दहेज प्रथा आर वर्तमान युवा समाजक मनोविज्ञान

सामाजिक वार्ताः यथार्थ संवाद
(साभारः प्रकाश कमती, प्रवक्ता, दहेज मुक्त मिथिला, महाराष्ट्र ईकाई)
प्रकाश कमतीः
‘दहेज’ प्रथा

dmm posterवर्तमान समय में ‘दहेज’ एकटा मिथिलाक लाईलाज रोग अछि तकर दावा सौ में सँ एक सौ दस टका लोक करैत छथि, तखन दहेजक समर्थक के…?, इ प्रश्न फाँर बान्हि सोझा ठार भए जाएत अछि।

व्हाट्सऐप, सोशल मंच में एखुनका समय में सबसँ आसानी सँ उपयोग कए सकै बला संजाल (इंटरनेट मिडिया) केर साधन अछि। अहि व्हाट्सऐप पर एकटा समूह बनल अछि जेकर नाम ‘जय मिथिला जय मैथिली’ छैक। ओना तs अहि समूह पर सार्थक गप या विचार समय-समय पर होईत रहैत छैक मुदा आय जे मुद्दा छल ओ छल ‘दहेज’। विभिन्न सदस्य अपन-अपन सुझाव आ विचार देलनि। किछु सदस्य दहेज केर समर्थन में छलाह तs किछु प्रचंड विरोधी। किछु सदस्य जे दहेजक भुक्तभोगी छलैथ ओ ‘दहेज’ नामहि सँ भावुक भए गेलाह। जखन हुनक मनोदशा पूछल गेल तs दहेज लोभी पर ऐना प्रहार केलनि जेना साँप पर नेवला। किछु सदस्य प्रेम विवाह, अंतर्जातीय विवाह केर सुझाव देलनि जाहि सँ दहेज खत्म कएल जा सकैत अछि तs किछु सदस्य अहि केर खुल्ला विरोध केलनि जे इ मिथिलाक संस्कार केर लहू में नहि आबैत अछि अर्थात अपन असहमति जतौलनि। किछु सदस्य केर कहब छलैन जे, जे कियो आदर्श विवाह करैत छथि या हुनक विवाह दहेज मुक्त होईत अछि तs ओ परिवार विवाहोपरांत ओहि कन्या संग दुर्व्यवहार करैत छथि, प्रताड़ित करैत छथि।

हाँ, किछु सदस्य एहनो छलाह जे अहूँ में हँ आ हमरो में हँ, हाय रे धकपोचिया।। अहि तरहक सदस्य केर कहब छल जे केवल व्हाट्सऐप आ फेसबुक पर कुदला सँ दहेज खत्म नहि होई छैक अहि लेल धरातल पर कार्य होबाक चाहि आ ‘दहेज मुक्त मिथिला’ सँ उलटे सवाल केलनि जे एखन धैर कतेक विवाह दहेज मुक्त करेलौं.. अर्थात प्रमाणित करु।

उपरोक्त जानकारी सोझा राखब केर तात्पर्य इ अछि जे अहाँ सब कोन तरहक सोच राखैत छी….?

अनिल मिश्रः  आदर्श विवाह के नाम पर सब खर्च कन्यागत पर उचित नहिं । एक त कम स कम खर्च दोसर जे खर्चा करी से दूनू पक्ष आपस में बॉइट ली । जहि स उत्तम विवाह के आदर्श उपस्थित हुआ । अंतर्जातीय विवाह समस्या के निदान नहिं । हँ नवयुवक सब के संकल्प करबा क चाही जे दहेज़ नहिं।

प्रवीण वर्माः नीक पोस्ट।समयाचीन…उपदेश दै वलाक कमी नहि होयत मुदा आचरण केर गारंटी के लेत..एहि लेल लड़का आ लड़की दुनु के जागृत होमय परतै..आ इ तखने संभव होयत जखन वर आ कन्या दुनु अपन पाँव पर खड़ा होयताह..आ एहि लेल शिक्षा पर विशेष ध्यान देबाक चाही।

राम विनोद शर्माः प्रकाशजी, गाँधीगिरी और व्हाट्सअप, फेसबुक पर हल्ला केला स कुछ नइ हैत, दहेज प्रथा पर जे कानून बनल य ओ कारगर तरीका स लागू होइ, ओइ लेल सरकार पर दबाव बनाउ और विवाह मे लेन-देन के स्टिंग अपरेशन चलबा के चाही। और ओकर खिलाफ कारवाई होइ के चाही।

मदन कुमार ठाकुरः  बियाह मे जतेक खर्च हेतय ओहि के ५०-५० दुनु पक्ष करैथ। प्रेम बियाह उचित नइ कारण एहि मे कोनो भी जाइत सँ प्रेम भऽ जाएत छैक, जे अपन समाज उचित नहि मानैत अछि, दहेज खतम करैक लेल दुनु पक्ष बराबर के हिस्सा खर्च करैथ से उचित।

सगुन मैथिलः बहुत निक मुद्दा प्रकाश बाबू । मुद्दा जा ता धैर ख़त्म नै हैत जा धैर युवा सब बैढ-चैढ क विरोध या सहभागिता नै लेता।

रोहित यादवः की उचित वा की नै ओहि के कुनो मापदण्ड छैक त सोझा काएल जाउ। नीति, नियम ओ ढोंगक नाम पर अपना बहिन बेटी ओ भाइ बेटा के जिनगी स खेलब किनको अधिकार नै। जाहि चीज के मान्यता संविधान देलक ओहि के झुठो फुस्सो के पतिष्ठा के नाम दऽ अपना बाल-बच्चा के जिनगीक ख़ुशी केर आहुति देबाक हक किनको नै। बात हमरा घरक हो वा किनको दोसर। आब समय आबि गेलैक जे एकटा मापदण्ड तय होउ।

अनिल मिश्रः प्रेम विवाह उचित या अनुचित ई दोसर विषय भेल, कियाकि बहुतो प्रेम विवाह मे बाद मे दहेजक बात अबैत अछि। रोहित यादव जी माफी माँगैत कहय चाहब जे संविधान त तलाक के सेहो मान्यता देलक, शराब पिबैय के सेहो मान्यता देने अछि, त कि ओ उचित? और कि प्रेम विवाह में दहेज क बात नहिं आबैत अछि?

प्रवीण नारायण चौधरीः अहाँक निरन्तर सक्रियता सँ उत्साह बढैत अछि, संगहि ओहि लोक केँ सेहो जबाब भेटैत अछि जे मैथिली पर कोनो उच्चवर्गीय जातिक एकाधिकार मानि बैसैत छथि। अहाँक लेखनी, विचार शैली आ निरंतर चिन्तनशील होयबाक चर्जा हमरा खासकय खूब नीक लागि रहल अछि।

 
वर्तमान पोस्ट सेहो अहाँक अपनहि जागरुकता केँ नीक सँ परिलक्षित करैत अछि। आर एहि पर भऽ रहल सहकार्य सेहो ओतबे जागरुक समाजक दर्शन करबैत अछि। हलांकि पूर्वहु मे एहि विषय पर बहुत बहस, बहुत चिन्तन आ अत्यधिक समाधानक उपाय सब हमरा लोकनि ‘दहेज मुक्त मिथिला’ नामक ग्रुप सब पर करिते छी, अपन-अपन वाल पर सेहो ई विषय स्थान पबैत अछि ई अभियानक सफलताक द्योतक थीक।
 
दहेज मुक्त मिथिला मात्र अभियान थिकैक। जेना अहाँ विषय छुअबैत छियैक तहिना ई परिकल्पनीय अभियान सेहो हर मस्तिष्क मे एकटा प्रश्न दैत आबि रहलैक अछि निरन्तर २०११ केर मार्च महीना सँ। बेर पर हिन्दुस्तान अखबारक मुख्य पेज पर एकर चर्चा मनीष भारतीया सनक प्रखर संचारकर्मीक आलेख रूप मे अबैत छैक, मधुबनी सँ मेलबोर्न धरि ‘दहेज मुक्त मिथिला’ केर चर्चा आ ताहि पर राय-विचार लेल जाएत छैक।
 
वास्तव मे दहेज एकटा चुनौतीपूर्ण प्रथाक नाम थीक। एकर आध्यात्मिक स्वरूप सचमुच कतहु सँ दूसल जायवला नहि छैक। लेकिन जखन दहेज एकटा प्रथाक रूप मे समाजक व्यवहार मे सन्हिया जाएत अछि, तखन ई आरो विकराल – भयानक समस्याक रूप मे अभरैत अछि। ई नितान्त व्यक्तिगत भावना सँ निर्णय करयवला व्यवहार थीक। कियो एकर यथार्थरूप केँ बेजा नहि कहत, मुदा जखनहि ई माँगरूप विवाह सँ पूर्व शर्त मे सोझाँ देखाएत अछि, तखन एकर बेजापन नंगटे नचैत अछि। बेटीवलाक ओकादि रहय वा नहि, बेटावला खूब माँग राखि दैत छथि। आब कुटमैती करब पक्का कएनिहार बेटीवला सोचैत अछि जे चल भाइ, बेटी लेल एकटा नीक घर-वर करबाक लेल जे मांग छैक से पूरा कय बेटीक विदाई रस्म नीक सँ निर्वाह कय लैत छी। बाद मे जे हेतैक देखल जेतैक। मुदा माँग पूरा केलाक बादो बेटावलाक फरमाईश रुकबाक नाम नहि लैत छैक आ फेर ओ बेटीवलाक दोहन करैत अछि, अपनहि अंग लगायल कनियां तक केँ प्रताड़ित करैत अछि आर कतेको निर्दोष दुलहिनक हत्या तक एहि दहेजक मांग केर चलते कय दैत अछि। परिणाम एकर एतबे भयावह अछि जे आइ कतेको बेटीक भ्रूण जाँच करबैत हत्या करबा सँ सेहो लोक-समाज पाछू नहि हँटैत अछि। दहेजक कारणे दुइ परिवारक पूँजी बनियां-बेकाल केर ग्रास बनि जाएत अछि। बहुतो तरहक दुष्परिणाम सब दहेज प्रथाक कारणे आइ हमरा लोकनि विवेकशील समाज केँ सोचय पर बाध्य कय देलक अछि जे आखिर कोना एकर निदान निकलत। संविधानशासित संघीय राष्ट्र आइ दसकों सँ एकर माँगरूप केँ प्रतिबन्धित कएलाक बादो सफल नहि भऽ सकल अछि।
 
एहेन अवस्था मे दहेज मुक्त मिथिला नाम्ना अभियान मात्र संकल्पित होएत व्यक्तिगत स्तर सँ एहि कुरूपता सँ समाज केँ मुक्ति दियेबाक प्रयास करबाक लेल आह्वान करैत अछि। केकरो जबरदस्ती लियऽ वा नहि लियऽ नहि कहैत अछि। आदर्श विवाहक स्वरूप सेहो बनाओल गेल अछि। बस स्वेच्छाचारिता सँ निदान ताकय जाउ, ई संभव सेहो अछि आर आजुक शिक्षित समाज मे व्यवहार मे सेहो परिणति पाबि रहल अछि। आब बामोस्किल कोनो विवाह दहेजक मांग पर आधारित अहाँ देखि सकब। हमर चुनौती अछि, कोनो तथ्यांक निकालू, कतहु एहेन नहि देखब जे दुइ पक्ष आपसी मन-मिलान सँ कुटमैती नहि तय करैथ। ताहि विवाह मे जँ दहेज आ उपहारक लेन-देन भेबो कैल तऽ ओकरा कानूनन तौर पर दहेज नहि मानल जाएत छैक। याद रहय! माँग आ शर्त केँ दहेज कहल जाएछ जे प्रतिकार योग्य अछि। अहाँ सब अहिना जागृतिक प्रसार करैत रहू। दहेज मुक्त मिथिला जरुर बनत!
 
हरिः हरः!!