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ई कैसन दहेज मुक्त विवाह भेल तब?

राजेश चन्द्र ठाकुर, मुम्बई। अप्रैल २१, २०१६. मैथिली जिन्दाबाद!!

जय मिथिला। सब मैथिल के प्रणाम।

rajesh c thakurहमरा एक बात बहुत परेसान कयने या, आई काल दहेज़ मुक्त विवाह के खूब प्रचार प्रसार भ रहल या बड़ निक बात होबाक चाही, मुदा दहेज़ मुक्त विवाह के पैमाना कि?

जेना अखन दहेज़ मुक्त विवाह भ रहलिय ओ कोनो अर्थे दहेज़ मुक्त विवाह नै छै,
कहे लेल वर पक्ष कन्यागत व् समाजक सामने दहेज़ मुक्त विवाह के बात क के कोनो न कोनो मंच पर सम्मानित भ जाएत छथिन लेकिन ओकरा बाद कन्यागत लेल कभी समाप्त न होय वाला आफत शुरू भ जाई छै।

दहेज़ त नै लेलों मुदा बेटा के चढ़े लेल गाड़ी त अहाँ प्रतिष्ठित छी देबे करबै, हमरा सब परिवार के व् रिस्तेदार के कपड़ा लत्ता देबे करब, समाज में हम्मर इज्जत या त वर कन्या के गहन सब ओहि हिसाब से बनेबई, हमरा तरफ से हमर रिस्तेदार दोस्त महिम, वरक दोस्त महिम सब मिला के करीब ५०० से १००० गो बाराती ओथिन जिनका लाबे ले जाये लेल स्कार्पियो गाड़ी के भाड़ा आ उनका सभक भोजन में कोनो कमी नई होय से इ कन्यागत के जिम्मेवारी अइछ। आ कीछ छोट-मोट खर्च इ सब कन्यागत के जिम्मेवारी।

आब अहाँ सब खोज के निकालू कि दहेज़ मुक्त विवाह कोन रुपे भेल? ए से निक त दहेज़ वाला विवाह! कम स कम खर्च पहिने तय त भ जाइ छल कि ह हमरा फलां तय राशि वरपक्ष के देबे के या और बाक़ी के खर्च वर पक्ष करता। हम दहेज़ के समर्थन नई क रहलियान मुदा दहेज़ मुक्त विवाह के नाम पर कन्यागत के बर्वादी से आहत भ इ पोस्ट क रहलियन।

सही मायने में दहेज़ मुक्त विवाह तब संभव होएत जे वर-कन्या पक्ष दुनु मिलके अप्पन – अप्पन खर्च से बिना एको पाई कन्यागत से लेने करी तब असल दहेज़ मुक्त विवाह के सपना साकार होयत। 

हमर भावना किनको ठेश पहुचानाई नै या मुदा सत्य दहेज़ मुक्त विवाह के असलियत फ़िलहाल इहे या। जय मिथिला, जय मैथिली।

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