मिथिला समाज मे ‘दहेज मुक्त मिथिला’ केर लहर
– राम बाबु सिंह, मधेपुर (कलुआही) – हाल दिल्ली सँ
विवाह संस्कार आ दहेज़ दुनु मिथिलांचल के घरे घर घुसल छैक। मोन मस्तिष्क विवाह के संग दहेज़ स्वतः आबि जाइछ। अतेक शिक्षित भेलाक बादो एखनहुँ समाज में विवाह में माल जाल जेकाँ दाम लगैत छैक जेना कुनु मनुख के नहि माल जालक खरीद विक्री भ रहल छै। बुझायत अछि जेना विवाह मनुखक ढौआ केर ढेरी संग भऽ रहल होइक। ढौआ अछि तखन विवाह में कुनु तरहक अड़चन नहि हएत नहि तऽ कतबो सुशील सज्जन सभ्य कनियां कियैक नहि हो मुदा दहेज़ जँ नीक नहि तखन वर नीक भेटत ताहि मे सन्देह बुझु।
समाज में दहेज़ लेब एकटा अघोषित प्रतिष्ठाक विषय बुझाएत अछि। जतेक बेसी भेटल ओतेक पैघ प्रतिष्ठित बुझल गेल – एहेन भ्रम चारूकात पसरल अछि। फलां बाबूक बच्चा केँ अतेक रास दहेज़ भेटलनि संगहि नीक पढ़ल-लिखल कनिया सेहो। गाम घर में एकर चर्चा होइछ आ वर पक्ष मोछ पर ताव दैत गाम में अपन ऐंठल चाइल मे चलैत देखाएत अछि। मतलब दहेज़ लेब अपन आन-मान-शान बुझायत छैक बहुतो केँ। एहन लोक केँ दहेज़ केर प्रति कनियां पक्षक सहमति आ असहमति सँ कुनु मतलब नहि होएत छैक। एकरा सब केँ अपन स्वार्थ सिद्धि होमक चाहि चाहे विवाह उपरान्त कनिया पक्ष संग सम्बन्ध मधुर होयत वा जे किछु, भले खटासे आबि जाउक, एहेन दहेजलोलुप सब केँ ताहि सब बातक कुनु चिंता नहि।
परञ्च हमर गाम एहन में एकटा पैघ उदाहरण प्रस्तुत कएलाह अछि जेकर अहिठाम चर्चा कएनाइ तर्कसंगत आ नितान्त आवश्यक अछि। एक हप्ता पहिने अपन भातिज केर विवाह भेल मधुबनी जिलाक लक्ष्मीपुर गाम में। कोनो प्रकारक लेन देन नहि भेल। कनिया बहुत गरीब घरक मुदा सुशील सुन्दर आ पढ़ल लिखल छलीह। इमहर हमर हमर भ्राता श्री विशुनदेव राय जी सब तरहें सुखी सम्पन्न छथि। तीन गोट बेटा जाहि में दूटा सरकारी नौकरी कय रहल छथि आ जे सबसँ छोट से कलुआही में अपन दोकान पकड़ने छथि आ ओ दोकान खूब नीक जेकाँ चलैत अछि। जमल ब्यापार आ सेहो मिथिलाक माटि-पानि मे सोनाक उपजा दैत अछि कहबा मे अतिश्योक्ति नहि होयत।
ओना पहिने दुनु बेटाक विवाह सेहो बिना दहेज़ के खूब धूमधाम सँ कएने छलाह। हिनकर आदर्श विवाह गाम में बहुत चर्चा के विषय बनि गेल अछि। ओना हिनकर अपने संगी सम्बन्धी सब अहि बात सँ दुखी छथि की बिनु दहेज़ के विवाह किये करै छथि, से जखन गाम गेल छलहुँ तखन भाई जी कहैत छलाह। मुदा हिनकर विचार सुनि मोन हर्षित भ गेल, ओ कहलन्हि बौआ दोसर केँ कल्पाकय लेल गेल रुपैया कखनो केकरो सुख प्रदान नहि क सकैए, सदिखन ओ चिंताग्रस्त आर दुखी रहैत अछि। एकर किछू उदाहरण देलथि। एतबा सुनि हमर छाती बड़का टा भ गेल। एकटा बात हमहूँ कहब कि हमरो विवाह परिवारक मोन सँ बिना दहेज़ के भेल अछि तें हम एहन लोक के हृदय सँ प्रणाम आर सम्मान करैत छियैन्ह।
आशा अछि दहेज़ मुक्त मिथिलाक शुरुआत भ चुकल अछि आ आब ई तेजी सँ चहुंओर पसरि रहल अछि। हमर सार ई अछि की समाज में कनिया किनको लेल बोझ नहि लागै, कनिया समाजक अस्तित्व होइछ आ ताहि हेतु विवाह में दहेजक कुन काज ओना जे अपन कन्या के लेल परिवारक लोक यथा सम्भव स्वेच्छा सँ होय छन्हि, देबाक चेष्टा करैछ।
एक बेर पुनः भाई जी के चरण स्पर्श आ हिनकर आशीर्वाद भेटैत रहय तकर हम हृदय सँ अभिलाषा करैत छी संगहि हिनकर अहि सुन्दर दर्शन के भविष्य में समाज सेहो अनुसरण करताह। अहि शब्द के साथ हम अपन लेखन के विराम दैत छी।