपति झा की बेइज्ज्ती, झा द्वारा गणतन्त्र दिवस बहिस्कार
‘म त्यहाँ गए, त्याँहा पहिलादेखि नै सबै कुर्सीमा नाम प्लेट लगाइएको थियो, पुर्व राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपतिको कहि नाम लेखिएको थिएन । अब अर्काको कुर्सीमा बस्ने कुरा भएन, म अपमानित फिल गरे, रफर्केर आएँ’ !
@गणतान्त्रिक देशको पहिलो उपराष्ट्रपति परमानन्द झाको प्रतिकृया
-Birendra Km
काठमाडौं, २८ मई । पूर्व उपराष्ट्रपति परमानन्द झा आज गणतन्त्र दिवस में भाग लेने के लिए दौरा-सुरवाल, कुरता और ढाका टोपी लगाकर टुँडीखेल पहुँचे थे | लेकिन वहाँ आयोजित कार्यक्रम में उनको बैठने की व्यवस्था नहीं थी | थोड़ी देर पूर्वउपराष्ट्रपति महोदय इधर उधर देखे | फिर बाद मे उन्होंने आज शनिबार सुबह सैनिक मञ्च टुँडीखेल में आयोजित कार्यक्रम को बहिस्कार करने का निर्णय लिया । वे वहाँ से वापस चले गये | उनकी स्थिति देखने लायक थी | उन्हें यह पता चल गया कि राष्ट्रिय पोशाक पहनकर सुसज्जित हो जाने से नेपाली नागरिक नहीं कहलाता है | अगर आप मधेशी हैं तो ओली साहब की चमचागिरी जरूरी है ।
शनिबार सुबह सरकार द्वारा आयोजित गणतन्त्र दिवस मनाने का कार्यक्रम में पूर्वराष्ट्रपति झा राष्ट्रिय पोशाक सुसज्जित होकर मञ्च पर पहुँचे थे । लेकिन जब उन्हें कोई नही पूछा और वैठने की कोई व्यबस्था नही देखे तब उन्हें पता चल गया कि उनकी अवहेलना की गी है | और वे तुरन्त ही मंच से उतर कर चल दियें |
कार्यक्रम को बहिस्कार करके लौटने के कर्म में उपराष्ट्रपति झा ने अपनी अवहेलना होने का आरोप लगाया | वापस लौटते देखकर कुछ सरकारी अधिकारी ने उन्हें फुसलाकर फिर से मंच पर ले जाने का प्रयास किया | लेकिन उपराष्ट्रपति झा ने उनकी नही सुनी और वे वापस हो गये |
सरकार द्वारा आयोजित गणतन्त्र दिवस के अवसर पर टुँडीखेल में औपचारिक समारोह का आयोजना किया गया था । इस अवसर पर राष्ट्रपति विद्या देवी भण्डारी, प्रधानमन्त्री केपी शर्मा अाेली , उपराष्ट्रपति नन्दबहादुर पुन, सभामुख अोनसरी घर्ती सहित कई विशिष्ट लोगों की उपस्थति थी । – himalini.com
Photos: sancharaknepal.com , Birendra Km