ओना तऽ संसार मे आरो बहुत सभ्यताक इतिहास अत्यन्त प्राचीन अछि, परन्तु मिथिलादेश एहि सब मे अपन एकटा अलगे स्थान रखैत अछि। सब किछु धरातल पर रहितो वैदिक लोकाचार समान पूर्ण रूप मे एत्तहि विकसित देखैत अछि। वर्तमान समय मिथिलाक अपन भूगोल नहि रहि गेलाक कारण व्यवस्था सब पटरी पर नहि रहि गेल अछि। तथापि, एहि ठामक विकसित समाज फेर सँ अपन पौराणिक पहिचान केँ स्थापित करबाक लेल आतूर देखाएत छथि। परन्तु कोनो विशिष्ट सभ्यताक विकास आ संरक्षण मे एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग होएत अछि आर्थिक संरचना – मैथिली-मिथिलाक अपन ब्रान्ड कि सब भऽ सकैत अछि। आउ, आइ जोडैत छी एक पुरान लेख मे नव किछु बात आ मंथन करैत छी।
अपन स्मृति सँ एक-एक ब्राण्ड केँ जोडी जेकर उपयोग उत्पादनशीलताक नव सृजनात्मक कुटीर उद्योग सँ महिलाक सशक्तीकरण करबाक आ गामक ओहि वर्गकेँ लाभ पहुँचेबा मे उपयोगी हो। आइयो मिथिला भूमिकेँ फलित रखबाक लेल खेतमें बोइन करैत छथि, हुनका सभमें विशेषरूपसँ अपन लगरपन आ संघर्षक मजबूत लगानीक बले एहेन आत्मनिर्भरता आनल जा सकैत अछि, आर ई दुनियाक लेल एक अनूठा उदाहरण बनतैक।
१. पाग – मिथिलाक सिरस्त्राणक नाम जे लगेलासँ आध्यात्मिकरूपेण परिपक्वता के प्रवेश कराबैछ, स्वाभिमानक सम्मानसँ जखन स्थूल शरीरक मूलभाग मस्तिष्क धारण करैत माथकेँ पहिराबैत पोशाकरूपी सम्मानक मर्यादा धारण करबाक परिधान थीक पाग!
२. मिथिला पेन्टिंग: अरिपन, कोबरा लेख, भीतचित्र, सजावट चित्र जेकर उपयोगिता विशेष अवसर पर गृह सज्जा लेल कैल जाइत अछि – वैदिक विधान अनुरूप तांत्रिक भूमिक पूजन स्वरूप गाय-गोबर सँ निपाइ, ताहि ऊपर चाउरक पिठार सँ निश्चित ज्यामितिक आकारसँ मंगलकामनाक उद्देश्य जे अन्ततोगत्वा परमात्माक विशिष्ट दैविक स्वरूप केँ समर्पित हो – चाहे सत्यनारायण भगवान् केर पूजन हो, चाहे कूलदेवीक पूजन हो, चाहे कोनो तरहक शुभ अवसर हो – सभ ठाम जेकर पवित्र हृदयसँ आ सुन्दर लगनसँ चित्रकारी सजावटपर विराजमान होयबाक आह्वान हो….. ताहि ठाम तऽ मनुष्य कि, देवता जे ३३ लाख कोटिकेर छथि दौगले-भागले ‘इहा-गच्छ इहि-अतिष्ठ!’ सुनिते आबि अपन हवि ग्रहण करैत छथि, ताहि ठामक दोसर सुन्दर ब्राण्ड थीक मिथिला पेन्टिंग…. उपरोक्त जतेक दार्शनिक बात एकर मिथिलाक मूल संस्कारमें छैक ततेक दोसर कथुओ में नहि। आइ इन्टेरियर डेकोरेशन एक मूल कैरियर के रूपमें फलित भेल छैक जे मिथिलामें बहुत पहिनहि सँ विद्यमान छैक। लेकिन अफसोस जे सरकार केवल भापढीस पर मिथिलावासीक एहि मर्यादाकेँ इज्जत-मर्दन करैत रहल अछि…. अरे मिथिलावासी तऽ शुद्ध सात्त्विक दैविक विधामें विश्वास रखनिहार तेकरामें अपन बारीक बहुत बात के अपनहु पहचान विस्मृति भऽ गेल छैक… तैयो एखनहु गेनहारी साग आ गद्दैर चाउरक ललका भात खाइतो, लतामक ठुर्री चिबैबतो एक सऽ एक जगह पर पहुँचि गेल छैक।
३. मिथिलाक तरकारी – अर्गेनिक वेजिटेवल – बिना कोनो कृत्रिम खाद बल्कि प्राकृतिक मल-गोबर-छाउर-निंघेस सँ स्वनिर्मित खाद पर मिथिलाक विलक्षण स्वादसँ भरपूर जेकरा कूलर-कंडिशन्ड कन्टेनर द्वारा पैघ शहरमें आपूर्ति करैत गाममें काज केनिहार खेतिहरकेँ वैश्विक परिवेशमें प्रवेश आ सभकेँ इन्टरनेटसँ जोडैत ओकर उत्पादित वस्तुक उपभोक्तासँ सीधा जोडैत समुचित आधुनिक जीवनशैलीमें प्रवेश करेबाक एक सपना सेहो सहजहि साकार भऽ सकैत अछि। मिथिलाक किछु खास तरकारी मे सुखौंत आर बेसन केर प्राकृतिक प्रिजर्वेटिव संग सूर्यक रोशनी अर्थात् रौदक धाह मे सुखाकय बनयवला विशिष्ट परिकार – कुम्हरौरी, मुरौरी, तिसियौड़ी, चरौरी, तिलौरी, दनौरी आदि विभिन्न प्रकारक बारहो मास उपयोग करयवला तरकारी केँ सेहो नाइट्रोजन फिल्ड पैकेट मे राखि बिक्री-वितरण कैल जा सकैत अछि।
४. मिथिलाक माछः छोट सँ पैघ माछ जे मिथिलाक खास लोकल प्रोडक्ट मानल जाएत अछि, मारा, कब्बै, सिंगी, मुंगरी, गोलही, काँटी, रोहु, नेन, बुआरी, भौंरा आदि – एकरो वर्तमान समय आन्ध्रा माछक पैकिंग जेकाँ पैक कय संगठित बाजार कैल जा सकैत अछि। जलकृषि मे जलफल केँ सेहो जोड़िकय आर्थिक समृद्धिक बाट खोलल जा सकैत अछि।
५. मिथिलाक आमः आइ आमक पल्प तैयार कय ओकरा प्रिजर्व करैत शीतल पेय मैंगो ड्रींक सब बनायल जाएत अछि। हाजीपुर मे सेहो जूसी मैंगो, लिची पल्प पर आधारित ड्रींक बनबैत अछि। बाहर सँ पल्प मंगायल जाएत अछि। जखन कि मिथिलाक आम – जे रंग-बिरंगक होएत अछि, तेकरा ठेका पर बेच देल जाएत छैक। आमक फसल लगभग सब साल नीक भेटैत छैक। एहि पर आधारित उद्योग सेहो एहि क्षेत्र लेल वरदान सिद्ध भऽ सकैत अछि।
६. मिथिलाक सिंगापुरी केला व अन्य केलाः मिथिला मे केलाक खेती सेहो सुसंगठित रूप मे होमय लागल अछि। वैसाली आ हाजीपुर केर केला तऽ नामी अछिये, कटिहार, पुर्णिया, भागलपुर, मुंगेर व अन्य गंगाक मैदानी क्षेत्र मे सेहो नीक संभावनाक संग लोक केलाक खेती करैत अछि। एहि ठामक केला सेहो आमहि जेकाँ दोसर प्रदेश केँ पठा देल जाएत छैक। एकरा सेहो प्रोसेस्ड फूड मे परिणति देबाक उद्योगक संभावना प्रबल अछि।
७. मिथिलाक चुरा (विभिन्न धानसँ अलग-अलग निर्मित हाथ-छाँटी स्वरोजगारी उखैड-समाठसँ तैयार) – धानक उपजा – धानक परिकार मिथिला क्षेत्र मे कोनो आन क्षेत्र सँ कम नहि अछि। बासमती, बिरनफूल, तुलसी फूल आ आरो कतेको प्रकारक सुगन्धित बेशकीमती चाउर एहि क्षेत्रक विशेषता मे निहित अछिये। वर्तमान युग मे चूड़ा आ ताहि पर आधारित पोहा आदिक उत्पाद उपभोक्ता माझ खूब लोकप्रिय अछि।
८. मिथिलाक ढेकीसँ कूटल चाउर – उसणा, अर्वा, अन्य जे कोनो हो, लेकिन गृह-स्वामिनीकेँ आर्थिक रूपेँ सबल बनेबाक सुन्दर उपाय गृह-रोजगार। आब तऽ चाउर सेहो पैकिंग फार्म मे आबिये गेल अछि।
९. मिथिलाक अँचार – आम, अमरा, करैला, धात्री, मेरचाइ आदिक अँचार बनेबाक प्रकृति मिथिलाक्षेत्रक अलगे विशिष्टता प्राप्त कएने अछि। वर्तमान समय मे पैक्ड अँचारक बिक्री-वितरण बाजार मे अपन मांग निर्माण कय चुकल अछि। मैथिली ब्रान्डक अँचार सेहो नीक लोकप्रियता हासिल करत।
१०. मिथिलाक मसल्ला – हरैद, मेरचाइ, धन्नी, जीर, पंचफोरन, सोंइठ, सौंफ, आदि कतेको तरहक मसल्लाक तैयारी मिथिलाक अपन विशिष्ट तौर-तरीका सँ करैत ओकरा वर्तमान मैथिल प्रवास क्षेत्र मे खूब नीक बाजार स्थापित कैल जा सकैत छैक।
११. मिथिलाक पाण्डित्यपूर्ण आचार-विचार पोथीः वर्षकृत्य, सत्यनारायण भगवान् पूजा विधि एवं कथा आदि, रामायण, दुर्गा सप्तशती, हनुमान चालीसा व अन्य चालीसा सब मैथिली मे छपाकय बिक्री वितरण कैल जा सकैत अछि।
सक्षम विज्ञजन सँ निवेदन जे मिथिला लेल देखल जा रहल आर्थिक सबलताक किछु सपना केँ साकार करबा लेल नेतृत्वसृजन हेतु योगदान जरुर दी। एहि सूची मे आरो दृष्टिकोण सब जोडैत एहि ठामक आर्थिक संपन्नता केँ पुनर्बहाली लेल जरुर विचार करी।
हरि: हर:!!