दहेज मुक्त मिथिला – अभियानक असर चहुँदिस देखाएत अछि

dmm marriage ajitपाँच वर्ष बीतल, छठम् चलि रहल अछि। पहिले वर्ष मे जाहि अन्दाज सँ सौराठक ऐतिहासिक सभागाछी सँ ई अभियान आरम्भ भेल तेकर सकारात्मक असर चारूकात पड़ल। न्युजपेपर केर हेडलाइन सँ सामाजिक संजालक गह-गह मे एकटा मात्र चर्चा स्थान लेलक ओ थीक ‘दहेज मुक्त मिथिला’।

जखनहि चर्चा आम होमय लगैत छैक आ कि आलोचक आ विश्लेषक लोकनिक कान सेहो ठाढ होमय लगैत छैक। गिदरक हुआँ-हुआँ सुनिते जेना डरपोक बच्चा मायक आँचर मे सन्हिआय-नुकाय लगैत छैक, किछु तहिना दहेज लोभी समाज मे दहेज केर आशा लगौने बैसल कतेको युवा आ बुजुर्ग एहि नामक त्रास सँ घबराहट होयबाक शिकायत लय आपस मे गुन-धुन-गुन-धुन करयल लागल। मुदा ई अभियान केकरो डरेबाक-धमकेबाक आ कोनो प्रथा केर नीक-बेजाय केर निर्णय कानून सँ ऊपर अपना हाथ मे लेबाक लेल नहि होयबाक कारण ई बुझितो जे फल्लाँ-फल्लाँ डरपोक दहेज लोभी सब केँ नीक जेकाँ गेयर मे फँसायल जा सकैत छैक, तेहेन कोनो कार्य करबा सँ परहेज कएलक आ मात्र संकल्प लेबाक प्रेरणाक प्रचार-प्रसार करैत रहल। काज एकर दहेज उन्मुलनक नाक सीधा नहि पकड़ि कनेक घूमाकय ‘स्वयंसेवा आ स्वसंरक्षण’ सिद्धान्त पर मिथिलाक धरोहर केर संरक्षण-संवर्धन-प्रवर्धनक दिशा मे करैत आम जनमानस मे नाम गुणे धर्म अपनेबाक लेल अभियान चलबैत रहल।

सौराठ सभाक शुरुआत – ओतुका सादगी आ नियम-निष्ठा केर कथा टा आइ सुनल जा सकैत छैक। कोना लोक निर्णय करिते बिना कोनो ताम-झामक वर-बरियाती साजिकय कन्यादान समान उच्च महत्वक यज्ञ संपन्न करेबा मे बेटीवला लेल सहयोगी होएत छल, आर आब कोना लोक अपन आ कन्यागत दुनू पक्षक लाखों रुपया मात्र देखाबटी साज-सज्जा पर बाजार मे उड़बैत अछि। दुनू बात पर समीक्षा करबाक वास्ते समाजक सोझाँ विषय राखब टा दहेज मुक्त मिथिला केर काज छैक। आब, लोकक अपेक्षा छैक जे दहेज मुक्त मिथिला केर अभियानी वा पदाधिकारी गामे-गाम ई महंग-महंग टेन्ट अपनहि सँ उखाड़य, लोक-समाज केँ फेर सँ नीक परंपरा आ अत्यन्त सहजे समाजक सामूहिक सहयोग सँ सब यज्ञ कार्य पूरा करेबाक लेल बीड़ा उठाबय, ताहि लेल सचमुच एखन धरि ई अभियान सक्षम नहि भेलैक अछि। सपना छैक जे ओतय धरि आबयवला १०-२० वर्ष मे अभियान जरुर पहुँचि जेतैक। पराकाष्ठा पर पीड़ा पहुँचि गेलाक बाद आरामहि टा भेटैत छैक, भले पेशेन्ट कैन्सरहि सँ पीडित कियैक नहि हो।

भैर साल मे एगो कथा जँ अहाँ (एक व्यक्ति) करा दैत छी – एकर प्रेरणाक सूत्र बनि जाएत छी तऽ बुझू जे एकटा अश्वमेध यज्ञ पूरा भेल। आजुक कलिकाल मे एहेन कठोर साधना जखन कि विरले कोनो पुत्र सँ संभव होयत, मुदा प्रयास करबा मे हर्ज नहि छैक। बस एकटा कुटमैती, चाहे जाहि कोनो जाति, वर्ग आ कि समुदायक हो, अहाँ जरुर कराउ। सामूहिक विवाह केर आयोजन तऽ सोना पर सोहागा समान भेल। लेकिन मात्र नाम आ पद केर वास्ते कोनो होड़ मे पड़ैत छी, यज्ञ आधा-अधूरा छूटैत अछि, तऽ फेर लोभ, मोह आ क्रोध सँ जे पाप उपजत से अहाँ केँ समूचा गिर जायत। ई सत्य आ स्वयंसिद्ध सेहो छैक। ताहि सँ एकटा निस्तुकी करू जे न अपना मोन मे कोनो तरहक लोभ राखब, आ नहिये एहेन कोनो परिवारक सोझाँ मे घूटना टेकब जे लोभ-मोह-क्रोधक अनुगामी हो। सफलता भेटबे टा करत आ अश्वमेध यज्ञ पूरा हेब्बे टा करत।

विवाह कतय के करत, तेकर निर्णय बड कठिन आ नितान्त व्यक्तिगत होएत छैक। अहाँ मात्र सुझाव दय सकैत छियैक। तदोपरान्त दुनू पक्ष केँ वार्ता करबाक सुअवसर जँ संस्थागत रूप मे देबैक तऽ फेर सोना पर सोहागा भेल से बुझू। परिचय सभाक आयोजन, वरागत-कन्यागत केर मिलान, कोनो विवाद केँ सोझरेबाक लेल मध्यस्थता, इत्यादि आध्यात्मिक आ सामाजिक होयत। मुदा ताहि सँ इतर जँ कोनो पक्षपाती दृष्टि सँ पूर्वाग्रही बनि कार्य करब तऽ घोर पापाचार होयत, एहेन कृतघ्नता सँ अभियानक बदनामी होयत, निजी हानि होयत, शत्रुता बढत आ मनक मलिनता सँ सैकड़ों विवाद उत्पन्न होएत पूरे अशान्तिक वातावरण बनत। कटुता कोनो स्तर धरि जा सकैत अछि। ताहि सँ पूरा ईमानदार आ निष्ठावान् बनिकय कोनो निर्णय कैल जाय। दहेज मुक्त मिथिला नामक अभियान ताहि सब कारण कदापि कोनो व्यक्तिगत निर्णय केर बीच मे पड़य सँ बचैत अछि, स्वेच्छाचारिताक प्रचार करैत अछि।

एहि वर्ष दमुमि केर नजरि मे कम सँ कम एक सौ विवाह एहेन भेल अछि जाहि मे कोनो तरहक माँग कतहु नहि छल। दुनू पक्ष अपन मन मिलाकय बेटी-जमाय केर इच्छा मुताबिक नीक कुटमैती कएला अछि। हालहि एकर दुइ उदाहरण हमर नजरि मे भेल अछि। एकटा दहेज मुक्त मिथिलाक संस्थापक अध्यक्ष (नेपाल) श्रीमती करुणा केर सुपुत्री डा. श्वेताक विवाह डा. ज्ञानेन्द्र संग पूर्ण दहेज मुक्त भेल। जखन कि कार्यक्रमक आयोजन एहि तरहक छल जे देख पड़ोसिन जैर मरय, अर्थात् स्वेच्छाचारिताक ओ प्रखर स्वरूप जे बेटीक माता-पिता लाखों टाकाक खर्चा केवल बरियातीक स्वागत पर केलनि। तहिना वरागत सेहो अपना स्वेच्छा सँ कनियां केँ लाखों रुपयाक गहना सौंपलनि। दुनू पक्ष मन मिलान सँ स्वच्छ विवाह निर्वाह कएलनि। बिल्कुल तहिना, हमर एक कनिष्ठ भाइ अजित झा सेहो हमरहि मध्यस्थता मे पूर्ण दहेज मुक्त विवाह हमरहि एक निकट सम्बन्धी परिवार मे अनुराधाक संग कएलनि। बस ओहि विवाह रूपी यज्ञक समापन बाद ई प्रेरणा भेटल जे अपने सब तक एहि लेखक मार्फत अपन विचार राखी। एकटा दहेज मुक्त विवाह एक अश्वमेध यज्ञक बराबर यैह कारण कहलहुँ जे कन्यादान एहेन उच्च महत्वक यज्ञ कार्य मे सहायक बनब एकटा पुण्य धर्म कमेबाक समान होएत अछि। एहि मे वर सहित हुनक पिता-भ्राता-माता-भाउज एवं अन्य गणमान्य निर्णय कएनिहार संपूर्ण समाजक लोक आ तहिना कन्यापक्षक समाज व परिवार सबहक मान-प्रतिष्ठाक ध्यान रखैत जाहि तरहक मध्यस्थ भूमिका केर निर्वहन कैल जाएछ, से सचमुच एकटा मानसिक यज्ञक आयोजन थीक आ तेकरे नाम हम अश्वमेध यज्ञ राखल अपन अनुभूति सँ।

दिल्ली सँ दहेज मुक्त विवाह कय दहेज मुक्त मिथिला अभियानक एक प्रखर सारथि मणिशंकर ठाकुर खबैर पठौलनि अछि जे ओतय देवडीहा निवासी हुनक सासूर परिवार सेहो एकटा अनुपम उदाहरण स्थापित कएलनि अछि। अबैत रहैत अछि एखन सैकड़ों खबैर! कोनो लेनदेन नहि। खर्चा अपन मनमाफिक आ शख सँ अपनहि जेबी सँ दुनू पक्ष करैत छथि। कन्याक शिक्षा केर महत्व आब वरोपक्ष खूब गनैत छथि। कोनो पक्ष पर आर्थिक उत्पीडण नहि हो ताहि तरहक विवेक केर प्रयोग करैत छथि। स्वागत-सत्कार मे ओकादि सँ बेसी कोनो कार्य नहि कैल जाय, यैह न भेल दहेज मुक्त विवाह! ई अभियान चलैत रहय आर मिथिला एहि प्रथाक दुरूह रूप सँ निजात पबैत रहय।

हरिः हरः!!