आब नहि छोड़ब, लइयेकय रहब मिथिला राज्य

विचार 
– राम बाबु सिंह, मधेपुर (कलुआही), मधुबनी। (हालः दिल्ली सँ)
 
map of mithilaमैथिलजन के लेल मिथिला राज्य केर निर्माण एकटा दिव्य स्वप्न जेकाँ अछि। कियो एहन मैथिल नै हेताह जे अप्पन मिथिला राज्य केर पक्षधर आ भिन्न सरकार कुशल शासन-प्रशासन निमित्त नहि देखय चाहैत होएथ। मिथिला जकर अप्पन इतिहास अछि भूगोल अछि आउर सांस्कृतिक स्तर पर अपन विशेष सभ्यता तथा पहिचान अछि, एकरा राज्य केर रूप मे स्थापित होयब आवश्यक सेहो अछि।
 
एकर वर्णन पौराणिक ग्रन्थ सभ मे एहि ठामक धराक कण कण मे देवस्थान समान मान्यता प्रदान कएल गेल अछि। ई ओ पावन भूमि थीक जतय राजर्षि विदेह जनक, जनकनन्दिनी जानकी, याज्ञवल्क्य, गौतम सरिस महर्षि एवं न्याय दर्शन केर उद्भेदक, कपिल मुनि समान शास्त्रीय पद्धति सर्जक, मंडन मिश्र, गंगेश, पक्षधर, वाचस्पति सरिस महान दार्शनिक, विद्यापति सरिस महकविक प्रादुर्भाव भेल अछि।
 
महिमामयी मिथिला धर्म, न्याय, मीमांसा आ साहित्यिक क्षेत्र में प्राचीनकालहि सँ अग्रणी रहल अछि। एहि ठामक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक आ सामाजिक जीवन धारा निरन्तर प्रवाहमान रहल अछि।
 
वर्तमान समय में सेहो एहि माटि-पानिक लोकक कीर्ति वैश्विक स्तर पर सराहल जा रहल अछि। हमसब देश-विदेश में त खूब प्रसिद्धि पाबि रहल छी लेकिन नव मिथिला राज्य केँ संविधान द्वारा मान्यता प्रदान कराबय लेल एखन धरि जे प्रयास भेल तकरा आरो सशक्त रूप आगाँ बढ़ेबाक लेल विचार मन्थन केर बहुत बेसी जरूरत अछि।
 
विगत किछु बरख पहिने दिल्ली में सेहो मिरानसे केर विचार मण्डप में पृथक् मिथिला राज्य लेल परिचर्चा भेल रहय। जाहि में मिरानसे केर संचालक महोदय संग बहुते रास वक्ता सब सहभागी भेल रहथि। क्षेत्रीय सांसद सामाजिक कार्यकर्ता संगहि मिरानसे सँ जुड़ल व्यक्ति आ लगभग 5000 लोकक जमाबड़ा भेल रहय जाहिमें सब एकमत सँ भिन्न मिथिला राज्य पर अपन सहमति आ संगहि कोना ई सम्भव हएत ताहि हेतु अपन अपन विचार प्रकट कएलाह।
 
आब एक बेर फेर ई आगि सुलगि रहल अछि। कियो सुतल नहि छलाह मुदा समय आ मिरानसे केर नेतृत्व करय बाला कर्मठ आ प्रबुद्ध लोक सब अपन-अपन काज में लागल छलाह। अप्रत्यक्ष रूप सँ ई आगि ठामक-ठाम छल। आब ई आगि जे सुलगि गेल अछि ओकरा पजारने रहू आ जा धरि लक्ष्य धरि नहि पहुँच जएब ता धरि डेग-डेग चलैत रहब, एहेन संकल्प लेबाक बेर आबि गेल अछि। चालि बेशक कनि कम गतिक किऐक नहि हो मुदा चलैत रहब आउर एक दिन हमर सभक दिव्य स्वप्न धरातल पर अवश्ये साकार भऽ स्थापित होयत।
 
आब मैथिल नै छोड़त, चाहे किछ भ जाए। हम लइएकय छोड़ब मिथिला राज्य। आउ अप्पन मैथिलहित केर लेल, मिथिलाक लेल चिंतन शिविर मे। अपनेक सब मैथिलजन केर स्वागत अछि। आउ आ अपन अपन उपस्थिति दर्ज कय चिंतन शिविर मे सहभागी बनि मिथिला राज्य केर लेल सुझाव सब राखु।
 
जय मैथिल जय मिथिला जय जय मैथिली।