राजनीति – यानि राज्य केर संचालन करबाक वास्ते जे नीति बनैछ वैह भेल मोट मे राजनीति। भारत गणराज्य स्वतंत्र भेलाक बाद लगभग ७ दसक पूरा करय जा रहल अछि। जनताक चुनल सरकार आ संविधान द्वारा शासित संघीय गणतंत्र थीक भारत। सत्ताक प्राप्ति लेल बहुदलीय व्यवस्था अछि। चुनाव आयोग समान स्वायत्तशासी संस्था द्वारा चुनाव निष्पादन कैल जाएछ। सत्ता धरि पहुँचबाक लेल जनताक मत पायब आवश्यक अछि। जनताक मुद्दा लेल जनताक प्रतिनिधि चुनिकय सदन मे पहुँचि विधायिकाक मार्फत विधान बनबैत विधिक शासन सँ संघीय राष्ट्रक समस्त तंत्र चलैत अछि। वर्तमान भारत मे जनताक मत कोना भेटत, कोना जनताक मन केँ प्रभावित कय सकब, एहि लेल विभिन्न तरहक खेला-वेला सब कैल जाएछ। सत्ता आ विपक्ष बीच धूरखेल होएत रहैत अछि, जनता मूक-दर्शक बनिकय एक-दोसर केँ ई खेल खेलाएत देखि कखनहु ठठा-ठठाकय हँसैत अछि, तऽ कखनहु ओकर दुनुक खेला-वेलाक असर अपनहि स्वास्थ्यक प्रतिकूल पाबि चिन्तित होएत अछि आ एहि खेला-वेलाक बीच राष्ट्र किछु कदम आगू, किछु कदम पाछू आ हिलैत-डुलैत कोहुना आगू बढैत रहैत अछि। समय चूँकि आगुए बढबाक गुणधर्म धारण करैत अछि, ताहि सँ पाछूक चर्चा सेहो केवल खिस्सा-कथा जेकाँ सुनल-बुझल जाएत अछि, अर्जुन दृष्टि परन्तु जनताक मत अपन पक्ष मे करबाक योजना धरि सीमित रहैत छैक। यैह थीक पूर्ण रूप मे राजनीति – वर्तमान परिवेश आ परिदृश्य मे।
विदुषक – यानि नाटकक अभिनेताक एहेन मित्र जे पब्लिक केँ भरपूर मनोरंजन दैत किछु एहेन नौटंकी करैछ जे काजो चलि गेल, विपक्षी केँ चित्तो कय देलहुँ आ एम्हर अपन स्वार्थक गोटी सेहो लाल भऽ गेल – ई विदुषक वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य मे खूब लोकप्रियता हासिल करैत अछि। ओकरा ऊपर मूल्य आ मान्यताक बात करबाक कोनो भार नहि रहैत छैक। पब्लिक कोना हँसत, हँसत तखनहि फँसत… बस विदुषक केर भूमिका एतबे टा रहैत छैक। ओकरा निर्देशकक प्रौम्ट सेहो बेसी नहि चाही। बस, एक्केटा बात जे तोरा पब्लिक केर मूड देखि ओकरा हँसेबाक छौक। विरोधीक बातक असर कोना समाप्त हेतैक ताहि पर सँ पब्लिक केर आकर्षण केँ विकर्षणक दिशा मे लऽ जेबाक छौक। पब्लिक (दर्शक) सेहो विदुषक केर उपस्थिति होइते हँसब शुरु कय दैत अछि। एक बेर ओ सब बिसैर जाएत अछि जे पैछला समय कोन अभिनेता अथवा खलनायक – कोनो पक्ष द्वारा केहेन नीति, मूल्य, मान्यता आ बेहतरीक बात राखल गेल छल। ओकरा हँसबाक लेल अवसर चाहैत छलैक, यैह देखि निर्देशकक कथनानुसार – नाटककार आ परिकल्पनाकारक निहित व्यवस्था मुताबिक विदुषक मंच पर प्रस्तुत होएत अछि आ जेहो न सेहो बात सब बाजिकय पब्लिक केर ध्यान एम्हर सँ ओम्हर कय दैत अछि।
भारतीय राजनीति मे यैह विदुषक सब हिरो कहाएत अछि। एहेन कतेको रास हिरो जीरो सँ उठैत अकासी हिरो धरि पब्लिक केर हृदय मे विराजमान भऽ जाएत अछि। बहुत पहिने जे ब्रिटिश राज संग लड़बाक लेल अगस्त क्रान्ति भेल, तेकरा पुनः अन्ना हजारे समान समाजसेवी आ अभियानीक अगुवाई मे शुरु कैल जाएछ। मंच तेना सजि जाएछ आ पब्लिक तेना जुटि जाएछ जे पैछला सब दृश्य बेकार, जेहन मे बाँचि जाएछ तऽ ‘मैं अन्ना हूँ’ वाली बात। ओतय सँ निकलैछ ईमानदारी आ सत्यताक प्रतिमूर्ति ‘केजरीवाल’ समान सफेदपोश नेता – परंपरावादी राजनीतिज्ञ द्वारा चुनौती भेटला पर केजरीवाल समान अभियानी नेतृत्वक बागडोर अपन हाथ मे लैत अछि आ पब्लिकक समर्थन केर से स्वरूप देखा दैत अछि जे कौरव आ पाण्डव सब पक्ष हैरान। एकटा तेसरे पक्षक राज्य बनि जाएत अछि हस्तिनापुर पर! अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत! आब ५ वर्ष धरि इन्तजार टा विकल्प बाँचैत अछि कौरव आ पाण्डव केर पास – रुकू! आ ५ वर्ष धरि गुंहांगिज्जी करैत रहू, दिल्लीक जनता केँ माथा घूमबैत रहू। फेर चुनाव आयोग जखन चुनावक तिथि जारी करत, तखन भोंपू पर अपन बड़का-बड़का बात बघारैत पब्लिक दरबार मे हाजिरी लगाउ। फेर चुनाव खत्म, जीत-हार तय, लूटू जैमकय ५ वर्ष ओही पब्लिक केर अस्मिता केँ! यैह थिकैक राजनीति! विदुषक तऽ आबैत अछि पब्लिक केँ हँसाबय लेल, मुदा सारा क्रेडिट ओ अपने जीतकय गद्दी पर बैसि जाएत अछि। अन्ना हजारेक अगस्त क्रान्तिक बाद सँ भारत मे ई तेसर पक्ष केर विदुषक बनि प्रवेश करैत कौरव-पाण्डव केँ किनार लगेबाक खूबे रास उदाहरण सब देखाय लागल अछि।
नवका पर एगो जन्म लेलक अछि ‘कन्हैया’ – जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय – यानि जेएनयू संछिप्त नाम सँ बेसी चर्चित संस्थान केर एकटा छात्र नेता। बजबाक शैली चहटगर चटनी समान – एकटा खास राजनीतिक धाराक समर्थक-प्रचारक कन्हैया आइ-काल्हि भारतीय मिडियाक सेक्स टूल जेकाँ बाजार मे बिका रहल अछि। कखनहु ओकरा हिरो तऽ कखनहु जोकर आ कखनहु प्रखर वक्ता – नेता आ देशद्रोही दुनू रूप मे देखायल जा रहल अछि। ई सेक्स टूल कोनो विदेशी बाजार सँ भारतक बढैत प्रखरता केँ बलात्कार करयवला बुझा रहल अछि। कारण सारा देश मे जाहि समय राष्ट्रवाद आ राष्ट्रवादिताक पूर्वा हवा बहल अछि ताहि समय अचानक पाकिस्तानक आवाज मे आवाज मिलबैत भारत सँ काश्मीर केँ स्वतंत्र करबाक एकटा गृहद्रोही स्वर उठैत अछि, या एना कहू जे एहेन स्वर उठल से एकटा स्टोरी बनि जाएत अछि आर तेकर बाद सेक्स टूल अपन काज करब शुरु कय दैत अछि। भारतीय मिडिया मे नंगटे ठाढ कतेको राजनीतिक शक्ति केँ यैह टूल सँ सेक्स दृश्य ओहिना देखायल जाएत अछि जेना कोनो थ्री एक्स एडल्ट फिल्म मे। आब मिडियाक दादागिरी तऽ चलबे करतैक, कारण आँखि, कान, माथ केँ गरम करबाक संग-संग कामुक दृश्य सब देखेबाक कारणे कतेको केर काम-वासना सेहो भड़कैत रहैत छैक आ विदुषक केँ माथ पर उठौने ओ कामान्ध मानव समाज चारूकात फिल्ड मे दौड़ लगबैत रहैत अछि।
कन्हैया प्रसिद्ध भेल कियैक तऽ जाहि ‘नरेन्द्र मोदी’ समान ओजस्वी नेता केँ कोनो तीर नहि चीत्त कय सकल, तेकरा पटकबाक लेल ई ‘छोटा भीम’ बनिकय प्रकट भऽ चुकल छल। विदेशी सेक्स टूल केर रूप मे काश्मीर केँ भारत सँ स्वतंत्र करबाक आवाज भारतीय गणतंत्र मे उठेनिहार आ एम्हर मुस्लिम तुष्टीकरण केर नीति पर खेपि रहल कतेको तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक ताकत केर द्रोण, कृपाचार्य, भीष्म, दुर्योधन आदि एहि छोटा भीम केँ अपना पक्ष मे करबाक जाल पसारि चुकल छल। २०१९ केर चुनावी चौसर वास्ते मैदान केँ सजायल जा रहल अछि। एम्हर वीरपुरुष नीतीश केँ बिहार विधानसभा चुनाव मे नरेन्द्र मोदी केँ पटखनी देबाक वीरगाथा कराम-कराम कइये रहल अछि, ओम्हर राहुल गाँधी पप्पू के पप्पुवे बनल देखाएत अछि, आब उत्तर प्रदेशक चुनावी समर सँ जँ फेर एकटा वीर यानि मुलायम या मायावतीक दल मोदी केँ पटैक देलक तऽ २०१९ केर मैदान पर पुनः एहि धर्मनिरपेक्ष ताकत केर नाम पर बनल महागठबंधनक जीत तय अछिये। कन्हैया पब्लिक इन्टरटेनर बनिकय सबटा वैह कार्य कय रहल अछि जे मोदीक वर्चस्व केँ समाप्त कैल जाय। मोदीक जादू जे पब्लिकक माथ मे नाचि उठल अछि, जे दीर्घकालीन नाच करत तेना अभैर रहल अछि, तेकरा कोनाहू समाप्त कैल जाय – से थीक कन्हैया। भारतीय राजनीति केर दिन ‘अच्छे दिन’ केर ओकालति करैत छैक, मुदा विदुषक केर भूमिका सँ पब्लिक केर बीच मे एकटा नव हवा बहेबाक प्रयास कहि सकैत छी। ई दौड़ एखन चलैत रहत। २०१९ केर समर जे शेष छैक!