अरविन्द झा, नवटोल, झंझारपुर। अप्रैल २५, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!
मिथिला लेल एकटा आह्लादकारी समाचार भेटल अछि। राजग नेतृत्वक केन्द्र सरकार द्वारा मिथिला पेन्टिंग केर संवर्धन-प्रवर्धन वास्ते कैल गेल चुनावी वादा केँ व्यवहार मे परिणति देल गेल अछि। समस्त मिथिलावासी लेल ई समाचार अत्यन्त सुखदायक अछि, कारण मिथिलाक एहि लोकप्रिय चित्रकला परंपरा केर जाहि स्तर पर प्रचार-प्रसार होयबाक चाही ताहि मे राज्य सरकार असफल रहल अछि। कतेको वर्ष सँ अधर मे रहल विभिन्न योजना मात्र कागजे मे झूलि रहल अछि, परन्तु नरेन्द्र मोदीक प्रधानमंत्रित्व काल मे मिथिलावासी केँ ओहिना एकटा आरो ऐतिहासिक सफलता भेटल जेना अटल बिहारी वाजपेयीक प्रधानमंत्रित्व काल मे मैथिली केँ अष्टम् अनुसूची मे स्थान देल गेल छल। हलाँकि मिथिला चित्रकला केँ समेटैत ई डाक टिकट केर रूप मे जारी अक्टुबर २००० मे कैल गेल छल, ओहो अटल बिहारी वाजपेयीक स्वर्णिम सत्ताकाल छल। परन्तु एकर छपाई आ वितरण मोदीजी केर समय मे शुरु कैल गेल अछि।
कि अछि मिथिला चित्रकला – मधुबनी पेन्टिंग केर इतिहास?
मिथिला, सैकड़ो हजारों साल स अपन श्रेष्ठ संस्कृति, साहित्य, कला, शिक्षा, श्रेष्ठ दार्सनिक विद्वान् ओ सम्पूर्ण विश्व केर महानतम कवि प्रदान करबाक लेल प्रसिद्ध अछि, ओहि मिथिलाक एक और विशेषता रहल अछि मिथिलाक चित्रकारी कला। जगज्जननी सीता और भगवान श्री राम केर विवाह सँ शुरू भेल ई कला, आब पूरा संसार में प्रसिद्ध भऽ गेल अछि ।
एहि कलाक विकास महिला समाज द्वारा घरक देवाल पर चित्र सँ सजेबाक आ अंगना-घर-कोहबर आदि मे अहिपन तथा देवाल सजेबाक-लिखबाक चलन सँ भेल अछि। शुरु-शुरु मे ई भने उच्चवर्गीय सुशिक्षित महिला द्वारा खास तांत्रिक ओ धार्मिक संकेत सबकेँ समेटिकय उपयोग मे आनल गेल हो, परञ्च कालान्तर मे ई चित्रकारिता सँ घर-अंगना केँ सजायब सब वर्ग ओ जातिक महिला समाज मे खूब लोकप्रिय भेल। घर-अंगनाक देवाल पर सँ निकैलकय कपड़ा आ कागज पर अनबाक कार्य सेहो शुरुआत सम्भ्रान्त महिला समाज द्वारा भेल। आब मिथिला पेंटिंग केर रूप मे हरेक जाति ओ वर्गक कलाकारक मार्फत ई कपड़ा और कैनवास पर उतरि गेल अछि। आजुक आधुनिक युग में अखनो चित्र में भरल गेल रंग, घरेलु चीज़, जेना हरैद, केराक पात, पीपरक छाल, दूध, सिन्दूर, काजर, हरियर पात आदि सँ तैयार कैल गेल रंगक उपयोग एहि मिथिला पेन्टिंग केँ दुनिया मे अलग विशिष्ट स्थान आर इज्जत प्रतिष्ठा दियबैत अछि।
कियैक पड़ल नाम मधुबनी पेन्टिंग?
मूलतः मिथिला चित्रकला केर चर्चा ओ ख्याति मधुबनी छेत्र सँ जुड़ल होयबाक कारण एकर विश्व प्रसिद्ध नाम ‘मधुबनी पेन्टिंग’ सेहो अछि, मुदा व्यवहारिक तौर पर एकर प्रयोग दरभंगा, समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल संग नेपालक मिथिलाक्षेत्र जेना धनुषा, सिरहा, महोत्तरी, सर्लाही, सप्तरी, मोरंग, सुन्सरी आदि मे सेहो खूब प्रचलित अछि।
इतिहासक विभिन्न श्रोत कहैत अछि जे मिथिला चित्रकला मूलतः 3000 साल पुरान अछि मुदा भिन्न-भिन्न इतिहासकार केर मत एहि सम्बन्ध मे अलग-अलग देखल जाएत अछि। मिथिला चित्रकला मूलतः नारी प्रधान अछि ओ आजुक युग में सेहो ई बात चरितार्थ होइत अछि जखन घर केर कुनु शुभ काज में गृहिणी लोकनि बेस उत्सुक्ता ओ दक्षताक संग घर-अंगना सजेबा मे एकर उपयोग करबा मे संलिप्त होइत छैथ।
१९३४ ई. केर महाभूकम्प सँ भेल नोकसानीक सर्वेक्षण कएनिहार ब्रिटिश भारतक अधिकारी विलियम जी आर्चर मधुबनी छेत्रक टूटल घरक देवाल सँ अपन कैमरा मे फोटो खींचि अपन पत्नीक संग एकर बारीक अध्ययन करैत अन्तर्राष्ट्रीय जगत् मे प्रसिद्ध चित्रकार सबहक कृति सँ एकर तूलना करैत आलेख लिखबाक संग-संग प्रदर्शनी मे सेहो अपन एल्बम केँ विश्व परिवेशक सोझाँ मे रखलैन। ताहि कारण आधुनिक पटल पर हिनकहि एकर आविष्कारक कहल जाएत छन्हि, आर यैह कारण एकर उपनाम मधुबनी पेन्टिंग वैश्विक परिवेश मे बेसी प्रचलित भेल अछि। इतिहासकार आर्चर के मन में मिथिला पेंटिंग के एतेक असर पड़ल जे ओहि समय के सुविख्यात चित्रकार क्ली, मीरो और पिकासो तक के चित्रकला स मिथिला पेंटिंग के तूलना कएलनि।
विभिन्न भारतीय इतिहासकार केर मानब जे 1960 के अकाल के बाद आर्थिक तंगी स संघर्ष कय रहल बिहार केर एहि क्षेत्र मे अल इंडिया हैन्डीक्राफ्ट्स बोर्ड द्वारा किछु उच्चवर्गीय महिला सब केँ एहि अनुपम चित्रकला केँ कागज़ व कैनवास पर सेहो उतारबाक सुझाव दैत एहि दिशा मे एकटा आरो क्रान्तिकारी डेग बढौलनि। एहि सँ जीविकोपार्जन लेल सेहो किछु मदैद भेटल आर मिथिला पेंटिंग दिन प्रतिदिन अपन ख्याति देश-विदेश भरि में बढबैत रहल।
हालांकि इतिहासकार आर्चर के कहब 1949 में हुनका द्वारा पहिल बेर इंडियन आर्ट जर्नल में किछ चित्र प्रकाशित भेल मुदा अहि पर विरोधाभास अछि। आजादी केर पश्चात् भारतीय हस्तकला बोर्ड केर निदेशक पुपुल जयकर, मधुबनी भाष्कर कुलकर्णी के भेजी कअ अहि कला के नमूना सब मंगवेलैथ और देश विदेश के प्रतिनिधि सब केँ देखेलैथ।
मिथिला एकमात्र प्रसिद्ध नेता ललित बाबु केलैन एकर भरपूर प्रचार
मिथिला पेंटिंग केँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दियाबय में “ललित नारायण मिश्रा” जीक बहुत पैघ योगदान रहल अछि आ तहि लेल मिथिला सदैव हुनक ऋणी रहत। पहिल बेर 1970 में , जगदम्बा देवी केँ राष्ट्रीय पुरष्कार देल गेल ।1975 में जगदम्बा देवी केँ पद्मश्री और सीता देवी केँ राष्ट्रीय पुरष्कार देल गेल । अहि के बाद त गंगा देवी, महासुंदरी देवी, गोदावरी दत्त, शांति देवी, विभा दास आदि प्रतिभावान महिला सब केर नामक डंका पूरा दुनिया में बाजय लागल । फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका और जापान में अहि कला केर विशेष प्रचार प्रसार भेल ! 1988 में जापान के हासेगावा में मिथिला लोकचित्र कला म्यूजियम स्थापना भेल । फ्रांस केर विश्वप्रसिद्ध पेंटर “पाब्लो पिकासो” महासुन्दरी देवीक पेंटिंग स प्रभावित भऽ हुनका पत्र लिखने रहैथ “लोक हमरा पैघ कलाकार बुझैत छैथ, लेकिन जखन हम अपनेक कला देखैत छी, तऽ पाबैत छी कि अहाँ हमरा सअ पैघ कलाकार छी”।
राज्य मे उपेक्षाक चरम पर अछि मिथिला आ एहि ठामक प्रसिद्ध लोकपरंपरा
हलांकि हरेक सिक्काक दुइ पहलु होएत अछि। एक दिस जेना मिथिला चित्रकला अपन महान इतिहासक संग दिन प्रतिदिन विश्वपटल पर अपन छाप छोड़ि रहल अछि एकर उलट आर्थिक तंगी सँ जुझैत जनमानस लेल पलायन आर आन-आन प्रदेश मे रोजगारी वास्ते प्रवास आइ विकराल समस्याक रूप मे चिन्हित कैल गेल अछि। राज्य सरकार केँ एहि कलाक संरक्षण आ संवर्धन प्रति उदासीनता मिथिला पेंटिंग केर भविष्य पर सेहो बहुत पैघ प्रश्न चिह्न उठबैत अछि। जखन कि विगत किछु समय में विभिन्न सरकार अहि चित्रकलाक उत्थान लेल भिन्न-भिन्न रूपें प्रयासरत भेल अछि, किंवा चुनावक समय एहि मुद्दाक प्रयोग करैत आयल अछि।
चुनावक मुद्दा सँ यथार्थ मे कार्यदिशा देबाक लेल राजग नेतृत्व केँ धन्यवाद
पैछला बिहार विधानसभा चुनाव मे भाजपा नेतृत्वक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन द्वारा एकरा चुनावी मुद्दा सेहो बनबैत वादा कएने छल जे मिथिला पेंटिंग समान प्रसिद्ध राष्ट्रीय कला केर संवर्धन हेतु डाक टिकट जारी कैल जायत। आर वर्तमान राजग नेतृत्वक केंद्र सरकार द्वारा मिथिला पेंटिंग केँ सम्पूर्ण भारत में प्रोमोट करबाक हेतु एवम् भारतीय कला संस्कृति में एकर अनन्यतम स्थान रखबाक हेतु मिथिला पेंटिंग केर ऊपर 10 रुपया और 3 रुपया केर कुल 4 तरहक डाक टिकट जारी कएलक अछि जे मिथिलाक पेंटिंग के उज्वल भविष्य लेल एकटा सराहनीय डेग कहल जा सकैत अछि। मिथिलाक लोकमानस मे केंद्र सरकार केर एहि योगदान प्रति एकटा अमिट आभार केर भाव उत्पन्न भेल अछि।
मिथिलाक जन-गण-मन मे अछि समर्पण
मिथिलाक अस्मिता आ पहिचान केर संरक्षण मे समर्पित विभिन्न मिथिलावादी राजनीतिक दल व सामाजिक अभियान आदि सेहो मिथिला पेंटिंग केर प्रचार प्रसार ओ संरक्षण-संवर्धन लेल प्रतिबद्ध अछि। मिथिला चित्रकला धरोहर अछि मिथिलाक, पहिचान अछि मिथिलाक, साबुत अछि जे कुन महान सभ्याता ओ संस्कृति स समस्त मैथिल केर उद्भव भेल अछि। मिथिलाक जनजागरण जाहि स्तर पर बनल अछि, बनि रहल अछि, एहि सब सँ आगामी समय मे एहेन-एहेन आरो कतेको रास महत्वपूर्ण निर्णय सब सोझाँ एबाक चाही। एखन धरि मिथिलाक माछ, मखान आ पान केर संरक्षण-संवर्धन-प्रवर्धन लेल उचित डेग नहि उठायल जा सकल अछि, मुदा जेना मिथिलाक जनजाति मल्लाह आर बरइ केर घरैया लूरि सँ ई विलक्षण वस्तु प्राप्त अछि, तऽ सरकार केँ आइ-न-काल्हि एहि दिशा मे सेहो समुचित कार्य करहे पड़त ई आत्मविश्वास अछि।